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टोल प्लाज़ा पर यात्रियों का उत्पीडन रोकने के लिए कोई सकारात्मक और त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित की जानी चाहिए

: सिवाया टोल प्लाजा पर चल रहे भाकियू के आंदोलन का मामला तीन सप्ताह पश्चात भी सुलझ नहीं पाया है|अब इसे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के दरबार में पहुंचा दिया गया है। एनएचएआइ की शर्तो को लेकर स्वयं मुख्यमंत्री ने टिप्पणी की है। उनका मानना है कि उप्र में या तो एनएचएआइ एक्ट 1997 लागू हो या फिर एनएचएआइ एक्ट 2008। वायदे के मुताबिक ठेकेदार ने हाईवे पर अधूरे निर्माण कार्य को भी पूरा नहीं किया है। किसानों को बकाया मुआवजा भी समय पर नही दिया है। इस आन्दोलन के कारणवेस्ट यूं पी के 28 हजार करोड़ के 16 ऐसे प्रोजेक्ट खाती में पड़ते दिखाई देने लगे हैं|।उत्तर प्रदेश सरकार भी अब किसानों के हित में एन एच ऐ आई पर सवाल उठाने लगी है|

एन एच ऐ आई की धमकी

टोल प्लाज़ा पर यात्रियों का उत्पीडन रोकने के लिए कोई सकारात्मक और त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित की जानी चाहिए


एनएचएआइ के चेयरमेन आरपी सिंह ने विगत 16 नवम्बर को प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र भेजकर मेरठ किसान आन्दोलन का जिक्र करते हुए कहा था कि आंदोलन के कारण टोल बंद है। ऐसे में एग्रीमेंट की शर्त के अनुसार टोल बंद होने से हुए नुकसान की भरपाई राज्य सरकार करे। यदि टोल पर यही हाल रहा तो वह उप्र में एनएचएआइ के अधीन चल रहे निर्माण कार्यो का बंद करा देंगे, क्योंकि ठेकेदारों ने इस बाबत चेतावनी दी है।

सरकार का पक्ष

मुख्य सचिव ने इस पत्र पर डीएम से रिपोर्ट मांगी तो उन्होंने कहा कि एनएचएआइ एक्ट की शर्तो का पालन नही कर रही है। जिस स्थान पर टोल बना है, वह विवादित जमीन है और एमडीए से उसका मानचित्र भी पास नहीं है। टोल के आसपास निर्माण कार्य पूरे न होने के कारण पिछले दो साल में सर्वाधिक दुर्घटनाएं हाईवे पर हुई है जबकि निर्माण कार्य पूरे करने के लिए कई बार प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस व एनएचएआई के अफसर ठेकेदार के साथ संयुक्त मुआयना कर चुके हैं। इसके बाद भी निर्माण कार्य पूरे नही हुए है। बहरहाल मुख्य सचिव ने जब यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री को भेजी तो उन्होंने लोनिवि के प्रमुख सचिव को हिदायत दी कि वह एनएचएआइ के चेयरमैन से बात कर इस मामले को निस्तारित कराएं ताकि किसानों का आंदोलन समाप्त हो।

प्लाज़ा केबिन से कम्प्यूटर हटाये गए

यद्यपि किसानों ने फिलहाल प्लाज़ा उखाड़ने के अपने फैसले को प्रशासन के कहने पर टाल दिया है मगर टोल प्लाजा कदम फूंक फूंक कर रख रहा है| 21वें दिन भी मंगलवार सुबह दस बजे टोल के एजीएम पीवी रंगासाई पहुंचे और केबिन में रखे 11 कंप्यूटर उठवा लिए। एमजीएम ने कहा कि कि दो दिन पहले किसानों ने केबिन में रखी पे-सीट फाड़ दी थी।

आन्दोलन का असर

राष्ट्रीय राजमार्ग-58 पर मेरठ के सिवाया स्थित टोल प्लाजा पर किसानों के आदोलन का असर है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) के अधीन करीब 27 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट पर काम रुक गया है। जिन प्रोजेक्ट पर परामर्शी की रिपोर्ट पर टेंडर आमंत्रित होने थे, वह भी फिलहाल टल गए हैं। ठेकेदारों के इस रुख के कारण सर्वाधिक वेस्ट यूपी प्रभावित हुआ है, क्योंकि यहां के प्रोजेक्ट पर भी काम होना था। ठेकेदारों की मजबूरी है कि उन्हें बैंकों ने ऋण देने से मना कर दिया है, जिस कारण उन्होंने काम रोक दिया है। ठेकेदारों ने फिलहाल इन प्रोजेक्ट पर काम करने से इन्कार कर दिया है। मुजफ्फरनगर-हरिद्वार मार्ग समेत 6 प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है पर बैंक द्वारा बीच में ही ऋण रोक देने से इन पर भी काम रुक गया है। 28 हजार करोड़ के 16 ऐसे प्रोजेक्ट हैं जिन पर परामर्शी की रिपोर्ट के बाद एनएचएआइ टेंडर आमंत्रित करने के लिए मुहर लगा चुका है लेकिन उनके टैंडर आमंत्रित नही किए हैं। किसानों के इस आदोलन के कारण हाईवे के कई प्रोजेक्ट प्रभावित हुए हैं। केंद्रीय सड़क एवं भूतल परिवहन मंत्री को भी इसकी जानकारी दी गई है।ये है मुख्य प्रोजेक्ट, जिन पर कार्य रुका प्रोजेक्ट किमी लागत आगरा बाईपास 33 457 मुजफ्फरनगर-हरिद्वार 62 320 मेरठ-बुलंदशहर 63 505 उन्नाव-लाल गंज 68 20 -काठगोदाम 93 846 गंगा ब्रिज-वाराणसी 177 1682 इंडो नेपाल बार्डर- धाधरा ब्रिज 122 1159 वाराणसी-सुल्तानपुर 142 1349 सुल्तानपुर-लखनऊ 124 1013 मेरठ-नजीबाबाद 139 417 रायबरेली-जौनपुर 169 507 लखनऊ-रायबरेली 82 246 अंबेडकर नगर-बांदा 287 861 वाराणसी-हनुमाना 287 861 बाराबंकी-बहराइच 152 456 गोरखपुर 99 297 इलाहाबाद 41 123 वाराणसी-गोरखपुर 206 619 भरतपुर-मथुरा-हाथरस 90 270 मुरादाबाद-अलीगढ़ 145 679 बरेली-सितारगंज 87 261 ईस्टर्न पेराफिल एक्सप्रेस वे 135 2699 आरारा-इटावा बाइपास 125 1485 इलाहाबाद-वाराणसी 160 1520इटावा 157 1492हापुड़-मुरादाबाद 110 110आगरा-ग्वालियर 85 850दिल्ली-हापुड़ 52 ५२०
तीन सप्ताह से चल रहे इस आन्दोलन का हल निकालने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से कोई पहल नहीं की गई है लगता है की केंद्र सरकार आंदोलन को लांग रोप देकर इसे समाप्त करने का की सोच रही है प्रदेश सरकार की तरफ से भी इस दिशा में कोई त्वरित एक्शन नहीं दिख रहा है| वहां पर रोड टेक्स के साथ इस टोल से समस्या बढती जा रही है|टोल वसूली में कोई पारदर्शिता नहीं है| जरूरी निर्धारित कार्य नहीं कराये जा रहे |सुविधाओं के नाम पर यात्रियों का उत्पीडन जारी है|प्लाज़ा पर सुविधा के नाम पर झगड़े + जाम और एक्सीडेंट आये दिन दिखाई देते
है| रविवार को गढ़ स्थित संकरा टोल प्लाज़ा पर एक किलोमीटर तक वाहनों की तीन कतारें अपने नंबर के इंतज़ार में खडी रही | रफ़्तार का रोमांच औरयात्रा का आनंद जाता रहा पूछने पर बताया गया के यह वहां रोजाना का सर दर्द है|ऐसे में टोल प्लाज़ा की वसूली के नाम पर यात्रियों का उत्पीडन रोकने के लिए कोई सकारात्मक और त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित की जानी चाहिए|