Ad

Tag: J&K

Inspite Of Governments Assurance Number Of Pilgrims At Ksheer Bhawani May Not Be Satisfactory

[Srinagar] Inspite Of Governments Assurance Number Of Pilgrims At Ksheer Bhawani May Not Be Satisfactory
Pilgrims paying Obeisance at the Revered Temple of Ragnya Devi today on the occasion of Kheer Bhawani festival
Inspite Of Governments All Assurances Number Of Pilgrims May Not Be Satisfactory This Year
Last year, about 60,000 pilgrims visited the temple. But, this year the authorities believe 20,000 to 30,000 people would pay their respects at the temple.
“There are less number of pilgrims this year and this would have happened due to rains for the past few days,
Government has not done anything for the highway.
Whereas Governments have been saying that the road will be made better.
The pilgrims however praising the arrangements made by the government for the annual festival.

Centre For Examinations Changed To Summer Capital Jammu

It Is For All Those Candidates of NDA and NA Examination (II), 2014 Who Have Opted for Srinagar (J&K) as Examination Centre
That Centre For Examinations Is Changed From Hill Capital Srinagar To Summer Capital Jammu This change is made on the advice of J& K Govt.
NDA & NA examination (II), 2014 are scheduled to be held on 28.09.2014(Sunday),
Ministry Of Home Affairs ,Quoting Government of J & K ,has intimated that almost all the educational institutions of Srinagar are submerged or marooned, and based on the considered advice of the Government of Jammu & Kashmir, the Commission has decided to cancel the SRINAGAR Centre and accommodate all the candidates who have opted for Srinagar centre, AT JAMMU CENTRE.
Accordingly, the candidates of NDA & NA Examination (II), 2014 who have opted for Srinagar centre and were allotted GOVERNMENT S.P.HIGHER SECONDARY SCHOOL, MAULANA AZAD ROAD, SRINAGAR are advised by M H A to reach Government M. A. M. COLLEGE, UNIVERSITY ROAD, JAMMU to appear in the said examination.
e-Admit Cards also can be obtained from Venue Supervisor, at Government M.A.M. college, University Road, Jammu
file photo

डॉ मन मोहन सिंह ने दहशतगर्दी से लोहा ले रहे काश्मीर को भरोसा दिलाया कि पूरा भारत उनके साथ मुत्तहिद खड़ा है

प्रधान मंत्री डॉ मन मोहन सिंह ने दहशतगर्दी से आये दिन लोहा ले रहे जम्मू ,काश्मीर के अवाम को आज पुनः यह भरोसा दिलाया कि पूरा भारत रियासत में तेज़ रफ़्तार और हमहगीर(Sustainable) तरक्की को यक़ीनी बनाने के लिए उनके साथ खडा है| किश्‍तवाढ़ में 55 सौ करोड़ रुपए की लागत से 850 मेगावॉट की अपने किस्म कि पहली रतले पन बिजली परियोजना की आधारशिला रखने के मौके पर प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि “आज सबसे पहले मैं अपनी forces के उन जवानों को अपना ख़िराजे अक़ीदत पेश करना चाहूंगा जो मुल्क की हिफ़ाज़त के सिलसिले में दहशतगर्दों से लोहा लेते हुए शहीद हुए हैं। मैं यह भी वाज़ेह कर देना चाहता हूं कि

हमारा पूरा मुल्क दहशतगर्दों के ख़िलाफ मुत्तहिद होकर खड़ा है और दहशतगर्द अपने मक़ासिद में कभी कामयाब नहीं हो पाएंगे।

सभी के सहयोग से नौज़वान नस्लों के लिए एक बेहतर मुस्तक़बिल की तामीर की जा सकेगी|
850 मेगावाट के रतले Hydroelectric प्रोजेक्ट की संगेबुनियाद रख कर मुझे बड़ी खुशी हो रही है। ये प्रोजेक्ट रियासत जम्मू व कश्मीर में मौजूद जबरदस्त Hydroelectric Potential को बरू-ए-कार लाने की हमारी कोशिशों के सिलसिले में एक अहम कदम है।
मुझे बताया गया है कि ये मुल्क का पहला Hydroelectric प्रोजेक्ट है जिसको अमल में लाने के लिए International tariff based competitive bidding का जरिया अपनाया गया है।
ये बात भी काबिलेज़िक्र है कि 262 करोड़ रुपए की लागत वाले Environmental Management और Rehabilitation & Resettlement मंसूबे इस प्रोजेक्ट के साथ-साथ अमल में लाए जाएंगे। मुझे पूरा यकीन है कि रियासती हुकूमत और प्रोजेक्ट से वाबिस्ता और लोग वो तमाम कदम उठाएंगे जिनके तहत प्रोजेक्ट के इलाके में रहने वाले लोगों को उनका हक आसानी से हासिल हो सके। इसमें National Resettlement and Rehabilitation Policy के मुताबिक रोज़गार और मकामी ज़रूरियात के मुताबिक इज़ाफी फायदे शामिल हैं।
मैं रियासती हुकूमत को इस प्रोजेक्ट पर मुबारकबाद देता हूं। साथ ही मैं रियासती हुकूमत, Project Developers और Project से वाबिस्ता दीग़र एजेंसियों को अपनी नेक ख्वामहिशात पेश करता हूं। मैं उम्मीद करता हूं कि इस Project को उसकी तकमील की तयशुदा तारीख फरवरी 2018 तक पूरा करने की हर मुमकिन कोशिश की जाएगी। मुझे ये भी यक़ीन है कि रतले प्रोजेक्ट से पैदा होने वाली बिजली जम्मू व कश्मीर के अवाम की खुशहाली बढ़ाने में अहम किरदार अदा करेगी और तामीर-ए-क़ौम की हमारी कोशिशों को और पक्का करेगी।
मुझे पूरा यक़ीन है कि कई मुश्किल भरे साल गुज़रने और हमारी इज़तेमाई कोशिशों के नतीजे में जम्मू व कश्मीर अब तेज रफ़्तार तरक्की के रास्ते पर चल निकला है। ताहम हमें यह बात याद रखनी चाहिए कि दीग़र चीज़ों के अलावा बिजली की अच्छी दस्तयाबी हमारी तरक्की की कोशिशों की रफ़्तार को बनाए रखने के लिए बहुत लाज़िम है। एक तरफ जहां चिनाब, झेलम, सिंधु जैसी नदियों ने जम्मू व कश्मीर को 14,000 मेगावाट के Hydroelectric Potential से मालामाल कर रखा है, वहीं हम अब तक महज़ 2500 मेगावाट के Potential को ही बरू-ए-कार ला सके हैं। रियासती और मरकज़ी हुकूमतें बाकी Potential को भी बरू-ए-कार लाने के लिए तमामतर कोशिशें कर रही हैं और इस बारे में मैं रि‍यासत के लोगों को यकीन दि‍लाना चाहता हूँ कि‍ जो भी काम समय पर न होगा मरकजी सरकार उसमें पूरा-पूरा सहयोग और मदद देगी। इसके अलावा मरकज़ी हुकूमत जम्मू व कश्मीर की रियासत को बिजली की मौसमियाती किल्लत का सामना करने के लायक बनाने के लिए भी अपना तआव्वुन दे रही है और देती रहेगी।
एक तरफ जहां रियासत-ए-जम्मू व कश्मीर को मरकज़ी जनरेटिंग स्टेशनों से की जाने वाली बिजली की Supply बढ़कर 1664 मेगावाट हो गई है फिर भी रियासत में बिजली की किल्लत है। रियासत को इस कमी पर काबू पाने का अहल बनाने के लिए मुझे इस मौके पर ये ऐलान करते हुए खुशी हो रही है कि मरकज़ की जानिब से रियासत जम्मू-कश्मीर को मज़ीद 150 मेगावाट बिजली की Supply की जाएगी। मुझे इस बात की भी खुशी है कि National Hydroelectric Power Corporation के दो हालिया तक़मीलशुदा Hydroelectric प्रोजेक्टों यानी नीमूबाज़गो और चुटक से मुकम्मल 89 मेगावाट बिजली जम्मू-कश्मीर के अवाम को दस्तयाब अब हो रही है। मैं यह भी उम्मीद करता हूं कि मुस्तकबिल करीब में बारामूला का उड़ी-2 प्रोजेक्ट भी चालू होने के लिए तैयार हो जाएगा।
जम्मू-कश्मीर की मजमूई तरक्की के एक हिस्से के तौर पर एनएचपीसी ने रियासत के 5 आईटीआई इदारों की हालत बेहतर बनाने के लिए उनको अपनी निगरानी में लिया है और 2 मज़ीद आईटीआई इदारों को वह आइंदा अपनी निगरानी में ले लेंगे। इसके अलावा एनएचपीसी गांदरबल के नज़दीक कंगन में एक हाइड्रो ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट भी कायम करेगी। इसके लिए एक Memorandum of Understanding पर हाल ही में एनएचपीसी और जम्मू-कश्मीर State Power Corporation के माबेन दस्तख़त किए गए हैं। पॉवर ग्रिड कार्पेारेशन ऑफ इंडिया भी रियासत में एक आईटीआई इदारा कायम करेगी। हम एक हज़ार 629 करोड़ रुपए की लागत से श्रीनगर-लेह Transmission लाइन बिछाने का मंसूबा बना रहे हैं ताकि यहां से बिजली निकासी और तरसील का रास्ता हमवार हो सके। इसके ज़रिए लद्दाख के इलाके को पूरे साल बिजली की दस्तयाबी हो सकेगी। तरक्की के लिए सलामती एक पेशगी शर्त है। हमारा मुशाहदा है कि जम्मू व कश्मीर में सलामती सूरत-ए-हाल में बेहतरी नज़र आई है। साल 2012 में रियासत में दहशतग़र्दी के नतीजे में रुनुमा होने वाला तशद्दुद पिछली दो दहाईयों में सबसे कम रहा है। हालांकि हमें अभी कल जैसे वाक़यों को पूरी तरह से रोकने की ज़रूरत है। इसके साथ हमें अवाम में ऐतेमाद पैदा करने और इन्तेज़ामी उमूर में उनकी शिरकत को बढ़ावा देने की कोशिशों को जारी रखना चाहिए।
2004 में रियासत के अपने एक दौरे के दौरान मैंने जम्मू-कश्मीर के लिए अस्सर-ए-नो तामीर के एक मंसूबे का ऐलान किया था। इसमें 37,000 करोड़ रुपए से ज़्यादा के Projects और स्कीमें शामिल थीं जिनका मक़सद इकतेसादी बुनियादी ढांचे की तामीर, बुनियादी ख़िदमात की फराहमी, रोज़गार और आमदनी पैदा करने वाली सरगर्मियों को फरोग़ देना और देहशतगर्दी से मुतास्सिर ग्रुपों की Rehabilitation & Resettlement था। मुझे ये भी इत्तला देते हुए खुशी हो रही है कि मज़कूरा तामीर-ए-नो के मंसूबे के तहत शामिल 67 प्रोजेक्टों और स्कीमों में से, 34 के सिलसिले में, काम मुकम्मल हो चुका है। बाकी कामों को लागू करने में अच्छी पेशरफ्त हो रही है। इसके अलावा करीब 1000 करोड़ रुपए की लागत के प्रोजेक्टों को लागू किया जा रहा है ताकि जम्मू और लद्दाख के खित्तों की खुसूसी तरक्कियाती ज़रूरतों की तकमील हो सके।
जम्मू-कश्मीर के नौज़वानों को हुनरमंदी की तरबियत देने और मुफीद रोज़गार फराहम कराने के लिए लागू की जा रही ‘हिमायत’ और ‘उड़ान’ नाम की स्कीमों के हौसलाअफज़ा नतीजे सामने आए हैं। जम्मू व कश्मीर के लिए खुसूसी वज़ीफे की स्कीम ने रियासत के नौज़वानों की हौसलाअफज़ाई की है और उन्हें इस काबिल बनाया है कि वो मुल्क के दीग़र हिस्सों में दस्तयाब बेहतरीन तालीमी सहूलतों से मुस्तफीद हो सकें।
जम्मू व कश्मीर के अवाम के लिए एक बेहतर मुस्तक़बिल की फराहमी से वाबिस्ता हमारी पालिसियां पूरी तरह से उसी वक़्त कामयाब हो सकती हैं जब रियासत में जारी तमाम सियासी और इक़तेसादी अमल में जम्हूरियत और शिराकत का माहौल कायम रहे। इस अमल में हर सतह पर होने वाले Elections भी शामिल हैं। ये Elections सही मायनों में अवामी ख्वाहिशात और उम्मीदों का इज़हार करते हैं। लिहाज़ा मैं तमाम लोगों से गुजारिश करूंगा कि वो इस तरह के अमल में बाकायदगी से शामील हों, शरीक़ हों ताकि हम सब मिलकर जम्मू और कश्मीर की नौज़वान नस्लों के लिए एक बेहतर मुस्तक़बिल की तामीर कर सकें।”