सत्ता के गलियारों में जे डी यूं और भाजपा के रिश्तों के विषय में पिछले कुछ समय से तैर रही फुसफुसाहट ने अब हकीकत का जामा पहन लिया है|जे डी यूं ने आखिर कार एन डी ऐ के १७ साल गठबंधन को तोड़ने का एलान कर ही दिया|इसके तात्कालिक प्रभाव के रूप में भाजपा के ११ मंत्री बिहार सरकार से निकाले गए और एन डी ऐ के संयोजक के पद को आदर्शवादी शरद यादव ने छोड़ दिया लेकिन यह किस्सा यही खत्म नही होता , इस का असली प्रभाव संसद के मानसून सत्र में भी दिखाई दे सकता है|
इसीबीच भाजपा में हुए टुर्मोइल [उथल पुथल]ने भी जे डी यूं को अवसर प्रदान कर दिया |भाजपा के चुनाव कमेटी के प्रभारी के रूप में नरेन्द्र मोदी की नियुक्ति ने यह अवसर भी दे दिया|और जे डी यूं ने इसी आधार पर भजपा से दूरी की घोषणा कर दी|इस अलगाव को नितीश कुमार जरुरी बता रहे हैं तो भाजपा की श्री मति सुषमा स्वराज +राज नाथ सिंह दुर्भाग्यपूर्ण बता रहे है|एन डी ऐ के दूसरे मुख्य घटक एस ऐ डी के नरेश गुजराल ने इसे स्थाई तलाक के बजाय अस्थाई अलगाव [ सेपरेशन ] बताया है| प्रकाश सिंह बादल ने भाजपा का साथ देने के संकल्प को दोहराया है|शिव सेना के राउत इसमें कांग्रेस का फायदा देख रहे हैं|
इस सारे घटना क्रम में यूं पी ऐ के एक साथी लालू प्रसाद यादव खुल कर नितीश को अवसर वादी और मुस्लिम वोटों के लोलूप बता रहे हैं लेकिन कांग्रेस की तरफ से बेहद सधी हुई और सतर्क प्रतिक्रिया आ रही है|प्रवक्ता सलीम ने नितीश कुमार को बधाई दी है| २४३ सदस्यों वाली बिहार विधान सभा में जे दी यूं के कुल ११८ सदस्य है और उन्हें केवल चार एम् एल ऐ और चाहियें जो सरलता से उपलब्ध हो जायेंगे ऐसे में १९ जून को नितीश बहुमत सिद्ध कर ही देंगे| इसके पश्चात भाजपा नरेन्द्र मोदी के नाम पर पिछड़ा कार्ड खेलने से नहीं चूकेगी और इसका प्रभाव नितीश सरकार पर पड़ना स्वाभाविक होगा| संसद का मानसून सत्र प्रारम्भ होना है | कांग्रेस के लिए खाद्य सुरक्षा यौजना को परवान चडाने के लिए संसद में बहुमत हासिल करना जरुरी है |२२ सांसदों वाले सपा के मुलायम सिंह यादव ने कांग्रेस के विरुद्ध अपने तेवर दिखा दिए हैं ऐसे में जे डी यूं के इतने ही सांसद प्राण दाई स्पोर्ट दे सकते हैं |यह कहना अभी परिकल्पित [ |HYPOTHETICAL ] कहा जा सकता है कि बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा लिए बगैर भी जे दी यूं के सांसद कांग्रेस का संसद में विरोध नही करेंगे| अगर जे दी यूं इस मुद्दे का बहिष्कार भी करती है तो भी यह इनके रुख को तो साफ़ ही कर करेगा| शायद यही आदर्शवादी नितीश कुमार और शरद यादव का लिटमस टेस्ट भी होगा|
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