झल्लीगल्लां
श्मशानकाआचार्यजी
ओए झल्लेया!हसाडे मेहनत के कर्मकांड के लिए दान दक्षिणा पर भी कथित समाजसेवी नाक भों सिकोड़ने लग गए।अरे हमे कोई शादी व्याह में तो बुलाता नही अब ले दे के कोई मरने पर ही यहां आता है।हम पूर्ण निष्ठा से 13 दिन कर्मकांड कराते हैं और अपना परिवार पालते हैं।अब ये कोरोना हमारे कहने से तो आया नही जो इसे लेकर हमारी थोड़ी बहुत इनकम को कोसा जा रहा है।
झल्ला
महाराज!थोड़ा हंस वी लया करो।श्मशान में कर्मकांड के भाव बढ़ने से धन्नासेठ और राजनेता भी आकर्षित होंगे और इस कमाऊ व्यवस्था को टेकओवर करने को जुगत लड़ाएंगे।इससे आप लोगों के भी अच्छे दिन आ जाएंगे
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