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प्रवासी भारतीय अमेरिका में अपनी साँसों को एलेक्शन्स तक काबू में रखें

20130908_004#प्रवासी भारतीय
ओए झल्लेया! ये हसाडे नाल #अमेरिका में क्या मजाक हो रहा है ??
ओये #केलिफोर्निया के न्यायाधीश जेफरी वाइट ने #एच1वीजा पर पाबंदी के प्रेजिडेंट #डोनाल्डट्रंप के अमानवीय निर्णय को पलट कर हमें राहत की सांस दी तो सांसद ब्रुक्स ने #प्रतिनिधिसभा मे विधेयक पेश करके हमारी साँसों की रफ्तार बढ़ा दी।ओये हमारे दम पर यहां का टूरिज्म +रियल एस्टेट और आई टी छेत्र आबाद है और हमे ही परेशान किया जा रहा है
#झल्ला
सर् जी चुनांवों तक साँसों को काबू में रखो।ऐसा उतार चढ़ाव तो होता रहेगा

अमेरिका में एच-1बी इलेक्ट्रॉनिक पंजीकरण प्रक्रिया लागू होगी

(वाशिंगटन)
#अमेरिका ने 2021 के #वीजा के लिए एच-1बी इलेक्ट्रॉनिक पंजीकरण प्रक्रिया लागू करने की तैयारी कर ली
विदेशी कर्मचारियों के लिए एच-1बी वीजा का आवेदन करने वाली कंपनियों को ऑनलाइन पंजीकरण कराना होगा और 10 डॉलर का शुल्क देना होगा।
अमेरिका की नागरिकता एवं आव्रजन सेवा अगले वित्त वर्ष के लिए एक अप्रैल 2020 से एच-1बी वीजा आवेदन लेना शुरू करेगी।
यूएससीआईएस के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक पंजीकरण प्रक्रिया से कागजी काम कम होगा और आवेदनकर्ताओं का पैसा भी बचेगा।

अमेरिका ने ग्रीन कार्ड पर लगी सीमा हटायी:भारतीय पेशेवरों को राहत

[वाशिंगटन]अमेरिका ने ग्रीन कार्ड पर लगी सीमा हटायी:भारतीय पेशेवरों को राहत
अमेरिकी सांसदों ने ग्रीन कार्ड जारी करने पर मौजूदा सात प्रतिशत की सीमा को हटाने के उद्देश्य से बुधवार को एक विधेयक पारित किया। इस विधेयक से भारत के हजारों उच्च कुशल आईटी पेशेवरों को लाभ मिलेगा।
ग्रीन कार्ड किसी व्यक्ति को अमेरिका में स्थायी रूप से रहने और काम करने की अनुमति देता है।
फेयरनेस ऑफ हाई स्किल्ड इमिग्रेंट्स एक्ट, 2019 या एचआर 1044 नाम का यह विधेयक 435 सदस्यीय सदन में 65 के मुकाबले 365 मतों से पारित हो गया।
नए विधेयक में इस सीमा को सात प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है।
इसी तरह इसमें हर देश को रोजगार आधारित प्रवासी वीजा केवल सात प्रतिशत दिए जाने की सीमा को भी खत्म कर दिया गया है।
इस विधेयक को कानून की शक्ल लेने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति के हस्ताक्षर की जरुरत है लेकिन इससे पहले इसे सीनेट की मंजूरी की आवश्यकता होगी जहां रिपब्लिकन सांसदों की अच्छी-खासी संख्या है।

US H-1B+L1 Visa Fee Hike Targeted at Indian IT Cos: Jaitely

[Washington,DC]US Visa Fee Hike Targeted at Indian IT Cos: Jaitely
India has expressed concern over the hike in visa fee by the US, saying it is “discriminatory” and largely affects Indian IT professionals.
During a bilateral meeting with US Trade Representative Ambassador Michael Froman, Finance Minister Arun Jaitley also underlined the need for early conclusion of Totalisation Agreement which would benefit Indians working in America.
Referring to the visa issue, he spoke about “India’s concern over the hike in the H-1B and L1 visa fee, which is discriminatory and in effect is largely targeted at Indian IT companies”.
Last year, the US Congress imposed a special fee of up to USD 4,500 on H-1B and L-1 visas — popular among Indian IT companies — to fund a 9/11 healthcare Act and biometric tracking system.
While agreeing on the USD 1.1 trillion spending Bill, Congressional leaders decided to impose a special fee of USD 4,000 on certain categories of H-1B visas and USD 4,500 on L-1 visas.
As per Industry estimates, Indian professionals contributed more than USD 25 billion to the US Social Security during the last decade, without being able to retrieve their contributions.
The US has entered into agreements called ‘Totalization Agreements’ with several nations for the purpose of avoiding double taxation of income with respect to social security taxes.
Under these, professionals of both the countries would be exempted from social security taxes when they go to work for a short period in the other country.
The two countries are also engaged in negotiations for a Bilateral Investment Treaty to protect investments.
Jaitley is currently on an official trip to Washington DC to attend the Spring Meetings of the International Monetary Fund (IMF) and the World Bank and other sessions.
He is accompanied by RBI Governor Raghuram Rajan, Economic Affairs Secretary Shaktikanta Das, and Chief Economic Advisor Arvind Subramanian and other officials.

भारत सरकार ने स्वीकारा ,अमेरिका की “पेशेवर” वीजा नीति भारत सापेक्ष नहीं हैं

केंद्र सरकार ने आज यह स्वीकार किया कि बेशक वीजा नीति तथा प्रक्रियाएं मेजबान देश के विशेष अधिकार हैं लेकिन अमरीकी पेशेवर वीजा सम्बन्धी अमरीकी नीतियां भारत सापेक्ष नहीं हैं। इसीलिए व्‍यवसायियों +व्‍यापारी वर्ग को कठिनाई आती है |इस विषय में समय समय पर उचित माध्यम द्वारा मुद्दे को उठाया जाता है |
विदेश राज्‍य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्‍त) वी.के.सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में बताया कि अमरीकी वीजा प्राप्‍त करने में भारतीय व्‍यवसायियों के सामने आने वाली प्रक्रिया संबंधी कठिनाइयों तथा वीजा शुल्‍क में वृद्धि जैसी समस्‍याओं की जानकारी है। सरकार यह भी स्‍वीकार करती है कि वीजा नीति तथा प्रक्रियाएं मेजबान देश के विशेष अधिकार हैं तथा वीजा से संबंधित अमरीकी नीतियां भारत सापेक्ष नहीं हैं।
फिर भी व्‍यवसायियों +व्‍यापारी यात्रियों की सीमापार आवाजाही की सुविधा का व्‍यापारिक पहलु भी है। इसलिए सरकार भारतीय कंपनियों द्वारा अपने व्‍यवसायियों के लिए उपयुक्‍त वीजा प्राप्‍त करने में आने वाली कठिनाइयों के संबंध में भारत सरकार की चिंताओं को उठाने के लिए व्‍यापार से संबंधित बैठकों सहित अन्‍य बैठकों के दौरान भी प्रत्‍येक अवसर का उपयोग करती है।
श्री सिंह ने बताया कि सरकार द्वारा अमरीकी अधिकारियों के साथ विभिन्‍न बैठकों में उठाई गई चिंताओं के जवाब में अमरीकी अधिकारियों ने यह उल्‍लेख किया है कि
वित्‍तीय वर्ष 2011 तथा 2012 में भारत अमरीकी एच 1बी वीजा का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता है।
वित्‍तीय वर्ष 2012 में विश्‍व स्‍तर पर अमरीकी सरकार द्वारा अनुमोदित कुल एच 1बी याचिकाओं में से लगभग 64 % उन आवेदकों से संबंधित थीं, जिनका जन्‍म स्‍थान भारत था।
यह वित्‍तीय वर्ष 2011 की अपेक्षा लगभग 58 %की वृद्धि दर्शाता है।
निरपेक्ष रूप से वित्‍तीय वर्ष 2011 में पूरे विश्‍व में 269563 एच 1बी याचिकाएं अनुमोदित की गई थीं
जिनमें से 156317 भारत से थीं।
वित्‍तीय वर्ष 2012 में अनुमोदित 262569 एच 1बी याचिकाओं में से
168367 भारत से थीं।
चूंकि व्‍यवसायियों के लिए वीजा प्राप्‍त करने की प्रक्रिया के संबंध में भारतीय फर्मों में काफी चिंताएं हैं, इसलिए भारत सरकार अमरीकी पक्ष के समक्ष इन चिंताओं को प्रदर्शित करती रहती है।