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प्रेस की आजादी कभी नहीं सिकुड़ेगी,सरकार मीडिया के स्व नियमन के पक्ष:कर्नल राठौर

[नयी दिल्ली]प्रेस की आजादी कभी नहीं सिकुड़ेगी,सरकार मीडिया के स्व नियमन के पक्ष:कर्नल राठौर
मीडिया के स्व नियमन के पक्ष में बोलते हुए राठौर ने आश्वासन दिया के सरकार प्रेस के लिए कोई नियमन नहीं लाएगी,
‘स्व नियमन’ की हिमायत करते हुए सरकार ने मीडिया से कहा कि वह कोई नियमन नहीं लाएगी, बल्कि प्रेस को अपने पास मौजूद व्यापक जिम्मेदारी को पहचानना चाहिए।
सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने यह सुझाव भी दिया कि मीडिया कवरेज में अक्सर आंकवादियों की छोटी हरकतों को प्रचारित कर आतंकवादियों का समर्थन किया जाता है, जिससे डर फैलता है।
भारतीय जनसंचार संस्थान[आईआईएमसी]के दीक्षांत समारोह को यहां संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश में प्रेस की स्वतंत्रता कभी ‘नहीं सिकुड़ेगी’।
मंत्री ने छात्रों को पत्रकारों की जिम्मेदारी याद दिलाने की कोशिश की।
उन्होंने कहा, ‘‘21 वीं सदी का अभिशाप आतंकवाद है। एक आतंकवादी एक छोटी सी घटना का व्यापक प्रभाव छोड़ना चाहता है। एक व्यक्ति की जान लो और एक लाख आबादी को आतंकित करो। आतंकवादी इस तथ्य से अवगत होता है कि उसकी इस छोटी सी हरकत को प्रचारित कौन करेगा।’’ राठौर ने कहा कि दहशत का सीधा कारण डर है और हममें से एक हिस्सा आतंकवादियों को इस डर को उन लोगों में फैलाने में सहायता करता है जो आतंकवाद का समर्थन नहीं करते हैं।
पेरिस हमलों के फ्रांसीसी मीडिया की कवरेज का जिक्र करते हुए राठौर ने कहा, ‘‘क्या आपने अपने टीवी पर खून का एक कतरा तक देखा? गोली का एक भी निशान या इससे भी महत्वपूर्ण चीज.. एक शोकाकुल मां, एक शोकाकुल पत्नी, एक शोकाकुल बेटी को देखा? आपने नहीं देखा होगा।’’ उन्होंने कहा कि भारत में चैनलों के बीच ऐसी प्रतिस्पर्धा है कि कोई हद नही रहती है और यदि एक चैनल मां से बात करता है तो दूसरा चैनल पत्नी या बेटी से बात करता है।
उन्होंने कहा कि सरकार कोई नियमन लाकर हालात को ठीक नहीं कर सकती। यह सिर्फ स्व नियमन के जरिए संभव होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘एक चीज निश्चित है कि प्रेस की आजादी इस देश में कभी नहीं सिकुड़ेगी.. प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के जरिए आप जितनी शक्ति रखते हैं, वो सीमाओं से आगे जाता है..इस तरह आपके पास काफी जिम्मेदारी होनी चाहिए।’’

अति संकोची और गोपनीयता बरतने वाले रक्षा मंत्रालय ने भी सोशल मीडिया पर अवतार लिया

[नई दिल्ली]अति संकोची और गोपनीयता बरतने वाले रक्षा मंत्रालय ने भी सोशल मीडिया पर अवतार लिया|
भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर मौजूदगी में गति लाने की कोशिश के तहत प्रमाणिक सूचना एवं ताजा जानकारी देने के वायदे के साथ आज ट्विट्र पर आगाज किया ।
आधिकारिक ट्विटर अकाउंट मंत्रालय के महानिदेशक : मीडिया एवं संचार: सितांशु कार ने हैंडल ऐट स्पोक्सपर्सन एमओडी के तहत शुरू किया।
एक घंटे से भी कम समय में अकाउंट को 800 फालोअर्स मिलें हैं

फेस बुक पर लड़कियों की बात तो ठीक ही थी शायद टाईमिंग गलत हो गई


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक सोश्लाईट

ओये झल्लेया ये हसाड़े सोणेलोक तंत्र में क्या भसूडी डाली जा रही है|ओये मुम्बई में 21 साल एक शाहीन धाडा को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया क्योंकि उसने शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे की मौत के बाद हुए मुम्बई बंद पर सवाल उठाए थे.हद तो ये हो गई कि इस कमेन्ट को लाईक करने पर आई टी की धारा ६६ ऐ के अंतर्गत रेनू को भी गिरफ्तार कर लिया गया| ओये इस कमेन्ट से कोई धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं भला? सूचना तकनीकी कानून का कोई उल्लंघन होता है? ओये इस लड़की ने माफी मांगी और फेस बुक बंद भी करवा दिया गया मगर उसके बावजूद रविवार रात कुछ लोगों ने ठाणे के पालघर स्थित लड़की के चाचा के आर्थोपेडिक क्लिनिक में जमकर तोड़फोड़ कर दी|ओये एक तरफ तो हसाडे सोणे प्रधान मंत्री डाक्टर मन मोहन सिंह मीडिया की स्वतंत्रत की हिमायत करते नहीं थक रहे | कपिल सिब्बल सरीखे विख्यात वकील आई टी धारा ६६ ऐ को बैलेबल ओफेंस बता रहे हैं| उसके बावजूद भी अदालत ने इन लड़कियों को १४ दिन की रिमांड पर पोलिस को सौंप दिया उसके बाद दबाब पड़ने पर १५०००/=के मुचलके पर छोड़ दिया गया|ओये ऐसे कैसे चलेगा हमारा लोक तंत्र?

फेस बुक पर लड़कियों की बात तो ठीक ही थी शायद टाईमिंग गलत हो गई

झल्ला

बाऊ साहब जी आप जी की बात तो सोलह आने सच है शायद इसीलिए विवादों में घिरे रहने वाले प्रेस कौंसिल के अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने भी वर्चुअल मीडिया क दमन करने वाले पोलिस कर्मियों को गिरफ्तार करके उनपर अपराधिक मामला चलाने को लिख दिया है| साहब जी ये इन लड़कियों ने कोई गलत बात नहीं की आये दिन होने वाले बंधों पर अदालतें भी टिपण्णी करती आ रही है लेकिन ये तो आप भी मान लो कि अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का यह उपयोग मुम्बई के हालत को देखते हुए किसी ज्वालामुखी को फटने देने का जरिया बन सकता था|इसीलिए फेस बुक पर इन लड़कियों की बात तो ठीक थी शायद टाईमिंग गलत हो गई| थोड़े समय के बाद इसी कमेन्ट को लाईक करने वालों की तादाद बढना लाज़मी था| अब देखो मार्कंडेय काटजू की ई मेल को मुख्य मंत्री ने महज़ दुसरे केसों की भांति केवल आगे रेफेर करके ही अपना पल्ला झाड़ लिया | झल्लेविचारानुसार कानून को अपने हाथ में लेकर लड़कियों को गिरफ्तार करने वाले पोलिस कर्मियों और उन्हें आदेश देने वाले अधिकारियों पर कार्य वाही शुरू कर देनी चाहिए इसीसे पी एम् की विचारधारा को बल मिलेगा|वरना तो यही कहा जाएगा कि ब्लैक मेन ब्लैक रूल वहाईट मेन व्हाईट रूल एंड माई मेन नो रूल|