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कांग्रेस शासित राजस्थान ने केन्द्र से महानरेगा के लिए एक हजार करोड़ रूपये मांगे

[जयपुर]कांग्रेस शासित राजस्थान ने केन्द्र से महानरेगा के लिए एक हजार करोड़ रूपये मांगे
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केन्द्र सरकार से चालू वित्तीय वर्ष (2018-19) की शेष रही अवधि के लिए महानरेगा योजना के तहत एक हजार करोड़ रूपये की राशि जारी करने की मांग की है।
सीएम ने केन्द्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर को लिखे पत्र से अवगत कराया है कि राजस्थान में महानरेगा के तहत केन्द्र सरकार की ओर से
सामग्री मद में 543 करोड़ रूपये तथा
श्रम मद में 260 करोड़ रूपये बकाया हैं।मालूम हो के राजस्थान के साढ़े पांच हजार अभावग्रस्त गावों में ५० दिन का अतिरिक्त मनरेगा रोजगार देने की घोषणा की जा चुकी है
पूर्व में भी प्रदेश के उप मुख्यमंत्री श्री सचिन पायलट की ओर से 23 जनवरी, 2019 को केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय को पत्र लिखा गया है।
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र के माध्यम से इस वित्तीय वर्ष में राजस्थान के लिए महानरेगा के तहत श्रम मद में 400 करोड़ रूपये और सामग्री मद में 600 करोड़ रूपये जल्द से जल्द जारी करने का आग्रह किया है।
श्री गहलोत ने बताया कि महानरेगा योजना की क्रियान्विति में राजस्थान देश के अग्रणी राज्यों में है और प्रदेश में वर्तमान वित्तीय वर्ष में 42.33 लाख ग्रामीण परिवारों को महानरेगा के तहत काम दिया गया है। इससे कुल 1972.23 लाख मानव दिवस सृजित हुए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2018-19 के लिए अब तक महानरेगा योजना के लिए जारी सम्पूर्ण राशि का उपयोग कर लिया है। इस योजना के लिए अब तक कुल 4 हजार 555 करोड़ रूपये खर्च हुए हैं। उन्होंने बताया कि राज्य के मुख्य सचिव तथा अतिरिक्त मुख्य सचिव ग्रामीण विकास ने भी नवम्बर, 2018 और जनवरी, 2019 में केन्द्रीय मंत्रालय को पत्र लिखकर वर्ष 2018-19 के लिए महानरेगा के तहत राशि जारी करने का अनुरोध किया था।

राजस्थान के साढ़े पांच हजार अभावग्रस्त गावों में ५० दिन का अतिरिक्त मनरेगा रोजगार

[जयपुर]राजस्थान के साढ़े पांच हजार अभावग्रस्त गावों में ५० दिन का अतिरिक्त रोजगार
राजस्थान सरकार ने राज्य के 10 जिलों के 5577 अभावग्रस्त घोषित गांवों में श्रमिकों को 50 दिवस का अतिरिक्त रोजगार उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।इसके लिए व्यवस्था महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत की जाएगी|
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री राजेश्वर सिंह के अनुसार राज्य के आपदा प्रबंधन एवं सहायता विभाग ने 10 जिलों बाड़मेर, बीकानेर, जैसलमेर, जालोर, जोधपुर, हनुमानगढ़, पाली, चूरू, नागौर एवं श्रीगंगानगर के 5577 गांवों में नरेगा श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराने की आवश्यकता महसूस की थी। इसे देखते हुए कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने राज्य सरकार के अनुरोध पर इन अभावग्रस्त घोषित गांवों की ग्राम पंचायताें में वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान 50 दिवस का अतिरिक्त रोजगार महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत उपलब्ध कराये जाने को मंजूरी प्रदान कर दी है
ग्राम पंचायतों में प्रत्येक पात्र परिवार को 50 दिवस का अतिरिक्त रोजगार अर्थात कुल 150 दिवस तक का रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है।

जलसरंक्षण के लिए खुदाई के नाम पर “मनरेगा” गेम शुरू

[मेरठ,यूपी] मेरठ के रछौटी और राली []आंबेडकर] चौहान में भी २८ मई को तालाब खुदवाया गया है
यहाँ स्वयं डीएम पंकज यादव और सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने फावड़ा चला कर फोटो खिंचवाई |
मनरेगा योजना के तहत ग्रामीण छेत्रों में खुदाई का काम शुरू कराया गया है|
सूखे से निबटने और पानी के संरक्षण के लिए गावों में खुदाई करवाई जा रही है|
जल बचाओं अभियान के तहत मनरेगा योजना का उपयोग करते हुए माछरा +ग्राम राली चौहान रजपुरा ब्लाॅक में तालाब खुदाई करवाई गई |माछरा के रछौटीमें स्वयं डी एम ने फावड़ा चलाया जबकि राली चौहान में सांसद+सी डी ओ उपस्थित थे|
यहाँ स्वयं सांसद राजेन्द्र अग्रवाल+सीडीओ नवनीत सिंह चहल आदि ने भी फावड़े चलाये
इस दौरान इस बात को कहा गया कि यदि जल संरक्षण करना है तो तालाबों को बचाना जरूरी है लेकिन वास्तव में स्थानीय लोगों का कहना कुछ और ही है |गावं में पहले से दो तालाब है जिन पर अतिक्रमण का ग्रहण लगा हुआ है| दुर्भाग्यवश यहाँ के अतिक्रमण को हटवाने के बजाये मुख्य आबादी से दूर फावड़े चलवाए गए |
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार मनरेगा के तहत रु १७५ प्रतिदिन की ध्याड़ी दी जाती है जितने में मजदूर मिलने मुश्किल होते हैं ऐसे में ५० हजार रु के खर्चे की बुकिंग के लिए जो मजदूरों के नाम दर्ज कराये जाते हैं उनकी सत्यता की समय रहते जांच भी आवष्यक है

मनरेगा के तहत १६२ रुपये प्रति मानव दिवस की दर से भुगतान करने वाला पहला प्रदेश बिहार

[पटना]मनरेगा के तहत भारत सरकार द्वारा मजदूरी दर १३८/= प्रति मानव दिवस तय है लेकिन श्रम विभाग ने १६२/=प्रति मानव दिवस तय किया है|२४/की कमी को राज्य सरकार द्वारा वहन किया जात है|यह दावा आज बिहार सरकार के ग्रामीण विकास सचिव अमृत लाल मीणा ने किया|
मनरेगा+इंदिरा आवास यौजना+जीविका+प्रखंड प्रशासन +,सामजिक आर्थिक+जाति आधारित कार्यों के निष्पादन में उपलब्धियों का ब्यौरा देते हुए सचिव श्री मीणा ने बताया कि मनरेगा के अधिनियम ६ के तहत भारत सरकार द्वारा मजदूरी दर मात्र १३८/=तय की गई है लेकिन श्रम विभाग ने नियत न्यूनतम मजदूरी दर के आधार पर १६२/= प्रति मानव दिवस दिया जाना चाहिए|ऐसे में २४/=प्रति मानव दिवस[१६२-१३८=२४/=] का भुगतान प्रदेश सरकार द्वार किया जा रहा है|उन्होंने दावा किया कि मनरेगा के तहत १६२/= प्रति मानव दिवस का भुगतान करने वाला बिहार पहला राज्य है|

50 लाख से अधिक परिवारों को 100 दिनों की मजदूरी दी गई

भारत सरकार ने आज राज्य सभा में दावा किया कि 50 लाख से अधिक परिवारों को 100 दिनों की मजदूरी का लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया है|ग्रामीण विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री प्रदीप जैन ने बताया कि 26 जुलाई, 2013 तक एक लाख से अधिक परिवारों ने 100 दिन काम करके रोजगार प्राप्त किया
वर्ष 2012-13 के दौरान 50 लाख से अधिक परिवारों ने 100 दिन काम करके रोजगार प्राप्त किया और लगभग, 21 लाख 50 हजार जॉब कार्ड जारी किए गए । । इस दौरान 3 लाख 31 हज़ार नए जॉब कार्ड जारी किए गए । राज्य सभा में पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में श्री प्रदीप जैन ने यह जानकारी दी । महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का उद्देश्य प्रत्येक ऐसे परिवार को कम से कम 100 दिन का रोजगार जुटाना है, जिस परिवार के वयस्क अकुशल कार्य करने के लिए स्वैच्छिक रूप से आगे आएं ।
श्री जैन ने स्वीकार किया कि उनके मंत्रालय में मनरेगा से संबंधित ढेर सारी शिकायतें आती हैं । यह शिकायतें जॉब कार्ड न जारी किए जाने, योजना के लिए निर्धारित धनराशि के खर्च में अनियमितता, ठेकेदारों को लगाना, जालसाजी, कम वेतन बांटने, न बांटने या देर से बांटने, मशीनों के उपयोग इत्यादि से संबंधित होती हैं । साथ ही, उनका कहना था कि इस अधिनियम को कार्यान्वित कराने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है और यही कारण है कि जो भी शिकायतें मंत्रालय को भेजी जाती हैं, मंत्रालय उन्हें राज्य सरकार को भेज देती है । इसके उपरांत कानून के अनुसार उचित कार्रवाई करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है । राज्य सरकार मंत्रालय को एक रिपोर्ट भेजती है जिसे मंत्रालय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझा करती है ।

मनरेगा की शिकायतों के लिए प्रदेश सरकारें जिम्मेदार हैं : ग्रामीण विकास राज्‍यमंत्री श्री प्रदीप जैन

ग्रामीण विकास राज्‍यमंत्री श्री प्रदीप जैन ने आज [सोमवार]संसद में मनरेगा की शिकायतों को स्‍वीकार किया और कहा कि उनके मंत्रालय को देश से काफी संख्‍या में मनरेगा के क्रियान्‍वयन के बारे में शिकायतें प्राप्‍त हुई हैं। इन शिकायतों में [१]जॉब कार्ड नहीं उपलब्‍ध कराना, [२]कोष का दुरुपयोग,[३] ठेकेदारों को शामिल करना,[४] हाजरी में धोखेबाजी,[५] कम मजदूरी का भुगतान, [६]मजदूरी का भुगतान न करना, [७]मशीनरी का उपयोग, [८]भुगतान में देरी आदि शामिल हैं लेकिन इन शिकायतों के लिए उन्होंने प्रदेश सरकारों को जिम्मेदार ठहराया |उन्‍होंने बताया कि कानून के क्रियान्‍वयन की जिम्‍मेदरी राज्‍य सरकारों की है और कानून के प्रावधान के अनुसार योजनाएं राज्‍य सरकारों द्वारा तैयार की जाती है। उन्‍होंने कहा कि मंत्रालय में प्राप्‍त सभी शिकायतों को संबंधित राज्‍य सरकारों के पास जांच और उचित कार्रवाई करने के वास्‍ते भेज दिया जाता है। राज्‍य सरकारों को उनके मंत्रालय के पास कार्रवाई रिपोर्ट भेजना जरूरी है।
इसके अलावा श्री जैन ने बताया कि एक लाख से अधिक परिवारों ने 26 जुलाई 2013 तक 100 दिन का रोजगार पूरा किया और इस बीच तीन लाख 31 हजार नये जॉब कार्ड जारी किये गये। श्री जैन ने एक लिखित उत्‍तर में कहा कि महात्‍मा गांधी राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) के तहत प्रत्‍येक ग्रामीण परिवार के व्‍यस्‍क सदस्‍य को 100 दिन का रोजगार देने की गारंटी प्रदान की गई है।

रोबिन हुड बन कर टैक्सपेयर्स का पैसा मनरेगा में लुटाते समय उसके सदुपयोग को सुनिश्चित करना जरुरी है


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक दुखी कांग्रेसी

ओये झल्लेया देख हसाडे नाल ये कैसी नाइंसाफी हो रही है |ओये हसाडी सोणी सरकार ने मनरेगा यौजना में खुल कर सरकारी खज़ाना लुटाया और निर्धनों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए भागीरथी प्रयास किये अब कैग द्वारा कहा जा रहा है कि ७५%गरीबों की आय में कोई सुधार ही नही हुआ है| इसके लिए यूं पी और बिहार का उदहारण दिया जा रहा है|ओये हसाडे वित् मंत्री पी चिदम्बरम संसद में बताना चाहते हैं कि ६३% ग्रामीणों को काम की तलाश में बाहर नही जाना पड़ा है +७१% ने यह माना है कि गावों में बहुउपयोगी परिसंपत्तियों का निर्माण हुआ है+५३% लोगों को बेगार या अनचाहे काम से मुक्ति मिली है|लेकिन अब ये विपक्षी लोग संसद ही ठप्प किये दे रहे हैं|

झल्ला

ओ मेरे भोले चतुर सुजाण जी आप जी की इस महत्वकांक्षी यौजना में कैग ने कई झोल निकाल दिए हैं |कहा जा रहा है कि इस यौजना में ग्रामीणों का भला हुआ हो या न हुआ हो लेकिन १३००० करोड़ के घोटाले से बिचौलियों की तिजौरियां जरुर भर गई हैं|इसीलिए झल्लेविचारानुसार अगर आअप जी को आधुनिक रोबिन हुड बनाने का शौक चर्राया है तो कृपया टैक्स पेयर्स का रुपया लुटाते समय उसके सदुपयोग पर भी कड़ी नज़र राखी जानी जरुरी है|