Ad

Tag: मन के चिकित्सक

संतजन मन के चिकित्सक है ये हमारे अज्ञान , दुर्बुद्धि , दोष को समाप्त करके हमें परमानंद का वरदान देते हैं

पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी ने श्री रामशरणम आश्रम , गुरुकुल डोरली में राम नाम के अमृत की वर्षा करके संगत को भाव विभोर कर दिया
“भज श्री राम, भज श्री राम , श्री रामम् भज विमल मते ।”
भाव :- संतजन जिज्ञासुओं को समझाते हुए कहते हैं कि उस पतित पावन परमेश्वर का भजन कर , उसके नाम का आराधन कर , उसका चिंतन कर , उसका सिमरन कर और सिमरन कर- करके परमेश्वर के नाम के धन का संचय कर जिससे तेरा मन परमात्मा की भक्ति के खजाने से भरपूर हो जाए ।
जैसे हमारे शरीर में रोग आने पर हम चिकित्सक के पास जाते हैं , वह चिकित्सक हमारे रोग का उपचार करता है , उसके द्वारा बताई गई औषधि लेने तथा परहेज करने से हमारे तन के रोग दूर हो जाते हैं , इसी तरह हमारे मन के चिकित्सक संतजन , महापुरुष हैं । हमारा मन लाखों जन्मों से मोह – माया , ईर्ष्या – द्वेष , मान – सम्मान , लाभ – हानि की धूल में लिप्त है । जब हमें संत – महापुरुषों की संरक्षता , सान्निध्य मिलता है , तो उनकी कृपा से हमें साधन अर्थात परमात्मा का नाम मिलता है और उस साधन से साधना अर्थात नाम का अभ्यास होता है । साधना से सिद्धि अर्थात परमात्मा के नाम का आनंद मिलता है जिससे हमारे भीतर से अज्ञान , दुर्बुद्धि , दोष समाप्त हो जाते हैं और हमारा मन निरोगी हो जाता है ।
श्री रामशरणम आश्रम , गुरुकुल डोरली , मेरठ में प्रात:कालीन सत्संग