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डॉ मन मोहन सिंह ने शैक्षणि‍क संस्थानों द्वारा नई वैश्विक व्‍यापार प्रणाली का वि‍श्‍लेषण को जरूरी बताया:IIFT Golden Jubilee

डॉ मन मोहन सिंह ने देश की शैक्षणि‍क संस्थानों द्वारा दुनि‍याभर में उभर रही नई व्‍यापार प्रणाली का वि‍श्‍लेषण किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया प्राइम मिनिस्टर भारतीय विदेश व्यापार संस्थान के स्वर्ण जयंती समारोह के अवसर पर बोल रहे थे इस अवसर पर उन्होंने आई ऍफ़ ऍफ़ टी के सम्मान में डाक टिकट भी जारी किया|
डॉ सिंह ने कहा कि [1] भारत उपलब्ध महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों का दोहन नहीं कर सकता और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को लगातार बढ़ाकर ही हम इस कमी को दूर कर सकते हैं। इसलिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्व हमारे देश के आर्थिक विकास के लिए एक उद्देश्यपूर्ण उपकरण के तौर पर है।
उन्होंने संसथान को बधाई देते हुए कहा “दूसरे उत्कृष्ट संस्थानों जैसे ही आईआईएफटी की स्थापना हमारे पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरु की दूरदर्शिता का ही परिणाम है। विदेश व्यापार के बारे में प्रशिक्षण और अनुसंधान के लिए स्थापित किए गए इस संस्थान ने साल दर साल अपनी भूमिका को बढ़ाया है जिसमें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के पूरे तौर तरीके शामिल हैं। मुझे लगता है कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कार्यक्रम में अपने विशेष एमबीए के तहत 28 से अधिक बैचों में आईआईएफटी ने 4000 पेशेवर तैयार किये हैं।”

The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh addressing at the golden jubilee ceremony of IIFT, in New Delhi on December 21, 2013.

The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh addressing at the golden jubilee ceremony of IIFT, in New Delhi on December 21, 2013.


उन्होंने कहा “भारत, तेजी से विश्व अर्थव्यवस्था के साथ आगे बढ़ रहा है। पिछले कुछ सालों में हमारे उद्योग और सेवाओं के क्षेत्र में आधुनिकीकरण हुआ है और गैर-परम्परागत तरीके से विविधता आई है। हम सूचना तकनीक, अनुसंधान और विकास तथा नवीनीकरण के लिए वैश्विक केंद्र के रुप में उभरे हैं। हमारे वित्तीय क्षेत्र और शेयर बाजार भी आधुनिक हुए हैं। इस परिपेक्ष में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और व्यवसाय के क्षेत्र में पेशेवरों की मांग बढ़ने की आशा है। आईआईएफटी जैसे संस्थानों की इस मांग को पूरी करने में महत्वपूर्ण भूमिका है। एक प्रमुख अर्थव्‍यवस्‍था, जि‍सका भवि‍ष्‍य वैश्‍वि‍क अर्थव्यवस्‍था के साथ जटि‍ल रूप में जुडा है, वहां हमें यह सुनि‍श्‍चि‍त करना चाहि‍ए कि‍ हमारे शैक्षणि‍क संस्‍थान दुनि‍याभर में उभर रही नई व्‍यापार प्रणाली का वि‍श्‍लेषण करेंगे। वि‍श्‍व व्‍यापार संगठन की हमेशा से वि‍स्‍तारि‍त होती भूमि‍का, क्षेत्रीय व्‍यापार समझौते और नवीन मुक्‍त व्‍यापार समझौते, आईआईएफटी जैसे संस्‍थानों के लि‍ए अनुसंधान की प्राथमि‍कता वाले क्षेत्रों में होने चाहि‍ए।”
“मुझे प्रसन्‍नता है कि‍ आईआईएफटी ने उम्‍मीद के मुताबि‍क गौरव के साथ शानदार भूमि‍का नि‍भाई है। यह ना सि‍र्फ आंतरि‍क क्षेत्र के अनुसंधान कार्यक्रमों में बल्‍कि‍ केन्‍द्र, राज्‍य सरकारों, वि‍भि‍न्‍न सार्वजनि‍क क्षेत्र के उपक्रमों और अंतर्राष्‍ट्री संगठनों जैसे वि‍श्‍व बैंक, एफएओ तथा वि‍श्‍व व्‍यापार संगठन के साथ भी बेहतर तालमेल नि‍भा रहा है।”
“यह संस्‍थान अपनी स्‍थापना के बाद से अब तक 50 वर्षो तक देश को महत्‍वपूर्ण सेवा प्रदान कर चुका है लेकि‍न मैं अभी भी यह मानता हूँ कि‍ सर्वश्रेष्‍ठ अभी आना बाकी है और इसलि‍ए मैं और अधि‍क उदेद्श्‍य पूर्ण और गौरवशाली वि‍कास के चरण की कामना के साथ अपना संबोधन समाप्‍त करता हूं। मुझे आशा है कि‍ संस्‍थान अपने वि‍शेषज्ञों के साथ व्‍यापार नीति‍ अनुसंधान के महत्‍वपूर्ण क्षेत्र में ज्ञान में सुधार और प्रगति‍ के साथ मि‍लकर कार्य करना जारी रखेगा। ”
Photo Caption
[1]The Prime Minister, Dr. Manmohan Singh releasing the stamp on the occasion of the golden jubilee of IIFT, in New Delhi on December 21, 2013.
The Union Minister for Commerce & Industry, Shri Anand Sharma and the Union Minister for Communications & Information Technology and Law & Justice, Shri Kapil Sibal are also seen.