झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां
एक हवाई यात्री
ओये झल्लेया मुल्क में क्या मज़ाक हो रहा है? ये तो आये दिन का रोना हो गया |सयापा ही हो गया|भई हमने तो ओनली मेरठ की मौजूदा हवाई पट्टी को प्रोमोट करके यहाँ बड़ा एयर पोर्ट बनाये जाने की मांग की थी लेकिन यार हम तो हवाई पट्टी से भी गए | एयर पोर्ट तो जब मिलेगा तब मिलेगा अभी तो हवाई पट्टी से भी गए ये तो वोही गल्ल हो गई|
आधी छोड़ पूरी मांगोगे तो आधे से भी हाथ गवाओगे
अब ये बात हमारी समझ से परे है के प्रदेश सरकार विकास कराना चाहती है और केंद्र सरकार विकास करना चाहती है|सिविल एविएशन मिनिस्ट्री हवाई अड्डे के लिए जमीन लेने को तैयार है और यूं पी गवर्नमेंट जमीन देने को तैयार है ऐसे में एयर पोर्ट की लुटिया कैसे डूब रही है|पहले तो अखिलेशी युवा सरकार और केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय में बैठे घाघ मंत्री चौधरी अजित सिंह में खतोखिताबत होती रही फिर जुबानी जंग शुरू हो गई अब फिर से पत्राचार +कॉरेस्पोंडेंस +खातोखिताबत चालू हो गई है|| इन दो बड़ों की लड़ाई में छोटों का नाश होता दिखने लगा है|
झल्ला
दरसल प्रदेश सरकार को बेशक एक साल ही हुआ है मगर केंद्र सरकर के चो.अजित सिंह का तो कार्यकाल ही मात्र एक साल का रह गया है|इसीलिए उन्हें यह चिंता सता रही होगी के अपनी रालोद के बचे खुचे ५ सांसदों की संख्या अगर बड़े नहीं तो कम भी ना हो | इसीलिए मेरठ का एयर पोर्ट चौधराहट बचाए रखने के लिए बेहद जरुरी है| उधर प्रदेश में सत्ता रुड समाज वादी पार्टी के सुप्रीमो की आँखें पी एम् की कुर्सी पर हैं इसीलिए प्रदेश में कांग्रेस और उसकी सहयोगी रालोद को चौधराहट नहीं करने देना है|इसके अलावा किसानो को भी अपनी जमीन का भाव और उसके असली खरीदारों की हेसियत का पता चल गया है|अब सर्किल रेट पर नहीं बाज़ार भाव पर जमीन देने की बात करने लग गए हैं इतने पैसे देने के लिए मंत्रालय को अपने बड़ों की आज्ञा लेनी जरुरी है|
इसके अलावा एयर पोर्ट के लिए 433 एकड़ अतिरिक्त भूमि अधिग्रहण करने में किसानों के विरोध का सामना कौन करेगा|
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