[मुंबई]इंडियन बिस्मार्क सरदार पटेल की जयंती पर राष्ट्रीय एकता के लिए ३१ अक्टूबर को “रन फॉर यूनिटी”
इंडियन बिस्मार्क +लौहपुरुष+सरदार वल्ल्भ भाई पटेल की जयंती को ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा |३१ अक्टूबर को देश भर में रन फॉर यूनिटी का आयोजन भी किया जाएगा| महात्मा गांधी की स्मृति में अभी २ अक्टूबर को भारत को स्वच्छ बनाने के लिए झाड़ू चलाई गई थी अब तो ३१ अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता के लिए लोग दौड़ेंगे |गौरतलब है कि जर्मनी के बिस्मार्क द्वारा राष्ट्रीय एकीकरण के लिए प्रयास किये गए थे उसी तर्ज पर सरदार पटेल ने भी आजादी के बाद रियासतों को तिरंगे झंडे के नीचे ला कर एक मजबूत भारत का गठन किया था|
भारत सरकार ने 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस या राष्ट्रीय अखंडता दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है। आज मुम्बई में महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा बुलाई गई एक आधिकारिक बैठक में भाग लेने के बाद केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने और कोयला मंत्री पियूष गोयल ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि सरकार, सरदार पटेल द्वारा भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान और भारत की राष्ट्रीय अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए दिये गए योगदान के बारे में जागरूकता लाना चाहती है।
उन्होंने बताया कि सरदार पटेल को भारत के लौह-पुरुष के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के तुरंत बाद विभिन्न रजवाड़ों को भारत में मिलाने और आधुनिक भारत के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किये थे। इसलिए उनकी जयंती को राष्ट्रीय अखंडता के दिवस के रूप में मनाना उचित ही है। केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरदार पटेल के योगदान के बारे में काफी कम जागरुकता है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि उन्हें अभी हाल ही में पता चला है कि दसवीं कक्षा के इतिहास की पुस्तक में सरदार पटेल का जिक्र सिर्फ एक ही बार आया है।
सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के करमसांड में हुआ था। पेशे से एक सफल बैरिस्टर वल्लभ भाई पटेल महात्मा गांधी के नेतृत्व में चल रहे भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में शामिल हो गये और बाद में वे इस आन्दोलन के एक कद्दावर नेता के रूप में सामने आए। उन्होंने गुजरात के खेडा, बोरसाड़ और बाढ़दोली के किसान आन्दोलनों को आयोजित करने और ब्रिटिश शासन के विरुद्ध ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण नेता की भूमिका निभाई। वर्ष 1947-49 के दौरान 500 से अधिक स्वतंत्र रजवाड़ों को भारत में शामिल कराने का श्रेय उन्हीं को जाता है।वे पहले देश में गृह मंत्री थे
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