[संगरूर,पंजाब]फ़तेहवीर को बचाने में पंजाब सरकार को मिली शिकस्त:अब लीपापोती शुरू
पंजाब के संगरूर जिले में 150 फुट गहरे बोरवेल में गिरे दो वर्षीय फतेहवीर सिंह को करीब 110 घंटे बाद मंगलवार सुबह बाहर तो निकाल लिया गया लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी।
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल’ के कर्मियों ने सुबह करीब साढ़े पांच बजे बच्चे को बोरवेल से बाहर निकाल कर पुलिस सुरक्षा के बीच बच्चे को चंडीगढ़ के ‘स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान’ (पीजीआईएमईआर) ले जाया गया था।
अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे को मृत अवस्था में वहां लाया गया था।
फतेहवीर इसी सोमवार को दो साल का हुआ था। वह सात इंच चौड़े और 125 फुट गहरे बोरवेल में गिर गया था। वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान था।जनता और सियासी दबाब के चलते अब मुख्य मंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट करके बताय है के प्रदेश के सभी बोरवेल बंद करने के आदेश जारी करदिये गए हैं|इससे पूर्व जगह जगह प्रदर्शन हो रहे हैं |सुखबीर सिंह बादल और हरसिमरत कौर बादल ने लापरवाही के लिए सीएम पर करारे प्रहार किये हैं
फतेहवीर सिंह जिले के भगवानपुरा गांव में अपने घर के पास एक सूखे पड़े बोरवेल में गुरुवार शाम करीब चार बजे गिर गया था।
बोरवेल कपड़े से ढका हुआ था इसलिए बच्चा दुर्घटनावश उसमें गिर गया।
बचाव दल बच्चे तक खाना-पीना नहीं पहुंचा पाए थे।
बच्चे को बचाने के लिए बोरवेल के समानांतर एक दूसरा बोरवेल खोदा गया था और उसमें कंक्रीट के बने 36 इंच व्यास के पाइप डाले गए थे।
बचाव अभियान में देरी के कारण स्थानीय लोगों ने सोमवार को जिला प्रशासन और राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था।
सुनाम-मानसा मार्ग को गांववालों ने बाधित कर दिया था।
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फ़तेहवीर को बचाने में पंजाब सरकार को मिली शिकस्त:अब लीपापोती शुरू
पंजाब के सियासी हमाम में सबकी नंगई निकल ही आई :व्यंग
झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां
भारतीय चिंतक
औए झल्लेया ये क्या हो रहा है? जलियांवाला बाग नरसंहार के शताब्दी वर्ष पर एक तरफ लंदन के ‘हाऊस ऑफ लार्ड्स’ परिसर में ब्रिटिश सरकार से इस घटना के लिए आधिकारिक रूप से माफी मांगने की मांग की गई तो दूसरी तरफ भारत में पंजाब के सी एम कैप्टेन अमरिंदर सिंह और केंद्र में मंत्री हरसिमरत को बादल एक दूसरे के पुरखों की कब्रें खोदने में लगे हुए हैं|
यारा! 13 अप्रैल 1919 को बैशाखी के दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुए नरसंहार से पूरा विश्व आज भी स्तब्ध है । ब्रिटिश इंडियन आर्मी के सैनिकों ने जनरल डायर की कमान के तहत निहत्थी भीड़ पर गोलियां चलाई थी और ये हुकुमरान एक दूसरे पर ही गोलियां चला रहे हैं
झल्ला
भापा जी!ये सियासी हमाम हैं यहां सबकी नंगई निकल आती है
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