प्राइम मिनिस्टर डॉ मन मोहन सिंह ने आज उच्च शिक्षा संस्थानों में शोध को अधिक स्थान दिए जाने की आवश्यकता पर बल दिया |
राष्ट्रपति भवनमें आयोजित केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन में बोलते हुए डॉ मन मोहन सिंह ने कहा “हमारी उच्च शिक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए ध्यान देना आवश्यक है, हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों को और अधिक शोध पर ध्यान देने की आवश्यकता है। हमें फैकल्टी में कमी की समस्या सुलझाने के तौर-तरीके भी तलाशने की आवश्यकता है क्योंकि इससे उच्च शिक्षा प्रणाली पर काफी असर पड़ता है। हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि देश में उच्च शिक्षा संस्थानों को उत्तरदायित्व की आवश्यकता से समझौता किए बिना स्वायत्ता मिले”
राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा “यह उच्च शिक्षा के अवसरों तक व्यापक पहुंच बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगा। यह कार्यक्रम शिक्षा तथा शोध की गुणवत्ता सुधारने के लिए राज्य विश्वविद्यालयों पर अधिक ध्यान दे रहा है। इसका उद्देश्य 286 राज्य विश्वविद्यालयों तथा राज्यों के 8500 कॉलेजों को अवसंरचना अनुदान उपलब्ध कराने के अलावा 278 नए विश्वविद्यालय तथा 388 नए कॉलेज स्थापित करना है और 13वीं योजना के अंत तक 266 कॉलेजों को मॉडल डिग्री कॉलेजों में बदलना है”।
पी एम् डॉ सिंह ने बताया “इससे 20,000 नए फैकल्टी पदों का सृजन होगा और इसे 12वीं तथा 13वीं योजना अवधि में समर्थन दिया जाएगा। अब तक लगभग 400 विश्वविद्यालय तथा 20,000 कॉलेजों को इस मिशन के तहत उच्च गति की ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान की गई है”
फ़ोटो कैप्शन
06 फऱवरी 2014 को राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन में राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह । केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. एम. एम पल्लम राजू और मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसाद और श्री शशि थरूर भी सम्मेलन में मौजूद ।
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डॉ मन मोहन सिंह ने उच्च शिक्षा संस्थानों में शोध को अधिक स्थान दिए जाने की आवश्यकता पर बल दिया
आयुर्वेद+यूनानी+योग+सिद्ध पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों से दुनियाभर को लाभ पहुँचाने का हंगरी के माध्यम से शुभारम्भ
आयुर्वेद+यूनानी+योग+सिद्ध पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों से दुनियाभर को लाभ पहुँचाने का हंगरी के माध्यम से शुभारम्भ भारत और हंगरी अब अपनी परम्परागत चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए आपस में सहयोग करेंगे |इस समझौते से आयुर्वेद+ यूनानी+योग+ सिद्ध, होम्योपेथी जैसी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों से दुनियाभर को लाभ पहुंचे जा सकेगा|
हंगरी के प्रधान मंत्री विक्टर ओर्बन आजकल अपने सहयोगियों के साथ भारत में आये हुए हैं और १७ अक्टूबर को परम्परागत चिकित्सा पद्धतियों के विकास के लिए द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये गए हैं
बृहस्पतिवार को हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और हंगरी के प्रधानमंत्री श्री विक्टर ओर्बन की मौजूदगी में भारत की ओर से केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती संतोष चौधरी और हंगरी के राष्ट्रीय संसाधन मंत्री श्री जोर्टन बनोंग ने सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किये। हंगरी ने भारत की परम्परागत चिकित्सा पद्धतियों विशेषकर आयुर्वेद में काफी दिलचस्पी दिखाई है।
इस सहमति पत्र का मुख्य उद्देश्य समानता और परस्पर लाभ के आधार पर दोनों देशों की परम्परागत चिकित्सा पद्धतियों के सशक्तिकरण, प्रोत्साहन और विकास में सहयोग देना है। सहमति पत्र चिकित्सा की परम्परागत पद्धतियों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने, इन्हें इस्तेमाल करने के लाइसेंस तथा एक-दूसरे के बाजारों में उनके विपणन के अधिकार के बारे में कानूनी सूचना के आदान-प्रदान, विशेषज्ञों, अर्द्ध चिकित्सा कर्मियों, वैज्ञानिकों, शिक्षकों और छात्रों की अदला-बदली के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देता है। इस सहमति पत्र पर हस्ताक्षर होने से दोनों देशों के बीच परम्परागत चिकित्सा पद्धतियों के क्षेत्र में सहयोग बढ़ेगा, जिससे नई आर्थिक और व्यावसायिक संभावनाओं का पता चलेगा और पर्यटन का विकास होगा।
श्रीमती संतोष चौधरी ने आशा व्यक्त की कि इस प्रकार के आपसी समझौतों पर हस्ताक्षर होने से भारत आयुर्वेद, यूनानी, योग, सिद्ध, होम्योपेथी जैसी चिकित्सा पद्धतियों को दुनियाभर में स्थापित कर सकेगा।
उल्लेखनीय है कि भारत, मलेशिया और त्रिनिडाड टोबेगो के साथ ऐसे ही समझौते कर चुका है और निकट भविष्य में रूस, नेपाल, श्रीलंका, सर्बिया और मैक्सिको के साथ ऐसे ही समझौते करने वाला है।
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