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Tag: सिविल एविएशन

राष्ट्रीय केरियर एयर इंडिया के लिए और ज्यादा प्रशासनिक केयर की जरुरत है:Maharaja Is Again Sorry For Another Accident

 राष्ट्रीय केरियर एयर इंडिया के लिए और ज्यादा प्रशासनिक केयर की जरुरत है:A I Boeing 777 Brushed Jet In NEWYORK

राष्ट्रीय केरियर एयर इंडिया के लिए और ज्यादा प्रशासनिक केयर की जरुरत है:A I Boeing 777 Brushed Jet In NEWYORK

नेशनल करियर एयर इंडिया का और यात्री विमान बोइंग ७७७ दुर्घटना ग्रस्त हो गया |अबकी बार एक दुसरे यात्री प्लेन से टकरा गया |बेशक यह दुर्घटना मामूली बताई जा रही है|इसमें सवार सभी २५० यात्री सुरक्षित हैं और उन्हें दूसरे प्लेन से गंतव्य स्थलों को भेज कर उनकी यात्रा पूरी करा दी गई | लेकिन न्यूयार्क के जॉन एफ कैनेडी हवाईअड्डे पर एयर इंडिया के इस विमान की दिल्ली के लिए उड़ान को रद्द कर दिया गया | इस घटना की फेडरल एविएशन अथारिटी से जांच कराने के आदेश दे दिए गए हैं.|घाटे से उबरने के लिए लगातार प्रयास रत एयर इंडिया के लिए यह नकारात्मक उपलब्धी है|
अमेरिकी मीडिया में बताया जा रहा है कि लैंड करने के बाद एयर इंडिया के बोइंग 777 विमान को एयरोब्रिज के पास लगाया जा रहा था तभी इस विमान का बांया डैना एक दूसरे जेटब्लू 145 के यात्री विमान के डैने से टकरा गया|जिससे मामूली हानि हुई है| लेकिन नकारात्मक पब्लिसिटी कुछ ज्यादा ही हो रही है
अभी हाल ही में विश्व रैंकिंग में एयर इंडिया को तीसरी सबसे असुरक्षित कम्पनी बताया गया है|ऐसे में विश्व में बदना हो रही राष्ट्रीय केरियर के लिए और ज्यादा केयर की जरुरत है

रतन टाटा ने अब देश में नागरिक विमानन व्यवसाय से भी तौबा की

भारत में कभी नागर विमानन सेवा की शुरुआत करने वाले टाटा समूह के निवर्तमान चेयरमैन रतन टाटा ने छेत्र में विनाशकारी अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा’के चलते इस क्षेत्र में दोबारा कदम नहीं रखने के संकेत दिए हैं| रतन टाटा के अनुसार इस क्षेत्र में ‘विनाशकारी प्रतिस्पर्धा’ घर कर गयी है।
टाटा समूह की ओर से 1990 के दशक के मध्य में भारत में सिंगापुर इंटरनेशनल एयरलाइंस (एसआईए) के साथ मिल कर एयरलाइन शुरू करने के प्रस्ताव को याद करते हुए टाटा ने कहा, ‘उस समय की तुलना में आज यह क्षेत्र पूरी तरह अलग है.’
टाटा ने समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में

रतन टाटा

कहा, ‘यह बहुत कुछ दूरसंचार क्षेत्र की तरह बन गया है. इसमें कंपननियों की बाढ़ आ गयी और इनमें से कुछ ऑपरेटर वित्तीय संकट में हैं. आज की तारीख में मैं इस क्षेत्र में कदम रखने से हिचकूंगा, क्योंकि इस बात की संभावना रहेगी कि आपको इसमें बहुत हद तक ऐसी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा जो अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा होगी.’ यह पूछे जाने पर कि क्या वह ‘गला काट’ प्रतिस्पर्धा को लेकर चिंतित हैं, तो टाटा ने इसका न में जवाब दिया पर कहा, ‘गलाकाट प्रतिस्पर्धा आपको बाहर रखने के लिए हो तो वह विनाशकारी प्रतिस्पर्धा है.’ । घाटे में आने पर भी कुछ लोग आपको खत्म करने के लिए परिचालन कर रहे हैं।’ इंटरव्यू के दौरान टाटा से जब यह पूछा गया कि क्या यह सही है कि किसी ने टाटा-सिंगापुर एयरलाइन के प्रस्ताव को मंजूर करने के लिए उनसे 15 करोड़ रुपये की रिश्वत की मांग की थी। इस पर टाटा ने कहा कि यह कहानी सही है, लेकिन उस समय के नागर विमानन मंत्री ने सीधे उनसे यह राशि नहीं मांगी थी।
टाटा ने कहा, ‘एक कारोबारी ने मुझसे कहा था कि आप पैसा क्यों नहीं दे देते हैं। मंत्री यही चाहते हैं’ कारोबारी को इस पर उन्होंने क्या जवाब दिया था, इस पर टाटा ने कहा, ‘मैंने उनसे कहा कि आप नहीं समझते हैं। हम इस तरह का काम नहीं करते हैं। उन्होंने मुझसे यही कहा था कि यदि आप एयरलाइन शुरू करना चाहते हैं तो आपको पैसा देना होगा। आप जानते हैं कि मंत्री यह चाहते हैं..15 करोड़ रुपये।’
टाटा ने कहा कि 1991 में समूह का चेयरमैन बनने के बाद उन्होंने रणनीतिक योजना बनाई थी। इसके तहत उनकी निगाह विमानन तथा रक्षा जैसे नए क्षेत्रों पर थी जिनमें निजी क्षेत्र बड़े तरीके से प्रवेश कर सकता है।
उन्होंने कहा, ‘तथ्य यह है कि कई वर्षों तक हम पर कई तरह के प्रतिबंध लगे थे और प्रौद्योगिकी नहीं मिल पा रही थी यह अपने आप में बड़ी चुनौती थी।’ लेकिन यह चुनौती देश के निजी क्षेत्र के सामने कभी नहीं रखी गयी जो ‘मेरे लिए कुछ निराशा की बात है।’
टाटा ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र और सरकारी प्रयोगशालाओं के निहित स्वार्थी तत्व इन क्षेत्रों में निजी कंपनियों का प्रवेश नहीं होने देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि आज इन क्षेत्रों को खोल तो दिया गया पर अब भी इनमें निजी क्षेत्र की भागीदारी काफी सीमित है।
गौरतलब है कि रतन टाटा ने पिछले दिनों इंग्लैण्ड के एक फायनेंशियल पत्रिका में दिए एक इंटरव्यू में भारतीय आर्थिक नीतियों पर असंतोष जताया था और कहा था कि इसी निराशा जनक माहौल के चलते उन्होंने भारत के बजाय चीन में विमानन सम्बन्धी फेक्ट्री लगाने को मजबूर होनी पडा है|