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हिमाचल प्रदेश में भाजपा से सत्ता वापिस लेने के बाद अब कांग्रेस ने बाबा राम देव से 96 बीघा जमीन भी छीनी

[सोलन/दिल्ली ]हिमाचल प्रदेश में भाजपा से सत्ता वापिस लेने के बाद अब कांग्रेस ने बाबा राम देव से 96 बीघा जमीन भी छीन ली है|माना जा रहा है कि कांग्रेस की खिलाफत करने की सज़ा के रूप में योग गुरु राम देव को यह उलट आसन सिखाया जा रहा है|
योग गुरु बाबा रामदेव को लीज पर दिए गए करीब 96 बीघा भूमि के आवंटन को रद्द करने के साथ ही हिमाचल में कांग्रेस की सरकार ने वहां चल रहे अनुष्ठान को खंडित किया और पतंजलि योगपीठ परिसर को अपने कब्जे में ले लिया है। शुक्रवार दोपहर 2.30 बजे एसपी सोलन, एसडीएम कंडाघाट दल-बल के साथ साधुपुल परिसर पर कब्जा कर लिया।
एसडीएम कंडाघाट एलआर वर्मा ने डीएम सोलन की ओर से आर्डर पतंजलि योग पीठ के संयोजक रामेश्वर दत्त कौशिक को दिया। पतंजलि योग पीठ को दिए गए आर्डर में लिखा गया है कि कंपीटेंट अथॉरिटी ने आपकी लीज कैंसिल कर दी है। लीज खत्म होने के बाद अब योगपीठ जमीन की मालिक नहीं है, इसलिए जमीन को भवनों सहित सरकार के हवाले किया जाए।
आर्डर मिलने के बाद कुछ देर चले ड्रामे के बाद योगपीठ ने परिसर खाली कर दिया और शाम को जमीन के सरकारी अधिग्रहण का नोटिस मुख्य गेट पर चस्पा दिखाई दिया|

घटना क्रम

प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार २२ फरवरी शुक्रवार दोपहर को परिसर के आसपास पुलिस हलचल देख पतंजली योग समिति ने अनुष्ठान शुरू कर दिया। कुछ स्थानीय लोग भी समर्थन में अनुष्ठान में बैठे। दोपहर 2.30 बजे एसपी सोलन, एसडीएम कंडाघाट दल-बल के साथ पहुंचे। जमीन खाली करने के लिए घोषणा हुई। लेकिन लाउडस्पीकर पर मंत्रोच्चारण के साथ अनुष्ठान जारी रहा। पुलिस ने केंद्र की लाइट काट दी और जवानों ने भी पोजिशन ले ली। पुलिस को पोजिशन लेता देख पतंजलि योग समिति के पदाधिकारियों, ग्रामीणों और प्रशासन के बीच चर्चा हुई। करीब दो घंटे के बाद एसडीएम ने अनुष्ठान को खंडित करने की प्रक्रिया पूर्ण की और कब्जा लिया |

बाबा रामदेव की प्रतिक्रया

ताजा घटनाक्रम के बाद बाबा रामदेव के 27 फरवरी को साधुपुल आने पर अब संदेह हो चला है| हालांकि योग गुरु बाबा का यह घोषित दौरा आधिकारिक रूप से रद्द नहीं हुआ है। यह आयोजन कहां होगा? यह अभी साफ नहीं है। सरकार की इस कार्यवाही को बिना नोटिस दिए, बिना सुनवाई किए एकतरफा कार्रवाई बता कर योगपीठ द्वारा इस मसले पर हाईकोर्ट के दरवाजे खटखटाने की भी बातें सुनी जा रही हैं|

भाजपा का स्टैंड

भाजपा सरकार के समय स्वास्थ्य एवं आयुर्वेद मंत्री रहे डा. राजीव बिंदल ने पूरी कार्रवाई को शर्मनाक कदम बताया है। इससे निवेशक राज्य के रूप में हिमाचल की बदनामी पूरे देश में होगी। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने आयुर्वेद एवं पर्यटन विकास और जड़ी बूटियों के विपणन के नजरिए से यह कदम उठाया था। लेकिन वर्तमान सरकार ने इसे राजनीतिक चश्मे से देखा। इसके विपरीत उत्तराखंड में पतंजलि योगपीठ को कांग्रेस की सरकारों का हमेशा सहयोग मिला है।

घटनाक्रम

[१] इससे पूर्व जनवरी 2010: धूमल सरकार की कैबिनेट ने बाबा रामदेव को सोलन के साधुपुल में 28 एकड़ (करीब 96 बीघा) भूमि लीज पर दी और पतंजलि योगपीठ का दूसरा केंद्र हिमाचल में स्थापित करने का निमंत्रण दिया
[२]जून 2010: बाबा रामदेव ने मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की उपस्थित में परिसर में भूमि पूजन और शिलान्यास किया। हालांकि यहां निर्माण कार्य 2011 के अंत में शुरू हुआ।
[३]जनवरी 2013: नई कांग्रेस सरकार के राजस्व मंत्री कौल सिंह ने शीतकालीन सत्र के दौरान धर्मशाला में कहा कि बाबा रामदेव को गैरकानूनी तरीके से लीज पर जमीन दी गई है, जिसकी जांच करने की घोषणा की गई ।
[४]19 फरवरी 2013: कैबिनेट ने लीज डीड रद्द कर दी।
22 फरवरी 2013: डीसी सोलन ने लीज रद करने का आर्डर पतंजलि योगपीठ को सुनाया। एसडीएम कंडाघाट ने पुलिस की मदद से परिसर अपने कब्जे में लिया।

गुजरात में किंकर्तव्य विमूड हुई कांग्रेस हिमाचल में एब्सोल्यूट मेजोरिटी को सेलेब्रेट नहीं कर पा रही है:Himachal Changeover

Himachal Pradesh Election

गुजरात में नरेन्द्र मोदी के जीत से किंकर्तव्य विमूड की स्थिति से जूझ रही कांग्रेस हिमाचल प्रदेश में प्राप्त पार्टी की एब्सोल्यूट मेजोरिटी को भी उत्साह पूर्वक सेलेब्रेट नहीं कर पा रही है| बेशक हिमाचल की जनता ने पिछली हर बार की तरह सत्ता परिवर्तन करते हुए कांग्रेस को राज्य की बागडोर थमा दी है। कांग्रेस को कुल 68 सीटों में से 13 सीटों के फायदे के साथ 36 सीटें मिली हैं, जबकि बीजेपी 15 सीटों के नुकसान के बाद 26 सीटों पर सिमट गई है। छह सीटों पर अन्य उम्मीदवारों को जीत मिली है।यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है|भाजपा के भ्रष्टाचारों के आरोपों का सामना कर रहे ७८ वर्षीय वीर भद्र सिंह ने राहुल गांधी की पांच चुनावी सभाओं में कांग्रेस को जितवाकर राहुल गांधी का कद बढाया हैऔर पूर्ण सत्ता की डोर अपनी पार्टी की आलाकमान श्रीमति सोनिया गाँधी के हाथों में थमाई है उसे देखते हुए इसे कांग्रेस के बजाये वीर भद्र सिंह की जीत कहा जा सकता है|
प्रेम प्रकाश धूमल की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार में आए भ्रष्टाचार के मामले उसी पर भारी पड़े और जनता ने धूमल की राजनीतिक छवी को धूमिल करके कांग्रेस के हाथ का साथ दिया।
प्रदेश में इस बार एक ही चरण में मतदान 4 नवंबर को कराया गया था जिसमे रिकॉर्ड वोटिंग हुई थी। एक्जिट पोलों के मुताबिक हिमाचल में कांग्रेस को बढ़त की संभावना पहले ही जताई जा रही थी।, ।गुजरात में बीजेपी के कुछ उम्मीदवार अपनी जीत को लेकर इतने आश्वस्त थे कि उन्होंने रात में ही अपनी जीत के पोस्टर लगा दिए थे जगह जश्न का महौल बनाया जा रहा है मगर कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के आरोपों को बी जे पी की तरफ मौड़ कर विजयश्री चूमने वाले वीर भद्र सिंह को क्रेडिट दिया जाना जायज़ ही कहा जाना चाहिए