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यतेन्द्र चौधरी ने अखिल भारतीय रक्षा लेखा कर्मचारियों को नववर्ष की शुभ कामनाएं देते हुए एसोसिएशन की सदस्यता ग्रहण करने की अपील की

यतेन्द्र चौधरी ने अखिल भारतीय रक्षा लेखा कर्मचारियों को नववर्ष की शुभ कामनाएं देते हुए एसोसिएशन की सदस्यता ग्रहण करने की अपील की
अखिल भारतीय रक्षा लेखा कर्मचारी संघ [कलकत्ता]के राष्ट्रीय अध्यक्ष यतेन्दर चौधरी ने विभाग के १३६९१ सदस्यों को नव वर्ष कि शुभ कामनाएं देते हुए कहा कि किसी फल कि इच्छा से पहले उसके लायक बनना जरूरी है[First Deserve Than Desire] उन्होंने कहा कि पहले लायक बनो फिर इच्छा करो
उन्होंने बताया कि जन कल्याण कार्यक्रमो में यदि कहीं कोई बाधा है तो वह केवल यह है कि दोनों स्तरों पर पढने की अरुचि है |इसी कारन विषय की जानकारी का अभाव है|एसोसिएशन और जे सी एम् सम्बन्धी जानकारी और उचित प्रशिक्षण के आभाव में जहां एक और कभी कभी प्रशासन में लचीलापन की कमी खलती है वहीँ दूसरी और रीडिंग के प्रति उदासीनता के कारण एसोशिएशन के प्रतिनिधि गण भी कभी कभी उन बातों में उलझ जाते हैं जो शायद उनके कार्य छेत्र में आता ही नहीं|
एसोसिएशन अध्यक्ष ने कहा कि मांग में ईमानदार और तर्क संगत होने पर उसका निदान भी शीघ्र होता है|एसोसेशन के प्रयासों से अब विभाग के वेब साईट [CGDA]पर बैठकों की मिनट्स अप लोड होने लग गई हैं|रक्षा लेखा विभाग में कुल संख्या १३६९१ है जिनमे से पूना मुख्यालय की संख्या ७४४० है चूंकि अपनी कमीज सबको सफ़ेद लगती है इसीलिए अपील करता हूँ कि कलकत्ता मुख्यालय कि सदस्यता ग्रहण करके उत्साह वर्धन करें ताकि जनकल्याण के अधिक से अधिक कार्य कर सकें |

रक्षा लेखा नियंत्रक [पेंशन संवितरण] में रेन वाटर हार्वेस्टिंग मॉडल की स्थापना

[मेरठ]रक्षा लेखा विभाग के स्थानीय कार्यालय रक्षा लेखा नियंत्रक [पेंशन संवितरण] परिसर में आज रेन वाटर हार्वेस्टिंग मॉडल की स्थापना की गई| नियंत्रक शाम देव [भा..र.ले.से.] ने इस माडल का उद्घाटन किया | गौरतलब है कि नियंत्रक शाम देव ने अपने अल्पकालिक टेन्योर में मेरठ में कर्मियों के लिए अनेको सराहनीय कार्य कराये हैं| रक्षा पेंशनर्स की समस्यायों के तत्काल निवारण के लिए पेंशन अदालत से लेकर ब्लड डोनेशन तक के आयोजन सफलता पूर्वक कराये हैं|आशा व्यक्त की गई है कि आयुद्ध पथ पर स्थित इस ऐतिहासिक बेलवेडियर परिसर में जल सरंक्षण के लिएकिया गया यह प्रयोग दूसरे विभागों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा
जागरूक नागरिक एसोसिएशन के तत्वधान में जल संचय के माध्यम से पर्यावरण के सरंक्षण के लिए यह प्रयोग किया गया है|इस अवसर पर सुरेश छाबड़ा+ राजेश भारती+आर के अरोड़ा+गिरीश शुक्ला+जनार्दन शर्मा+अशोक मांगलिक+सर्वेश गर्ग+पी के सेठी+जी एस बेदी+पी पालीवाल+ एन सी डोगरा आदि भी उपस्थित थे|

रक्षा लेखा विभाग की छावनी स्थित आवासीय कालोनी में शनि देव के विग्रहों को खंडित किया गया

[मेरठ]रक्षा लेखा विभाग की छावनी में स्थित आवासीय कालोनी में शिव मंदिर के ताले तोड़ कर शनि देव के विग्रहों को खंडित किया गया |इससे छेत्रिय लोगों में जबरदस्त नाराजगी है| आज प्रात जब मंदिर क्र पंडित ॐ प्रकाश शर्मा जी ने प्रवेश किया तो यह देख कर वाक् रह गए कि शनि देव को खंडित किया गया है और मंदिर के ताले भी टूटे पड़े हैं| उन्होंने इसकी जानकारी एसोशियेशन के अध्यक्ष राकेश मलिक को दी मलिक ने रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटी के पदाधिकारियों को बताया |
इसके पश्चात आस पास के लोग बड़ी संख्या में पहुँचने शुरू हो गए|छेत्र वासियों ने बताया कि मेरठ में सरकारी कालोनियों में यह सबसे बड़ी कालोनी है मगर यहाँ देखभाल और रख रखाव के नाम पर केवल खानापूरी ही की जा रही है जगह जगह दीवार टूटी है और असामाजिक तत्वों का भी आवागमन जारी रहता है| गौर तलब है कि यह कालोनी सी डी ऐ विभाग कि है और इसका रख रखाव के लिए एम् ई एस विभाग को पैसा दिया जाता है| कालोनी में प्रवेश करते ही कूड़े के ढेर और भवनों पर निकलते पेड़ व्यवस्था कि पोल खोलते नजर आते हैं

सेना के आंतरिक आडिट में रक्षा लेखा विभाग ने निकाला १०० करोड़ का घपला: जनरल वी के सिंह को कंट्रोल करने के लिए है क्या

सेना के एक विशेष रूप के बही खातों का महज़ दो सालों का आडिट करवाए जाने से लगता है कि सरकार ने बगावती तेवर दिखाने वाले रिटायर्ड सेना प्रमुख वी के सिंह पर लगाम कसनी शुरू कर दी है|रक्षा मंत्रालय के आधीन रक्षा लेखा विभाग[Defence Accounts Department] की एक शाखा से कराये गए विशेष आडिट में उपकरणों की खरीद में अपने अधिकार का गलत इस्तेमाल के लिए अन्य पूर्व सेना प्रमुखों के साथ अभी हाल ही में रिटायर्ड हुए जनरल वी के सिंह भी चपेट में आ रहे हैं लेकिन यह भी सत्य है कि आंतरिक आडिट रिपोर्ट में किये गए खुलासे चौंकाने वाले हैं| सेना की एक कमांड से रिजेक्ट किये गए उपकरणों को दूसरी कमांड द्वारा खरीदा जाना अपने आप में व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाता है| सेना को होली काऊ मान कर इसके प्रति आज तक आलोचना से बचा जाता रहा है लेकिन इस बार आडिट रिपोर्ट को मीडिया में पब्लिश करवाए जाने के भी कुछ विशेष कारण पर्दे के पीछे जरूर होंगें|वैसे यह भी सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि बाद में कैग इसका आडिट करे इससे पहले स्थिति की जानकारी ले ली जाये|लेकिन एक बात गौर करने लायक है कि कैग द्वारा आडिट की रिपोर्ट मीडिया में छपने
आडिट रिपोर्ट में उजागर गलतियों के कारण देश को महज दो साल में 100 करोड़ की चपत के रूप में लग चुकी है।अगर अडिट विभाग कि यह वित्तीय सलाह है या मेजर फायनेंशियल इर्रेगुलेटरी है और अगर यह सेना द्वारा स्वीकार कर ली जाती है[जिसकी उम्मीद कम ही नज़र आती है] तो इस पर देश कि सबसे बड़ी अदालत संसद में चर्चा की जानी चाहिए | जैसी की उम्मीद थी थलसेना ने खरीद में हुए 100 करोड़ के नुकसान की बात से इनकार किया है. उसका कहना है कि किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है.ये उपकरण सीधे कंपनी से खरीदने की बजाय दलालों के जरिए खरीदे गए। जबकि मूल कंपनी के अफसर भारत में ही मौजूद थे।जांच के मुताबिक अगर ये संचार उपकरण भारतीय कंपनियों से खरीदे गए होते तो सस्ते मिल सकते थे। ये मामला महज फिजूलखर्ची का नहीं बल्कि नियमों की अनदेखी का भी है।

आरोप

एन डी टी वी न्यूज चैनल ने प्रमुखता से इसे दिखाया है और सेना कमांडर वर्ग पर यह आरोप भी लगाया गया है कि ये लोग परीक्षकों की तैनाती कमांड में होती है जिसके फलस्वरूप कमांडर का दबाब इन परीक्षकों पर रहता है और उनकी नाराजगी परीक्षक के प्रोमोशन को प्रभावित करती है|

सेना के आंतरिक आडिट में रक्षा लेखा विभाग ने निकाला १०० करोड़ का घपला:

कुछ मामलों में यह आरोप खरा उतरता है लेकिन गहराई में जाने पर दिखाई देता है कि यही आडिट विभाग अपने कई अनुभागों [,एल ऐ ओ+आई ऍफ़ ऐ+ओ एंड एम्+एम्+ स्टोर कांट्रेक्ट आदि]के द्वारा सेना का आंतरिक आडिट करवाता है| इस विभाग में एम्म टी एस [मल्टी टास्क सेवा से लेकर अनुभवी भारतीय रक्षा लेखा अधिकारी भी हैं[I D A S] मगर दुर्भाग्य से इन अधिकाँश कार्यालयों में अनुभवी आडिटर के बजाय नए भर्ती और चतुर्थ श्रेणी से प्रोमोट किये गये ही लगाए जा रहे हैं|यहाँ तक कि इनके प्रमुख को कई कई प्रभार दिए जाते हैं| इन्हें मलाई दार अनुभाग कहा जाता है|मेरठ में भी एक कमांड का अडिट होता है इनका अपना अलग एतिहासिक[बेल्वेदियर काम्प्लेक्स] कार्यालय भी है आडिट स्टाफ को लाने छोड़ने के लिए सेना के वाहन लीन लगाये खड़े रहते हैं| इस पर भी स्टाफ की किल्लत और अनुभवी स्थानीय लेखा परीक्षा अधिकारी और उनके मातहत परीक्षक के अभाव से आडिट की वित्तीय सलाह या मेजर फायनेशियल इर्रेगुलेर्टी या तो लिखी नहीं जाती और अगर कभी कभार लिखी भी गई तो सेना द्वारा स्वीकार नहीं होती |छुट पुट आब्जेक्शन लिखना इनकी मजबूरी होती है और फिर अपने लिखे आब्जेक्शन को ही अगले माह सेटल करने को भी कहा जाता है|जाहिर है ऐसी परिस्थितिओं में क्वालिटी आडिट की अपेक्षा किसी हद तक बेमानी हो जाती है|सूत्रों के अनुसार सेना को मिलने वाली सभी ग्रांट्स का हायर आडिट रेगुलरली करवाया जाना चाहिए

खरीद और अधिकार कि रिपोर्ट

. इस ऑडिट रिपोर्ट में 2009-11 की अवधि के बीच हुए करीब 55 लेनदेन का मूल्यांकन किया गया है. उस समय मौजूदा सेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह कोलकाता स्थित पूर्वी कमान के कमांडर थे.
रिपोर्ट के मुताबिक,[१] कुछ उपकरण प्रतिबंधित मार्केट से खरीदे गए.[२] इनमें कुछ चीनी संचार उपकरण भी शामिल थे.[३] उत्तरी कमान में दूध खरीद में कुप्रबंधन को भी रेखांकित किया है. [४] पूर्वी कमान द्वारा खरीदी गई दूरबीनों का भी जिक्र है भारतीय बाजार में उपलब्ध दूरबीने कम कीमत की दूरबीनों को विदेशी विक्रेता से खरीदा गया[५] आर्मी हेडक्वॉर्टर ने जिन बुलेटप्रूफ जैकेटों को खराब खराब क्वॉलिटी का बताकर रिजेक्ट कर दिया था उसे नॉर्दर्न कमांड ने खरीद लिया अप्रत्याशित परिस्थितियों में जरूरतों को पूरा करने के लिए सेना प्रमुख को लगभग 125 करोड़ रुपए और उत्तरी तथा पूर्वी कमान के कमांडरों को 50-50 करोड़ रुपए का बजट प्रदान किया जाता है. चार अन्य कमानों को भी 10-10 करोड़ रुपए का बजट दिया जाता है.|

सेना की प्रतिक्रया

आंतरिक ऑडिट रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सेना मुख्यालय का कहना है कि कुछ गलत नहीं हुआ है| चीनी कलपुर्जे वाले संचार उपकरण निर्धारित दरों पर और व्यापक जांच के बाद ही खरीदे गए और ‘कोई भी अवलोकन सच नहीं साबित होगा.’
उल्लेखनीय है कि रक्षा मंत्री ऐ के एंटनी के निर्देश पर रक्षा लेखा नियंत्रक (कंट्रोलर ऑफ़ डिफेन्स एकाउंट्स ) ने 2009-10 और 2010-11 के दौरान आर्मी कमांडरों के स्पेशल फाइनैंशल पावर्स का ऑडिट किया। सीडीए ने इंडियन आर्मी के 7 कमांड्स में से 6 के 55 ट्रांजैक्शंस की जांच की। मीडिया में छापी खबरों के अनुसार ऑडिट रिपोर्ट में कुल 103.11 करोड़ रुपए के नुकसान की बात कही गई है। ऑडिटर्स ने बताया कि किसी भी आर्मी कमांडर ने सारा डेटा नहीं दिया। रक्षा मंत्री ने फिजूलखर्ची को गंभीरता से लिया है और सैन्य अधिकारियों द्वारा खर्च किया जाने वाला धन मंत्रालय से पास कराना जरूरी कर दिया है।