आयुर्वेदिक +यूनानी आदि पारंपरिक औषधियों को बढ़ावा देने के लिए भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की चीन के मकाउ में आयोजित बैठक में पुरजोर आवाज उठाई|
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती संतोष चौधरी ने कहा है कि पारंपरिक औषधियों को बढ़ावा देने के लिए नीतियों और रणनीतियों का निर्माण किया जाना चाहिए। वे आज मकाओ एसएआर, चीन में आयोजित विश्व स्वास्थ्य संगठन पारंपरिक औषधि रणनीति : 2014-2023 की उच्चस्तरीय बैठक को संबोधित कर रही थीं। इस अवसर पर उन्होंने भारत में आयुर्वेद के अध्ययन के लिए विदेशी नागरिकों को प्रोत्साहित भी किया |
श्रीमती चौधरी ने कहा कि दुनिया में स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती जा रही हैं, जिनमें रहन-सहन से होने वाली बीमारियां प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के रोगों से निपटने के लिए आज पारंपरिक औषधि की उपयोगिता पर चर्चा की जाती है, इसलिए यह आवश्यक है कि विभिन्न सरकारें इस संबंध में बहुआयामी और बहुआधारित नीतियों और रणनीतियों को निर्माण करें।
श्रीमती चौधरी ने कहा कि भारत में आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी सिद्ध, सोवा-रिगपा और होम्योपेथी (आयुष) को पारंपरिक औषधि के रूप में मान्यता प्राप्त है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय में आयुष विभाग कायम किया गया है, जो पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों के प्रोत्साहन के लिए राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तरों पर काम करता है। उन्होंने बताया कि भारत में आयुष सुविधाओं का बहुत बड़ा बुनियादी ढांचा मौजूद है,
जिसके तहत 7,20,937 चिकित्सक पंजीकृत हैं।
देश भर में आयुष के 24,392 दवाखाने और
3,195 अस्पताल तथा
504 कॉलेज, स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए 117 केन्द्र तथा 8,785 लाइसेंस प्राप्त दवा निर्माण इकाइयां काम कर रही हैं।
मंत्री महोदया ने बताया कि भारत में आयुर्वेद के अध्ययन के लिए विदेशी नागरिकों को प्रोत्साहित किया जाता है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि सम्मेलन में पारंपरिक औषधियों के लिए नई रणनीति तैयार की जाएगी।
इस अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की महानिदेशक डॉ. मारग्रेट चैन, मकाओ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री फर्नांडो चियु और विभिन्न देशों के स्वास्थ्य मंत्री और विश्व स्वास्थ्य संगठन के पदाधिकारी एवं विशेषज्ञों सहित विभिन्न गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
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