[कोलकाता] केंद्रीय सरकार अब एलपीजी की तर्ज पर ही केरोसिन पर भी सीधे सब्सिडी मुहैया कराने की योजना बना रही है।इसकी जानकारी आज पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धमेंद्र प्रधान ने सीआईआई की गोष्ठी में दी |
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि जरूरतमंद तबके को सब्सिडी मुहैया कराने के लिए एलपीजी की तरह केरोसिन पर भी सीधे सब्सिडी मुहैया कराने की योजना बनाई जा रही है।
उपभोक्ताओं से एलपीजी, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस से जुड़ी सब्सिडी छोड़ने की अपील करते हुए पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धमेंद्र प्रधान ने आज दोहराया कि अब समय आ गया है कि सरकार को सब्सिडी के मुद्दे पर विचार करना चाहिये |
प्रधान ने कहा ‘‘वित्त मंत्री ने मुझसे यह पूछा कि क्या एलपीजी सब्सिडी प्राप्त करे वाले उपभोक्ताओं के लिए आय सीमा तय किये जाने पर विचार करने का समय आ गया है। मैंने उनसे कहा कि इस पर विचार करने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण लागू करने के बाद से पिछले वित्त वर्ष के दौरान सरकार को 15,000 करोड़ रपए की बचत हुई है।
प्रधान ने कहा कि तीन करोड़ नकली एलपीजी कनेक्शन खत्म किए गए जिससे यह बचत हुई।
मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार जरूरतमंद तबके को सब्सिडी मुहैया कराने के लिए एलपीजी की तरह केरोसिन पर भी सीधे सब्सिडी मुहैया कराने की योजना बना रही है।उन्होंने कहा कि देश के पूर्वी भाग में एलपीजी सब्सिडी वापस करने के मामले सबसे कम रहे। कोलकाता में यह आंकड़ा एक लाख से भी कम रहा जबकि राष्ट्रीय स्तर पर 46 लाख कनेक्शन वापस किए गए।
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केरोसिन पर भी एलपीजी की तर्ज पर ही सीधे सब्सिडी मिलेगी
मोदी सरकार का दावा: एक साल में 14,672 करोड़ रुपए की फर्जी सब्सिडी बचाई
[नई दिल्ली]मोदी सरकार का दावा: एक साल में 14,672 करोड़ रुपए की फर्जी सब्सिडी बचाई
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा जारी एलपीजी सिलेंडरों पर सब्सिडी के विषय में जानकारी के अनुसार देश में फिलहाल ३.३४ करोड़ फर्जी खाते पाये गए हैं जिन्हें ब्लॉक करने से एलपीजी सब्सिडी की अनुमानित बचत इस वर्ष के दौरान 14,672 करोड़ रुपए की बैठती है।
मंत्रालय द्वारा सब्सिडी पर फैली भ्रांतियों को क्लीयर करते हुए बताया गया है के 1 अप्रैल, 2015 को कुल मिलाकर 18.19 करोड़ पंजीकृत एलपीजी उपभोक्ता और 14.85 करोड़ सक्रिय उपभोक्ता थे। इसका मतलब यही हुआ कि ऐसे 3.34 करोड़ उपभोक्ता पाए गए, जो डुप्लीकेट/फर्जी/निष्क्रिय खाते हैं और जिन्हें ‘पहल’ योजना तथा संबंधित कदमों के तहत ब्लॉक किया गया है। अगर हम प्रति उपभोक्ता 12 सिलेंडरों के कोटे और वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान प्रति सिलेंडर 336 रुपए की औसत एलपीजी सब्सिडी को ध्यान में रखें, तो 3.34 करोड़ खातों को ब्लॉक करने से एलपीजी सब्सिडी की अनुमानित बचत इस वर्ष के दौरान 14,672 करोड़ रुपए की बैठती है।
पीएम के वार्षिक रेडियो रिपोर्ट कार्ड के अनुसार “मन की बात””साइलेंट रेवोलुशन”बनी
[नई दिल्ली]पीएम के वार्षिक रेडियो रिपोर्ट कार्ड के अनुसार “मन की बात””साइलेंट रेवोलुशन” बनी पीएम ने लोकप्रिय”मन की बात”कार्यक्रम के१वर्ष पूर्ण होने पर रेडियो रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत किया
भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम के एक वर्ष पूर्ण होने पर अपना प्रभावी रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत किया
पी एम ने बताया के रेडियो पर की गई अपील के असर से
[१]तीस लाख परिवारों ने एलपीजी की सब्सिडी छोड़ दी है|
[२]खादी की बिक्री एक वर्ष में दोगुनी हो गई है
[३]सेल्फ़ी विद डॉटर से साइलेंट रेवोलुशन की तर्ज पर कन्यायों को गरिमा मिली है
[४]इनक्रेडिबल इंडिया की अपील पर पूरे देश में टूरिज्म महत्व की विरासतें एक नक़्शे पर आ गई है
[५]५५ हजार लोगों ने टेलीफोन कॉल करके सुझाव दिए
नरेंद्र मोदी ने बताया के
“मैंने एक दिन ऐसे ही कह दिया था कि सेल्फ़ी विद डॉटरऔर सारी दुनिया अचरज हो गयी, शायद दुनिया के सभी देशों से किसी-न-किसी ने लाखों की तादाद में सेल्फ़ी विद डॉटर और बेटी को क्या गरिमा मिल गयी। और जब वो सेल्फ़ी विद डॉटर करता था, तब अपनी बेटी का तो हौसला बुलंद करता था, लेकिन अपने भीतर भी एक कमिटमेंट पैदा करता था। जब लोग देखते थे, उनको भी लगता था कि बेटियों के प्रति उदासीनता अब छोड़नी होगी। एक साइलेंट रेवोलुशन था।
पी एम मोदी ने बताया
“भारत के टूरिज्म को ध्यान में रखते हुए मैंने ऐसे ही नागरिकों को कहा था, “इनक्रेडिबल इंडिया ”, कि भई, आप भी तो जाते हो, जो कोई अच्छी तस्वीर हो, तो भेज देना, मैं देखूंगा। यूँ ही हलकी-फुलकी बात की थी, लेकिन क्या बड़ा गज़ब हो गया! लाखों की तादाद में हिन्दुस्तान के हर कोने की ऐसी-ऐसी तस्वीरें लोगों ने भेजीं। शायद भारत सरकार के टूरिज्म ने, राज्य सरकार के टूरिज्म डिपार्टमेंट ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि हमारे पास ऐसी-ऐसी विरासतें हैं। एक प्लेटफार्म पर सब चीज़ें आयीं और सरकार का एक रुपया भी खर्च नहीं हुआ। लोगों ने काम को बढ़ा दिया।
पी एम ने खादी के विकास पर बोलते हुए कहा
मुझे ख़ुशी तो तब हुई कि पिछले अक्टूबर महीने के पहले मेरी जो पहली ‘मन की बात’ थी, तो मैंने गाँधी जयंती का उल्लेख किया था और लोगों को ऐसे ही मैंने प्रार्थना की थी कि 2 अक्टूबर महात्मा गाँधी की जयंती हम मना रहे हैं। एक समय था, खादी फॉर नेशन (Khadi for Nation). क्या समय का तकाज़ा नहीं है कि खादी फॉर फैशन (Khadi for Fashion) – और लोगों को मैंने आग्रह किया था कि आप खादी खरीदिये। थोडा बहुत कीजिये। आज मैं बड़े संतोष के साथ कहता हूँ कि पिछले एक वर्ष में करीब-करीब खादी की बिक्री डबल हुई है। अब ये कोई सरकारी विज्ञापन से नहीं हुआ है। अरबों-खरबों रूपए खर्च कर के नहीं हुआ है। जन-शक्ति का एक एहसास, एक अनुभूति।
एल पी जी पर मन की बात सुनते हुए पी एम ने कहा
एक बार मैंने ‘मन की बात’ में कहा था, गरीब के घर में चूल्हा जलता है, बच्चे रोते रहते हैं, गरीब माँ – क्या उसे gas cylinder नहीं मिलना चाहिए? और मैंने सम्पन्न लोगों से प्रार्थना की थी कि आप सब्सिडी सरेंडर नहीं कर सकते क्या? सोचिये… और मैं आज बड़े आनंद के साथ कहना चाहता हूँ कि इस देश के तीस लाख परिवारों ने गैस सिलिंडर की सब्सिडी छोड़ दी है – और ये अमीर लोग नहीं हैं। एक TV channel पर मैंने देखा था कि एक रिटायर्ड टीचर , विधवा महिला, वो क़तार में खड़ी थी सब्सिडी छोड़ने के लिए। समाज के सामान्य जन भी, मध्यम वर्ग, निम्न-मध्यम वर्ग जिनके लिए सब्सिडी छोड़ना मुश्किल काम है। लेकिन ऐसे लोगों ने छोड़ा। क्या ये साइलेंट रेवोलुशन नहीं है? क्या ये जन-शक्ति के दर्शन नहीं हैं?
इस सफलता को देखते हुए मेरा भरोसा विश्वास में पलट गया, श्रद्धा में पलट गया और इसलिये मैं आज ‘मन की बात’ के माध्यम से फिर एक बार जन-शक्ति को शत-शत वन्दन करना चाहता हूँ, नमन करना चाहता हूँ। हर छोटी बात को अपनी बना ली और देश की भलाई के लिए अपने-आप को जोड़ने का प्रयास किया। इससे बड़ा संतोष क्या हो सकता है?
‘मन की बात’ में इस बार मैंने एक नया प्रयोग करने के लिए सोचा। मैंने देश के नागरिकों से प्रार्थना की थी कि आप टेलीफोन करके अपने सवाल, अपने सुझाव दर्ज करवाइए, मैं ‘मन की बात’ में उस पर ध्यान दूँगा। मुझे ख़ुशी है कि देश में से करीब पचपन हज़ार से ज़्यादा फ़ोन कॉल्स आये। चाहे सियाचिन हो, चाहे कच्छ हो या कामरूप हो, चाहे कश्मीर हो या कन्याकुमारी हो। हिन्दुस्तान का कोई भू-भाग ऐसा नहीं होगा, जहाँ से लोगों ने फ़ोन कॉल्स न किये हों। ये अपने-आप में एक सुखद अनुभव है। सभी उम्र के लोगों ने सन्देश दिए हैं। कुछ तो सन्देश मैंने खुद ने सुनना भी पसंद किया, मुझे अच्छा लगा। बाकियों पर मेरी टीम काम कर रही है। आपने भले एक मिनट-दो मिनट लगाये होंगे, लेकिन मेरे लिए आपका फ़ोन कॉल , आपका सन्देश बहुत महत्वपूर्ण है। पूरी सरकार आपके सुझावों पर ज़रूर काम करेगी।
लेकिन एक बात मेरे लिए आश्चर्य की रही और आनंद की रही। वैसे ऐसा लगता है, जैसे चारों तरफ नेगेटिविटी है, नकारात्मकता है। लेकिन मेरा अनुभव अलग रहा। इन पचपन हज़ार लोगों ने अपने तरीके से अपनी बात बतानी थी। बे-रोकटोक था, कुछ भी कह सकते थे, लेकिन मैं हैरान हूँ, सारी बातें ऐसी ही थीं, जैसे ‘मन की बात’ की छाया में हों। पूरी तरह सकारात्मक, सुझावात्मक, सृजनात्मक – यानि देखिये देश का सामान्य नागरिक भी सकारात्मक सोच ले करके चल रहा है, ये तो कितनी बड़ी पूंजी है देश की। शायद 1%, 2% ऐसे फ़ोन हो सकते हैं जिसमें कोई गंभीर प्रकार की शिकायत का माहौल हो। वर्ना 90% से भी ज़्यादा एक ऊर्जा भरने वाली, आनंद देने वाली बातें लोगों ने कही हैं।
मोदी का नया “करोड़ी” नारा !कहो एलपीजी सब्सिडी अब नहीं प्यारा
मोदी का नया “करोड़ी” नारा !कहो एलपीजी सब्सिडी अब नहीं प्यारा
अक्सर देखने में आता है कि जब कभी भी कोई नया नारा उछला जाता है तो पुराने नारे का महत्व कम होजाता है|कमोबेश यही पीएम नरेंद्र मोदी के नारों में भी आज कल देखने को मिल रहा है | अभी तक अपने विपक्षियों के नारों को छोटा या नगण्य करने के लिए नए नए नारे गढ़े जाते रहे हैं लेकिन यहां थोड़ा अंतर हैं क्योंकि यह प्रधान मंत्री के अपने ,मात्र दस महीनों में ही उछले गए,नारों से संबंधित है|ऐसा नहीं कि ये महज नारे ही हैं क्योंकि लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के बाद मोदी के नारों ने जन मानस को प्रभावित किया है|गरीबों के कल्याण के लिए एलपीजी के २ लाख उपभोक्ता सब्सिडी छोड़ भी चुके हैं | फ़िलहाल १ करोड़ का लक्ष्य रखा गया है| इस नए नारे के पीछे स्वछता का नारा सम्भवत पार्श्व में जाता दिख रहा है | अपनी आम सभाओं के अंत में मोदी अपने समर्थकों से आस पास फैले खाली बोतल+कागज आदि को समेटने का भी आग्रह करते थे | आज कल उस आग्रह के स्थान पर एलपीजी सब्सिडी छोड़ोका नारा आ गया है |चुनावों के पश्चात की इन जनसभाओं में जिस प्रकार भीड़ उमड़ कर आ रही है उसे देख कर कहा जा सकता है कि पुराने नारे की भांति इस का भी सकारात्मक लाभ जरूर होगा|ऐसा नहीं हे कि मोदी ने स्वछता अभियान को पूरी तरह पीछे छोड़ दिया है क्योंकि वोह अपने भाषणों में उसका उल्लेख जरूर करते हैं बेंगकुरु में भी उन्होंने कहा कि ‘सब्सिडी छोड़ो’ अभियान को ‘स्वच्छ भारत’ तथा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की तरह ही लिया जाना चाहिए| न्यू होराइजन एजुकेशनल इंस्टीटूशन ने बेंगलुरु में ही मोदी को स्वच्छ भारत इनिशिएटिव ,में पांच करो रुपयों का चेक भेंट किया है |जिस प्रकार जनसभाओं में भाषण के अंत में लोगों से अपने आस पास फैली खाली बोतलों और कागजों को समेटने के लिए आग्रह करते थे वोह विशेष आग्रह अब नहीं दिखाई दे रहा |
राजनीतिक चश्मे से अगर इसे देखा जाये तो सत्ता परिवर्तन के लिए मोदी को आम आदमी पार्टी और कांग्रेस से चुनावी मुकाबिला करना था इसके लिए जन मानस को अपनी और मोड़ने के लिए प्रयोग जरूरी थे |”आप “पार्टी चूंकि राजनीतिक सफाई के लिए अभियान चला रही थी तो मोदी ने स्वयं झाड़ू पकड़ कर आम और खास की दूरी को समाप्त कर दिया इसका परिणाम भी सकारात्मक ही आया विपक्ष के कटाक्षों के बावजूद सफाई अभियान पूरे देश में चल निकला|
अब कांग्रेस ने अपने पारम्परिक वोट बैंक को समेटना शुरू कर दिया है|कांग्रेस शुरू से ही गरीबों और किसानों के नाम पर सत्ता में रही है | कांग्रेस अब सत्ता में है नही इसीलिए उसके पास गरीबों को देने के लिए आलोचनाओं और वायदों के आलावा और कुछ नहीं बचा तो मोदी का यह कार्यक्रम सीधे गरीबों के बैंक खातों में सब्सिडी का पैसा पहुंचाएगा |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज कल जनसभाओं में समाज के संपन्न तबके से अपनी रसोई गैस सब्सिडी[LPG] छोड़ने का आह्वान करते हैंइसके लिए उन्होंने “गिव इट अप” का नारा दिया है | आरबीआई का स्थापना दिवस हो या फिर बंगलुरु में भाजपा का कार्यक्रम हो मोदी सब जगह सम्पन्न लोगों से एलपीजी पर सब्सिडी छोड़ने का आह्वाहन कर रहे हैं |बेंगलुरु में तो उन्होंने देश के राजनीतिक नेताओं के साथ ही डॉक्टर्स+इंजीनियर आदि से भी इसके लिए आग्रह कर दिया है|
वापिस की गई सब्सिडी का इस्तेमाल गरीबों को सब्सिडीशुदा गैस कनेक्शन देने में किया जाएगा.ऐसा कहा जा रहा है |
श्री मोदी के अनुसार समाज के संपन्न तबके से प्राप्त सिलेंडर उन गरीबों को स्थानांतरित किए जाएंगे जो कि खाना पकाने के लिए लकड़ियों का इस्तेमाल करते हैं. एक करोड़ लोग एलपीजी सब्सिडी छोड़ते हैं तो एक करोड़ गरीबों को लाभ होगा |मोदी ने कहा,‘ मैं सभी सांसदों, विधायकों, मंत्रियों, आईएएस व आईपीएस अधिकारियों, प्रोफेसरों और पेशेवरों से अपनी एलपीजी सब्सिडी छोड़ने व इससे मिलने वाली खुशी का आनंद लेने का आग्रह करता हूं.
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