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Tag: ElectricityInUP

बिजली रेट्स में विकास नहीं करते तो सपाई सरकार के चतुर्मुखी विकास के दावे पर प्रश्न चिन्ह नहीं लग जाता

झल्ले दी झल्लियां गल्लाँ

यूं पी का पीड़ित आम नागरिक

ओये झल्लेया ये यूं पी में पूर्ण बहुमत वाली समाजवादी सरकार तो हसाड़ी कमर तोड़ने पर तुल गई है |ओये एक तरफ बिजली आती नहीं|आती है तो रूकती नहीं|थोड़ी बहुत रूकती है तो फ्लक्चएट करती रहती है| वेस्ट से ईस्ट के दौरे पर ही रहती है| उस पर भी अब १ अक्टूबर से बिजली की दरों में ११% का इजाफा कर दिया गया है|ओये अब उद्योग +कृषि के साथ ही घरेलू बिजली के भी झटके झेलने पढ़ेंगे|

झल्ला

ओ मेरे भोले भापा जी ये समाजवादी लोकनायक जय प्रकाश नारायण के चेले हैं|इन्होने प्रदेश में विकास के लिए कमर कसी हुई है|मुख्य मंत्री अखिलेश यादव रोजाना इस बात की याद कराते रहते हैं कि प्रदेश में चतुर्मुखी विकास हो रहा है |गवर्नर साहब ने भी इनकी हाँ में हाँ मिलाते हुए क्राइम रेट के ग्राफ में वृद्धि खुले आम स्वीकार की है|सपा की धुर्र विरोधी बसपा+भाजपा भी प्रदेश में करप्शन के विकास की दुहाई देते ही रहते हैं|
ऐसे में बताओ कि बिजली के रेट्स में विकास नहीं किया जाये तो सरकार के चतुर्मुखी विकास के दावे पर प्रश्न चिन्ह लगेगा कि नहीं |ओ मेरे भापा जी प्रदेश के मंत्री तो इतने कर्मठ हैं कि समीक्षा बैठकों में अपने प्याले की चाय खत्म होने का इन्तेजार नहीं कराते |उससे पहले ही समीक्षा पूरी कर लेते हैं और आप हो कि समाजवादी सरकार को ख्वाहमख़ाह कोसते रहते हो |

अखिलेश जी इलेक्शंस हारते समय क्यूँ नहीं सोचा कि हारने के बाद तो और ज्यादा बिजली की जरुरत पड़ेगी

झल्ले दी झल्लियां गल्लाँ

सपाई चीयर लीडर

ओये झल्लेया देखा हसाडे सोणे मुख्य मंत्री अखिलेश यादव ने भी फरमा दिया है कि अगर केंद्र सरकार डेढ साल के लिए बिजली उधार दे दे तो जनता को पूरी बिजली मिल जाएगीउसके बाद तो यारा हम लोग खुद ही बिजली बनाने लग जायेंगे और अगर ये कहेंगे तो तभी इनकी उधारी भी चुकता कर देंगेयार विपक्षियों ने तो ख्वाहमखाः बात का बतंगड़ बना रखा है अब केंद्र सरकार बिजली देगी तो हम भी शहरों में २२ घंटे और गावों में १८ घंटे तक बिजली दे देंगे

झल्ला

ओ मेरे चतुर पहलवान जी अब फिर से ऊँट पहाड़ के नीचे आ ही गया| बिजली पैदा करने के बजाय लैप टॉप बाँटने में ही लुटाया गया पैसा किसी काम नहीं आया और चुनाव जीतने के लिए बिजली खरीदनी पड़ ही गई|झल्लेविचारानुसार इलेक्शंस से पहले एक्स्ट्रा बिजली खरीदते समयये क्यों नहीं सोचा था कि इलेक्शन हारने के बाद ज्यादा बिजली की जरुरत पड़ेगी