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पटवारखानों में दफन शत्रुसम्पत्ति भी नीलामी में शामिल हो

पटवारखानों में दफन शत्रुसम्पत्ति भी नीलामी में शामिल हो

पटवारखानों में दफन शत्रुसम्पत्ति भी नीलामी में शामिल हो

(नईदिल्ली)पटवारखानों में दफन शत्रुसम्पत्ति भी नीलामी में शामिल हो
यह जानकर प्रसन्नता हुई के भारत सरकार अब #शत्रुसम्पत्ति बेच कर ₹ एक लाख करोड़ जुटाने जा रही है
इसके लिए बधाई और धन्यवाद
लेकिन इस विषय मे यह कहना अनुचित नही होगा के तत्कालीन भारत सरकार द्वारा 1947 में भी ऐसी ही कुछ सम्पत्ति का एडजस्टमेंट किया गया था
लाला गोकुलचंद सभलोक पुत्र गुरदित्ता मल निवासी रावलपिंडी/पिंडिगहेब/दंदी के 8 एकड़ खेत की एवज में भारतीय पँजांब के मुबारकपुर में पोनेचार एकड़ जमीन(पानी वाली) एलॉट की गई गौरतलब है के यह भूमि शत्रुसम्पत्ति है
लेकिन दुर्भाग्य से लाला गोकुल चंद और पुत्र हरबनसलाल सभलोक और पौत्र संजय सभलोक स्वर्ग सिधार चुके है मगर उन्हें वह सम्पत्ति नही दी गई
मौजूदाप्रदेश और केंद्र सरकार में भी गुहार(PMOPG/के/2016/0125052) लगाने का कोई परिणाम नजर नही आया
यहां तक के RTI के तहत #पँजांबसरकार
#पँजांबस्टेटइनफार्मेशनकमीशन
#डीसीमोहाली
, #एसडीएमडेराबस्सी,
#तहसीलदारडेराबस्सी
द्वारा भूमि की जानकारी तक नही दी जा रही
1947 में प्राप्त शत्रुसम्पत्ति की लूट को उजागर करता यह एक मात्र उदहारण नही है ऐसे सैंकड़ो पीड़ितों की फरियादें पँजांब के रेवेन्यू डिपार्टमेंट और हाईकोर्ट में दफन हैं
चूंकि दूध का जला फूंक फूंक कर पीता है सो लाला गोकुलचंद जैसों को एलोटटेड मगर नही दी गई सम्पत्ति को भी रिकॉर्ड में लिया जाना जरूरी है
और पटवारखानों में दफन बेशकीमती शत्रुसम्पत्ति भी नीलामी में शामिल हो ताकि उनके सही हकदारों को उनका हक मिल सके

शत्रु संपत्तियों की बिक्री+पुनर्खरीद से सरकार ने बटोरे रु 11,300 करोड़

[नयी दिल्ली]शत्रु संपत्तियों की बिक्री+पुनर्खरीद से सरकार ने बटोरे रु 11,300 करोड़
शत्रु शेयरों की बिक्री तथा केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (सीपीएसई) में पुनर्खरीद से सरकार का किसी भी वित्त वर्ष में अब तक का विनिवेश का दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नवंबर 2018 में निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) को कंपनियों के शत्रु शेयर बेचने की मंजूरी दी थी। इसके बाद शत्रु शेयरों को बेचकर सरकार ने 700 करोड़ रुपये हासिल किये।
जो लोग अब भारत के नागरिक नहीं हैं और चीन या पाकिस्तान चले गये हैं, इनकी संपत्तियों को शत्रु संपत्ति कहा जाता है।
इसके अलावा सरकार ने केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के शेयरों की पुनर्खरीद से 10,600 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए हैं।
वित्त वर्ष 2018-19 में सरकार ने लगातार दूसरे साल विनिवेश से लक्ष्य से अधिक राशि जुटाई। चालू वित्त वर्ष के लिये बजट में 80 हजार करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य तय किया गया था।
इससे पहले वित्तवर्ष 2017-18 में सरकार ने 72,500 करोड़ रुपये के लक्ष्य की तुलना में विनिवेश से एक लाख करोड़ रुपये से अधिक जुटाये थे।
चालू वित्त वर्ष में एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) से सर्वाधिक 45,729 करोड़ रुपये जुटाये गये। इसके बाद सरकारी पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन में आरईसी द्वारा सरकार की 52.63 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने से सरकार को 14,500 करोड़ रुपये मिले। सरकार को पांच कंपनियों एमएसटीसी, आरआईटीईएस, इरकॉन, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स और मिधानी के आईपीओ से 1,929 करोड़ रुपये मिले।
सरकार को कोल इंडिया की बिक्री पेशकश (ओएफएस) से 5,218 करोड़ रुपये और एक्सिस बैंक में एसयूयूटीआई की हिस्सेदारी बेचने से 5,379 करोड़ रुपये मिले। पुनर्खरीद से भी सरकार को 10,600 करोड़ से अधिक मिले। पुनर्खरीद में ओएनजीसी, आईओसी, कोल इंडिया, ऑयल इंडिया और एनएलसी जैसी कंपनियां शामिल रहीं।
सरकार ने अगले वित्त वर्श के लिये 90 हजार करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा है।