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डॉ हर्षवर्धन का डॉक्टरों से गांवों+पहाड़ी इलाकों में छुट्टियां मनाने और मरीजों की सेवा का आह्वाहन

[नई दिल्ली ]डॉ हर्षवर्धन ने डॉक्टरों से लीक से हटकर गांवों+पहाड़ी इलाकों में मरीजों की सेवा करने का आह्वाहन किया केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हषर्वर्धन ने देश की स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए सभी विशेषज्ञ डॉक्टरों से ‘लीक से हटकर सोचने’ को कहा और अपील की कि वह कम से कम एक छोटी समयावधि देश के गांवों एवं पहाड़ी इलाकों में मरीजों की सेवा में बिताएं।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने चिकित्‍सकों से ‘अवकाश के दिन काम’ करने की मार्मिक अपील की
डॉक्‍टर हर्षवर्धन ने सिमुलेशन को चिकित्‍सा की पढ़ाई में साधन के तौर पर अपनाने को कहा
केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने मेडिकल कॉलेजों के प्राध्‍यापकों से सिमुलेशन को प्रशिक्षण के एक साधन के तौर पर अपनाने की अपील की है। व्‍याख्‍यान और प्रयोगों के जरिए चिकित्‍सा शिक्षा और समस्‍या आधारित पढ़ाई के बीच पुल के तौर पर इसके महत्‍व को पूरी दुनिया में स्‍वीकार किया जा रहा है।
स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने आज यहां सोसायटी ऑफ कार्डिएक-अनेस्थिसियोलॉजी के पांचवें वार्षिक सम्‍मेलन का उदघाटन करते हुए कहा, ‘हम पुराने पड़ चुके चिकित्‍सा पाठ्यक्रम नहीं चाहते हैं।
हमारे चिकित्‍सकों ने 20वीं शताब्‍दी के दौरान दुनियाभर में अपना लोहा मनवाया है। इस प्रतिष्‍ठा को बनाए रखने के लिए हमारे चिकित्‍सा शिक्षा नियोजकों को समय के साथ बदल जाना चाहिए।
उन्‍होंने यह स्‍वीकार किया कि ‘वयस्‍क’ सिमुलेशन उपकरण काफी मंहगे हो सकते है इसलिए कुछ ही संस्‍थान इन्‍हें खरीद सकते है। वैसे, बच्‍चों के लिए इस प्रकार के उपकरण विकसित किये जा रहे है। सिमुलेशन मैनिक्‍वीन (पुतला) जैसे कम कीमत के विकल्‍प भी हैं। उन्‍होंने कहा कि इसके लिए सरकार सहायक योजनाओं के जरिए चरणबद्ध तरीके से कदम बढ़ा सकती है।
मंत्री ने अपने संबोधन में देश में एनेस्‍टेसटीक विशेषज्ञों की भारी कमी के बारे में भी बताया। उन्‍होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में इसके कारण शि‍शु और मातृ मृत्‍यु दर अधिक है। उन्‍होंने कहा कि प्रशिक्षित एनेस्‍थीस्ट की अनुपस्थिति में सिजेरियन तरीके से बच्‍चों का जन्‍म असंभव है। उनका मानना है कि चिकित्‍सक परंपरागत तरीकों को छोड़कर महत्‍वपूर्ण उपाय सुझाएं। डॉक्‍टर हर्षवर्धन ने कहा कि इतने बड़े स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र की समस्‍याओं के लिए असाधारण समाधान की जरूरत है।
इस संदर्भ में उन्‍होंने देश के पहाड़ी राज्‍यों की समस्‍या के बारे में बताया जहां राज्‍य सरकारों को लोगों के लिए दूसरी और चौथी स्‍तर की देखभाल उपलब्‍ध करवाने में परेशानियों का सामना करना पडता है। उन्‍होंने कहा कि विशेषज्ञ चिकित्‍सकों द्वारा अवकाश के दिन काम करने से इस समस्‍या से निपटा जा सकता है।
डॉक्‍टर हर्षवर्धन ने बताया कि उनकी हाल की मसूरी यात्रा के दौरान उन्‍हें पहाड़ी क्षेत्रों में सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली में खामियों के बारे में पता चला। हालांकि मसूरी उत्‍तरी भारत के सबसे महत्‍वपूर्ण पर्यटक स्‍थलों में से एक है, इसके बावजूद स्‍थानीय लोगों के लिए यहां केवल दो छोटे सरकारी अस्‍पताल हैं जहां कुछ ही प्रशिक्षि‍त चिकित्‍सक हैं। मंत्री महोदय ने कहा कि विशेषज्ञ चिकित्‍सकों के अभाव में कई लोगों की मृत्‍यु हो जाती है। इस समस्‍या के समाधान के लिए परंपरागत तरीकों को छोड़कर नए उपाय करने चाहिए।
केंद्रीय मंत्री ने विशेषज्ञ चिकित्‍सकों से आग्रह किया कि वे राज्‍य सरकार के मेहमान के तौर पर पहाड़ों का दौरा करें। विश्राम करने के साथ-साथ वे हृदय रोग, स्‍त्री रोग, स्‍नायु विशेषज्ञ के तौर पर स्‍थानीय लोगों को अपनी सेवाएं दे सकते हैं और अपने परिवार के साथ राज्‍य सरकार की मेहमाननवाजी का मजा भी ले सकते हैं। उन्‍हें इसे अपनी सेवा में विस्‍तार के रूप में देखना चाहिए।
मंत्री महोदय ने कहा कि वे जल्‍द ही इस बारे में राज्‍य सरकारों को सुझाव देगें। उन्‍होंने कहा कि एक अस्‍पताल खोलने से बड़ी चुनौती जरूरत के समय उन अस्‍पतालों में लोगों का पहुंचना है।
इस सम्‍मेलन में देश-विदेश के चिकित्‍सा क्षेत्र के जाने-माने व्‍यक्ति उपस्थित थे। इनमें मेडिसन और कार्डियो वास्‍कूलर रोग के प्रोफेसर डॉक्‍टर नवीन सी नंदा, एनेस्‍थीसियोलाजी के प्रोफेसर, मिनेसोटा विश्‍वविद्यालय यूएसए के डॉक्‍टर कुमार बेलानी, फोर्टिस हेल्‍थ केयर के डॉक्‍टर बिष्‍नु पाणीग्रही, कार्डियोला‍जिकल सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्‍यक्ष, डॉक्‍टर एचके चोपड़ा, सीमेलेशन सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्‍यक्ष डॉक्‍टर यतिन मेहता, सम्‍मेलन की आयोजन सचिव डॉक्‍टर पूनम मल्‍होत्रा और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान के निदेशक डॉक्‍टर एम सी मिश्रा शामिल हों।
फाइल फोटो