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Tag: अमेरिका

पाकिस्तान ने फिर युद्धविराम का उल्लंघन किया और दो सैनिको को अमानवीय यातनाएं दी

युद्धविराम का उल्लंघन कर पाकिस्तानी सैनिक मंगलवार को भारत की सीमा में घुस आए और संयुक्त राष्ट्र के तमाम नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए दो भारतीय सैनिकों की नृशंस हत्या कर दी|

पाकिस्तान ने फिर युद्धविराम का उल्लंघन किया और दो सैनिको को अमानवीय यातनाएं दी

के निकट नियंत्रण रेखा से सटकर हुये इस हमले में पाकिस्तानी सैनिक करीब 100 मीटर तक भारतीय सीमा में घुस आए और गश्ती दल पर हमला कर दिया। उन्होंने दो लांस नायकों हेमराज और सुधाकर सिंह की हत्या करने के अलावा दो अन्य सैनिकों को घायल कर दिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस जघन्‍य कारनामे के बाद एक जवान का सिर पाकिस्‍तानी सैनिक अपने साथ ले गए।
अमेरिका की विदेश विभाग की प्रवक्ता विक्टोरिया नूलैंड ने कहा कि हम कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर हिंसा की रिपोर्टों से चिंतित हैं। हम दोनों पक्षों से गोलीबारी रोकने के लिए कदम उठाने का आग्रह करते हैं।भारत सरकार ने पाकिस्तान की और से किए गए युद्धविराम उल्लंघन की कड़ी निंदा की है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, सरकार इस घटना को उकसावे की कार्रवाई मानते हुए इसकी निंदा करती है।, जवानों की मौत को लेकर करगिल युद्ध के शहीद सौरव कालिया के पिता नरेंद्र कालिया ने कहा है कि अगर उनके बेटे के साथ हुए अमानवीय व्यवहार को लेकर कोई कार्रवाई होती, तो आज यह नौबत न आती।
सीमा पर युद्ध विराम के उल्लंघन की घटनाएँ लगातार बड़ती जा रही है|और सभी मानवीय मूल्यों की अनदेखी करके सैनिको की हत्याएं की जा रही है यह चिंता का विषय है| दोनों देशों में संबंधों को सामान्य बनाने में पाकिस्तान के गृह मंत्री का भारत में स्वागत, वीजा नियमों में ढील ,क्रिकेट डिप्लोमेसी,मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा देने के बावजूद भी पाकिस्तान की सेना के एल ओ सी पर हमले जारी हैं| अमेरिका के इंटरफियरेंस[दखल] के बावजूद पाकिस्तान की सेना पर वहां की सरकार नियंत्रण रखने में असफल साबित हो रही है|इसके पीछे भारत को साफ्ट स्टेट के रूप में देखा जाना एक कारण हो सकता है |बेशक युद्ध किसी भी समस्या का हल नही हो सकता मगर अपनी रक्षा के लिए कड़े कदंम और सन्देश जरूरी हैं

स्कूली बच्चों पर कहर बरपा:अमेरिका में २० बच्ची मारे गए जबकि चीन में २२ बच्चे घायल किये गए

अमेरिका और चीन में दो अलग अलग ह्रदय विदारक घटनाएँ हुई हैं जिनमे मासूम स्कूली बच्चों पर कहर ढाया गया है| अमेरिका के कनेक्टिकट में एक प्राथमिक विद्यालय में एक व्यक्ति ने गोलियां चलाकर अपनी मां और 26 अन्य लोगों की हत्या कर दी, जिनमें 20 बच्चे भी शामिल हैं। हमलावर की पहचान रेयान लांजा के तौर पर हुई है। इस हत्याकांड के बाद उसने खुद को भी गोली मारकर आत्महत्या कर ली।उधर शिन्हुआके अनुसार

स्कूली बच्चों पर कहर बरपा:

चीन के हेनान प्रांत के झिन्यांग शहर में चेंपैंग गावं के एक प्राईमरी स्कूल के गेट पर एक व्यक्ति द्वारा २२ निर्दोष छात्रों को चाकू मार कर घायल कर दिया गया | इन घटनाओं को मीडिया ने चिंता के साथ प्राथमिकता दी है|
अभी तक गोलीबारी में घायल / मृत लोगों की संख्या अभी स्पष्ट नहीं हो पाई है|अमेरिका की विश्व प्रसिद्ध समाचार प्रेषक ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के अनुसार लांजा की मां इस स्कूल में शिक्षिका थीं और उसने अपनी मां को मारने के बाद अन्य लोगों की हत्या की। पुलिस के अनुसार हमलावर ने काली पोशाक पहनी हुई थी और उसके पास नौ एमएम की दो बंदूकें थीं। उसने सुबह कनेक्टिकट के इस विद्यालय में गोलीबारी शुरू कर दी, जिससे पूरे शहर में भय का माहौल कायम हो गया| सीएनएन न्यूज के अनुसार, इस घटना में मारे गए लोगों में स्कूल की प्रिंसिपल, मनो चिकित्सक और 20 बच्चे शामिल हैं। हमलावर को इसी स्कूल में पढ़ने वाले एक बच्चे का पिता बताया गया है|
गौरतलब है कि न्यूटाउन न्यूयार्क से 60 किलोमीटर पूर्वोत्तर में स्थित है और इस विद्यालय में लगभग ७०० विद्यार्थी पढ़ते हैं। इस घटना के बाद यहां के बाकी स्कूलों को बंद कर दिया गया है। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जे कार्ने के अनुसार राष्ट्रपति बराक ओबामा ने संघीय जांच एजेंसी एफबीआइ के निदेशक और कनेक्टिकट के गवर्नर से बात की है और इस घटना पर शोक जताया है।
इस ह्रदय विदारक वारदात को अमेरिका के स्कूलाें में अब तक की सबसे बड़ी घटनाओं में माना जा रहा है।एनबीसी न्यूज ने बगैर किसी का हवाला दिए कहा है कि गोलीबारी करने वाले व्यक्ति के मारे जाने के बाद उसके पास से दो बंदूकें बरामद हुई हैं। वारदात स्थल से 18 किमी दूर डैनबरी अस्पताल में यहां के तीन घायल भर्ती हुए हैं और उनकी हालत बहुत खराब है। न्यूटाउन शहर की आबादी करीब 27 हजार है।

घटनाओं का इतिहास

अमेरिका में इस तरह की गोलीबारी की अनेकों घटनाएँ हुए हैं [१] ओरेगन की है जहां गत मंगलवार को एक बंदूकधारी ने पहले दो लोगों की हत्या कर दी और बाद में आत्महत्या कर ली।[२] इसी साल जुलाई में कोलोराडो की एक घटना में रात में बैटमैन फिल्म के प्रदर्शन के दौरान 12 लोगों की हत्या कर दी गई थी और 58 लोग घायल हुए थे।ल 27 फरवरी को इस स्कूल के एक छात्र ने अचानक गोली चला दी, जिसमें तीन छात्रों की मौत हो गई जबकि दो घायल हो गए।
[३]2 अक्टूबर 2006, वेस्ट निकेल माइंस स्कूल,
पेनसिलवेनिया के इस स्कूल में 32 साल के एक युवक ने पहले तो 11 लड़कियों को बंधक बना लिया। फिर गोलीबारी कर पांच की जान ले ली और छह को जख्मी कर दिया। बाद में हमलावर ने खुद को भी गोली मार ली।
[४]8 नवंबर 2005, कैंपबेल काउंटी हाई स्कूल, जैक्सबोरो, टेनेसी
यहां 15 साल के एक छात्र ने प्रिंसिपल और दो सहायक प्रिंसिपल पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं जिसमें एक की मौत हो गई।
[५]21 मार्च 2005, रेड लेक हाई स्कूल, मिनेसोटा
यहां 16 साल के एक लड़के ने अपने दादा, चार साथी छात्रों और एक टीचर समेत 8 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी और बाद में खुद को गोलीमार कर खुदकुशी कर ली।
[६]5 मार्च 2001, सैंटना हाई स्कूल, कैलिफॉर्निया
इस स्कूल में पढ़ने वाले 15 साल के छात्र ने गोलीबारी कर अपने दो साथियों की जान ले ली और 13 लोगों को जख्मी कर दिया।
इससे पहले नब्बे के दशक में भी अमेरिकी स्कूलों में हुई हिंसक घटनाओं ने लोगों का दिल दहला दिया था।
[७]20 अप्रैल 1999, कोलंबाइन हाई स्कूल, कोलोरैडो
इस स्कूल के दो छात्रों ने खुदकुशी करने से पहले अंधाधुंध फायरिंग कर 12 छात्रों और एक टीचर की जान ले ली
[८] 21 मई 1998, थर्स्टन हाई स्कूल, ओरेगन
15 साल के एक छात्र ने पहले अपने मां-बाप को मारने के बाद स्कूल में फायरिंग की जिसमें दो छात्रों की मौत हो गई।
[९]24 मार्च 1998, वेस्टसाइड मिडल स्कूल, जोंसबोरो, अरकनसास
इस स्कूल में पढ़ने वाले 11 और 13 साल के दो छात्रों ने अपने टीचर और साथियों को घेरकर हमला किया जिसमें पांच लोग मारे गए।
[१०]1 दिसंबर 1997, हीथ हाई स्कूल, केंटकी
यहां 14 साल के छात्र ने प्रार्थना सभा में अचानक फायरिंग कर 3 लड़कियों की जान ले ली।
[११]2 फरवरी 1996, फ्रंटियर जूनियर हाई स्कूल, वॉशिंगटन
यहां पर 14 साल के एक छात्र ने राइफल से फायरिंग कर 2 छात्रों और एक टीचर को मार दिया।
[१२]26 फरवरी 1992, थॉमस जैफर्सन हाई स्कूल, न्यूयॉर्क
15 साल के एक लड़के ने फायरिंग कर 2 छात्रों की जान ले ली।
गोलीबारी की घटनाओं में बढोत्तरी ने आम लोगों के साथ साथ राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा को भी हिला दिया है। दरअसल, अमेरिका में ऐसी घटनाएं होती रहती हैं, इसके पीछे बड़ी वजह है अमेरिका में खुली बंदूक संस्कृति जिसके चलते अमेरिका के कई राज्यों में हथियार खरीदना तो आसान है ही, उनमें गोली भरकर घूमना भी वैध है। लेकिन अब कनेक्टिकट की दिल दहला देने वाली घटना के बाद लोगों का सब्र जवाब दे रहा है। अमेरिका जनता सरकार से गन कल्चर पर लगाम कसने की मांग कर रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति स्वयम कई बार खुली बन्दूक संस्कृति के खिलाफ बयाँ दे चुके हैं लेकिन वहां हथियार लाबी के अलावा एक विशेष वर्ग हथियारों के प्रेम पाश को त्याग नहीं पा रहा है|अब इन घटनाओं में वृद्धि को देखते हुए अब गन कल्चर में बदलाव करने का समय आ गया है|

अमेरिका में सिख बच्चों की प्रताड़ना को घृणा अपराध की श्रेणी में दर्ज किये जाने की सिफारिश

अमेरिका में सिख बच्चों की प्रताड़ना को घृणा अपराध की श्रेणी में दर्ज किये जाने की सिफारिश


संयुक्त राष्ट्र अमेरिका[यू.एस.ऐ.] में सिख बच्चों को डराने-धमकाने और प्रताड़ित किए जाने की घटनाओं को धर्म आधारित घृणा अपराध की श्रेणी में दर्ज किये जाने की सिफारिश की गई है|सिख बच्चों को डराने-धमकाने और प्रताड़ित किए जाने को गंभीर करार देते हुए अमेरिका के न्याय विभाग ने सिफारिश की है कि फ़ेडरल ब्यूरो आफ इन्वेस्टिगेशन [ एफबीआई] ने अब तक सिखों और हिन्दुओं के खिलाफ जितने अपराधों का पता लगाया है, उन्हें धर्म आधारित घृणा अपराध की श्रेणी में दर्ज किया जाना चाहिए।
न्याय विभाग के सहायक अटॉर्नी जनरल टॉम पेरेज ने कहा कि अंतरधर्म समूह इस बात का समर्थन कर रहे हैं कि एफबीआई की एकीकत अपराध रिपोर्ट में सिखों, हिन्दुओं और अरबों के खिलाफ जिन अपराधों का पता लगाया गया है, उन्हें घृणा अपराध की श्रेणी में दर्ज किया जाए।
पिछले हफ्ते पेरेज ओक क्रीक गए थे और गुरुद्वारे के सदस्यों तथा पदाधिकारियों से मुलाकात की थी। बीते अगस्त में नस्ली विचारधारा रखने वाले एक श्वेत व्यक्ति वेड माइकल पेज ने वहां के विस्कोंसिन गुरुद्वारे में गोलीबारी कर छह निर्दोष लोगों को मार डाला था और तीन अन्य को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। एक सुरक्षा अधिकारी भी जख्मी हुआ था|उस समय पूरे विश्व के सिखों द्वारा निंदा की गई थी जिसे गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा ने एक विशेष टीम ओक क्रीक भेजी और जांच करवाई| राष्ट्रपति की धर्म पत्नी मिशेल ने भी पीड़ितों का दुःख बंटाया |भारत के प्रधान मंत्री डाक्टर मन मोहन सिंह ने भी अमेरिका से चिंता व्यक्त की |अमेरिका में मृतकों के सम्मान में राष्ट्रीय ध्वज आधे झुकाए गए| सिखों के प्रति सद्भावना स्थापित करने के भरपूर प्रयास किये गए |इसके लिए अभी व्हाईट हाउस में कीर्तन दरबार सजाया गया था|
पेरेज ने कहा कि वह न्याय विभाग द्वारा टाउन हॉल में बुलाई गई बैठक में शामिल हुए, जिसमें 22 विभिन्न धार्मिक एवं अंतरधर्म समूहों ने इस बारे में चर्चा की कि एफबीआई की एकीकत अपराध रिपोर्ट में घृणा अपराधों को किस हिसाब से तय किया जाता है।
पेरेज ने स्कूली बच्चों से भी समस्याओं पर खुलकर बोलने के लिए कहा।

नसबंदी के राजनीतिक दुष्प्रभाव की एल पी जी के रूप में पुनरावर्ती की संभावना दिखने लग गई है


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक कांग्रेसी
ओये झाल्लेया देखा हसाडी अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी जी की लीडरशिप का कमाल ।सूरज कुण्ड में संवाद बैठक का आयोजन करके उन्होंने कांग्रेसी मंत्रियों को जनता से संवाद स्थापित करके 2014 के मार्ग को आसान करने को कह दिया है । ऍफ़ डी आई को इंडिया में लाकर जहाँ सड़े गले देसी उद्योगों में जान डाली जा रही हैं वहीं अमेरिका में डेमोक्रेट बराक ओबामा को भी जितवा दिया है और तो और सूरज कुण्ड तक बस में सफ़र किया और मित्वियतता के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया है ।ओये अब तो 2014 में हसाडी सरकार फिर बने ही बने।

नसबंदी के राजनीतिक दुष्प्रभाव एल पी जी के रूप में

झल्ला
मेरे चतुर सुजान जी यह ठीक है कि आपजी की लीडर वाकई लोह महिला की छवि बनाने में लगी है मगर इनकी सरकार की नीतियाँ कुछ उलटा ही सन्देश दे रही है। उदहारण के तौर पर इसी संवाद बैठक में कांग्रेसियों ने एल पी जी कैपिंग के विरुद्ध चेतावनी दे दी है।इससे पहले एन सी पी भी आप की सरकार को आम आदमी की रसोई से दूर रहने की सलाह दे चुकी है। और तो और राय बरेली में श्रीमती प्रियंका गाँधी को भी रसोई गैस से होने वाले राजनितिक नुक्सान के विषय में बताया जा रहा है।मुझे याद आता है कि इमरजेंसी के दौरान देश की आबादी कम करने के लिए नस बंदी का अभियान चलाया गया था बेशक यह देश हित में था मगर जिस प्रकार जबरदस्ती से यह अभियान चलाया गया उसके नकारात्मक नतीजे मिले और अच्छे अच्छों की कुर्सियां खिसक गई।अब ये एल पी जी की कैपिंग कर दी गई है| महंगी करने के बावजूद भी आम आदमी की पहुँच से दूर की जा रही है| संयुक्त परिवार को कई टुकड़ों में दिखाने को विवश किया जा रहा है| इस विशेष शाक थेरेपी नीति से आम परिवार त्रस्त हैं ।ऐसे में एतिहासिक नसबंदी के राजनीतिक दुस्प्रभाव की २०१४ में पुनरावर्ती की संभावना तो दिखने लग गई है।

मोदी जोगने को विदेशों से मान्यता मिल रही है अब देश में जोगी का रूतबा भी मिल ही जाएगा

भारत में कहा जाता है घर का जोगी जब तक बाहर प्रसिधी नहीं पाता तब तक जोगना ही रहता है शायद इसीलिए गुजरात के मुख्य मंत्री नरेन्द्र मोदी भी केंद्र सरकार के लिए जोगना ही हैं|एन डी ऐ और यूं पी ऐ के अनेकों घटकों ने मोदी को अछूत भी घोषित किया हुआ है|मोदी के नाम पर नितीश कुमार और मुलायम सिंह का बिदकना जग जाहिर है लेकिन अभी हाल ही में ग्रेट ब्रिटेन ने जिस तरह मोदी के विकास को मान्यता दे दी है और एक और समाचार के अनुसार अब अमेरिका भी गुजरात के विकास में अपने यहाँ की मंदी का पाप धो लेना चाह रहा है इससे लगता है कि जोगना मोदी भी जल्दी ही देश में जोगी का रुतबा+मुकाम+सम्मान पाने जा रहा है|
लोक कल्याण मामलों के सहायक विदेश मंत्री माइक हैमर ने कहा है कि अमेरिका किसी भी वीजा आवेदन का मूल्यांकन योग्यता और अमेरिकी नियमों के मुताबिक करेगा।
संवाददाता सम्मेलन के दौरान बताया गया कि आप जानते हैं कि हम किसी व्यक्ति विशेष के वीजा मामले से जुड़े सवालों में नहीं पड़ते।
नरेंद्र मोदी के बारे में ब्रिटेन के हालिया सकारात्मक फैसले के संदर्भ में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में मोदी के प्रति अमेरिका की एक दशक पुरानी नीति बदलने का संकेत दिया गया है|
गौरतलब है कि ब्रिटेन और अमेरिका समेत कुछ देशों ने गुजरात में २००२ के दंगों के बाद मोदी से संपर्क न रखने की नीति अपनाई थी।ब्रिटेन ने गुजरात के साथ विदेशी निवेश पर कोई साझेदारी भी नहीं की थी ब्रिटिश फैसले पर अमेरिका की बड़ी अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि विश्व में तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था के उद्यम प्रिय सरकारी अधिकारी बहुत सी राजनीतिक बाधाएं हटा सकते हैं। भारत मामलों के नए ब्रिटिश मंत्री ह्यूगो स्वायर ने एक बयान में कहा कि मैंने नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायुक्त को मोदी से मिलाने को कह दिया गया है| ब्रिटेन के इस रुख को पश्चिमी देशों में मोदी की बदलती छवि के तौर पर भी देखा जा रहा है। ब्रिटेन के इस कदम का स्वागत करते हुए मोदी ने भी कहा है कि गाड इज ग्रेट |देर आए दुरुस्त आए।
मोदी ने इस बदलाव को राजनीयिक परिपेक्ष्य में भुनाते हुए तत्काल केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि गुजरात का महत्व सात संमदर दूर बैठे लोग समझते हैं लेकिन दिल्ली में बैठे लोगों को समझ में नहीं आता है। केन्द्र सरकार की ओर से कभी भी गुजरात को शाबाशी नही दी गयी, हमेशा उससे दोहरा बर्ताव किया गया।मोदी ने कहा, कि दिल्ली में सौ देशों के नेता एक मंच पर एक साथ नहीं आए। लेकिन ‘वाइब्रेंट गुजरात समिट’ में 120 से ज्यादा देशों के नेता एक साथ आए हैं। मोदी ने साफ कही कि अगर केन्द्र सरकार हमारे साथ होती तो भारत का नाम बहुत ऊंचा होता और गुजरात की जनता को वोह सारी दिक्कतें नहीं सहनी पड़ती जो आज सहनी पड़ रही हैं|
अब दस साल बाद इन विकसित देशों का नरेन्द्र मोदी के प्रति ह्रदय परिवर्तन एक दम या अचानक नहीं हो गया है|दरअसल वहां रहने वाले गुजरात मूल के व्यापारिओं की लाबी बेहद शक्तिशाली है और राजनीतिक दान में भी विशवास रखती है इन लोगों में नरेन्द्र मोदी अच्छे खासे प्रसिद्ध हैं| मोदी ने अपने देश में भी तमाम अपमान जनक स्थितिओं को झेलते हुए भी प्रदेश का विकास कार्यक्रम जारी रखा यहाँ तक कि
रतन टाटा से नैनो की फेक्ट्री लगवाई +

मोदी जोगने को विदेशों से मान्यता मिल रही है अब देश में जोगी का रूतबा भी मिल ही जाएगा

अमिताभ बच्चन को गुजरात का ब्रांड अम्बेसडर बनाया + अजय देवगन के साथ इंटर नेट पर छाए इसीलिए अब गुजरात में विकास की धाराएँ देखी जाने लगी है| |उधर आर्थिक मंदी की मार झेल रहे इन विकसित देशों को नया बाज़ार चाहिए जो उन्हें अब गुजरात में दिखाई दे रहा है|यहाँ यह कहना भी अतिशियोक्ति नहीं होगा की गुजरात में चुनावी प्रक्रिया चल रही है और चुनावी हवा कुछ हद तक गुजरात के विकास पुरुष कहे जा रहे नरेन्द्र मोदी के पक्ष में बह रही प्रतीत होती है| ऐसे में अक्लमंद व्यापारी के लिए अपना पैसा इन्वेस्ट करने के लिए फिलहाल गुजरात ही फायदे मंद साबित हो सकता है|