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Tag: HighCOURT

Political Crisis in Rajasthan

(Jaipur,Rajasthan) Political Crisis in Rajasthan
High Court on Friday ordered maintaining status quo on the disqualification notices sent by the Speaker to Sachin Pilot and 18 other dissident MLAs.
The Pilot camp had moved the high court against the notices under which they face possible disqualification from the state assembly.
The high court on Friday also admitted a petition filed by the 19 dissident Congress MLAs to include the Union government in the list of respondents to their petition.

केजरीवाल को चूड़ियां भेंट की गई काले झंडे दिखाए गए,”आप” के २१ संसदीय सचिव भी असंवैधानिक होगए

[नई दिल्ली,लुधियाना] केजरीवाल को चूड़ियां भेंट की गई काले झंडे दिखाए गए,”आप” के २१ संसदीय सचिव भी असंवैधानिक होगए केजरीवाल अब या तो दिल्ली में चुनाव कराएँगे या फिर अपने २१ विधायकों को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जायेंगे|
आज का दिन अरविन्द केजरीवाल का नहीं था तभी सुबह से ही एक के बाद एक विपदा का सामना कर रहे हैं | सुबह नई दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर भाजपा महिला प्रकोष्ठ ने केजरीवाल को चूड़ियां भेंट की तो लुधियाना पहुँच कर काले झंडों का सामना करना पड़ा |लुधियाना में तो केजरीवाल गो बैक के नारे भी लगे|उच्च न्यायालय ने आज आम आदमी पार्टी के २१ विधायकों की संसदीय सचिव के पद पर नियुक्ति के आदेशों को अनुचित बता कर निरस्त कर दिया|राष्ट्रिय मुक्ति मोर्चे के अध्यक्ष रविन्द्र कुमार की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने
दिल्ली के २१ विधायकों की नियुक्तियों को असंवैधानिक बताया |गौरतलब हे के बीते साल के मार्च महीने में मुख्य मंत्री अरविन्द केजरीवाल ने बिना एल जी की मंजूरी के अपने दल के २१ विधायकों को लाभकारी संसदीय सचिव बना दिया था |अभी यह मामला समाप्त नही हुआ है हाई कोर्ट के पश्चात् चुनाव आयोग के निर्णय की भी प्रतीक्षा की जा रही है |उधर लुधियाना में कांग्रेस और अकाली दल के कार्यकर्ताओं ने अरविन्द केजरीवाल को काले झंडे दिखाए और गो बैक के नारे भी लगाए

हाईकोर्ट का मजाक उड़ाते हुए”आप”ने एलजी के खिलाफ दिल्लीवासियों को बगावत करने को उकसाया

[नई दिल्ली]हाईकोर्ट के निर्णय का मजाक उड़ाते हुए “आप” ने उपराज्यपाल के खिलाफ दिल्लीवासियों को बगावत करने को उकसाया|
आप के नेताओं ने आज दिल्लीवासियों को अपनी समस्याएं एलजी के सामने ले जाने को कहा
गौरतलग हे के दिल्ली के सीएम् ने अपने घर के सामने धरना प्रदर्शन से बचने के लिए धरा १४४ लगवा ली है|अब पीड़ितों को उपराज्यापल के सामने जाने को कहा जा रहा है|
बीते दिन हाई कोर्ट ने आप के सियासी मंसूबों पर पानी फेरते हुए एल जी को वास्तविक प्रशासनिक प्रमुख बताया था इस निर्णय से भौंचक आप पार्टी ने एलजी पर अपनी खीज उतारी है|इसकेअलावा सीऍनजी फिटनेस+डीडीसीऐ+ मामलों को लेकर भी एल जी पर अटैक किया|आआप के नेता आशुतोष ने हाई कोर्ट के निर्णय को अस्वीकार करते हुए चुने हुए सीएम् की भूमिका के विषय में सवाल किये

हाईकोर्ट ने केजरीवाल की अधिसूचनाओं को अवैध बताते हुए एलजी को दिल्ली का प्रशासनिक प्रमुख कहा

[नयी दिल्ली]हाईकोर्ट ने केजरीवाल की अधिसूचनाओं को अवैध बताते हुए एलजी को दिल्ली का प्रशासनिक प्रमुख कहा उच्च न्यायालय ने भी उप राज्यपाल को दिल्ली का प्रशासनिक प्रमुख कहा
अरविंद केजरीवाल सरकार को एक तगड़ा झटका देते हुये दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज फैसला सुनाया कि उप राज्यपाल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के प्रशासनिक प्रमुख हैं और आप सरकार की यह दलील कि उप राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करना चाहिए, ‘आधारहीन’ है।
यह निर्णय उप राज्यपाल नजीब जंग और केजरीवाल सरकार के बीच पिछले कई महीनों से जारी इस रस्साकशी के बाद सामने आया है कि दिल्ली की बागडोर किसके हाथ में है मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायाधीश जयंत नाथ ने केन्द्र द्वारा 21 मई 2015 को जारी अधिसूचना को चुनौती देने वाली आप सरकार की याचिका को खारिज कर दिया।
केन्द्र ने अधिसूचना में राष्ट्रीय राजधानी में उप राज्यपाल को नौकरशाहों की नियुक्ति की पूर्ण शक्तियां प्रदान की थी।
अदालत ने पिछले साल सत्ता में आने के बाद केजरीवाल द्वारा जारी कई अधिसूचनाओं को भी खारिज करते हुये कहा कि यह अवैध हैं क्योंकि इन्हें उप राज्यपाल की सहमति के बिना जारी किया गया है।
194 पेज के अपने निर्णय में खंडपीठ ने कहा कि आप सरकार की यह दलील कि उप राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह और सहायता पर काम करने के लिए बाध्य हैं ‘आधारहीन है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।’’
फैसला सुनाये जाने के बाद दिल्ली सरकार के वरिष्ठ स्थायी वकील राहुल मेहरा ने कहा कि वे इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में तत्काल एक विशेष अनुमति याचिका दायर करेंगे।

Cong Drags “AAP” In Court For Objectionable Advertisements

[New Delhi] Cong Drags “AAP? In Court For Objectionable Advertisements
Cong Leader Maken Said to HC taht AAP Govt is violating SC guidelines on advertisements :
Congress leader Ajay Maken today told Delhi High Court. that AAP government is violating Supreme Court’s guidelines on government advertisement by spending huge sums of public money to run ads in other states criticising the Centre,
Maken made the submission in an affidavit in which he has referred to recent newspaper advertisements taken out by the Aam Aadmi Party (AAP) government, in other states, berating the Centre for transferring officers of GNCTD.
The ads also say that the Centre has not cleared bills of the Government of National Capital Territory of Delhi (GNCTD), the affidavit, placed before a bench of Chief Justice G Rohini and Justice Sangita Dhingra Sehgal,
The affidavit was filed in Maken’s plea, which is one of four that have been moved against the advertisements issued by the AAP government. The petitions alleged that the ads have been issued in violation of the guidelines.
The matters were listed for further hearing on August 4.
Maken in his affidavit has also stated that he had made a representation before the three-member committee, set up to monitor content of government ads, to take action against Delhi government for violating apex court guidelines on advertisements and to restrain it from issuing such ads.
However, despite repeated follow ups, till date the panel has not taken any action on his representation, Maken said.
file Photo

सम विषम निर्णय से अदालत को भी गालियां देने का सुनहरा मौका”आप”के हाथों से फिसला

झल्ले दी झल्लियां गल्लां

आप पार्टी चेयर लीडर

ओये झल्लेया मुबारकां ! ओये अब तो उच्च न्यायालय ने भी हसाडे सम /विषम योजना के हक़ में फैंसला दे दिया |ओये अब तो ये स्कीम १५ जनवरी तक चले ही चले|दिल्ली की आबोहवा सुधरे ही सुधरे

झल्ला

ओ मेरे चतुर सुजान! ये अफ़सोस मनाने का निर्णय है| अदालत को भी गालियां देने का एक सुनहरा मौका आप लोगों के हाथों से निकल गया|झल्ले विचारानुसार सम विषम निर्णय से अदालत को भी गालियां देने का सुनहरा मौका”आप”के हाथों से फिसला

उच्च न्यायालय ने विवादित सम-विषम योजना के भविष्य पर फैसले के लिए तारीख़ दी 11 जनवरी

[नयी दिल्ली] उच्च न्यायालय ने सम-विषम[ Odd/Even]की विवादित योजना के भविष्य पर फैसले के लिए तारीख़ दी 11 जनवरी |
सम-विषम वाहन योजना के भविष्य को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय 11 जनवरी को फैसला सुनाएगा। उसने आम आदमी पार्टी [आप] की विवादित बन चुकी इस महत्वाकांक्षी प्रायोगिक योजना को चुनौती देने वाली विभिन्न अर्जियों पर अपना आदेश आज सुरक्षित रख लिया।
आदेश आने तक यह योजना जारी रहेगी।न्यायमूर्ति जी रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। उससे पहले दिल्ली सरकार ने पीठ को बताया कि एक जनवरी से शुरू हुई इस योजना की वजह से राष्ट्रीय राजधानी में पार्टिकुलेट मैटर [हवा में तैरते कण] का प्रदूषण स्तर में गिरावट नजर आयी है।
पीठ ने छह जनवरी को सरकार से प्रदूषण पर सम-विषम योजना के प्रभाव के बारे में सवाल किया था और उसने हफ्ते भर में इस योजना को बंद करने पर विचार करने को कहा था।दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने न्यायालय से कहा कि राष्ट्रीय राजधानी भीड़भाड़ के दौरान प्रदूषण के स्तर को घटाने के लिए पहली आपात कार्रवाई का प्रयोग कर रही है।
उन्होंने कहा कि यह विश्व की सर्वश्रेष्ठ पद्धति के अनुकूल है। वाहन शहर में दूसरे सबसे बड़े उत्सर्जक हैं और ये ही स्वास्थ्य संबंधी दुष्प्रभावों के लिए जिम्मेदार हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इस कार्यक्रम के पहले कुछ दिनों ने दिखा दिया है कि भीड़भाड़ के समय के प्रदूषण स्तर इस सीजन में सामान्य कोहरे के अधिकतम प्रदूषण स्तर से कम है जबकि मौसम भी प्रतिकूल है।’’ साल्वे ने कहा कि यह योजना राष्ट्रीय राजधानी में सड़कों पर भीड़ खत्म करने के लिए है और इससे प्रदूषणकम करने में योगदान मिला है।
, ‘‘भीड़ में फंसे वाहनों से उत्सर्जन उसके यूं ही खड़ा रहने तथा बार बार रफ्तार घटाने एवं बढ़ाने के के कारण दो गुणा बढ़ जाता है।’’

हाईकोर्ट ने यूपीपीएससी अध्यक्ष पद पर यादव की नियुक्ति रद्द की:अखिलेश सरकार को झटका

[इलाहाबाद,यूं पी]उच्च न्यायालय ने यूपीपीएससी अध्यक्ष पद पर यादव की नियुक्ति रद्द की :अखिलेश यादव सरकार को करारा झटका
उत्तर प्रदेश सरकार को आज उस समय शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उसे अनिल यादव की उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग :यूपीपीएससी: अध्यक्ष पद पर नियुक्ति मामले में ‘‘संविधान के प्रावधानों के उल्लंघन’’ का दोषी ठहराया और इस नियुक्ति को ‘‘अवैध’’ करार देते हुए रद्द कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने सतीश कुमार सिंह नामक व्यक्ति की जनहित याचिका नीत कई याचिकाओं का निस्तारण करते हुए यह आदेश दिया।
याचिकाओं में यादव की नियुक्ति को चुनौती दी गई थी जिनका दो वर्ष से अधिक का कार्यकाल विवादों में रहा है।
अदालत ने कहा कि यादव की यूपीपीएससी अध्यक्ष पद पर नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 360 के ‘‘अधिकार से बाहर’’ थी जिसमें लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति के दिशानिर्देश निर्धारित किये गए हैं।
अदालत ने तीखी टिपण्णी करते हुए कहा कि राज्य सरकार की यादव की नियुक्ति ‘‘मनमाने’’ एवं ‘‘अवैध’’ तरीके से करके ‘‘संवैधानिक कर्तव्य का उल्लंघन’’ किया है। अदालत ने व्यवस्था दी कि नियुक्ति को ‘‘इसके द्वारा रद्द किया जाता है और दरकिनार किया जाता है