Ad

Tag: DrManMohanSingh

क्रूसेडर+एक्सिडेंटल पी एम अर्थ शास्त्री किताबों के कीड़े हैं इनपर “राजनीतिक” किताबी बम्ब फोड़े जा रहे हैं ये अच्छी बात नहीं है

झल्ले दी झल्लियां गल्लाँ

भाजपाई चीयर लीडर

ओये झल्लेया अब तो मानता है ना कि हम डॉ मन मोहन सिंह को कमजोर प्रधान मंत्री कहतेथे ठीक ही कहते थे अब तो उनके अपने सचिव और पत्रकार ने भी हसाडे आरोपों पर अपनी सहमति की मोहर लगा दी है|पीसी पारख और संजय बारु ने दो किताबें छाप कर यह साबित कर दिया कि केंद्र की सरकार का दूसरा केंद्र १० जनपथ में हैं और कोयला घोटाले की रोकथाम के लिए बेचारे प्रधान मंत्री की एक नहीं चलने दी गई |अब ये कांग्रेसी क्रूसेडर एक्सिडेंटल पी एम को कांस्पिरेटर बताने में जुटे हुए हैं |

झल्ला

ओ मेरे सेठ जी दोबारा पी एम नहीं बनने की घोषणा कर चुके सोणे ते मन मोहने को इन किताबों से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला हाँ चुनावों के दौर में इन किताबों को बेस्ट सेलर का खिताब जरूर मिल सकता है| वैसे डॉ मन मोहन सिंह किताबों के पुराने कीड़े हैं ये और बात है कि अर्थ शास्त्र की किताबों के कीड़े हैं इसके बावजूद सोणे पी एम पर आर्थिक बम्ब के बजाय क्रूसेडर ऑर कांस्पिरेटर कोलगेट एंड अदर ट्रूथ “+ “एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर “किताबों के माध्यम से “राजनीतिक” बम्ब फोड़े जा रहे हैं ये अच्छी बात नहीं है | बोले तो क्रूसेडर+एक्सिडेंटल पी एम अर्थ शास्त्री किताबों के कीड़े हैं इनपर “राजनीतिक” किताबी बम्ब फोड़े जा रहे हैं ये अच्छी बात नहीं है

बहुमुखी प्रतिभा वाले मन्ना डे के गायन की अनूठी शैली सदैव याद रखी जाएगी:राष्ट्रपति ,प्रधान मंत्री का शोक सन्देश

राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने पार्श्व गायक श्री मन्‍ना डे के निधन पर गहरा दुख व्‍यक्‍त किया है।
मन्ना डे की पुत्री श्रीमती शुमिता देब को भेजे शोक संदेश में राष्ट्रपति ने कहा है, ”श्री मन्ना डे के निधन से राष्ट्र ने अपने अनुभवी पार्श्व गायक, असाधारण योग्यता वाले बहुमुखी प्रतिभासंपन्न और अपनी जादुई आवाज से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देने वाले बेहतरीन प्रतिभाशाली कलाकार को खो दिया है। बहुमुखी प्रतिभा वाले इस गायक के गायन की अनूठी शैली सदैव याद रखी जाएगी। विभिन्न भाषाओं में गाए गए उनके सुरीले गीत संगीत प्रेमियों को हमेशा मोहित करते रहेंगे।
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने विख्‍यात गायक के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा
”सुर सम्राट श्री मन्‍ना डे के निधन से मुझे गहरा दुख पहुंचा है। वे बेजोड़ आवाज वाले बेहतरीन गायक थे, वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी और रबीन्‍द्र संगीत तथा लोकप्रिय संगीत की कई अन्‍य शैलियों में पारंगत थे। उन्‍होंने देशभर में लाखों प्रशंसकों का मनोरंजन किया और उनके निधन से संगीत जगत ने अपने सर्वाधिक प्रतिभाशाली कलाकारो में से एक को खो दिया है। हालांकि डे की विरासत उनके द्वारा स्‍वरबद्ध किए अनेक गानों के माध्‍यम से हमेशा जीवित रहेगी। मैं उनके परिवार के प्रति संवेदना व्‍यक्‍त करता हूं।”

P M sanctioned Rs.2 lakh each For The Victims Of stampede In Datia District, Madhya Pradesh.

The Prime Minister Dr Manmohan Singh had expressed his deep anguish over the loss of lives in the stampede on 13-10-2013 at Ratangarh Mata Temple in Datia District, Madhya Pradesh.
The Prime Minister has since, after clearance from the Election Commission of India, sanctioned an ex-gratia of Rs. 2 lakh each to the next of kin of the deceased and Rs. 50,000/- each to the seriously injured persons from the Prime Minister`s National Relief Fund.

डॉ मनमोहन सिंह की भावुक अपील ,दीपावली पर उन्हें उपहार न भेजें वरन राष्ट्रीय राहत कोष में दान दें

प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने अपने शुभचिंतकों से इस दीपावली के मौके पर उन्हें उपहार भेजने की बजाय प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय राहत कोष में दान देने की भावुक अपील की है।पी एम् ओ से जारी इस अपील में कहा गया है, कि डॉ मन मोहन सिंह को दीपावली के शुभ अवसर पर स्नेह स्वरुप उपहार ना देकर प्रधान मंत्री के राष्ट्रीय राहत कोष [National Relief Fund ]में दान देने का आग्रह किया गया है।(He has appealed to his well wishers to make donations to the Prime Minister`s National Relief Fund instead of sending gifts for him). पी एम् ने उन सभी लोगों को धन्यवाद भी दिया है जो उन्हें दीपावली के मौके पर उपहार और शुभकामनाएं देते आए हैं।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में उत्तराखंड+ओडिशा+आंध्र प्रदेश प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रहे हैं इन राज्यों में बड़े स्तर पर पुनर्वास और राहत कार्य किए जा रहे जिसके लिए राष्ट्रीय राहत कोष से सहायता उपलब्ध कराई जा रही है

डॉ. मनमोहन सिंह ने चण्डीगढ़ के निकट धानस में JNNURM के 8000 मकानों को झुग्गी झोपड़ीवासियों को सौंपें

प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आज चण्डीगढ़ के निकट धानस में जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन-जेएनएनयूआरएम के अंतर्गत स्लम पुनर्वास कार्यक्रम के तहत बनाए गए फ्लैटों का कब्जा लाभार्थियों को सौंपा। इस अवसर पर उन्होंने चण्डीगढ़ को भारत का पहला झुग्गी झोपड़ी मुक्त शहर बनाये जाने की कामना भी की |
डॉ मन मोहन सिंह ने कहा “आज हम जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन की झुग्गी झोपड़ी पुनर्वास योजना के अंतर्गत बनाए गए 8000 मकानों को लाभार्थियों को सौंपने के लिए इकट्ठा हुए हैं। जेएनएनयूआरएम को शुरू हुए करीब 8 साल हो चुके हैं। आज सबसे पहले मैं आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय को इस महत्वपूर्ण मिशन को मेहनत और लगन से लागू करने के लिए बधाई देना चाहूंगा। मुझे बताया गया है कि इससे लगभग 40,000 लोगों को फायदा पहुंचेगा। यह निश्चय ही चण्डीगढ़ शहर को झुग्गी झोपड़ी मुक्त बनाने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है।

The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh inspecting the model of the Housing Complex Dhanas, at Dhanas, Chandigarh on September 14, 2013. The Governor of Punjab, Shri Shivraj Patil and the Union Minister for Housing & Urban Poverty Alleviation, Dr. Girija Vyas are also seen.

The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh inspecting the model of the Housing Complex Dhanas, at Dhanas, Chandigarh on September 14, 2013.
The Governor of Punjab, Shri Shivraj Patil and the Union Minister for Housing & Urban Poverty Alleviation, Dr. Girija Vyas are also seen.


साल 2006 में एक सर्वेक्षण के ज़रिए पहचाने गए सभी झुग्गी झोपड़ी निवासियों को आवास उपलब्ध कराने की महत्वाकांक्षी योजना आपके शहर में लागू की जा रही है। इसमें करीब 12000 मकान आने वाले समय में बनाए जाएंगे। मैं इस काम के लिए चंडीगढ़ प्रशासन को अपनी शुभकामनाएं भी देता हूं।
पी एम् ने कहा कि भारत में शहरीकरण की रफ्तार आने वाले वर्षों में बढती जाएगी। 1971 में हमारे देश की शहरी जनसंख्या करीब 11 करोड़ थी। 1971 से 2011 के बीच के 40 सालों में इसमें करीब 27 करोड़ की बढ़ोत्तरी हुई। यह अनुमान लगाया जाता है कि अगले 20 सालों में यह और तेज़ी से बढ़ेगी और इसमें करीब 22 करोड़ का और इज़ाफा होगा।
यह बढ़ोत्तरी शहरी बुनियादी ढांचे पर बहुत भारी दबाव डालेगी। हमारे शहरों में जो झुग्गी झोपड़ियां हैं वह इस बात का नमूना पेश करती हैं कि तेज़ शहरीकरण से किस प्रकार की समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
आज हमारे देश में स्लम में रहने वाले लोगों की संख्या लगभग 10 करोड़ है और 2017 तक यह बढ़कर 10.4 करोड़ तक हो जाने का अनुमान लगाया गया है।
इस बड़ी समस्या को देखते हुए, केन्द्र सरकार ने शहरी ग़रीबों की आवासीय ज़रूरतों को पूरा करने में राज्यों को सहायता देने की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ली है, हालांकि आवास राज्य सरकारों का विषय है। 2005 से लेकर अब तक जेएनएनयूआरएम के तहत लगभग 15.6 लाख आवास मंज़ूर किए गए हैं, और इससे सामाजिक आवास और बुनियादी सुविधाओं में करीब 41 हजार करोड़ रुपए से ज़्यादा का निवेश होने का अनुमान है।
झुग्गी झोपड़ियों और उनके फैलाव की समस्या को हल करने के लिए हमारी सरकार ने राजीव आवासीय योजना आरंभ की है। इसके अंतर्गत एक ‘ स्लम मुक्त भारत’ की कल्पना की गई है, जिसमें हरेक नागरिक को एक अच्छा साफ-सुथरा आवास और बुनियादी सुविधाएं प्राप्त हो सकें, जिनसे उन्हे अपनी रोज़ी-रोटी में भी सहायता मिले। इस योजना के तहत केन्द्र सरकार आने वाले 4 वर्षों में शहरी ग़रीबों के लिए 10 लाख आवास उपलब्ध कराने की कोशिश करेगी।
शहरी ग़रीब लोगों को 5 लाख रुपए तक के आवासीय कर्ज पर ब्याज में 5% सब्सिडी दी जा रही है। 1 हजार करोड़ रुपए की पूंजी से एक ऋण जोखिम गारंटी कोष भी स्थापित किया गया है। इस फण्ड के ज़रिए शहरी ग़रीबों को बैंकों से कर्ज लेते समय समर्थक प्रतिभूति की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। यह योजना आने वाले 4 वर्षों में शहरी ग़रीबों के लिए अतिरिक्त 10 लाख आवासीय इकाईयों के निर्माण में मदद करेगी।
शहरी ग़रीबों के लिए आवासीय सुविधाओं के विकास में निज़ी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने के लिए भी हमने एक स्कीम और शुरू की है। इसमें निज़ी क्षेत्र की कंपनियों को आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों और कम आय श्रेणी के लोगों के लिए आवास बनाने के लिए आर्थिक लाभ दिए जाते हैं।
जैसा कि हम सब जानते हैं चण्डीगढ़ भारत की आज़ादी के बाद बसाया जाने वाला पहला योजनाबद्ध शहर है। यह शहर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने वास्तुशिल्प और नगर डिजाइन के लिए बहुत प्रसिद्ध है। तमाम भारतीय राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में इस शहर की प्रतिव्यक्ति आमदनी भी सबसे अधिक है। 2010 में इसे भारत का सबसे “साफ-सुथरा” शहर घोषित किया गया था।
मुझे उम्मीद है कि चण्डीगढ़ बहुत जल्दी भारत का पहला झुग्गी झोपड़ी मुक्त शहर बनने का गौरव भी प्राप्त करेगा।

पी एम् की राहुल गाँधी के प्रति निष्ठा के प्रदर्शन से भारतीय राजनीती तो वास्तव में जलेबी की तरह ही गोल होती जा रही है


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक बुद्धि जीवी

ओये झल्लेया हसाड़े सोने देश ये में कौन सी भेडी हवा बहने लग गई है?| पहले राहुल गाँधी ने कहा कि वोह प्रधान मंत्री की रेस में शामिल नहीं है फिर सर्वाधिक चर्चित नरेंदर मोदी ने भी हाथ खड़े करके कह दिया कि २०१७ तक उन्हें गुजरात की सेवा करनी है|यहाँ तक तो ठीक था मगर आज प्रधान मंत्री डॉ मन मोहन सिंह ने रूस से लौटते समय अपने स्पेशल प्लेन से स्वयम कह दिया है कि अपनी पार्टी के युवा नेता राहुल गाँधी के न्रेतत्व में उनकी पूर्ण निष्ठा है और राहुल गाँधी के न्रेतत्व में काम करके उन्हें ख़ुशी होगी|ओये हुन हसाड़े मुल्क का क्या होगा?क्या राहुल गाँधी जैसे ही प्रधान मंत्री के पद पर थोपे जाते रहेंगे ?

झल्ला

सर जी हसाड़े पी एम् की राहुल गाँधी के प्रति निष्ठा के प्रदर्शन से भारतीय राजनीती तो वास्तव में जलेबी की तरह ही गोल होती जा रही है|अब इससे ,माफ़ करना,सामाजिक मधुमेह तो होवे ही होवे |

डॉ मनमोहन सिंह ने स्वयम को खुली किताब बताया और राहुल गाँधी के प्रति निष्ठां व्यक्त की

: प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने आज कहा, ‘‘मैं एक खुली किताब हूं’’और संसद से कुछ भी छुपाने की उनकी कोई इच्छा नहीं है | उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने किसी को भी उनके आचरण पर गौर करने से रोका नहीं है।
डॉ सिंह ने यह बात रूस के सेंट पीटर्सबर्ग शहर में जी.20 सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद स्वदेश वापसी के दौरान एयर इंडिया के अपने विशेष विमान में संवाददाताओं से बातचीत में कही।
पी एम् ने राहुल गाँधी के प्रति निष्ठां व्यक्त करते हुए कहा कि मुझे राहुल गाँधी के न्रेतत्व में काम करके बहुत खुशी मिलेगी:
सिंह ने यह भी कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल अगले लोकसभा चुनाव के बाद प्रधानमंत्री पद के लिए ‘सबसे उपयुक्त व्यक्ति’ होंगे।रूस में आठवें जी 20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आज स्वदेश के लिए रवाना हो गए।इस सम्मेलन के दौरान उन्होंने दुनियाभर के नेताओं से उभरते हुए बाजारों में मजबूत विकास को बहाल करने के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता दिखाने को कहा है ।

अडवाणी ने थल सेना अध्यक्ष का अभिनन्दन किया और एल ओ सी पर गलत बयानी के लिए मंत्रियों की आलोचना भी की : सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से

भारतीय जनता पार्टी[भाजपा]के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवाणी ने, सेना के नियंत्रण रेखा (एल.ओ.सी.) पर दिए प्रेस बयान की पुष्टि और रक्षामंत्री के वक्तव्य में विशेष रूप से इसे शामिल करवाने के लिए, थल सेना अध्यक्ष बी के सिंह को बधाई दी है लेकिन इसके साथ ही रक्षा मंत्री ऐ के अंटोनी द्वारा संसद में बयानों की गड़ बड़ी के लिए क्षमा याचना की आशा भी व्यक्त की है| प्रस्तुत है सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से :
गत् सप्ताह 6 अगस्त को विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने संसद में हमारे चार नेताओं -राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अरूण जेटली और मुझे सूचित किया कि प्रधानमंत्री हमसे उस विषय पर विचार-विमर्श करना चाहते हैं जिसका उन्होंने अपनी बंगलादेश यात्रा पर जाने से पूर्व संक्षिप्त रूप से संदर्भ दिया था। यानी दोनों देशों के बीच सीमा समझौता। इस मुद्दे के संदर्भ में, बाद में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने जसवंत सिंह और यशवंत सिन्हा सहित पश्चिम बंगाल और असम से अन्य अनेक नेताओं के एक बड़े भाजपा समूह के सामने सम्बन्धित तथ्यों को रखा था।
प्रधानमंत्री के साथ हमारी बैठक के निर्धारित समय सायं साढ़े पांच बजे से कुछ मिनट पूर्व मैं रेसकोर्स रोड पहुंच गया, लगभग उसी समय ए.के. एंटोनी भी पहुंचे। मैंने उन्हें बताया कि प्रधानमंत्री ने भाजपा नेताओं को बंगलादेश से सटे एनक्लेव्स के मुद्दे पर विचार-विमर्श हेतु बुलाया है। मैंने पूछा कि क्या वह भी इसी मुद्दे पर होने वाली बैठक में आए हैं। उन्होंने साफ कहा कि उन्हें ‘बुलाया‘ गया है परन्तु उन्हें विषय के मामले में पता नहीं है।
यह उस दिन की बात है जिस दिन पाक सैनिकों और पाक प्रशिक्षित आतंकवादियों ने नियंत्रण रेखा (एल.ओ.सी.) पर हमारे पांच जवानों की हत्या की थी। यह उस दिन सुबह सेना के जारी प्रेस वक्तव्य में कहा गया था। हालांकि उस दिन दोपहर बाद सदन में वक्तव्य देते हुए रक्षा मंत्री ने उस घटना के बारे में सेना द्वारा दिए गए ब्यौरे को इस तरह से बदला कि इन हत्याओं का आरोप सिर्फ आतंकवादियों पर लगा। इस वक्तव्य ने न केवल संसद को क्रोधित किया अपितु शहीद जवानों के परिवारों को भी इस हद तक नाराज किया कि एक जवान की विधवा ने सरकार द्वारा प्रस्तावित 10 लाख रूपये के मुआवजे को भी लेने से मना कर दिया। एक समाचारपत्र की रिपोर्ट के मुताबिक विजय राय की पत्नी पुष्पा राय ने अपनी मनोव्यथा व्यक्त करते हुए कहा, ”क्या 10 लाख रूपये का मुआवजा मेरे पति को वापस ला सकता है? हमें मुआवजा नहीं चाहिए बल्कि पाकिस्तान के खिलाफ सख्त सैन्य कार्रवाई चाहिए।”
प्रधानमंत्री के साथ हमारी बैठक में न केवल सलमान खुर्शीद अपितु ए.के. एंटोनी भी मौजूद थे। बंगलादेश एनक्लेव्स और नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी हमले -दोनों मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ। हमने दोनों मुद्दों पर दृढ़ता से अपना पक्ष रखा।
बंगलादेश सम्बन्धी मुद्दे पर हमने प्रधानमंत्री को बताया कि इस प्रस्ताव पर हमारी राज्य इकाइयों का मुखर विरोध है, इसलिए हम इस पर राजी नहीं हैं।
पाकिस्तान द्वारा हमारे जवानों के कत्लेआम पर भी हमारी इसी प्रकार की दृढ़ प्रतिक्रिया थी। प्रधानमंत्री के साथ इसी बैठक में उस दिन के रक्षा मंत्री के वक्तव्य के बारे में मैंने एक कठोर शब्द ‘गड़बड़ करना‘ उपयोग किया। मेरे मन में सदैव ए.के. एंटोनी के लिए गर्मजोशी और सम्मान रहा है। इसलिए उस दिन के उनके वक्तव्य पर मैं सचमुच काफी हैरान था। बाद में मुझे ज्ञात हुआ कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने सलमान खुर्शीद को रक्षामंत्री से सेना के बयान को बदलने को राजी किया।
रेसकोर्स रोड की इस बैठक में यह सहमति बनी कि सेनाध्यक्ष से पूरे घटनाक्रम की जानकारी लेने के बाद अगले दिन रक्षा मंत्री एक संशोधित बयान देंगे। सेनाध्यक्ष जम्मू गए ताकि वे घटना की जानकारी स्वयं ले सकें। हमने कहा कि हम संशोधित वक्तव्य की प्रतीक्षा करेंगे।
मैं सेनाध्यक्ष को बधाई देना चाहूंगा कि उन्होंने सेना के प्रेस बयान की न केवल पुष्टि की अपितु रक्षामंत्री के वक्तव्य में विशेष रूप से यह शामिल करने में सफलता पाई कि ”इस हमने में पाकिस्तानी सेना से विशेष प्रशिक्षण प्राप्त जवान शामिल थे।” संसद में हम सबको इस पर प्रसन्नता महसूस हुई कि एंटोनी अपने संशोधित वक्तव्य में न केवल नियंत्रण रेखा तक सीमित रहे अपितु उन्होंने आगे बढ़कर यह दोहराया कि पाकिस्तान से तब तक सामान्य सम्बन्ध नहीं हो सकते जब तक कि वह इन तीन निम्न बातों को पूरा नहीं करता:
(1) आतंकवादी बुनियादी ढांचे को समाप्त किया जाए।
( 2) ऐसे प्रयास करने चाहिए जिनसे नवम्बर, 2008 में मुंबई आतंकवादी हमले के
जिम्मेदार लोगों के खिलाफ जल्द कार्रवाई हो।
( 3) इस सप्ताह मारे गए हमारे जवानों के लिए पाकिस्तान में मौजूद जिम्मेदार और कुछ
समय पूर्व हमारे जवानों के धड़ काट कर ले जाने वालों को दण्डित नहीं किया जाता।
सामान्यतया, सेनाध्यक्ष को उपरोक्त दी गई बधाई के साथ मैं रक्षामंत्री को भी बधाई देता हूं। लेकिन तभी यदि वह 6 अगस्त के अपने वक्तव्य को औपचारिक रूप से वापस लेने का साहस दिखाते तथा सेना से माफी मांगते कि उन्होंने उनके ब्यौरे जो एकदम सही था, में भद्दे ढंग से बदलाव कर प्रस्तुत किया। कोई भी मंत्री सदन में ऐसी बात नहीं कह सकता जो झूठ हो। यदि गलत सूचना के चलते वह कुछ असत्य कहता है तो उसे कम से कम खेद तो प्रकट करना चाहिए।
मंत्री और सेना द्वारा अपनाए गये इस तरह के सख्त रवैये के बाद देश आशा करता है कि प्रधानमंत्री, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से शांति वार्ता करने की अपनी उत्सुकता त्याग देगें। इन दिनों समूचा विश्व देख रहा है कि कैसे स्नोडेन को शरण देने के बाद ओबामा ने पुतिन से निर्धारित अपनी मुलाकात ही रद्द कर दी!