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विश्व में सबसे बड़े लोक तंत्र की प्रहरी भारतीय संसद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

विश्व के सबसे बड़े लोक तंत्र भारत की संसद के दोनों सदन राजनितिक दलों के अहम् के चलते निश्चित अवधि से दो दिन पूर्व बुधवार को अनिश्चितकालीन अवधि के लिए स्थगित कर दिए गए| |गरीबों के हितों के लिए कार्य करने का दावा करने वाली कांग्रेस और भाजपा दोनों प्रमुख दल देश की ६५% गरीब जनता की भलाई के लिए लाया जा रहा फ़ूड सिक्यूरिटी बिल तक पास नही करा पाए |
राज्य सभा को सुचारू रूप से चला पाने में असमर्थ चेयर मैन हामिद मोहम्मद अंसारी ने तल्ख टिपण्णी करते हुए कहा है के सदन की उपलब्धि या हानि का विवरण सभी कुछ जनता के सामने है इसीलिए इस पर कमेंटरी करने की कोई आवश्यकता नही है| इसके साथ ही उन्होंने यह भी सवाल उठाया है के संसदीय प्रणाली के लिए आवश्यक तीन नियमो [१]व्यवस्था [२]+विचार विमर्श+[३]जवाब देही की अब कोई प्रासंगिकता नहीं रह गई है?[Regulation+Deliberation+Accountability]
लोक सभा में भी कोई कार्यवाही नही होने से क्षुब्ध स्पीकर मीरा कुमार ने बजट सत्र के दूसरे चरण की गैर परम्परागत स्थगन पर कोई विदाई भाषण नही दिया |सदन का कार्यकाल १० मई तक था| बुधवार को भी दोनों सदनों में कोल गेट और रेल गेट को लेकर हंगामा रहा जिसके चलते दो बार स्थगन का चाबुक चलाया गया |

कर्नाटक में कांग्रेस ने भाजपा से सत्ता हथियाई :अब मुख्य मंत्री के चयन की समस्या

कर्नाटक में कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत प्राप्त करके सत्ता रुड भाजपा को सत्ता से बाहर करके अपने तरफ चलाये जा रहे भ्रष्टाचार के तीरों को भाजपा की तरफ मोड़ने का सिलसिला शुरू कर दिया है साथ ही बहुमत हासिल करने के बाद अब मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर कांग्रेस के अंदर दौड़ भाग शुरू हो गई है। नए मुख्यमंत्री की दौड़ में सिद्धारमैय्या सबसे आगे माने जा रहे हैं।उनके अलावा ऑस्कर फर्नांडीज+केंद्रीय मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे+ वीरप्पा मोइली + केएच मुनियप्पा+आर पी देशपांडे+ भी मुख्यमंत्री की कुर्सी की रेस में हैं।अब लाख टके का सवाल उठ रहा है कि कांग्रेस न्रेतत्व उत्तरखंड में लिए गए विवादित निर्णय को दोहराता है या फिर हिमाचल प्रदेश की तरह शान्ति पूर्वक सत्ता सुख भोगता है|
कर्नाटक की जीत के बाद पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भले ही अगले मुख्यमंत्री के सवाल पर कहा है कि पार्टी विधायक ही अपना नेता तय करेंगे। मगर ब्राह्मण+ दलित और पिछड़े जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों के अलावा अगले लोकसभा चुनाव में पार्टी की जीत के सिलसिले को जारी रखने की चुनौती को देखते हुए आलाकमान को ही हमेशा कि तरह अंतिम फैसला लेने का अधिकार दे दिया गया है|
[१]मुख्यमंत्री की कुर्सी की रेस में सबसे आगे सिद्धारमैय्या चल रहे हैं। वह पिछडे़ वर्ग से हैं और पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान का नेतृत्व उन्होंने खुद संभाला था।उनके समर्थक अधिकतर चुनाव जीते हैं| उन्होंने अपनी दावेदारी भी व्यक्त की है|
वह मूल रूप से जनता दल सेक्यूलर से करीब सात पहले ही कांग्रेस में आए हैं। पार्टी में उनका विरोधी खेमा उन्हें बाहरी भी कहता है और यही बात उनके खिलाफ जा सकती है|
[२] दलित केंद्रीय श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे की दावेदारी को भी नकारा नहीं जा रहा है। खड़गे को कुर्सी सौंप दलित कार्ड खेलकर राज्य ही नहीं बल्कि देशभर में एक संदेश देने का पार्टी का मकसद पूरा हो सकता है। हाईकमान से भी उनके बेहतर संबंध हैं|[३] पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली के दस जनपथ से बेहतर रिश्तों को देखते हुए उनका नाम भी दौड़ में शामिल है। वह पहले भी कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।[४]वरिष्ठ नेता आर पी देशपांडे का नाम ब्राह्मण के तौर पर चर्चाओं के बाजार में आ रहा है।

विश्व के सबसे बड़े लोक तंत्र की संसद आज भी नहीं चली:Parliament Adjourned

विश्व के सबसे बड़े लोक तंत्र भारत की संसद आज भी नहीं चली |आज का दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ गया| विपक्ष ने वेल में कोल गेट और रेलगेट को लेकर सम्बंधित मंत्रियों के इस्तीफे की मांग उठाई| चेयर पर आसीन स्पीकर मीरा कुमार +फ्रांसिस्को सर्दिन्हा लोक सभा में और पी जे कुरियन राज्य सभा में शोर शाराबे के सामने असहाय नज़र आये| भक्त चरण दास फ़ूड सिक्यूरिटी बिल पर अपना भाषण नही दे पाए|
भाजपा ने अपनी घोषणा के अनुसार संसद को चलने नहीं दिया| कोल गेट पर कानून मंत्री अश्विनी कुमार और रेलगेट पर रेल मंत्री पवन बंसल के इस्तीफे के बगैर संसद की कार्यवाही में कोई सहयोग देने को तैयार नही हुई| अब एन डी ऐ भ्रष्टाचार के मुद्दे को छोड़ने को तैयार नही है और यूं पी ऐ सत्ता में वापिसी के लिए पास पोर्ट के रूप में फ़ूड सिक्यूरिटी बिल को पास कराना चाह रही है| सत्ता पक्ष को इस महत्पूर्ण बिल के भरोसे देश के ६५% लोगों तक पहुँचने की आशा है|इसीलिए कांग्रेस ने अपने सांसदों को संसद में हाज़िर रहने के लिए व्हिप जारी कर दिया है इसीलिए बुधवार का दिन भारतीय संसद के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है|

भारतीय संसद की सोमवार की कार्यवाही भी कोयला घोटाले की कालिख से बाहर नही निकल पाई :संसद की कार्यवाही ठप्प

भारतीय संसद के दोनों सदन सोमवार को भी हंगामे की भेंट चड गए|यानि आज भी लोक तंत्र को १.९७ करोड़ का चूना लगा ही दिया गया| प्रतिदिन की कार्यवाही पर १.९७ करोड़ का खर्च आता है| उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार पहली और वर्तमान संसद की कार्यवाही लगभग १/३ रह गई है|यह अपने आप में चौंकाने वाला तथ्य है|संसदीय कार्यमंत्री कमल नाथ ने विपक्ष से संवाद स्थापित करते हुए मंगलवार को संसद के सुचारू रूप से चलने की उम्मीद व्यक्त की है लेकिन आज की कार्यवाही या तेवर देख कर कहा जा सकता है कि प्रमुख विपक्षी भाजपा इस विषय में कोई रियायत देती नज़र नही आ रही|
प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने वेल को कब्जा कर कोयला घोटाले और उसमे सी बी आई की कार्यप्रणाली में दखल को लेकर में प्रधान मंत्री डाक्टर मन मोहन सिंह के इस्तीफे की मांग जारी रखी| लोक सभा की स्पीकर मीरा कुमार और राज्य सभा में हामिद अंसारी सोमवार को भी हंगामे के सामने असहाय नज़र आये |इसीलिए पहले १२ बजे + २ बजे और फिर मंगल वार तक के लिए सदस स्थगित किये गए|लोक सभा में भाजपा का सोमवार का नारा रहा कोयला की दलाली है पूरी कांग्रेस ही काली है|
लेकिन समाजवादी पार्टी ने हमेशा की तरह केंद्र सरकार की ढाल बनते हुए चीन द्वारा १९ किलोमीटर अतिक्रमण का मुद्दा उठाया| सपा सुप्रीमो और पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव ने केंद्र सरकार की कार्यवाही को डरपोक +अक्षम बताया | उन्होंने कहा कि भारतीय फौज चीन को जवाब देने में सक्षम है लेकिन सरकार का कायरता पूर्ण व्यवहार रुकावट पैदा कर रहा है| सपा सांसदों ने भी वेल में आकर चीन की घुसपैंठ की तरफ ध्यान खीचने का प्रयास किया|
समाजवादी पार्टी प्रमुख ने तो विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद के आगामी माह में चीन दौरे पर ही सवाल उठा दिए.उन्होंने चीन को सबसे बड़ा दुश्मन बताते हुए कहा कि हम कब से चेतावनी दे रहे हैं कि चीन ने हमारे क्षेत्र पर कब्जा करना शुरू कर दिया है. लेकिन सरकार है कि सुनने को तैयार नहीं है|
पूर्व रक्षा मंत्री ने दावा किया कि चीन भारत के एक लाख वर्ग किलोमीटर भूभाग पर कब्जा कर चुका है और भारत सरकार कुछ नहीं कर रही है.|
कोयला घोटाले जैसे मुद्दे पर सरकार की प्रतिष्ठा दावं पर हो सकती है इसीलिए इस विषय पर बहस को टाला जाना समझ में आता है लेकिन चीन जैसे राष्ट्रवादी मुद्दे पर भी बहस से बचा जा रहा है इस गंभीर राष्ट्रवादी मुद्दे को मात्र अपनी सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किया जाना अपने आप में चिंताजनक है|

बलात्कार पीडिता बच्ची की आहों ने लोक सभा की पहले दिन की कार्यवाही को ठप्प कराया

संसद के बजट के दूसरे सत्र के पहले दिन ही विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों ने दिल्ली में कानून व्यवस्था के झंडे के साथ लोक सभा के वेल पर कब्जा कर बिजनेस ठप्प कर दिया जिसके फलस्वरूप संसद की कार्यवाही को पहले बारह बजे फिर दो बजे तक और फिर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया|
मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के साथ टी एम् सी और लेफ्टिस्ट के अलावा तेलंगाना समर्थक भी एक जुट दिखाई दिए|भाजपा ने , दिल्ली में गुडिया के साथ हुए जघन्य +घिनौना+विभत्स बलात्कार पर आपत्तिजनक बयान दिए जाने को लेकर , गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के इस्तीफे की मांग की |तेलंगाना के समर्थक भी प्ले कार्ड्स लिए हुए नारे लगा रहे थे|टी एम् सी के सांसद पिछले दिनों मुख्य मंत्री ममता बेनर्जी के साथ एस ऍफ़ आई के कार्यकर्ताओं द्वारा किये गए दुर्व्यवहार को लेकर नाराजगी जाहिर की| भाजपा पहले ही प्रश्न काल को स्थगित किये जाने की मांग दर्ज़ करवा चुकी थी |इस सब हंगामे के चलते बिजनेस ठप्प होता देख कर स्पीकर मीरा कुमार ने हाउस की कार्यवाही को सोमवार के लिए स्थगित कर दिया|

बिहार को विशेष राज्य का दर्ज़ा ही नितीश को चुनावी वैतरणी पार कराएगा


झल्ले दी झल्ल्लियाँ गल्लां

एक दुखी भाजपाई

ओये झल्लेया ये जे डी यू वालों पर कौन सी साडे सत्ती आ गई है |देखो ना बिहार में हमारे सहयोग से अच्छी खासी सरकार चला रहे हैं और अब हसाडी भाजपा को घरेड में डालने के लिए उलटी सीधी शर्ते रख रहे हैं| पहले कहा जा रहा था कि नरेन्द्र मोदी पी एम् के रूप में स्वीकार्य नहीं है और अब पी एम् डिक्लेयर करने के लिए आठ महीने का नोटिस दे दिया गया है|अब पी एम् भी इन्हें टोपी पहनने वाला साफ धर्म निरपेक्ष छवि का होना चाहिए| इन्होने तो हमारे सहयोग से सत्ता सुख भोगते हुए भी हसाडे मुख्य मंत्रियों के पीठ पर छुरा घोंप दिया है|अपने विकास की तो कोई बात कही नहीं उलटे नरेन्द्र मोदी के विकास को लेकर स्यापा डाला जा रहा है| इनके वड्डे नेता शरद यादव को अब सिद्धांतों की राजनीती याद आ रहे है और इनके मुख्य मंत्री बाबू नितीश कुमार ने एक बार भी केंद्र सरकार की नीतियों कि आलोचना तक नहीं की| ओये ऐसे चलता है कोई गठ बंधन भला ?

बिहार को विशेष राज्य का दर्ज़ा ही नितीश को चुनावी वैतरणी पार कराएगा

बिहार को विशेष राज्य का दर्ज़ा ही नितीश को चुनावी वैतरणी पार कराएगा

झल्ला

ओ मेरे भोले सेठ जी बिहार को विशेष राज्य का दर्ज़ा ही नितीश को चुनावी वैतरणी पार कराएगा |इसके लिए यूं पी ऐ को खुश करना जरुरी है और इसके लिए नरेन्द्र मोदी की टांग खींचने का मन्त्र जांचा परखा है |पीएम प्रत्याशी घोषित करने की तो आपकी पार्टी में परंपरा रही है। आपने बाबू जगजीवन राम के नाम का एलान किया था ये बात अलग है कि आप कि पार्टी का सुपडा साफ़ हो गया था| आपने लाल कृषण आडवाणी को पी एम् इन वेटिंग बनाया तो सत्ता तक पहुंचते पहुंचते रह गए| अब जबकि नमो मंत्र कामयाब होता दिख रहा है तो इसे भी गद्धिगेड में डाला जा रहा है|झल्ले विचारानुसार तो नितीश बाबू अपने भाषण में अपनी सरकार की उपलब्द्धि का बखान नहीं कर पाए शायद इसीलिए अब कांग्रेस को खुश करने के लिए नरेन्द्र मोदी की राह में रोड़े डाल रहे हैं |हो सकता है की उनको यह लग रहा हो कि यदि केंद्र सरकार खुश हो गई तो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल सकेगा और अगर यह हो गया तो इसके सहारे २० सांसदों वाली इनकी जे डी यू द्वारा २०१४ की चुनावी वैतरणी को आसानी से पार कर लिया जाएगा|

श्याम धन पर केंद्र सरकार के श्वेत पत्र पर अपने ब्लॉग में लाल पीले हुए एल के अडवाणी

श्याम धन पर केंद्र सरकार ने संसद में बेशक श्वेत पत्र रख कर अपने ऊपर लगे काले दागों को धोने का प्रयास किया हो लेकिन इस संसदीय घटना के एक साल बीत जाने पर भी अवैध ढंग से विदेशों में जमाबिना किसी रंग के धन में से एक पैसा भी वापस देश में नही लाया जा सका है |इस निराशाजनक स्थिति पर लाल पीले होते हुए लाल कृषण आडवाणी ने अपने ब्लाग में राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग करते हुए एक बार फिर केंद्र सरकार के भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने का प्रयास किया है|
प्रस्तुत है एन डी ऐ के पी एम् इन वेटिंग + वरिष्ठ पत्रकार एल के अडवाणी के ब्लॉग से
मई, 2012 में तत्कालीन वित्त मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी ने काले धन पर एक श्वेत पत्र (White Paper) संसद में प्रस्तुत किया। इस श्वेत पत्र में यूपीए सरकार ने वायदा किया कि देश में काले धन के प्रचलन को नियंत्रित किया जाएगा, विदेशों के टैक्स हेवन्स में इसके अवैध हस्तांतरण को रोकने के साथ-साथ हमारी इस अवैध धनराशि को भारत वापस लाने के प्रभावी उपाय सुनिश्चित किए जाएंगे।
मई, 2013 इस महत्वपूर्ण दस्तावेज के प्रस्तुत करने की पहली वर्षगांठ है। अत: सर्वप्रथम यह जानना समीचीन होगा कि इस श्वेत पत्र को सरकार को क्यों लाना पड़ा और आज तक इस पर कार्रवाई के रूप में क्या कदम उठाए गए हैं।
पांच वर्ष पहले से, भाजपा लगातार काले धन के मुद्दे को मुखरित करती आ रही है। जब सन् 2008 में पहली बार इसे उठाया गया तब कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ताओं ने इसकी खिल्ली उड़ाई थी। हालांकि 6 अप्रैल, 2008 को मैंने प्रधानमंत्री डॉ0 मनमोहन सिंह को सम्बोधित अपने पत्र मे मैंनें लिखा था:
हाल ही में, जर्मन सरकार ने अपने देश में टैक्स चोरी करने वालों के विरुध्द एक व्यापक जांच अभियान शुरु किया है, और इस प्रक्रिया में जर्मन गुप्तचर एजेंसियों को बताते हैं कि लीशेंस्टाइन के एलटीजी बैंक से उसके 1400 से अधिक ग्राहकों की गोपनीय जानकारी मिली है। इनमें से 600 जर्मनी के हैं और शेष अन्य देशों से सम्बंधित हैं।
इन रहस्योद्धाटनों से पहले ही डायचे पोस्ट-पूर्व जर्मनी मेल सर्विस-दुनिया में एक बड़ी लॉजिस्टिक कम्पनी-के प्रमुख का त्यागपत्र हो चुका है।
जर्मन वित मंत्रालय ने बताते हैं कि सार्वजनिक रुप से घोषणा की है कि वह किसी भी सरकार को यदि वे चाहती हैं तो बगैर किसी शुल्क के जानकारी उसे देने को तैयार हैं।
फिनलैण्ड, नार्वे और स्वीडन जैसे कुछ यूरोपीय देशों ने यह जानकारी पाने में पहले ही अपनी रुचि दिखाई है।
इन घटनाक्रमों के साथ-साथ, ऐसी भी रिपोर्ट आ रहीं हैं कि स्विटज़रलैण्ड पर यह दबाव भी बन रहा है कि वह टैक्स से चुरा कर उनके बैंको में जमा कालेधन को एक अपराध माना जाए और वह ऐसे धन का पता लगाने के लिए अन्य देशों से सहयोग करने हेतु अपने आंतरिक नियमों को बदले।
मैं मानता हूं कि भारत सरकार अपनी उपयुक्त एजेंसियों के माध्यम से जर्मन सरकार से अनुरोध करे वह एलटीजी के ग्राहकों का डाटा हमें बताए। हमारी सरकार को यूरोपीय सरकारों द्वारा स्विट्ज़रलैण्ड तथा अन्य टैक्स हेवन्स विशेषकर अन्य देशों से सम्बंधित जमा राशि की बैंकिग पध्दति में और ज्यादा पारदर्शिता लाने के संभावित आगामी कदमों को समर्थन देना चाहिए।
यदि हम जर्मनी से एलटीजी ग्रुप के ग्राहकों का सम्बंधित डाटा मांगते हैं तो यह हमारी उस स्थिति को पुन: मजबूत करेगा कि हम उन राष्ट्रों के समुदाय के जिम्मेदार सदस्य हैं जो वित्तीय प्रामाणिकता और पारदर्शी नियमों के पक्षधर हैं। यह भविष्य में, इन टैक्स हेवन्स की कार्यप्रणाली से कुछ अवांछनीय पहलुओं को समाप्त कर वैश्विक वित्तिय प्रणाली को स्वच्छ बनाने में हमारी सहभागिता का मार्ग प्रशस्त करेगा।
सम्भवत: प्रधानमंत्री के निर्देश पर वित्त मंत्री श्री चिदम्बरम ने मई, 2008 में इसके उत्तर में लिखा कि उनकी सरकार इस मुद्दे पर जर्मनी के टैक्स ऑफिस से सम्पर्क कर प्रयास कर रही है।
मार्च, 2010 में मैंने इस विषय पर लिखे अपने ब्लॉग में लीशेंस्टाइन के एलटीजी बैंक प्रकरण की याद दिलाते हुए सरकार से आग्रह किया था कि वह औपचारिक रुप से काले धन पर एक विस्तृत श्वेत पत्र प्रकाशित करे।
इस बीच भाजपा ने इस विषय के अध्ययन हेतु एक चार सदस्यीय टास्क फोर्स (कार्यदल) का गठन किया। विभिन्न स्रोतों से प्राप्त सामग्री का अध्ययन करने के पश्चात् यह टास्क फोर्स इस निष्कर्ष पर पहुंची कि विदेशों में अवैध ढंग से जमा भारतीयों का धन अनुमानतया 25 लाख करोड़ से 70 लाख करोड़ रूपये के बीच होगा।
जब तक पश्चिमी प्रभुत्व वाली विश्व अर्थव्यवस्था अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों के लिए ठीक ठाक चल रही थी जब तक समूचे विश्व को लगता था कि इन टैक्स हेवन्स के बैंकिग गोपनीयता सम्बन्धी प्रावधानों से कोई दिक्कत नहीं है। उस समय ऐसा महसूस किया जाता था कि इन देशों के कानूनों के बारे में कुछ नहीं किया जा सकता। लेकिन विश्व अर्थव्यवस्था के संकट से न केवल राष्ट्रपति ओबामा अपितु ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे अनेक यूरोपीय देशों के रुख में बदलाव आया और उन्होंने एकजुट होकर इन देशों के बैंकिग गोपनीय कानूनों में बदलाव के लिए दृढ़ प्रयास किए।
सन् 2009 में वाशिंगटन ने यूबीएस जैसे स्विट्जरलैंड के बड़े बैंक को उन 4450 अमेरिकी ग्राहकों के नाम उद्धाटित करने पर बाध्य किया, जिन पर स्विट्ज़रलैंड में सम्पत्ति छिपाने का संदेह था।
सन् 2009 के लोकसभाई चुनावों में भाजपा ने काले धन को चुनावी मुद्दा बनाया। स्वामी रामदेव जैसे संन्यासियों ने अपने प्रवचनों में लगातार इसे प्रचारित किया। फाइनेंसियल टाइम्स में ”इंडियंस कर्स ऑफ ब्लैकमनी” शीर्षक से प्रकाशित लेख के लेखक रेमण्ड बेकर (निदेशक, ग्लोबल फाइनेंशियल इंटेग्रिटी) ने लिखा है कि: ”भारत ने दिखा दिया है कि यह मुद्दा मतदाताओं को छूता है। अन्य विकासशील लोकतंत्र के राजनीतिज्ञों को इसे ध्यान में रखना समझदारी होगी।”
अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में आर्थिक संकट ने इन देशों को इस तथ्य के प्रति सचेत किया कि भ्रष्टाचार, काला धन इत्यादि न केवल राष्ट्र विशेष की समस्या है अपितु यह दुनिया के लोकतंत्र, कानून के शासन और सुशासन के लिए भी चुनौती है। इसलिए सन् 2004 में संयुक्त राष्ट्र के ड्रग्स और क्राइम कार्यालय (United Nations Office on Drugs and Crime) द्वारा भ्रष्टाचार के विरुध्द एक विस्तृत कन्वेंशन औपचारिक रुप से अंगीकृत किया गया था। 56 पृष्ठीय दस्तावेज में संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्कालीन महासचिव श्री कोफी अन्नान की सशक्त प्रस्तावना थी, जो कहती है:
भ्रष्टाचार एक घातक प्लेग है जिसके समाज पर बहुव्यापी क्षयकारी प्रभाव पड़ते हैं:
इससे लोकतंत्र और कानून का शासन खोखला होता है।
मानवाधिकारों का हनन होता है।
बाजार का विकृतिकरण।
जीवन की गुणवत्ता का क्षय होता है, और
संगठित अपराध, आतंकवाद और मानव सुरक्षा के प्रति खतरे बढ़ते हैं।
भ्रष्टाचार के विरुध्द इस कन्वेंशन के अनुच्छेद 67 के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश दिसम्बर, 2005 तक इसे स्वीकृति देंगे, तत्पश्चात् शीघ्र ही सम्बंधित देश इसे पुष्ट करेंगे और स्वीकृति पत्र संयुक्त राष्ट्र के महासचिव के पास जमा कराएंगे।
सन् 2010 में यूपीए सरकार ने इस मुद्दे को औपचारिक रुप से ध्यान में लेते हुए उस वर्ष के संसद के बजट सत्र में होने वाले राष्ट्रपति के पारम्परिक अभिभाषण में इसका उल्लेख करते हुए कहा ”भारत कर सम्बंधी सूचना के आदान-प्रदान को सुगम बनाने तथा कर चोरी की सुविधा देने वाले क्षेत्रों के खिलाफ कार्रवाई करने सम्बन्धी वैश्विक प्रयासों में सक्रिय भागीदारी निभा रहा है।”
सन् 2011 के अंतिम महीनों में भाजपा द्वारा आयोजित जन चेतना यात्रा ने तीन मुद्दों पर जोर दिया: महंगाई, भ्रष्टाचार और काला धन। सन् 2008 के कामॅनवेल्थ खेलों, भ्रष्टाचार और मंहगाई मीडिया के साथ-साथ संसद में सभी राजनीतिक चर्चाओं में प्रमुख स्थान पर रहे, परन्तु मैंने पाया कि यात्रा के दौरान जब भी मैं सभाओं को सम्बोधित करता था तो काले धन के मुद्दे पर जनता की प्रतिक्रिया बहुत ज्यादा अनुकूल रहता था।
सन् 2011 की जनचेतना यात्रा मेरी अब तक की यात्राओं की कड़ी में ताजा यात्रा थी। चालीस दिनों तक यह चली। देश के प्रत्येक प्रदेश और सभी संघ शासित प्रदेशों में मुझे जाने का अवसर मिला। आम धारणा है कि 1990 की मेरी पहली यात्रा-सोमनाथ से अयोध्या तक की, जो समस्तीपुर में रुक गई थी-को सर्वाधिक समर्थन मिला। अक्सर यह भी कहा जाता है कि इतना उत्साह इसलिए उमड़ा कि उसका मुद्दा मुख्य रुप से धार्मिक यानी राम मंदिर था। लेकिन मैं यहां उल्लेख करना चाहूंगा कि मेरी दो यात्राएं-1997 की स्वर्ण जयंती रथ यात्रा और 2011 की जन चेतना यात्रा को अभी तक सर्वाधिक समर्थन मिला है। ये दोनों सुशासन और लोगों की आर्थिक भलाई से जुड़ी थीं!
16 मई, 2012 को संसद में कालेधन पर प्रस्तुत श्वेत पत्र के आमुख में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने स्वीकार किया कि 2011 में ”भ्रष्टाचार और कालेधन के मुद्दों पर जनता की आवाज सामने आई।”
अपनी प्रस्तावना में श्री प्रणव मुखर्जी ने यह भी कहा:
”मुझे अत्यन्त प्रसन्नता होती यदि मैं उन तीनों प्रमुख संस्थानों जिन्हें काले धन की मात्रा और आकार पता लगाने के लिए कहा गया है, की रिपोर्टों के निष्कर्षों को भी इस में शामिल कर पाता। ये रिपोटर् इस वर्ष के अंत तक मिलने की उम्मीद है। फिर भी मैंने इस दस्तावेज को इसलिए रखा है कि संसद में इस हेतु आश्वासन दिया गया था।”
प्रणव दा ने इस श्वेत पत्र को इसलिए प्रस्तुत किया कि भाजपा ने इसकी मांग की थी, उन्होंने स्वीकारा:
”इसमें कोई संदेह नहीं कि हमारे जीवन के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में काले धन के प्रस्फुटीकरण का असर शासन के संस्थानों और देश में जननीति के संचालन पर पड़ता है। प्रणाली में शासन का अभाव और भ्रष्टाचार गरीबों को ज्यादा प्रभावित करता है। समावेशी विकास रणनीति की सफलता मुख्य रुप से हमारे समाज से भ्रष्टचार की बुराई के खात्मे और काले धन को जड़ से उखाड़ फेंकने की क्षमता पर निर्भर करती है।”
मुझे दु:ख है कि श्वेत पत्र पर कार्रवाई निराश करने वाली है।
उन तीन प्रमुख संस्थानों ने जिन्हें कालेधन की मात्रा पर रिपोर्ट देनी थी, ने अभी तक अपनी रिपोटर् नहीं सौपी हैं। न केवल अमेरिका, जर्मनी जैसे अधिक शक्तिशाली राष्ट्रों अपितु नाइजीरिया, पेरु और फिलीपीन्स जैसे छोटे देश भी टैक्स हेवन्स से अपनी अवैध लुटी सम्पत्ति को वापस पाने में सफल रहे हैं। दूसरी तरफ, भारत में हमें कुछ रिपोटर् देखने को मिली हैं जिनमें वे नाम हैं जिन पर स्विस बैंकों या ऐसे अन्य टैक्स हेवन्स में खाते रखने का संदेह है। लेकिन यह सुनने को नहीं मिला है कि अवैध ढंग से विदेशों में ले जाए धन में से एक पैसा भी वापस देश में लाया जा सका है।
श्री प्रणव मुखर्जी जो श्वेत पत्र प्रस्तुत करने के समय की तुलना में आज, ज्यादा निर्णायक भूमिका में हैं, से मैं अनुरोध करता हूं कि वे श्वेतपत्र में जनता से किए गए वायदे को सरकार द्वारा अक्षरश: पूरा करवाएं।

राजीव गाँधी की स्वीडिश कंपनी के साथ सांठ गाँठ के विक्लिक्स के खुलासे की प्रभावी जाँच नहीं होगी :मनीष शिशोदिया ;कांग्रेस ने खंडन किया

सनसनी खेज ख़बरों को लीक करने में माहिर हो चुके विकिलीक्स ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी[स्वर्गीय]पर स्वीडिश कम्पनी के लिए

इन साइडर

का काम करने का आरोप लगाया है| विक्लिक्स ने दावा किया है कि इंडियन एयरलाइन्स में काम करते हुए राजीव गांधी स्वीडन की एक कंपनी के लिए एजेंट का काम भी करते थे| इस पर टिपण्णी करते हुए आम आदमी पार्टी ने कहा है कि जन लोक पाल के नहीं होने से इस आरोप की भी जांच की खाना पूरी करके इसे भी ठन्डे बसते में डाल दिया जाएगा|
आप के वरिष्ठ नेता मनीष शिशोदिया के अनुसार जांच एजेंसियों में न्युक्तियों में सांठ गाँठ हो रहे है इसी लिए जांच एजेंसियां सरकार में बैठे प्रभावी नेताओं के हितो की रक्षा में लगी हुई हैं | प्रभावी जन लोक पाल नहें होने से कोई भी प्रभावी जांच नहीं हो पायेगी|
गौरतलब है कि एक अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ ने विक्लिक्स के हावाले से खबर छापी है कि स्वीडन की साब स्कानिया कंपनी के साथ राजीव गांधी जुड़े हुए थे. हालांकि राजीव के प्रयासों के बावजूद भी वोह सौदा नहीं हो सका था. विमान खरीद कि उस रेस में ब्रिटिश कंपनी जुगआर ने बाजी मार ली थी.

जार्ज फर्नाडीज

विकिलीक्स ने सीआईए से पैसे लेने पर भी समाजवादी नेता जॉर्ज फर्नांडिस को भी लपेटा है| श्री मति इंदिरा गांधी के आपात काल[इमरजेंसी] से लड़ने के लिए जॉर्ज फर्नांडिस ने फ्रांसीसी सरकार [सी आई ऐ]से भी मदद मांगीथी|.

कांग्रेस ने किया खुलासे का खंडन

विकिलीक्स द्वारा देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को लेकर किए गए खुलासे को कांग्रेस पार्टी ने खारिज कर दिया है. कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने कहा है कि विकिलीक्स के आरोपों में कोई दम नहीं है. जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि आज एक प्रतिष्ठित अखबार ने अजीब सी खबर छापी है. मैं इसे लेकर निराश हूं. उन्होंने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इसी रिपोर्ट में नीचे की पंक्तियों में लिखा है कि इन दावों की पुष्टि करने वाला कोई नहीं था तो यह खबर यहीं आधारहीन हो जाती है|

एक्टिविस्ट लोकायुक्त की लटकती तलवार से बचाव के लिए गुजरात में ढाल के रूप में बिल पास कराया तो सबको गुस्सा आया


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक बेचारा दुखी भाजपाई

ओये झल्लेया हसाड़े सोणे नरेन्द्र मोदी के खिलाफ ये क्या षड्यंत्र रचा जा रहा है?जो कुछ भी करने लगते हैं कांग्रेस और मीडिया वाले अपना खाना पीना सब छोड़ छाड़ कर बेचारे मोदी के पीछे ही पड जाते हैं| मोदी को हमने अपनी पार्टी के केंद्र में लिया तो इनके पेट में मरोड़ उठने लगे |अब देखो सुप्रीम कोर्ट और गवर्नर के आदेशों का पालन करते हुए गुजरात में लोकायुक्त को शक्तिशाली और प्रभावी बनाने के लिए लोकायुक्त बिल पास कराया तो इसे लोक तंत्र पर ही खतरा बता दिया गया|ओये छान तो बोले सो बोले लेकिन छन्नी भी बोली जिसमे सैंकड़ो छेद |इस कांग्रेस ने केंद्र में जन लोकपाल बिल का जिस तरह मजाक बनाया उसे देश अभी तक भूला नहीं है |अब ये लोग हमें ही निशाना बना रहे हैं|कहा जा रहा है कि गुजरात में लोकायुक्त की नियुक्ति में अब राज्यपाल की कोई भूमिका नहीं रह गई है।
भाई हमने गुजरात में अब लोकायुक्त के अलावा चार उप−लोकायुक्त भी बना दिए हैं|इनका अनुमोदन सुप्रीम कोर्ट द्वारा किया जाएगा|
जो प्रक्रिया केन्द्र सरकार लोकपाल की नियुक्ति के लिए अपना रही है वही प्रक्रिया गुजरात सरकार लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए अपना रही है इस पर भी इन्हें ऐतराज है| ओये पहले कहा जाता था कि समरथ को नहीं दोष गुसाईं लेकिन अब तो समरथ राजनीतिक मोदी में ही सारे अवगुण तलाशे जा रहे हैं |ओये ये लोग गोस्वामी तुलसी दास जी से भी बड़े हो गए

एक्टिविस्ट लोकायुक्त की लटकती तलवार से बचाव के लिए गुजरात में ढाल के रूप में बिल पास कराया तो सबको गुस्सा आया

एक्टिविस्ट लोकायुक्त की लटकती तलवार से बचाव के लिए गुजरात में ढाल के रूप में बिल पास कराया तो सबको गुस्सा आया

झल्ला

ओ मेरे सेठ जी जो आप दिखाना चाह रहे हो वैसा सब कुछ नहीं है| दरअसल राज्यपाल कमला बेनीवाल ने न्यायाधीश आर ऐ मेहता को लोकायुक्त बना कर मुख्य मंत्री को चुनौती दी है|ये न्यायाधीश महोदय गुजरात में मोदी के खिलाफ काम कर रहे एक्टिविस्ट के सहयोगी रहे हैं|इसीलिए अपने ऊपर लटक रहे इस एक पक्षीय तलवार से बचने के लिए मोदी ने ढाल के रूप में लोकायुक्त बिल पास करा लिया है| अब तलवार और ढाल का तो पुराना रिश्ता रहा है|जहां तलवार होगे वहां ढाल भी जरुरी है|

मेरठ में एयर पोर्ट के लिए केन्द्रीय मंत्रालय और प्रदेश सरकार में अहम् लड़ाई की समाप्ति के लिए पी एम् आगे आएं

मेरठ में एयर पोर्ट के लिए केन्द्रीय मंत्रालय और प्रदेश सरकार में अहम् लड़ाई की समाप्ति के लिए पी एम् आगे आएं

मेरठ में एयर पोर्ट के लिए केन्द्रीय मंत्रालय और प्रदेश सरकार में अहम् लड़ाई की समाप्ति के लिए पी एम् आगे आएं

भाजपा के सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने मेरठ एयर पोर्ट के लिए सेंट्रल सिविल एविएशन मंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव में चल रही अहम् की लड़ाई समाप्त करवाने के लिए प्रधान मंत्री डाक्टर मन मोहन सिंह को बीते सप्ताह पत्र लिखा है|
मेरठ से सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने बताया कि केन्द्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री में इगो प्राब्लम के चलते मेरठ में एयर पोर्ट का निर्माण अधर में अटका हुआ है जिसके फलस्वरूप छेत्र का विकास भी रुका हुआ है|सांसद ने बताया कि पार्लियामेंट सेशन में उन्होंने मेरठ में एयर पोर्ट के लिए तीन बार आवाज उठाई थी और सोभाग्य से स्पीकर महोदय ने उसे स्वीकार भी कर लिया था लेकिन उस अवधि में लगातार सांसद की कार्यवाही बाधित की जाती रही इसीलिए अब पी एम् को पत्र लिख कर एयर पोर्ट के निर्माण के लिए दखल देने का आग्रह किया है|गौर तलब है कि सिविल एविएशन मंत्रीराष्ट्रीय लोक दल [रालोद]के सुप्रीमो हैं और मुख्य मंत्री समाजवादी पार्टी से हैं|रालोद सरकर को भीतर से और समाजवादी बाहर से समर्थन दे रही है|इसके उपरान्त भीयहाँ उपलब्ध हवाई पट्टी [डा. भीम राव आम्बेडकर ] का विस्तार करके एयर पोर्ट का निर्माण नहीं किया जा रहा |विकास की यह बाल एक दूसरे की कोर्ट में जान बूझ कर धकेली जा रही है|
सांसद ने अपने छेत्र में एयर पोर्ट के लिए इस प्रकार कि टाल मटोली पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि मेरठ के विकास के लिए यहाँ एयर पोर्ट बनाया जाना बेहद जरुरी है|इस गतिरोध को दूर करने के लिए विकास के हिमायती प्रधान मंत्री को प्रभावी कदम उठाने चाहिए |