झल्लीगल्लां
उत्तेजितसमाजसेवी
ओए झल्लेया!ये क्या हो रहा है?ओए मुल्क में सरकारें कोरोना महामारी में भी पीड़ितों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से भागने में ही लगी है। कोरोना संक्रमितों और उनकी मृत्यु के आंकड़े निरन्तर बढ़ते जा रहे है।अनेकों परिवारों में कमाने वाला कोई नही रहा।इलाज में व्यवसाय ठप्प हो गए।बच्चे अनाथ हो गए और केंद्र की सरकार कहती है कि पीड़ितों को मुआवजा नही देंगे। इस रवैये से दुखी होकर माननीय सुप्रीमकोर्ट ने कहा दिया है कि मुआवजा तो देना ही पड़ेगा।
झल्ला
भापा जी!सरकारें तो स्मारकों पर अपने नाम के शिलापट लगाने को लालायित रहती आई है।इसीलिए बजट का बड़ा हिस्सा ऐसे ही कार्यों में जाता है और आम आदमी के हिस्से में आते हैं जुमले और सिर्फ जुमले ।अब देखो 1947 के रिफ्यूजी आज भी अपने हक का कंपनसेशन/रिहैबिलिटेशन क्लेम लेने को दर दर भटक रहे हैं
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