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Tag: जी की वाणी

परमात्मा घट-घट के अंतर की जानने वाला है और भले, बुरे सबकी पीड़ा को पहचानता है

गुरु गोविन्द सिंह जी फरमाते हैं –
घट-घट के अंतर की जानत। भले बुरे की पीर पछानत।
अर्थात वह परमात्मा घट-घट के अंतर की जानने वाला है और भले, बुरे सबकी पीड़ा को पहचानता है। परमात्मा में पूर्ण विश्वास का होना प्रार्थना की सफलता का मूल कारण है। हम अपने आसपास के लोगों को तथा अपने को तो धोखा दे सकते हैं लेकिन हम अपने अंतर की ताकत – परमात्मा को धोखा नहीं दे सकते। कई बार प्रार्थनाओं को करते वक्त हम अपने मन, वचन और कर्म में एकरूप नहीं होते। हम अपनी चतुराइयों, कुशलता तथा योजनाओं पर ही अधिक निर्भर करते हैं। हमारी प्रार्थनाएं आत्मा की गहराइयों से नहीं निकलती। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि इस प्रकार से उच्चरित और दिखावटी प्रार्थनाएं व्यर्थ हो जाती हैं, उनकी सुनवाई नहीं होती। हमें इस बात का अनुभव होना चाहिए कि प्रभु हमारे अन्तरीय विचारों और मन के क्रिया-कलापों को अच्छी तरह जानता है। हमें उसकी उदारता पर पक्का भरोसा होना चाहिए।
गुरु गोविन्द सिंह जी फरमाते हैं –
घट-घट के अंतर की जानत। भले बुरे की पीर पछानत।
अर्थात वह परमात्मा घट-घट के अंतर की जानने वाला है और भले, बुरे सबकी पीड़ा को पहचानता है।
गुरु गोबिंद सिंह,जी की वाणी ,
प्रस्तुती राकेश खुराना