#भजपाईचेयरलीडर
ओए झल्लेया!देखा हसाडे व्योवर्द्ध विधायक #सत्यप्रकाशअग्रवाल जी ने जवानों वाली एनर्जी का प्रदर्शन करके #मेरठछावनी में 11 स्थानों पर वसूले जाने वाले #टोलटैक्स पर बोर्ड को घुटनों पर ला दिया।ओए विधायक जी ने अपने स्वभाव और अनुभव से सदस्यों को भी एक कर लिया और आंदोलन छेड़े बगैर ही 3 स्थानों से टोलनाके हटवा दिए और हमारे विपक्षी बेफालतू में विधायक बदलने की रट लगाए हैं
#झल्ला
चतुर सेठ जी! बाहर से आने वाले व्यवसायिक वाहनों से वसूले जाने वाला टोलटैक्स छावनी की भलाई में ही खर्च होता।खैर 2022 से पहले अब अपनी प्रदेश सरकार से इस कटौती को तो पूरा करवा दो
Tag: Meerut Cantonment Board
योगीजी!2022 से पहले मेरठ छावनी का बजट तो बढ़वा दो
Rain Gods Have Been Kinder On Meerut But Exposes Sewerage Management Also
Rain Gods Have Been Kinder On Meerut But Exposes Sewerage Management Also
After all Rain Gods Have Been Kinder this Year Also We can Expect Good Harvest,
This Rain has exposed Local Authorities Sewerage Management Of City And Cantonment Area
Nagar Nigam Is Expending Rs 300 Crores Per Year But Marks Are Not Visible Specially In The Rains.
Meerut Politicians Demanding Smart City Status For Rs 1000 Crores But Not Utilizing Existing Budget Of 300 Crores Per Year To Make The City Smart .
कैंट में जनता के उपयोग की सडकों पर सेना की दीवारों के विरुद्ध बोर्ड बैठक में प्रस्ताव लाया जाये:पार्षद जग मोहन शाकाल
[मेरठ]कैंट में आम जनता के उपयोग की सडकों पर सेना की दीवारों को हटाने के लिए बोर्ड बैठक में प्रस्ताव लाया जाये:पार्षद जग मोहन शाकाल |
सुरक्षा के नाम पर छावनी के सिविल एरिया की सेना द्वारा की जारही घेरा बंदी से सेना और सिविलयंस आमने सामने आने लग गए हैं इससे आम नागरिकों को असुविधा हो रही है और सेना के इस कृत्य के खिलाफ अंसंतोष भी व्याप्त हो रहा है छावनी परिषद[ CantonmentBoard के निर्वाचित युवा पार्षद और छायापत्रकार जग मोहन शाकाल ने छावनी परिषद् के मुख्य अधिशासी अधिकारी [CEO]को एक पत्र लिख कर जनहित के इन मुद्दो को आगामी बोर्ड की बैठक में लाने की मांग की है|
पत्र में सेना पर जनता के उत्पीड़न का आरोप लगाते हुएपार्षद ने कहा है कि छावनी छेत्र में जगह जगह रास्तों में अवरोध पैदा करना और सार्वजानिक मार्गों पर गेट+दीवार लगाया जाना दुर्भाग्य पूर्ण और जनता का उत्पीड़न के साथ ही संविधान का उल्लंघन भी है| पत्र में छावनी अधनियम २००६ की धारा २५८ का उल्लेख करते हुए रास्ता बंद करने के लिए बोर्ड की सहमति के उपरान्त जी ओ सी कमांडिंग इन चीफ /प्रधान निदेशक की अनुमति आवश्यक बताई गई है जबकि इसके लिए जनता से सुझाव तक नहीं मांगे गए|
अंग्रेजों के जमाने के कैंटोनमेंट लैंड एडमिनिस्ट्रेशन रूल १९३७ के आधार पर सेना को क्लास १ लैंड पर बैरक+डिपो+स्टोर आदि बनाने का अधिकार दिया गया है इसमें किसी रोड को बाधित करने का अधिकार नहीं है सी एल ऐ आर [CLAR]१९३७ के अंतर्गत सड़क पर आवागमन के लिए जनता का अधिकार होता है बेशक वोह सड़क क्लास १ पर बनी हो|
इसके आलावा माननीय सुप्रीम कोर्ट के अनुसार भी कोई रास्ता बेस वर्षो से उपयोग किया जा रहा हो तो उसे पब्लिक स्ट्रीट माना जायेगा|लेकिन दुर्भाग्य से आजादी से पूर्व के रास्तों पर आजकल दीवारें बनाई जा रही है |
जग मोहन शाकाल ने कहा कि देश की सुरक्षा के साथ सेना का कर्त्तव्य बनता है कि जनता के मौलिक अधिकारों की रक्षा की जाये लेकिन आज कल सुरक्षा के नाम पर जनता के निजी और स्वतंत्र जीवन में हस्तक्षेप किया जा रहा है|कैंटोनमेंट बोर्ड और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए आम जनता के उपयोग में आ रही सडकों पर लगाए जा रहे अवरोधों को तत्काल हटा दिया जाए
माळ या शोरूम की व्यवस्था के साथ ही आम आदमी के लिए पैंठ की जगह चिन्हित की जानी चाहिए
केंद्र और राज्य सरकारे आज कल आम आदमी की सेवा करने को समर्पित होने के ड्रम पीटने में लगी है लेकिन वास्तविक रूप से जमीनी हकीकत क्या है इसे जानने के लिए यहाँ एक छोटा सा उधाहरण प्रस्तुत है|
दिन में तो व्यवस्था ठीक रहती है मगर शाम होते ही इन्हें लाईट की जरुरत पड़ती है |यहाँ प्रकाश या लाईट की कोई व्यवस्था नहीं है बिजली के खम्बे तो खड़े हैं मगर उनपर लाईट नहीं है|ऐसे में ये लोग बैटरी के लाइटें किराए पर लेकर काम चलाते हैं |चित्र में दिखाई गई लाइटें २० से २५ रुपये प्रति शाम की दर से इन्हें उपलब्ध कराने वाले भी यहाँ मिल जाते हैं| यहाँ से कुछ कदम पर ही स्ट्रीट लाईट्स दिन में भी जलती रहती है |
कहने का अभिप्राय यह है कि शहरों में भी गरीबी है और पैंठ कल्चर यहाँ भी है और यह आम आदमी की जरुरत है इसीलिए नई [विशेषकर]कालोनियों में बड़े बड़े माळ या शोरूम के लिए व्यवस्था करने के साथ वहां किसी कौने में आम आदमी के लिए पैंठ की जगह चिन्हित कर दी जानी चाहिए | वर्ना मात्र सो रुपये कमाने वाला आम आदमी अपनी गाड़े की कमाई को व्यवस्थापकों को अर्पित करने के लिए अभिशिप्त होता रहेगा |
देश की तीसरी सबसे बड़ी कैंट में २० मार्च के बाद डेयरियाँ नहीं चलेंगी
देश की तीसरी सबसे बड़ी छावनी में मंदिर मार्ग पर जगह जगह लगे हैं कचरे के ढेर
मेरठ के मशहूर और एतिहासिक मार्गों में शामिल वेस्टएंड रोड स्थित मंदिर मार्ग पर लगे जगह जगह कचरे के ढेर छावनी परिषद् और सैनिक अधिकारियों की सफाई व्यवस्था के प्रति उदासीनता को दर्शाने के लिए पर्याप्त हैं|
गौर तलब है कि इस मार्ग पर चिकित्सालय+ अनेकों मंदिर और शिक्षण संस्थान हैं| वैवाहिक घर और रिहायशी कालोनी हैं|यहाँ धार्मिक श्र्धालू +स्कूली बच्चे और मरीजों का आवागमन रहता है| इसके बावजूद भी यहाँ कूड़े के ढेर लगे रहते हैं
छावनी परिषद् के आठों पार्षदों ने परिषद् पर शक्ति प्रदर्शन किया: 21 Points Memorandum To Defense Minister
गौरतलब है कि देश में ६२ छावनियों में दूसरे नंबर की सबसे बड़ी छावनी मेरठ में विकास के बजाय पार्षदों और परिषद् में टकराव बढ़ता जा रहा है| इसीके फलस्वरूप आज सोमवार को आठों पार्षद ने परिषद् कार्यालय पर धरना दिया और प्रदर्शन किया |पार्षदों ने परिषद् अध्यक्ष मेजर जनरल वी के यादव ,मुख्य अधिशासी अधिकारी और दशकों से परिषद् में जमे अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान किया है| अखिल भारतीय केंट बोर्ड उपाध्यक्ष संघ के अध्यक्ष श्री गुप्ता ने आवश्यकता पड़ने पर दिल्ली में रक्षा मंत्रालय में मामले को ले जाने का आश्वासन दिया|
पार्षद अजमल कमाल [लालकुर्ती]और जगमोहन शाकाल [सदर] के अनुसार मेरठ के पार्षदों का हौंसला बढाने के लिए छावनी परिषदों के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाक्टर संजीव गुप्ता [झांसी]के साथ अनेकों छावनियों के उपाध्यक्ष दिल्ली जायेंगे |
गौरतलब है की छेत्र में विकास के नाम पर केवल खाना पूर्ति की जा रही है|इसके लिए धनाभाव का रोना रोया जाता है जबकि सैनिक अधिकारियों के छेत्रों में ही कार्य कराये जा रहे हैं|ये आरोप लगाते हुए असंतुष्ट पार्षदों ने कहा है कि [१]गृह कर और जल कर में की गई वृद्धि को तत्काल वापिस लिया जाए|[२]विकास कार्य शीघ्र प्रारम्भ कराये जाये|[३]चेंज आफ परपस को चालू किया जाए[४]नक्शा पास करने के प्रक्रिया तेज की जाए[५]बंगलो एरिया में बिजली पानी और सड़क सुविधा दी जाये|[५]कर्मियों का स्थानातरण किया जाये
इसके अलावा सुझाव भी दिया गया कि छावनी परिषद् में किये जा रहे चालान को कोर्ट में भेजने के बजाये चालानपर बोर्ड द्वारा ही निर्णय कराया जाना चाहिए इससे बोर्ड को अतिरिक्त आमदनी होगी| कम्पाउंड प्रक्रिया को गति दी जानी चाहिए|एन ओ सी देने में की जारी देरी को रोक जाना चाहिए|एतिहासिक स्थलों का सौन्द्रियकरण हो और फ्रीहोल्ड प्रक्रिया यथा शीघ्र शुरू की जाए |
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