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Tag: Indian Economy

Indian Eco Slowed Down But no Threat of Recession:FM

(New Delhi)Indian Eco Slowed Down But no Threat of Recession:FM
Finance Minister Nirmala Sitharman on Wednesday said the Indian economy may have slowed down but there is no threat of a recession.
Replying to a discussion on the economic situation in the country in Rajya Sabha, she reeled out numbers comparison between five years under Congress-led UPA-II regime from 2009 to 2014 and BJP’s first term from 2014 to 2019 to say inflation was lower and growth higher under the Modi government.
FDI inflows in 2009-14 were USD 189.5 billion and the same were USD 283.9 billion under BJP rule in the following five years, she said, adding foreign exchange reserves rose to USD 412.6 billion under BJP from USD 304.2 billion in UPA-II.
“Economic growth may have slowed but there is no recession, there can be no recession,” she said.

Raghuram Rajan has taken over charge of Reserve Bank Of India With Many Economic Problems

Raghuram Rajan has taken over charge of Reserve Bank Of India as 23rd Governor
Raghuram Rajan and D Subbarao shook hands warmly & hugged after Rajan signed papers taking over as 23rd Governor of central bank.
Raghuram Rajan, is a former International Monetary Fund chief economist
He takes charge Of many economical problems also.[1] central bank grapples with a weakening rupee,
[2]widening current account deficit and
[3] slowdown in economic growth.
[4]India’s currency has declined 20% against the US dollar since May

सिर्फ भगवान ही हमारी अर्थव्यवस्था की सहायता कर सकता है; सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से

एन डी ऐ के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण आडवाणी ने अपने नए ब्लॉग में भारत की बिगड़ी अर्थव्यवस्था पर नेताओं की अकर्मण्यता पर निशाना साधा और अर्थ व्यवस्था को बहग्वान के भरोसे बताया | ब्लागर अडवाणी ने स्तम्भकार तवलीन सिंह के लेख (आइए, सोनिया के बारे में बात करें) का हवाला दिया और यूं पी ऐ की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गाँधी को असली प्रधान मंत्री बताते हुए समृध्द भारत के सपने के धवस्तीकरण के लिए श्रीमती गाँधी को जिम्मेदार ठहराया|
”निराशा के इतने घने बादल छाए हुए हैं इन दिनों दिल्ली के राजनीतिक आकाश में कि याद करना मुश्किल है कि सोनिया गांधी की सरकार जब बनी थी एक दशक पहले तो मौसम बहारों का था….
उस समृध्द भारत के सपने को सोनिया गांधी की आर्थिक नीतियों ने खत्म कर दिया है, प्रधानमंत्री को दोष देना बेकार है क्योंकि पिछले दशक से इस देश का असली प्रधानमंत्री कौन रहा है, हम सब जानते हैं।”इसी समाचारपत्र के उसी पृष्ठ पर एक और अन्य स्तम्भकार मेघनाद देसाई की टिपण्णी का उल्लेख किया जिसमे कहा गया है के” गरीबी और भ्रष्टाचार भारतीय लोकतंत्र के दो स्तम्भ हैं। ये पवित्र हैं। यदि इन्हें धन्यवाद दिया जाए तो अर्थव्यवस्था ठप्प होती है, कठिन भविष्य कठिनाइयों है।
प्रस्तुत है सीधे एल के अडवाणी के ब्लॉग से :
संसद और मीडिया में पिछले एक महीने से देश के सम्मुख मौजूद गंभीर आर्थिक संकट की चर्चा मुख्य रुप से हो रही है। डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत भयावह गति से नीचे जा रही है! इन दिनों टिप्पणीकार बार-बार सन् 1991 के उस संकट की तुलना वर्तमान स्थिति से कर रहे हैं जब पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार को अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष से भारत को 67 टन सोना गिरवी रख 2.2 बिलियन डॉलर का आपात कर्जा लेने को बाध्य होना पड़ा था।
दो दिन पूर्व दि इक्नॉमोक्सि टाइम्स (31 अगस्त) ने प्रकाशित किया है: ”सभी प्रयासों के बावजूद रुपए की गिरावट को रोकने में असफल रहने के बाद, अब नीतिनिर्माताओं ने मंदिरों के द्वार खटखटाने की योजना बनाई है।
आंध्र का तिरुपति मंदिर, महाराष्ट्र में शिरडी मंदिर, मुंबई में सिध्दिविनायक और केरल में पद्मानाभास्वामी मंदिर, देश के उन सर्वाधिक अमीर मंदिरों में से हैंजिनके पास सोने का अकूत भण्डार है, से केंद्रीय रिजर्व बैंक उनसे उनके सोने को नकद में परिवर्तित करने को कहेंगे।
arun-jaitleysushma-swarajदोनों सदनों में विपक्ष के नेताओं सहित संसद में भाजपा के दस नेताओं और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष 30 अगस्त को राष्ट्रपति से मिले और उन्हें, वर्तमान आर्थिक संकट के बारे में एक ज्ञापन सौंपा जिसमें हमने कहा है:
”सदैव की भांति भारत सरकार सच्चाई से मुंह मोड़ रही है। इतने भर से वह संतुष्ट नहीं है और वर्तमान संकट के लिए खुद को छोड़कर बाकी सभी पर आरोप लगा रही है। यह विपक्ष, राज्य सरकारों, भारत के रिजर्व बैंक और वैश्विक कारणों पर दोषारोपण कर रही है। गैर-जिम्मेदारी की हद तब पार हो गई जब वित्त मंत्री ने इसका ठीकरा अपने पूर्ववर्ती (वित्त मंत्री) पर थोप दिया और प्रधानमंत्री मौन साधे रहे। महोदय, अर्थव्यवस्था और देश पर छाया वर्तमान संकट मुख्य रुप से विश्वास का संकट है। यहां एक ऐसी सरकार है जो निर्णय लेने, नेतृत्व प्रदान करने या भविष्य के लिए आशा की एक किरण दिखाने में अक्षम है। यह भयंकर भ्रष्टाचार में फंसी है। यहां तक कि सर्वोच्च न्यायालय को भी अब संदेह है कि सरकार महत्वपूर्ण फाइलों को गायब कर साक्ष्यों को नष्ट करने का प्रयास कर रही है।
rajnath_singसंकट के इस मौके पर एक लकवाग्रस्त सरकार है, जो कभी नहीं बोलने वाले प्रधानमंत्री, एक ऐसा वित्त मंत्री जो गलत तरीके से अपने उस पूर्ववर्ती पर दोषारोपण करता है जो अपना बचाव नहीं कर सकता, एक ऐसी सर्र्वोच्च नेता जिसे इसकी चिंता नहीं है कि पैसा कहां से आएगा और एक जड़वत नौकरशाही जो अक्षम है, को देश वहन नहीं कर सकता। इस सरकार के मंत्री बेलगाम हैं और परस्पर विरोधी उद्देश्यों के लिए काम कर रहे हैं। भारत सरकार का राज्य सरकारों, विशेष रुप से गैर-यूपीए शासित राज्यों तथा विपक्षी दलों वाले राज्यों से सम्बन्ध निचले स्तर पर है। इसलिए, हम आप से अनुरोध करने आए हैं कि इस अनिश्चितता को समाप्त करने के लिए इस सरकार को शीघ्रातिशीघ्र नया जनादेश लेने की सलाह दें और अगामी तीन महीनों में होने वाले राज्य विधानसभाई चुनावों के सा

भाजपा जानती है समय से पहले चुनाव नहीं होंगे फिर भी दबाब के लिए राष्ट्रपति से सिफारिश का अनुरोध किया

L K Advani Addressing Media After Meeting President

L K Advani Addressing Media After Meeting President

भाजपा को मालूम है के समय से पहले चुनाव नहीं होंगे फिर भी केंद्र सरकार पर दबाब बनाने के लिए आज चुनाव के लिए राष्ट्रपति से सिफारिश का अनुरोध किया| भाजपा के एक शीर्ष न्रेतत्व मंडल ने आज राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात कर अनुरोध किया कि वह सरकार को जल्दी आम चुनाव कराने का सुझाव दें क्योंकि मौजूदा आर्थिक संकट की स्थिति में देश में चुनाव ही एकमात्र विकल्प है। राष्ट्रपति को सौंपे गए ज्ञापन पर एल के अडवाणी+ राजनाथ सिंह+ श्री मति सुषमा स्वराज+अरुण जेटली ने हस्ताक्षर किये हैं|
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर उपप्रधान मंत्री लालकृष्ण आडवाणी+पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह + नेता प्रतिपक्ष[लोक सभा ] श्री मति सुषमा स्वराज और अरुण जेटली[राज्य सभा]+पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा +पूर्व रक्षा मंत्री जसवंत सिंह+पूर्व अध्यक्ष वेंकैया नायडू+अनंत कुमार और रविशंकर प्रसाद ने आज राष्ट्रपति से इस संबंध में मुलाकात की।शुक्रवार को प्रणब मुखर्जी से मिलकर भाजपा के इन शीर्ष नेताओं ने देश की आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए शीघ्र चुनाव करने की मांग की| राष्ट्रपति को दिए ज्ञापन में भाजपा ने आग्रह किया है कि नवंबर में होने वाले तीन राज्यों के साथ ही लोकसभा चुनाव भी करा लिए जाएं। राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद श्री आडवाणी ने मीडिया को बताया के ‘मुझे पता है कि सरकार जल्द चुनाव नहीं कराएगी, लेकिन अगर राष्ट्रपति कोई प्रतिक्रिया देते हैं तो दबाव जरूर बनेगा।प्रधानमंत्री डॉ मन मोहन सिंह आर्थिक स्थिति सुधारने के स्थान पर विपक्ष की आलोचना मात्र करने लगते हैं| उन्होंने राज्यसभा में जिस तरह का भाषण दिया वह दुखद है। रविशंकर ने व्यंगात्मक शैली में कहा कि केंद्र सरकार खुद को बीमार मानेगी तभी तो उसके इलाज के लिए कार्यवाही की जा सकेगी| प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन के वक्तव्य को निराशा, नकारात्मकता और कड़वाहट भरा बताते हुए कहा है कि इसमें ईमानदारी की कमी है।
भाजपा प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति को यह याद दिलाने से भी नहीं चूका कि वित्त मंत्री बदहाली का ठीकरा बतौर पूर्व वित्त मंत्री उन्हीं (प्रणब) पर फोड़ रहे हैं, तो पीएम चुप रहकर इसका परोक्ष समर्थन कर रहे हैं। रविशंकर ने पत्रकारों से बातचीत में प्रणब का बचाव करते हुए कहा कि किसानों को कर्ज माफी का फैसला वर्तमान वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के ही समय में किया गया था|

प्रधान मंत्री ने रुपये की गिरावट के लिए देश और विदेशों में घटी अप्रत्याशित घटनाओं के साथ ही विपक्ष को भी जिम्मेदार ठहराया

प्रधान मंत्री ने रुपये की गिरावट को अस्थाई बताते हुए इसके लिए देश और विदेशों में घटी अप्रत्याशित घटनाओं के साथ ही विपक्ष को भी जिम्मेदार ठहराया प्रधानमंत्री डॉ .मनमोहन सिंह ने आज रुपये में तेज गिरावट पर चुप्पी तोड़ते हुए पहले लोक सभा और बाद में राज्य सभा में बयान दिया| “वर्तमान में रुपये की विनिमय दर में उतार-चढ़ाव पर सरकार की चिंता व्यक्त की| उन्होंने इसके लिए स्पष्टीकरण देते हुए देश और विदेशों में घटी अप्रत्याशित घटनाओं का विवरण भी सुनाया|इसके साथ ही उन्होंने लाबित पड़े अनेकों आवश्यक कानून का हवाला देते हुए विपक्ष और राज्य सरकारों पर भी भड़ास निकाली|
उन्होंने कहा कि देश के बाहर घटी कुछ अप्रत्याशित घटनाओं से बाजार पर विपरीत प्रतिक्रिया हुई है जिसके कारण रुपये की कीमत में तेजी से और अप्रत्याशित गिरावट आई। 22 मई, 2013 को यू.एस. सेन्ट्रल बैंक ने यह संकेत दिया था कि वह जल्द ही मात्रात्मक मूल्य में धीरे-धीरे कमी लाएगा क्योंकि अमेरिका की अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। इससे उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में पूंजी के प्रवाह पर विपरीत प्रभाव पड़ा जिसके फलस्वरूप न केवल रुपये में, बल्कि ब्राजील की रियाल, तुर्की की लीरा, इंडोनेशिया के रुपिया, दक्षिण अफ्रीका के रैंड और अन्य मुद्राओं में भी तेजी से गिरावट आ रही है।
जहां वैश्विक कारणों जैसे कि सीरिया में तनाव और यू.एस. फेडरल रिजर्व द्वारा मात्रात्मक मूल्य में धीरे-धीरे कमी लाने की नीति अपनाए जाने से उभरती बाजार मुद्राओं में सामान्य गिरावट आई है, वहीं हमारे चालू खाते में भारी घाटे और कुछ अन्य घरेलू कारणों से विशेष रुप से रुपया प्रभावित हुआ है। हम चालू खाता घाटे को कम करना चाहते हैं तथा अर्थव्यवस्था में सुधार लाना चाहते हैं।
वर्ष 2010-11 और इससे पूर्व के वर्षों में हमारा चालू खाता घाटा काफी सामान्य था और 2008-09 के संकट वाले वर्ष में भी इसका वित्त पोषण करना मुश्किल नहीं था। तभी से इसमें गिरावट आने लगी है, जिसके मुख्य कारण भारी मात्रा में सोने का आयात, कच्चे तेल के आयात और हाल ही में कोयले की ऊंची कीमतें रही हैं। निर्यात के क्षेत्र में, हमारे प्रमुख बाजारों में कमजोर मांग के कारण हमारा निर्यात का बढ़ना रुक गया है। लौह अयस्क के निर्यात में आई गिरावट के कारण भी निर्यात और अधिक प्रभावित हुआ है। इन सभी कारणों से हमारा चालू खाता घाटा निरंतर बढ़ा है।
स्पष्ट है कि हमें सोने के प्रति अपना मोह कम करना होगा, पेट्रोलियम उत्पादों का मितव्ययतापूर्ण इस्तेमाल करना होगा और अपने निर्यातों को बढ़ाने के उपाय करने होंगे।हमने चालू खाता घाटे को कम करने के उपाय किये हैं। हाल की तिमाही में विकास दर घटी है। मैं आशा करता हूं कि वर्ष 2013-14 की पहली तिमाही में विकास दर अपेक्षाकृत सामान्य रहेगी। लेकिन, मेरा यकीन है कि जैसे-जैसे अच्छे मानसून के नतीजे सामने आएंग, वैसे-वैसे विकास दर भी बढ़ेगी|
पी एम् ने तरलता की समस्यापर बोलते हुए कहा कि कई परियोजनाएं अव्यवहार्य नहीं हैं, बल्कि वे केवल विलंबित हैं। जबकि इसके विपरीत, दूसरे देशों में काफी संख्या में परियोजनाएं बनाए जाने के कारण बैंकिंग क्षेत्र में समस्याएं उत्पन्न हुई हैं। जैसे-जैसे ये परियोजनाएं सुचारु होंगी, वैसे-वैसे वे राजस्व सृजित करेंगी तथा ऋणों का भुगतान करेंगी। हमारे बैंकों के पास आधारभूत मानदंडों से अधिक पूंजी है और गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियों के निष्पादनकारी होने तक उन्हें वित्तपोषित करने की क्षमता है। विगत में आसान सुधार किए जा चुके हैं। अब हमें सुधार के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। इन सुधारों में सब्सिडी में कमी, बीमा और पेंशन संबंधी सुधार, अफसरशाही लाल फीताशाही को दूर करना और माल एवं सेवा कर लागू करना शामिल हैं। ये आसान सुधार नहीं हैं, इनके लिए राजनैतिक सहमति की आवश्यकता है।मैं, यहां सभी राजनैतिक दलों के सदस्यों से अनुरोध करुंगा कि वे समय की मांग पर ध्यान दें। कई आवश्यक कानून राजनैतिक सहमति न होने के कारण लंबित हैं। माल तथा सेवा कर जैसे सुधार, जिसे सभी लोग विकास दर फिर से हासिल करने हेतु आवश्यक मानते हैं, के लिये राज्यों की सहमति की आवश्यकता है। हमें ऐसे मुद्दों पर सहमति बनाने की आवश्यकता है। मैं राजनैतिक दलों से आग्रह करता हूं कि वे इस दिशा में कार्य करने और अर्थव्यवस्था को स्थायी विकास की राह पर वापस लाने के सरकार के प्रयासों में मदद करें।

प्रधानमंत्री ने आर्थिक स्थिति के लिए घरेलू कारकों के साथ ही अमेरिका के रुख में आये परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराया

प्रधान मंत्री डॉ मन मोहन सिंह ने आर्थिक समस्या के लिए अमेरिका के मौद्रिक रुख में बदलाव के साथ ही घरेलू कारकों को भी जिम्मेदार ठहराया है|
उन्होंने कहा कि ‘इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि देश को मुश्किल आर्थिक स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। इसके कई कारण हैं। मैं इससे इंकार नहीं करता कि कुछ घरेलू कारक इसके लिए जिम्‍मेदार हैं लेकिन अमरीका के मौद्रिक रुख में परिवर्तन के कारण अंतरराष्‍ट्रीय कारक भी इसके लिए जिम्‍मेदार हैं। सीरिया में नए तनावों के कारण उत्‍पन्‍न हुई कुछ समस्‍याएं भी है जो इस समय काफी गंभीर हैं तथा जिसका तेल की कीमतों पर निश्चित रूप से असर पड़ा है। वित्तमंत्री ने कहा बैंक सभी उद्योगों को ऋण प्रदान करें और वास्तविक चूककर्ताओं के प्रति सहानुभूति रखें

सांसद राजेंद्र अग्रवाल को गऊ रक्षकों ने सम्मानित किया

सांसद राजेंद्र अग्रवाल को गऊ रक्षकों ने सम्मानित किया

सांसद राजेंद्र अग्रवाल को गऊ रक्षकों ने सम्मानित किया

मेरठ हापुड़ के सांसद राजेंद्र अग्रवाल को आज गो रक्षक संघ ने सम्मानित किया|दिल्ली और गाजियाबाद से आये संघ के पदाधिकारियों ने सांसद के निवास पर जाकर सांसद को स्मृति चिन्ह भेंट किया| उल्लेखनीय है कि सांसद द्वारा पिछले दिनों संसद में प्रश्न उठाया और आयरन बढाने के लिए गोमांस को उपयोगी बताने वाली पुस्तक को बंद कराने के लिए आवाज उठाई थी | इस अवसर पर सांसद अग्रवाल ने कहा कि भारत कि अर्थ व्यवस्था को सुधारने के लिए पशु धन और विशेष कर गऊ धन विशेष उपयोगी हो सकता है|उन्होंने कहा कि केमिकल फर्टिलाईजरों के अंधाधुंध प्रयोग से समूचा वातावरण प्रदूषित हो रहा है ऐसे में जैविक खाद की तरफ लौटना जरुरी है|