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बकवास अध्यादेश तो वापिस हो गया अब इसके लिए क्रेडिट लेने के होड़ लगी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम[दागी सांसदों से सम्बंधित] से संबंधित अध्यादेश और विधेयक वापस लेने का फैसला किया है इससे एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट को सम्मान और लोकतंत्र पर लगे काले धब्बों को कुछ हद तक धोया जा सकेगा लेकिन अब एक नई बहस शुरू हो गई है इसके लिए क्रेडिट लेने के बहस |यह स्वाभाविक भी है राजनीतिक श्रेय लेने के लिए अपने ढंग से दलीले देने में जुट गए है|जनता तो शायद क्रेडिट तभी देगी जब पार्टियाँ चुनावों में टिकट बांटने में अपनी विचार धारा को प्रकट करेंगी |
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन के उद्देश्य से प्रस्तावित अध्यादेश के बारे में व्यक्त की गई विभिन्न चिंताओं को देखते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यह अध्यादेश और तत्संबंधी विधेयक वापस लेने का निर्णय किया है। प्रस्तावित अध्यादेश की वैधता और उपयुक्तता को लेकर व्यक्त की जा रही इन चिंताओं के मध्य नजर सजायाफ्ता सांसदों और विधायकों की सदस्यता बचाने के लिए लाए गए अध्यादेश को कैबिनेट ने वापस लेने की घोषणा कर दी गई है|
बुधवार की शाम 6 बजे सिर्फ 15 मिनट के लिए केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक हुई। बैठक में यूपीए के सहयोगी दलों की नराजगी को भी नजरअंदाज कर दिया गया। इतना ही नहीं,अब दागी नेताओं को बचाने वाले बिल को भी वापस लिया जाएगा|
कैबिनेट की बैठक के बाद बताया गया कि यह फैसला कैबिनेट की बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया। चूंकि यह बिल फ़िलहाल संसद की धरोहर है इसीलिए संसद के अगले सत्र के दौरान संबंधित बिल भी तय प्रक्रिया के मुताबिक वापस ले लिया जाएगा|अब कांग्रेस और भाजपा इसके लिए क्रेडिट लेने में जुट गए हैं जिसका विरोध भी शुरू हो चुका है|गौरतलब है की कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने इस अध्यादेश को बकवास बता कर इसे फाड़ने की मांग की थी जिसके पश्चात कांग्रेस और सरकार ने आर्डिनेंस को वापिस लेने की कवायद शुरू की|उधर भाजपा और आप पार्टी भी इसे अपनी सफलता बता रही हैं|एक महत्वपूर्ण भूमिका प्रेजिडेंट प्रणब मुखर्जी ने भी निभाई हैउन्होंने इस बिल पर अनेको सवाल उठा कर इसे वापिस लौटाने का निर्णय लिया संबवत जिसके पश्चात राजनीतिक हलचल तेज हुई| |
उत्तर प्रदेश में सत्ता रुड समाज वादी पार्टी [सपा] के नेता नरेश अग्रवाल ने तो अध्यादेश और बिल की वापिसी को ही लोक तंत्र के लिए खतरा बता दिया है|
इस नए घटना क्रम के फल स्वरुप एनसीपी नेता डी.पी. त्रिपाठी राहुल गांधी के बयान पर नाराजगी जताते हुए कह चुके हैं कि उनकी पार्टी सरकार की सहयोगी है और वे राहुल गांधी के अनुयायी नहीं हैं। नैशनल कॉन्फ्रेंस ने इस मसले पर यूपीए समन्वय समिति की बैठक बुलाने की मांग की है।
हालांकि, सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट की बैठक में शरद पवार ने इसका थोडा़ विरोध किया, लेकिन आखिरकार बैठक में सर्वसम्मति से अध्यादेश वैपस लेने का फैसला किया गया।
बताते चलें के वाच डॉग एसोशिएशन [ watchdog Association of Democratic Reforms (ADR) ] के अनुसार फिलहाल ७० से अधिक सांसद [एम् पी]दागी की श्रेणी में आते हैं और अपनी सदस्यता खो सकते हैं|| इनमे से १८ भाजपा के हैं+कांग्रेस के १४ दागी सांसद हैं+ समाजवादी पार्टी के ८ + बहुजन समाज वादी पार्टी [BSP ] के ६+ऐ आई डी एम् के के ४+ जे दी यूं के ३+ वामपंथी ३ के अलावा १७ अन्य दलों से बताये गए हैं|

एन सी पी को छोड़ चुके पी ऐ संगमा ने एन पी पी का गठन करके एन डी ऐ का हाथ थामा

पी ऐ संगमा ने एन पी पी का गठन करके एन डी ऐ का हाथ थामा

कांग्रेस के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से [एन सी पी]से भी नाता तोड़ने वाले पी ए संगमा ने आज नेशनल पीपुल्स पार्टी [:एनपीपी]: का गठन किया और उसके तुरंत बाद इस दल के भाजपा के नेतृत्व वाले राजग[एन डी ऐ] में शामिल होने की घोषणा की। देश के आदिवासी बहुल इलाकों में एन डी ऐ को मजबूत करने के प्रयत्न को गति दी जायेगी|
पिछले साल राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ते हुए राकांपा से अलग हुए संगमा ने राष्ट्रीय स्तर पर एनपीपी को आरंभ करने की घोषणा करते हुए कहा कि यह पार्टी मणिपुर में राज्य स्तर पर मान्यताप्राप्त पार्टी पहले से ही है।संगमा ने राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ते समय राष्टवादी कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी। एनपीपी मणिपुर में पहले ही राज्य स्तर का मान्यता प्राप्त दल है ।वहीं राष्ट्रपति चुनाव में संगमा को समर्थन देने के कारण मंत्री पद से हटाए गई उनकी पुत्री अगाथा फिलहाल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में बनी रहेंगी। संगमा ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अगाथा अगला चुनाव एनपीपी से ही लड़ेंगी।
पिछले साल राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ते हुए राकांपा से अलग हुए संगमा ने राष्ट्रीय स्तर पर एनपीपी को आरंभ करने की घोषणा की थी. संगमा ने कहा कहा था कि यह पार्टी मणिपुर में राज्य स्तर पर मान्यता प्राप्त पार्टी पहले से ही है. राकांपा की सांसद बनी हुई संगमा की बेटी अगाथा के बारे में कोई स्पष्ट रण नीति का खुलासा नही किया गया|गौरतलब है कि एन सी पी ने यूं पी ऐ केउम्मीद वार प्रणव मुखर्जी को सपोर्ट किया था|
पार्टी[एन सी पी] के विरोध के बावजूद राष्ट्रपति चुनाव में अपने पिता का प्रचार करने के लिए अगाथा को राकांपा के निर्देश पर केन्द्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. संगमा ने बताया कि उनकी पार्टी का राष्ट्रीय चुनाव चिह्न किताब होगा, क्योंकि हम मानते हैं कि केवल शिक्षा और साक्षरता ही कमजोर वर्गों का सशक्तिकरण कर सकती है.| मिजोरम ,मेघालय विधानसभा के चुनाव में उनकी पार्टी अपने उम्मीदवार उतारेगी.
एनपीपी देश के आदिवासी बहुल आन्ध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, झारखंड, छत्तीसगढ, मध्यप्रदेश, ओडिशा, उत्तरी बंगाल और पूर्वोत्तर जैसे राज्यों में खास ध्यान देगी.