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Tag: Juvenile Justice (Care and Protection of Children)

राजकीय बाल सम्प्रेषण केंद्र में सुधारे जा रहे अपराधियों को काबू करने के लिए आंसूं गैस के गोले

[मेरठ]राजकीय बाल सम्प्रेषण केंद्र [बच्चा जेल]में सुधारे जा रहे कथित किशोर अपराधियों की हिंसक अराजकता को काबू करने में नाकाम रही स्थानीय पोलिस द्वारा आर ऐ ऍफ़ से आंसूं गैस के गोले दगवाए गए |इसके पीछे सुधार गृह में बिजली +पानी+खाना आदि सुविधाओं का अभाव+अव्यवस्था आदि कारण बताये जा रहे हैं लेकिन यह अराजकता देखते हुए की अभी भी कहा जाएगा कि बच्चों से गलती हो जाती हैं और नाबालिग अपराधियों को कठोर दण्ड नहीं मिलने चाहिए |
राजकीय बाल सम्प्रेषण केंद्र में सुधार के लिए लाये गए कथित बाल अपराधियों की अराजकता को काबू करने के लिए शुक्रवार को पोलिस +आर ऐ ऍफ़ को आंसूं गैस के गोले तक छोड़ने पड़े |
सूरज कुण्ड स्थित राजकीय बाल संप्रेक्षण गृह के अपराधी [कथित] किशोरों ने शुक्रवार को कई घंटों तक बवाल काटा।
यहां दो घंटे से अधिक समय तक अराजकता का राज रहा और सुधारे जा रहे किशोंरों ने पुलिस+प्रासीक्यूटर+प्रशासन को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा।
यहाँ तक असहाय दिख रहे एसओ नौचंदी समेत स्टाफ भी बंधक बना लिया गया।
रिकार्ड फाड़े और कंप्यूटर तोड़े गए। पुलिस ने आरएएफ को बुलाकर आंसू गैस के गोले छोड़े तब जाकर इन उपद्रवियों किशोरों पर काबू पाया जा सका।
सूरजकुंड के राजकीय बाल संप्रेक्षण गृह में दोपहर दो बजे के आसपास प्रथम तल पर अदालत लगी हुई थी। जहां पेशी के दौरान ही किशोरों ने हंगामा शुरू कर दिया और कहने लगे कि बिजली नहीं आने से गर्मी में नींद नहीं आती। खाना भी खराब दिया जाता है। हंगामे की सूचना पर सीओ सिविल लाइन शिवराज सिंह और एसओ नौचंदी विनोद कुमार सुधार गृह पहुंच गए। इसके बाद किशोर उग्र हो गए। दरवाजे और खिड़कियों को तोड़कर पुलिस पर हमला कर दिया।। एसओ नौचंदी विनोद कुमार को बाथरूम में बंद करने का भी सूचना है | कोर्ट की सदस्य शोभा सक्सेना+कोर्ट मोहर्रिर वाजिद+पेशकार आशा + रति सागर को भी बंधक बना लिए गए
किशोरों ने तीसरी मंजिल से बाहर खड़ी पुलिस पर पथराव करते हुए कांच फेंका। किशोरों ने बैरकों के गेट पर गैस सिलेंडर तक लगा रखे थे फोर्स के आगे बढ़ने पर गैस सिलेंडर में आग लगाने की धमकी भी दी गई।
गौरतलब है कि राजकीय बाल संप्रेक्षण गृह लगातार विवादों में रहा है। जांच के आदेश काई बार दिए जा चुके हैं मगर कुछ दिनों बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। इस सुधार गृह की क्षमता से दोगुने किशोर बंदी रखे गए है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम 2005 की धारा 17 के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग का गठन किया गया है। लेकिन इसके लिए अभी तक आवश्यक नियमावली तक नहीं बनाई जा सकी है |शायद इसी इच्छा शक्ति के आभाव में इस गृह को जिला कारागार के पास शिफ्ट करने के लिए निर्णय नहीं लिए जा सके हैं |यहां तक कि गंभीर अपराधियों को भी यहाँ रख कर उनके सुधार के नाम पर इस प्रकार से दुर्दांत अपराधी बनाया जा रहा है |