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Dr Harsh Vardhan Rubbishes Allegations Of Victimization Of a CVO In MCI

Dr Harsh vardhan Rubbishes The Allegations Of Victimization Of CVO In MCI
Ministry of Health and Family Welfare is facing allegation of a chief vigilance officer , attached to Medical Councils of India .Now Ministry ,calling these charges baseless, said that the repatriation of this CVO to his parent department is to be decided by DoPT
Dr Harsh Vardhan regretted that this “non-issue” had been turned into a personal attack on him by some media. He said, “My agenda to reform medical education and root out corruption in all institutions continues notwithstanding these reports
Dr Harsh Vardhan, Union Health Minister, has stated that the media reports based on the Chief Vigilance Officer (CVO) attached to the Medical Council of India (MCI) are without basis on facts and end up confusing the people.
“Some reports say I have removed him, which is absurd. Others say that I put the officer to personal risk by not repatriating him, which is equally untrue,” the Minister said here today.
The Updates provided by The Ministry are as under
[1]The CVO in question, Mr H. K. Jethi, an officer of the Allied Services ie Indian Ordnance Factories Service, was unhappy with his appointment which goes back to October 3, 2013. He had written three letters (dated April 29, 2014, August 25, 2014 and October 1, 2014) to the Ministry of Health requesting repatriation to his parent cadre.
[2]The fact of the matter is that the Ministry had indeed forwarded his applications to the Department of Personnel and Training (DoPT).
[3]The post of CVO in MCI comes under the mandate of DoPT while the appointing authority is the Central Vigilance Commission.
[4]The Ministry had taken a sympathetic view of Mr Jethi’s complaints as to his personal safety when he made a personal representation to senior officers. His request had been forwarded to the DoPT, the Minister stated.
[5]In fact, the previous CVO of the Ministry, Mr Vishwas Mehta, who was in charge of dealing with MCI, had referred a letter from Mr Jethi alleging some misdemeanour on the part of the MCI authorities to the Central Bureau of Investigation (CBI),
file photo

भारतीय चिकित्‍सा परिषद की मान्यता के बगैर कोई भी चिकित्सीय प्रेक्टिस नहीं कर सकता:प्रतिबंधित दवाओं पर भी सरकार का स्पष्टीकरण

भारतीय चिकित्‍सा परिषद की मान्यता के बगैर कोई भी चिकित्सीय प्रेक्टिस नहीं कर सकता:प्रतिबंधित दवाओं पर भी सरकार का स्पष्टीकरण
भारतीय चिकित्‍सा परिषद (एमसीआई) ने महाराष्‍ट्र सरकार को सूचित किया है कि एमसीआई से मान्‍यता प्राप्‍त योग्‍यता और रजिस्‍ट्रेशन के बगैर कोई भी व्‍यक्ति एलोपैथी की प्रैक्टिस नहीं कर सकता। महाराष्‍ट्र सरकार ने राज्‍य में होम्‍योपैथी के डॉक्‍टरों को एलोपैथी की भी प्रैक्टिस करने की अनुमति देने के संबंध में एमसीआई की सलाह मांगी थी। यह जानकारी आज केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने लोकसभा में एक लिखित उत्‍तर में दी। श्री आजाद ने बताया कि राज्‍य सरकारे, उच्‍च न्‍यायालय के वर्ष 1998 के फैसले की पृष्‍ठभूमि में भारतीय चिकित्‍सा पद्धति के डॉक्‍टरों को एलोपैथी की भी प्रैक्टिस करने की अनुमति देने के लिए कानून में संशोधन कर सकती है। इस बीच, आयुष विभाग ने केन्‍द्रीय भारतीय चिकित्‍सा पद्धति परिषद से अनुरोध किया है कि वह आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध पद्धतियों के डॉक्‍टरों को एलोपैथी की प्रैक्टिस करने के योग्‍य बनाने के लिए एक समूचित पाठ्यक्रम तैयार करें।

प्रतिबंधित/नामंजूर दवाएं

कोई दवा एक देश में प्रतिबंधित हो सकती है लेकिन दूसरे देशों के बाजार में बेची जा सकती है, क्‍योंकि हर देश की सरकारें दवा के इस्‍तेमाल+ खुराक+ उससे जुड़े जोखिम+ अनुपात के बारे में अलग-अलग निर्णय लेती है।
राज्‍य औषधि नियंत्रण विभाग अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री पर नियंत्रण रखने के लिए छापे डालते हैं।
2011 में दिल्‍ली और मुंबई के पास केन्‍द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने छापे डाले। जैटिफलॉक्‍स सेसिन, टिगासरोड, रोजीगिलिटाजोन की वापसी के लिए यह छापे डाले गए थे, क्‍योंकि ये दवाएं प्रतिबंधित की गई थीं। यह पाया गया कि 29 दुकानों में भारत के गजट में अधिसूचना जारी होने के बाद प्रतिबंधित दवाएं बेची जा रही थीं। इन मामलों में औषधि तथा प्रसाधन कानून-1940 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की गई।
औषधि महानियंत्रक की मंजूरी के बिना राज्‍य के लाइसेंसिंग प्राधिकरणों ने नई दवाएं समझकर तय खुराक वाले मिश्रणों के 23 मामलों को मंजूरी दी। राज्‍य की लाइसेंसिंग प्राधिकरणों से कहा गया कि वे इन मामलों में औषधि तथा प्रसाधन कानून-1940 के तहत कार्रवाई करें।
नई दवाओं की मंजूरी केन्‍द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन देता है। यह मंजूरी नान- क्लिनिकल डाटा, सुरक्षा संबंधी क्लिनिकल डाटा, तथा दूसरे देशों में उनकी नियामक स्थिति को देखकर दी जाती है, लेकिन ऐसे मामले में क्लिनिकल जांच की जरूरत नहीं होती, जिनमें दवाएं अन्‍य देशों में उपलब्‍ध डाटा के आधार पर मंगाने की मंजूरी सार्वजनिक हित में लाइसेंसिंग प्राधिकरण देता है।
सीडीएससीओ ने बिना क्लिनिकल जांच के निम्‍न संख्‍या में दवाओं की मंजूरी दी-
वर्ष
बिना क्लिनिकल जांच के मंजर दवाओं की संख्‍या
2010============13
2011============3
2012 ========= 8
2013(जुलाई तक)=== 2
यह जानकारी आज लोकसभा में स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद ने एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में दी।

भारतीय चिकित्‍सा परिषद ने सुभारती मेडिकल कॉलेज सहित छह मेडिकल कॉलेजों की मान्‍यता रद्द की

भारतीय चिकित्‍सा परिषद (एमसीआई) ने राष्ट्रीय राजधानी छेत्र [ एनसीआर ]में 6 मेडिकल कॉलेजों की मान्‍यता रद्द कर दी है
भारतीय चिकित्‍सा परिषद ने स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय से राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में चल रहे मेरठ+गाजिआबाद+ग्रेटर नॉएडा+हापुड़+गुड गाँव के 6 मेडिकल कॉलेजों की मान्‍यता/अनुमति पत्र रद्द करने की सिफारिश की है। ये कॉलेज हैं –
[1]. संतोष मेडिकल कॉलेज, गाजियाबाद
[2]. सुभारती मेडिकल कॉलेज, मेरठ
[3]. स्‍कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, ग्रेटर नोएडा
[4]. सरस्‍वती इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, हापुड़
[5]. श्री गुरू गोबिन्‍द सिंह ट्राईसेन्‍टेनरी मेडिकल कॉलेज, गुडगांव
[6.] रामा मेडिकल कॉलेज, हापुड़
मंत्रालय को भारतीय चिकित्‍सा परिषद की यह सिफारिश इस साल मई में प्राप्‍त हुई थी।
हालांकि इसे 04 जून को फिर से जांच-पड़ताल के लिए परिषद के निदेशक मंडल के पास वापस भेज दिया गया था।
मेडिकल कॉलेजों को भारतीय चिकित्‍सा परिषद अधिनियम, 1956 के प्रावधानों और उनके दिशा-निर्देशों के तहत मान्‍यता दी गयी है।
इस उद्देश्‍य हेतु, भारतीय चिकित्‍सा परिषद नियमन, 1999 में निर्धारित न्‍यूनतम शर्तों के अनुसार भारतीय चिकित्‍सा परिषद परीक्षा के मानदंडों और कॉलेजों में उपलब्‍ध सुविधाओं के मूल्‍यांकन के लिए उनकी जांच पड़ताल करती है।
एमसीआई के सिफारिशों के आधार पर केन्‍द्र सरकार भारतीय चिकित्‍सा परिषद अधिनियम, 1956 की धारा 11 (2) के तहत किसी भी मेडिकल कॉलेज के छात्रों को मुहैया की जाने वाली विशिष्‍ट चिकित्‍सा अर्हताओं को मान्‍यता प्रदान करती है और उन्हें अधिसूचित करती है।
केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद ने आज राज्‍य सभा में एक प्रश्‍न के उत्‍तर में लिखित में यह जानकारी दी।