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जवाहर लाल नेहरू को जन्म दिन पर श्रधा सुमन

भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू के जन्म दिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जा रहा है और उन्हें याद करते हुए शांति वन में उनकी समाधि पर फूल चढ़ाए.जा रहे हैं|
जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था. उनके पिता का नाम पंडित मोतीलाल नेहरू और माता का नाम श्रीमती स्वरूप रानी था.
बच्चों से इतना अधिक स्नेह होने के कारण ही 14 नवंबर को उनके जन्मदिन को ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. इस अवसर पर कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी, और दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमति शीला दीक्षित शांति वन में देश के पहले प्रधान मंत्री की समाधि पर श्रधा सुमन अर्पित करने पहुंचे|.
ऐसे शुभ अवसरों पर इतिहास के पन्ने खंगाल कर उनसे सबक लेने की आदत अपनाया जाना प्रगर्ति के पहिये को गति देता है|इसीलिए यहाँ में एक उल्लेख करना चाहूंगा:
स्वतंत्रता सेनानी और देश के पहले पी एम् जवाहर लाल नेहरू एक कुशल वक्ता+वकील और भविष्य द्रष्टा थे उन्होंने स्वयम लिखा है कि, ‘हमारे चारों ओर सुन्दर दुनिया है और अच्छी-अच्छी चीजें हैं. लेकिन जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है हम इन सुन्दर चीजों को भूलते जाते हैं और छोटी-छोटी बातों पर एक दूसरे से लड़ते हैं. हम अपने कार्यालय में बैठकर यह कल्पना करते हैं कि हम दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं’.| मुझे लगता है कि ये उपदेश आज ज्यादा प्रसांगिक है|यूं तो छोटी-छोटी बातों पर एक दूसरे से लड़ने का घुन्न आज़ादी की लड़ाई के दौरान ही शुरू हो गया था [१]मोहम्मद अली जिन्नाह V/ S नेहरू+पटेल आदि[२] आजादी के बाद नेहरू V/S सरदार वल्लभ भाई पटेल विवाद इतिहास में दर्ज़ है |अब आज़ादी के पौने सात दशक बीतने के बाद भी छोटी छोटी बातों पर लड़ाई जारी है |सत्ता रूड नेहरू की कांग्रेस के साथ अब मुख्य विपक्षी दल भाजपा में भी यह घुन्न कोड़ बनता जा रहा है |
इन्ही नेहरू वादी स्वार्थों के चलते आज अपना मुकाम खोती जा रही है |इसके सहयोगी और अपने मंत्री भी विवादों में घिरते जा रहे हैं| नारायण स्वामी का उदहारण नवीनतम है|भाजपा तो आज कल कदम कदम पर लड़खड़ा रही है इसके अपने अध्यक्ष और मुख्य मंत्रियों पर चारों और से हमले हो रहे हैं |जाहिर है ऐसे में अपने विवाद सुलटाने में बिज़ी [व्यस्त] ये राष्ट्रीय नेता राष्ट्र की हित का कितना सोच पाते होंगे यह यक्ष प्रश्न चर्चा का विषय बनाया जाना चाहिए|