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रोजगार देने में असमर्थ केंद्र सरकार अनुकम्पामूलक आधार पर भी अपने विभागों में नौकरियां नही दे रही

प्रधान मंत्री डॉ मन मोहन सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस में बेरोजगारी की समस्या को मात्र अपनी स्वीकारोक्ति प्रदान करके बेशक पल्ला झाड़ लिया हो ग्रोथ के तमाम दावे प्रस्तुत करके अपनी सरकार की खामियों को छुपाने का प्रयास किया हो मगर उनके विकास के दावों में युवाओं को रोजगार प्रदान करने वाली ग्रोथ दिखाई नहीं दे रही यहाँ तक कि सरकारी विभागों में अनुकम्पामूलक आधार पर भी जरुरत मंदों को पिछले डेड सालों से नौकरियां नहीं दी जा रही |जाहिर है सरकार के ग्रोथ से सबंधित तमाम दावे जॉबलेस ग्रोथ ही दिखला रहे हैं|
क्रिसिल नामक रेटिंग संस्था के अध्यक्ष शोध कर्ता मुकेश अग्रवाल के अनुसार जी डी पी का ४९% शेयर एम्प्लॉयमेंट से जुड़ा होता है |क्रिसिल के शोध के अनुसार वर्ष 2019 तक गैर-कृषि क्षेत्र में एक चौथाई नौकरियां घट जाएंगी।१ करोड़ २० लाख लोगों कोआने वाले ७ वर्षों में मजबूरन कृषि छेत्र में लौटना होगा देश की इस प्रमुख रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की मंगलवार को जारी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि मौजूदा 5.2 करोड़ के मुकाबले 3.8 करोड़ लोगों के पास ही रोजगार रह जाएंगे|
इस रिसर्च रिपोर्ट में यह चेतावनी भी दी गई है कि अगर पर्याप्त संख्या में नौकरियां पैदा नहीं की गई तो युवा आबादी देश की अर्थ व्यवस्था बढ़ाने के बजाय बोझ बन सकती है।क्रिसिल की इस रिपोर्ट के आधार पर देश के प्रमुख मीडिया ने अपने अपने तरीकों से चिंता भी व्यक्त की है|
अब चूंकि सरकार के सामने जॉब क्रिएशन के अलावा कोई विकल्प नहीं है फिर भी इस दिशा में कोई काम होता नहीं दिख रहा यहाँ तक कि सरकारी विभागों में बरसों से खाली पड़े अनुकम्पा मूलक आधार वाले कोटे भी भरे नहीं जा रहे|उदहारण के लिए रक्षा लेखा विभाग के आंकड़े भी चौंकाने वाले है |
रक्षा लेखा विभाग केंद्र सरकार का महत्वपूर्ण विभाग है यहाँ भारतीय रक्षा सेवाओं के साथ ही उनकी सहायक संस्थाओ का आडिट किया जाता है ऐसे महत्व पूर्ण विभाग में वर्षों से रिक्तियों को भरने के लिए कोई प्रयास नहीं हो रहा यहाँ तक कि अनुकम्पामूलक आधार पर भी नौकरियां नहीं दी जा रही|इस लिए यह कहना तर्क संगत ही होगा कि रक्षा सेवाओं के आडिट को भी हतोत्साहित किया जा रहा है|
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष २००९ में ४६०० रिक्तियां थी जिनमे से एस एस सी[SSC] के माध्यम से 1700 जॉब क्रिएट हुई उनमे से भी ८०० लोग नौकरी छोड़ गए|२०१३ में केवल २६०० रिक्तियां ही घोषित की गई|
स्टाफ को हतोत्साहित करने के लिए[१] स्ट्राइक राइट्स का हनन हो रहा है|[२]नई रिक्तियां पैदा नहीं की जा रही यहाँ तक कि वर्त्तमान रिक्तियों को भी भरा नही जा रहा[३]प्रोमोशन के अवसर नहीं दिए जा रहे[४] आर्बिट्रेशन अवार्ड्स[ ArbitrationAwardsलागू नहीं किये गए][५]अलाउंस रिवाइस नहीं किये जा रहे[6]पी एल बोनस तक नहीं दिया जा रहा ]यहाँ तक कि रिटायर्ड स्टाफ के लिए उपलब्ध सी एस डी[ CSD ]कैंटीन सुविधा भी समाप्त कर दी गई है |जिस कारण नया स्टाफ आने आप को यहाँ एडजस्ट करने में कठिनाई महसूस कर रहा है|
सरकारी नियमों के अनुसार टोटल रिक्तियों का ५% अनुकम्पा मूलक [compassionate Grounds] आधार पर मृत स्टाफ के आश्रितों को दी जानी चाहियें लेकिन दुर्भाग्वश इस दिशा में भी करुणा नहीं दिखाई जा रही |
स्टाफ की कमी से केंद्र सरकार के अनेकों विभाग त्रस्त हैं यहाँ तक कि ७वे वेतन आयोग के लिए माँगी गई सिफारिशों के उत्तर में डी ओ पी टी [ DOPT ] स्तर पर चर्चा प्रारम्भ हो गई है |अखिल भारतीय रक्षा लेखा संघ के एक घटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष यतेन्दर चौधरी ने चैप्टर आफ डिमांड्स भेजा हैजिसके तीसरे क्रम पर compassionate Appointments की मांग रखी गई है| इस १२ सूत्री मांग पत्र में सेवा सम्बन्धी सुधारों की भी बात उठाई गई है |