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Tag: वित्त मंत्री पी चिदम्बरम

अमेरिकी आव्रजन नीति में सुधार की कवायद , क्या भारत पर दबाब की राजनीती है?

नई आव्रजन नीति क्या भारत पर अमेरिकी दबाब की राजनीती है?भारतीय वित्त मंत्री पी चिन्द्रम +वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा रतन टाटा आदि ने आज कल अमेरिका में डेरा डाला हुआ है।
इन्होने बेहद आशावान होकर अपने काउंटर पार्ट्स से मांग की है कि इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी और हाइली स्किल्ड प्रोफेशनल को नई आव्रजन नीति से अलग रखा जाये वर्ना इससे भारतीय प्रतिभाओं को हानि होगी ।
इसके ठीक विरुद्ध अमेरिका के प्रेजिडेंट बराक ओबामा ने आज फिर कांग्रेस से आग्रह किया है कि उनकी नई महत्त्व कांक्षी आव्रजन नीति को तत्काल मंजूरी दे दी जाये ताकि इसे कानून की शक्ल दी जा सके ।
अमेरिकन व्हाईट हाउस और भारतीय सूचना विभाग द्वारा जारी दो प्रेस रिलीज इस प्रकार निम्न है :

AMERICAN PRESIDENT BARACK OBAMA

AMERICAN PRESIDENT BARACK OBAMA

[१]राष्ट्रपति बराक ओबामा ने आज फिर कांग्रेस से आग्रह किया है कि राष्ट्र हित में अप्रावासन [BrokenImmigration ] नीति को शीघ्र मंजूरी दे दी जाये
अपने साप्ताहिक संबोधन में बराक ओबामा ने कहा कि दो सप्ताह पूर्व द्विदलीय सीनेट ने बड़ी संख्या में अप्रवासन नीति[ commonsense imm igration reform, ] को मजूरी देकर इसे कांग्रेस को भेजा थाi इस नीति से देश की आर्थिक स्थिति +सामाजिक सुरक्षा में सुधर तो आयेगा ही इसके साथ ही अप्रवासन कानून को हमारे सिद्धांतों के अनुरूप आधुनिक जामा पहनाया जा सकेगा| इसीलिए ब्रोकन अप्रवासन नीति के सुधारों के लिए कांग्रेस को भी अब तत्काल अपनी मंजूरी दे देनी चाहिए| यह अमेरिका के उज्जवल भविष्य के लिए जरुरी भी है|
उन्होंने बताया कि अमेरिका में अवैध रूप से रहने वाले अप्रवासियों की संख्या ११ मिलियन पर पहुँच गई है|इन्हें राष्ट्र की मुख्य धारा में लाने से चौमुखी विकास होगा| राष्टपति ने बीते दिनों जारी एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यदि सीनेट का यह प्लान कानून बन जाता है तो देश कि इकोनोमी में ५% की वृद्धि होगी और मात्र दो दशकों में ही १.४ ट्रिलियन डॉलर्स की अतिरिक्त आय होगी |उन्होंने स्मरण करते हुए कहा कि अमेरिका हमेशा से ही आप्रवासियों का देश रहा है| इन सब ने मिल कर अमेरिका को विश्व का सिरमौर देश बनाया है लेकिन वर्तमान में ऐसी अनेको प्रतिभाओं को राष्ट्र की मुख्य धारा से दूर रखा जा रहा है|इन्हें कानूनी अधिकार देने से ये लोग भी देश के विकास में यौग्दान दे सकेंगे|उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि जब पूर्व प्रेजिडेंट बुश और वोह[बराक ओबामा ] इस मसले पर सहमत हो सकते हैं तब कांग्रेस के डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन्स को एक जुट होकर राष्ट्र हित में अप्रवासन बिल को मंजूरी दे देनी चाहिए ताकि इसे कानून बनाने के लिए उन्हें [ओबामा]को हस्ताक्षर करने का सुअवसर मिल सके|
The Union Minister for Commerce & Industry, Shri Anand Sharma with the US Commerce Secretary, Ms. Penny Pritzker, in Washington DC on July 12, 2013.

The Union Minister for Commerce & Industry, Shri Anand Sharma with the US Commerce Secretary, Ms. Penny Pritzker, in Washington DC on July 12, 2013.

[२]भारत के केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने अमरीकी वाणिज्य मंत्री से प्रस्तावित अमरीकी आव्रजन कानून के प्रतिबंधात्मक प्रावधानों पर चिंता प्रकट कीहै
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री शर्मा ने बीते दिन अमरीका की वाणिज्य मंत्री से वाशिंगटन में मुलाकात की। श्री शर्मा ने अमरीकी वाणिज्य मंत्री सुश्री पैनी प्रित्ज्कर[ Ms. Penny Pritzker] को अमरीकी वाणिज्य मंत्री नियुक्त होने के लिए बधाई दी। इस बैठक के दौरान श्री आनंद ने सुश्री प्रित्ज्कर से कहा कि प्रौद्योगिकीय सेवाएं देने वाले अत्यधिक प्रशिक्षित प्रोफेशनल को आव्रजक नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने अमरीकी कांग्रेस में फिलहाल विचाराधीन अमरीकी आव्रजन कानून में कुशल प्रोफेशनल के आवागमन पर प्रतिबंधात्मक प्रावधान शामिल करने संबंधी भारतीय आईटी उद्योग की चिंताएं प्रकट की।
श्री शर्मा ने अमरीकी वाणिज्य मंत्री को भारत की पेटेंट व्यवस्था की भी जानकारी दी जो पूरी तरह टीआरआइपीएस के अनुकूल कानून पर आधारित है तथा उसे लागू करने की ठोस व्यवस्था है।
श्री शर्मा ने विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों पर उदार रवैया अपनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने भारत-अमरीकी व्यापार एवं आर्थिक सहयोग में वृद्धि के परिप्रेक्ष्य में इन मुद्दों पर विचार करने पर बल दिया।
श्री शर्मा ने भारतीय राष्ट्रीय विनिर्माण नीति में अमरीकी कारोबारियों के लिए अवसरों की भी जानकारी दी। उन्होंने अमरीकी वाणिज्य मंत्री से कहा कि भारत ने राष्ट्रीय निवेश एवं विनिर्माण के 13 क्षेत्रों की स्थापना को मंजूरी दे दी है जिनमें से आठ को दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे के पास अनुमोदित किया गया है।
श्री शर्मा और अमरीकी वाणिज्य मंत्री ने दोनों पक्षों के बीच उच्च स्तरीय संवाद बनाए रखने पर भी सहमति प्रकट की। सुश्री प्रित्ज्कर ने भारत आने का श्री शर्मा का निमंत्रण भी स्वीकार कर लिया।श्री शर्मा ने वॉलमार्ट एशिया के सीइओ श्री स्कॉट प्राइस से भी मुलाकात की तथा मल्टी-ब्रैंड खुदरा व्यापार संबंधी विभिन्न
मुद्दों पर चर्चा की। श्री शर्मा ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी के लिए अमेज़न डॉट कॉम के उपाध्यक्ष श्री पॉल मिजेनर से भी मिले तथा ई-कॉमर्स सेंबंधी मुद्दों पर चर्चा की
उपरोक्त के मध्य नजर अब सवाल यह उठाया जा रहा है कि बेशक अमेरिका द्वारा अपने हित में यह कार्यवाही की जा रही हैइससे वहां मात्र दो दशकों में ही १.४ ट्रिलियन डालर की अतिरिक्त आय होगी अवैध अप्रवासी मुख्य धारा में आ जायेंगे लेकिन इसके साथ ही भारत की प्रतिभाओं को वहां अप्रवासी की तरह ट्रीट किया जाएगा, जिसके फलस्वरूप भारतीय हाईली स्किल्ड प्रतिभाओं को भी हानि होगी |इससे अनेकों प्रश्न उठ रहे हैं
।[१]पहला प्रश्न यह उठता है कि अमेरिका में कार्यरत भारतीय कंपनियों और उनके प्रोफेशनल्स का क्या होगा ?
[२]क्या यह भारत पर अपनी बहु राष्ट्रीय कम्पनियों के लिए अमेरिकी दबाब की राजनीती है?
[३] वाल मार्ट जैसी अमेरिकन कंपनियों को भारत में व्यापार की इजाजत देने से क्या अमेरिका के रुख में कुछ सकारात्मक परिवर्तन हो पायेगा ?अमेरिका के उज्जवल भविष्य के लिए अप्रवासन बिल पर कांग्रेस को तत्काल मंजूरी दे देनी चाहिए:बराक ओबामा|
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सरकार स्थिर है और इसकी पतवार सशक्त हाथों में है: श्रीलंका के तमिलों के हितों की चिंता है

हमारी सरकार स्थिर है और सरकार की पतवार हमारे सशक्त हाथों में है ,हमारी सरकार के बहुमत को किसी भी पार्टी ने चेलेंज भी नही किया है ऐसे में हमें कोई खतरा नहीं है इसीलिए हम देश में विकास की नाव को लगातार आगे खे ते [चलाते]रहेंगे| श्रीलंका में तमिलों का ही सिर्फ अब प्रश्न है इसके लिए प्रस्ताव को ड्राफ्ट करने उसकी भाषा या कंटेंट पर आम सहमती बनाने के प्रयास किये जा रहे है|ये आत्म विश्वास आज दिल्ली में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में सरकार ने व्यक्त किया| वित्त मंत्री पी चिदम्बरम+संसदीय कार्यमंत्री कमल नाथ और सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने संयुक्त रूप से प्रेस कांफ्रेंस में यह विश्वास व्यक्त किया|

सरकार स्थिर है और इसकी पतवार सशक्त हाथों में है: श्रीलंका के तमिलों के हितों की चिंता है

सरकार स्थिर है और इसकी पतवार सशक्त हाथों में है: श्रीलंका के तमिलों के हितों की चिंता है


इन तीनो वक्ताओं ने इंग्लिश +तमिल और हिंदी भाषा में मीडिया को संबोधित करते हुए बताया के कुछ दलों द्वारा प्रस्ताव के लिए कुछ सुझाव या आपत्तियां दी गई हैं उन पर चर्चा जारी है कुछ ही समय में इस पर निर्णय ले लिया जा जाएगा|
उन्होंने कहा की सरकार की कमजोरी का सवाल ही पैदा नहीं होता अभी बीते दिन ही आम आदमी के हित में बिल पास कराया है और ऐसा ही आगे भी कर लिया जाएगा| ९ सालों से लगातार घटक दलों के सहयोग से सरकार चला रहे है कभी बहुमत का प्रश्न नहीं आया अभी भी नहीं आएगा|
उन्होंने घटना क्रमका ब्यौरा देते हुए बताया कि तमिल नाडू में सत्ता रुड जयललिता की सरकार ने केंद्र को एक पत्र लिखा था जिसमे यूं एन में बनाए जा रहे प्रस्ताव में संशोधन के लिए कहा गया था कमोबेश यही मांग उनकी विरोधी डी एम् के ने भी की थी मगर बाद में करूणानिधि ने स्टेंड में थोड़ा परिवर्तन कर लिया| श्रीलंका में तमिलों के हितों के लिए स्वर्गीय इंदिरा गांधी और राजिव गांधी के समय से ही कांग्रेस के स्टेंड के विषय में सबको जानकारी है इसीलिए अब इसविषय को हल्का करने का कोई प्रयास नहीं किया जाएगा| अब केवल यूं एन के प्रस्ताव में संशोधन के लिए आम सहमती बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं|
गौरतलब है कि ५३९ सदस्यों वाली संसद में बहुमत सिद्ध करने के लिए २७१ सांसदों की जरुरत है| डी एम् के के १८ सदस्यों को हटाने के बाद भी सरकार अल्प मत में नहीं दिखती|
कांग्रेस के =२०२
एन सी पी =०९
बी एस पी=२१
रालोद=०५
जी डी एस =०३
सपा=२२
और अन्य =२२ हैं
अज के नए घटना क्रम में सपा ने राजनीतिक पैतरें दिखाने शुरू कर दिए हैं यदि सपा अपना सपोर्ट वापिस लेते है तब कुछ चिंता की बात होगी लेकिन सरकार के आत्म विशवास को देखते हुए २०० सांसदों वाली नितीश कुमार की पार्टी के स्टेंड को समझा जा सकता है|

प्रगाश रॉकबैंड की कन्या कलाकारों ने संगीत की दुनिया को धार्मिक दबाब में अलविदा कह ही दिया

प्रगाश रॉक बैंड की दसवीं कक्षा की तीनों कन्या कलाकारों ने संगीत की दुनिया को अलविदा कह दिया है ।काश्मीरी टेलेंट को दफन करने का यह तालिबानी फरमान है। इसकेलिए जारी फतवे पर केंद्र सरकार के वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने भी टिपण्णी करने से इनकार कर दिया है।इन बच्चियों ने प्रगाश से उजाले की जो किरण दिखाई थी वह इनके पीछे हट जाने से फिर से अँधेरे की और चल पड़ी है।जम्मू-कश्मीर के मुफ्ती बशरुद्दीन अहमद ने लड़कियों के इस रॉकबैंड को गैर इस्लामिक करार देते हुए इसके खिलाफ फतवा जारी किया था|.
P T I के मुताबिक ‘प्रगाश’ रॉक बैंड की तीनों लड़कियों ने संगीत को अलविदा कहने का मन बना लिया है.
तीनों कन्या कलाकारों ने संभवत नोमा नजीर, ड्रमर फराह दीबा और गिटारिस्ट अनिका खालिद ने खुद इस विवाद से बचने के लिए संगीत छोड़ने का मन बना लिया है. जबकि मुख्‍यमंत्री उमर अब्दुल्ला उनके समर्थन में ट्वीट कर चुके हैं. यही नहीं, रॉक बैंड की लड़कियों के खिलाफ फतवा जारी करने को बीजेपी, कांग्रेस और पीडीपी जैसी पार्टियों ने ब्यान जारी करके गलत बताया है.हालांकि मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड हो या फिर धर्मगरु ये सभी रॉकबैंड को मजहब के खिलाफ मानते हैं. कश्मीर की लड़कियों का यह पहला रॉक बैंड”प्रगाश कट्टर पंथियों को अरसे से रास नहीं आ रहा हैथा| बेशक इस रॉक बैंड को काफी समर्थन मिल रहा है परन्तु कट्टरपंथी इस रॉक बैंड के सुरों को बंद कराने के लिए सोशल साईट से लेकर फतवे तक जारी कराने लग गए |वरिष्ठ धार्मिक गुरु .मुफ्ती बशरुद्दीन अहमद ने तो इसे गैर-इस्लामी करार देते हुए रॉक बैंड के खिलाफ फतवा तक जारी भी कर दिया है.| मुफ़्ती का कहना है कि इस प्रकार के खुले पन से बलात्कार की घटनाएँ बढ रही है| लड़कियों को खुले में गाने के बजाये घर में ही रहना चाहिए और बुर्के का प्रयोग किया जाना चाहिए| प्रगतिशील कहे जा रहे मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का समर्थन बैंड को हासिल है.उन्होंने कहा था कि, पुलिस इस मामले की जांच करेगी और धमकी देने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. कुछ सिरफिरे लोगों की वजह से टैलेंटेड आवाज दबने नहीं दी जाएगी|
लड़कियों का ये रॉक बैंड पहली बार तब चर्चा में आया जब पिछले साल दिसंबर महीने में उन्होंने सालाना ‘बैटल ऑफ द बैंड्स’ प्रतियोगिता में अपना शो किया. इसके बाद इस बैंड के फैन्स की तादाद भी बढ़ने लगी है |नोमा भट्ट, फराह डीबा और अनीका खालिद ने पिछले साल जनवरी में “प्रगाश” नाम से यह रॉक बैंड बनाया था। प्रगाश का मतलब होता है “अंधेरे से उजाले की ओर”। कश्मीर में लडकियों का यह पहला और अकेला रॉकबैंड है। पिछले साल दिसंबर में बैंड ने श्रीनगर में हुए म्यूजिक फेस्टिवल में लाइव दी थी। आज कल उदार वादी कहे जा रहे अनेको सामाजिक और राजनीतिक संगठन विचारों की अभिव्यक्ति के लिए आवाज़ उठाते आ रहे हैं |कमल हासन की विश्वरूपम नवीनतम उदहारण है लेकिन आश्चर्यजनक रूप से इस उजाले के प्रति सभी की केवल ब्यान बाजी कुछ परेशान करने वाली जरूर है|यह दुर्भाग्यपूर्ण है |