यादों के सहारे सबकी जिंदगानी कट ही जाती है झल्ला
अपने लिए तो जवाँ नजर का पहला अहसास ही काफी है
पहली कमाई संजों कर रखने की रहती है सबको आस
पहली नजर का पहला नजराना भी होता है कुदरती देन
पहली जवाँ छुवन का अहसास रहता है जिंदगी भर याद
असली होती है ,पवित्र होती है, होती है ये पहली सौगात
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पहली जवाँ छुवन का अहसास रहता है जिंदगी भर याद
उनको ये शिकायत है कि हम शक करते हैं हुस्न पर शक करना तो अपनी मजबूरी है
उनको ये शिकायत है कि हम शक करते हैं
हुस्न पर शक करना तो अपनी मजबूरी है
ये कोई छुपा रहस्य नहीं, खुली हकीकत है
हुस्न को हकीकत समझाना खीर ढेड़ीहै
इश्क और शक एक ही सिक्के के दो पहलू हैं
इस राजे जिंदगानी का जानना भी जरूरी है
इश्क एक तोहफा है,नेमत है,करिश्मा है
इसीलिए अजीब सी दौलत का खजाना है
खजाने को पाने के बाद हिफाजत जरूरी है
हिफाजत के लिए ही शक करना भी जरूरीहै
अपने दिमाग के हवाले मेरा “दिल” करने की जरुरत क्या थी?
यूं मुड़ के ही देखना था तो उस तरफ जाने की जरुरत क्या थी
अपने दिमाग के हवाले मेरा “दिल” करने की जरुरत क्या थी
हम तेरे थे ,अभी भी तेरे हैं और तमाम उम्र सिर्फ तेरे ही रहेंगे
छोड़ जाने के बाद यह सच्चाई आजमाने की जरुरत क्या थी
न पाया है और नहीं कभी चैन पाओगी”बेवफा”इस जिंदगी में
सच्चे दिल से निकली आह झल्ला कभी भी बेकार नहीं जायेगी
चश्मा चडा है हर तरफ कोई नज़र नही पिलाती: रिंद बने नहीं जन्नत भी हाथ से गई
नज़रें मिलते ही दीखता था कभी रंग गुलाबी ।
दिल से लेकर आत्मा भी हो जाती थी शराबी ।।
इस उम्र में ये क्या सितम है मेरे पालन हार।
न ही वोह नज़र है और ना ही वोह खुमार।।
चश्मा चडा है हर तरफ कोई नज़र नही पिलाती
लाल,गुलाबी रंग शबाबी सारे हो गए अब किताबी
शराब के भी पैग अब तो बस मिलते हैं हिसाबी|
रिंद तो बन नहीं सके जन्नत भी हाथ से गई
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