Ad

Tag: टाइमपास झल्ली शायरी

पुअर टैक्स पेयर्स रुहाँसे चुपचाप टैक्स भरेंगे, ये तो झल्ले ने भी सोचा न था

[1]महंगाई के इस दौर में भी डॉ मन मोहन सिंह कहेंगे गरीबी घटी है
ये तो किसी ने भी सोचा न था
[2]बिहार जैसे प्रदेश में प्याज की तरह नमक भी सेंचुअरी पार करेगा
ये तो किसी ने भी सोचा न था
[3]इसके लिए शासक सारा दोष विपक्षी भाजपा के ही सर मड़ देगा
ये तो किसी ने भी सोचा न था
[4]उत्तर प्रदेश में हड़ताल में अरबों रुपैये नुक्सान से बेफिक्र सरकार
ये तो किसी ने भी सोचा न था
[5]लैप टॉप बटेंगे ,१२ वीं पास को मिलेंगेऔर सभी छात्रों को मिलेंगे
ये तो किसी ने भी सोचा न था
[6]लैप टॉप बिकेंगे ,औने पौने दामों में बिकेंगे, सरे आम आम बिकेंगे
ये तो किसी ने भी सोचा न था
[7]भाजपा की सरकारें भी छात्रों को अब निशुल्क स्मार्ट फोन बांटेंगी
ये तो किसी ने भी सोचा न था
[8]इस सबके लिए पुअर टैक्स पेयर्स रुहाँसे चुपचाप टैक्स भरेंगे
ये तो झल्ले ने भी सोचा न था

पहले खबरें हर टाइप की मिलती थी दिन रात अब तो केवल मोदी मोदी और मोदी की हुंकार

सोमवार के दिन भी मुझको काम नहीं है कोई
ना जाने क्यूँ मेरी ही किस्मत मुझसे ही खोई
पहले खबरें हर टाइप की मिलती थी दिन रात
अब तो केवल मोदी मोदी और मोदी की हुंकार
मोदी की इस हुंकार से हुकुमरान भी है परेशान
इसीलिए इशू कर रहे आये दिन ये नए फरमान
समस्या इनकी है और मांग रहे हमसे निदान
झल्ली निशुल्क सलाह है सुन लो हुकुमरान
झांकोअपने गिरेबान मत बनो यूं नादान,अनजान

टाइमपास झल्ली शायरी

9/11/2013
मन में पी एम् पद की चाह लिए मोदी चले बनने दौर का महा मानव
मनीष तिवारी ने थाम ली ये लगाम और उवाच दिए नरेंदर को दानव
२००२ में जिसे कहा मौत का सौदागर उ स को ११ साल बाद दिया और एक नया नाम
महंगाई ,भष्टाचार ,बेरोजगारी,अपराध से जन जन का जीना हो रहा है दुश्वार
लगता है कि सत्ता कुमारों को पर्यायवाची ठोकने के अलावा नहीं दूसरा कोई काम
सरकारे आलिया का फरमान है,३६० टीवी चैनलों सुधर जाओ ,मोदी मोदी चिल्लाना करो बंद राहे फतह में ना रोड़े अटकाओं,
प्रधान मंत्री की राष्ट्रीय दिवस पर स्पीच का कुछ तो रखो मान ,नरेंदर मोदी से तुलना करके हमारी जग में हसाईँ न कराओ
इतना रखना याद ये यह सिर्फ सलाह नहीं कोई धमकी ख़ास ,लेकिन हुई अगर हुकुम अदूली तो फिर बचने की मत रखना आस
रहनुमा हो तो हुजूर रहनुमाई करो ,बेरुखी से बददुआएँ क्यूँ खरीदते हो
इंसान हूँ इंसानियत ही है ईमान मेरा ,इंसानियत की खुश्बू को ही तरसता हूँ
आये हैं वोह मेरी कब्र पर कई उम्मीदों के साथ ,सितम गर ने अभी तक सितम ढाना नहीं छोड़ा
बन्दर तो बन गया इंसान, कुदरत का करिश्मा देखिये ,लो इंसान अब बन रहा हैवान, सियासी करिश्मा देखिये