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कांग्रेस ने दिल्ली में हिंसा के लिए केंद्रीय गृहमंत्री का इस्तीफा मांगा

(नई दिल्ली)कांग्रेसने दिल्ली में हिंसा के लिए केंद्रीय गृह मंत्री का इस्तीफा मांगा
कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा को लेकर बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि उन्हें तत्काल इस्तीफा देना चाहिए उन्होंने अमित शाह और दिल्ली पुलिस पर अनेकों सवाल भी उठाए
उत्तरपूर्वी दिल्ली में सी ए ए को लेकर भड़की हिंसा में मृतकों की संख्या बढ़कर २० हो चुकी है

१५४ प्रबुद्ध नागरिकों ने राष्ट्रपति के समक्ष सीएए के विरोधियों से सुरक्षा की मांग की

(नयी दिल्ली)१५४ प्रबुद्ध नागरिकों ने राष्ट्रपति के समक्ष सीएए के विरोधियों से सुरक्षा की मांग की
केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण के अध्यक्ष और सिक्किम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल ने शुक्रवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक तत्व संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनकारियों को प्रश्रय दे रहे हैं और इस अशांति का ‘बाहरी आयाम’ भी है।१५४ बुद्धिजीवियों ने इन्हें समर्थन दिया है
उन्होंने हालांकि संशोधित नागरिकता कानून, राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी और राष्ट्रीय नागरिक पंजी के खिलाफ प्रदर्शन भड़काने को लेकर किसी दल या व्यक्ति का नाम नहीं दिया।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि ‘द्वेषपूर्ण’ माहौल पैदा करने के लिए कुछ संगठनों की समाज में विभाजन पैदा करने की हरकत से वह चिंतिंत है। उसने कहा कि यदि आंदोलन शांतिपूर्ण रहता है और लोगों को असुविधा नहीं होती है, तो उसे इस आंदोलन से कोई एतराज नहीं है।
प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा जिसमें उच्च न्यायालयों के 11 पूर्व न्यायाधीश, आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और पूर्व राजनयिक समेत 72 पूर्व नौकरशाहों , 56 शीर्ष पूर्व रक्षा अधिकारियों, बुद्धिजीवियों, अकादमिक विद्वानों और चिकित्सा पेशेवरों के हस्ताक्षर हैं।
ज्ञापन में कहा गया है कि प्रबुद्ध नागरिक चाहते हैं कि केंद्र पूरी गंभीरता से इस मामले पर गौर करे और देश के लोकतांत्रिक संस्थानों की रक्षा करे एवं ऐसी ताकतों के खिलाफ कार्रवाई करे।

तीसरे दिन ठंड और रविवार को भी महिलाओं का प्रदर्शन जारी: नागरिकता कानून

(लखनऊ)ठंड और रविवार को भी महिलाओं का प्रदर्शन जारी: नागरिकता कानून
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) के विरोध में पुराने लखनऊ में महिलाओं का प्रदर्शन कड़ाके की ठंड के बावजूद रविवार को तीसरे दिन भी जारी है।
खुले आसमान के नीचे पिछले शुक्रवार से बड़ी संख्या में महिलाएं दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर पुराने लखनऊ स्थित घंटाघर के सामने प्रदर्शन कर रही हैं। उनके साथ बच्चे भी हैं।
इन महिलाओं का कहना है कि सरकार जब तक सीएए और एनआरसी को वापस नहीं लेती है, तब तक वे धरना समाप्त नहीं करेंगी। महिलाओं के धरने को सामाजिक संगठनों और आम नागरिकों का भी समर्थन मिल रहा है सिख समुदाय के कुछ लोगों ने शनिवार रात धरना स्थल पर पहुंचकर महिलाओं को खाने पीने का सामान दिया।
महिलाओं ने शनिवार रात पुलिसकर्मियों को गुलाब के फूल भेंट कर अनूठे तरीके से प्रदर्शन किया।
इस बीच, धरना दे रही महिलाओं का आरोप है कि पुलिस ने रात में पहुंचकर उनसे कंबल छीन लिए और वह खाने पीने का सामान भी अपने साथ ले गई।

प्रिंयका मेरठ पहुंची ,पीड़ितों को ढांढस बंधाया

मेरठ (उप्र) संशोधित नागरिकता कानून को लेकर हुये विरोध प्रदर्शन में मारे गये लोगों के परिजनों से मिलने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी शनिवार को मेरठ पहुंची ।उन्होंने पीड़ितों को ढांढस बंधाया और सरकार पर निशाना साधते हुए कहा के जहां अन्याय हुआ वहां हम साथ खड़े हैं
इससे पहले 24 दिसंबर को प्रियंका और राहुल गांधी को प्रशासन ने मेरठ में प्रवेश करने से रोक दिया था ।
प्रशासन ने शहर में धारा 144 लागू होने की बात कही थी ।
मेरठ में प्रदर्शन के दौरान कम से कम पांच लोगो की मौत हुई थी ।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के शिक्षक भी सड़कों पर उतरे:नागरिकता

(नयी दिल्ली) जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के शिक्षक भी सड़कों पर उतरे
जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के शिक्षक भी सड़कों पर उतरे उन्होंने संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी के विरोध में प्रदर्शन करने वाले विश्वविद्यालय के छात्रों को समर्थन देने वाले सभी विश्वविद्यालयों का आभार व्यक्त किया।
करीब 200 शिक्षकों ने अपने हाथों तख्तियां ले रखीं थी जिन पर लिखा था, ‘मैं जामिया के साथ’’, ‘मैं सीएए के विरोध में’। कई अन्य पर संदेश लिखे थे जिनमें समर्थन करने वाले विश्वविद्यालयों के प्रति आभार व्यक्त किया गया था।
मार्च में शामिल शिक्षकों ने भारत का एक बड़ा नक्शा ले रखा था जिस पर देशभर के उन स्थानों को दिखाया गया था, जहां विश्वविद्यालय परिसरों में प्रदर्शन हो रहे हैं।