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प्रमं मोदी ने१८वीं”मन की बात”में मधुमेह जैसे घातक मेहमान से छुट्टी पाने का आह्वाहन किया

[नई दिल्ली] प्रमं मोदी ने१८वीं”मन की बात”में मधुमेह जैसे बिन बुलाए मेहमान को भगाने का आह्वाहन किया
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने १८ वीं “मन की बात” में मधुमेह+टीबी जैसे महारोगों को परास्त करने का आह्वाहन किया
अपने लोकप्रिय कार्यक्रम “मन की बात” में भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ७ अप्रैल को ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस पर टीबी+मधुमेह को परास्त करने का आह्वाहन किया | पी एम ने कहा ७ अप्रैल को वर्ल्ड हेल्थ डे ’ है और इस बार दुनिया ने इस दिवस को ‘बीट डायबिटीज ’की थीम पर केन्द्रित किया है।
डायबिटीज को परास्त करिए।
उन्होंने कहा डायबिटीज एक ऐसा मेजबान है कि वो हर बीमारी की मेजबानी करने के लिए आतुर रहता है। एक बार अगर डायबिटीज घुस गया तो उसके पीछे ढेर सारे बीमारी कुरुपी मेहमान अपने घर में, शरीर में घुस जाते हैं। कहते हैं
2014 में भारत में क़रीब साडे छः करोड़ डायबिटीज के मरीज थे।
3 प्रतिशत मृत्यु का कारण कहते हैं कि डायबिटीज पाया गया। और डायबिटीज के दो प्रकार होते हैं एक Type-1, Type-2. Type- 1 में वंशगत रहता है, वंशानुगत है, माता-पिता को है इसलिए बालक को होता है। और Type-2 आदतों के कारण, उम्र के कारण, मोटापे के कारण। हम उसको निमंत्रण देकर के बुलाते हैं। दुनिया डायबिटीज से चिंतित है, इसलिए 7 तारीक को ‘वर्ल्ड हेल्थ डे ’ में इसको थीम रखा गया है। हम सब जानते हैं कि हमारी लाइफ स्टाइल उसके लिए सबसे बड़ा कारण है।
शरीरिक श्रम कम हो रहा है। पसीने का नाम-ओ-निशान नहीं है, चलना-फिरना हो नहीं रहा है। खेल भी खेलेंगे तो ऑनलाइन खेलते है, ऑफ -लाइन कुछ नहीं हो रहा है।
क्या हम, 7 तारीख से कुछ प्रेरणा ले कर के अपने निजी जीवन में डायबिटीज को परास्त करने के लिए कुछ कर सकते है क्या?
आपको योग में रूचि है तो योग कीजिए नहीं तो कम से कम दौड़ने चलने के लिए तो जाइये। अगर मेरे देश का हर नागरिक स्वस्थ होगा तो मेरा भारत भी तो स्वस्थ होगा। कभी कबार हम संकोचवश मेडिकल चेकअप नहीं करवाते हैं। और फिर बहुत बुरे हाल होने के बाद ध्यान में आता है कि ओह… हो… मेरा तो बहुत पुराना डायबिटीज था। चेक करने में क्या जाता है इतना तो कर लीजिये और अब तो सारी बातें उपलब्ध हैं। बहुत आसानी से हो जाती हैं। आप ज़रूर उसकी चिंता कीजिए।
24 मार्च को दुनिया ने टी बी डे मनाया। हम जानते है, जब मैं छोटा था तो TB का नाम सुनते ही डर जाते थे। ऐसा लगता था कि बस अब तो मौत आ गयी। लेकिन अब TB से डर नहीं लगता है। क्योंकि सबको मालूम है कि TB का उपचार हो सकता है, और असानी से हो सकता है। लेकिन जब TB और मौत जुड़ गए थे तो हम डरते थे लेकिन अब TB के प्रति हम बेपरवाह हो गए हैं। लेकिन दुनिया की तुलना में TB के मरीजों की संख्या बहुत है। TB से अगर मुक्ति पानी है तो एक तो करेक्ट ट्रीटमेंट चाहिये और कम्पलीट ट्रीटमेंट चाहिये।
सही उपचार हो और पूरा उपचार हो। बीच में से छोड़ दिया तो वो मुसीबत नई पैदा कर देता है। अच्छा TB तो एक ऐसी चीज़ है कि अड़ोस-पड़ोस के लोग भी तय कर सकते है कि अरे भई चेक करो देखो, TB हो गया होगा।
ख़ासी आ रही है, बुखार रहता है, वज़न कम होने लगता है। तो अड़ोस-पड़ोस को भी पता चल जाता है कि देखो यार कहीं उसको TB-VB तो नहीं हुआ। इसका मतलब हुआ कि ये बीमारी ऐसी है कि जिसको जल्द जाँच की जा सकती है।
इस दिशा में बहुत काम हो रहा है। तेरह हज़ार पांच सौ से अधिक माइक्रोस्कोपी सेंटर हैं। चार लाख से अधिक DOT प्रोवाइडर हैं। अनेक एडवांस लैब्स हैं और सारी सेवाएँ मुफ़्त में हैं।
आप एक बार जाँच तो करा लीजिए। और ये बीमारी जा सकती है। बस सही उपचार हो और बीमारी नष्ट होने तक उपचार जारी रहे। मैं आपसे आग्रह करूँगा कि चाहे TB हो या डायबिटीज हो हमें उसे परास्त करना है। भारत को हमें इन बीमारियों से मुक्ति दिलानी है। लेकिन ये सरकार, डॉक्टर, दवाई से नहीं होता है जब तक की आप न करें। और इसलिए मैं आज मेरे देशवासियों से आग्रह करता हूँ कि हम डायबिटीज को परास्त करें। हम TB से मुक्ति पायें।