[नई दिल्ली]दिल्ली के तख्त को सात शतकों के पश्चात एक और तुगलक प्राप्त हुआ है
सात शतकों के पश्चात दिल्ली के तख्त को एक और तुगलक का सौभाग्य प्राप्त हुआ है |बेशक तुगलक के धर्म में पुनर्जन्म को मान्यता नहीं है लेकिन केजरीवाल की तुगलकी फरमानों से जूना खान उर्फ़ तुगलक के जनून के दर्शन
आये दिन हो रहे हैं ।उद्धारण के लिए
[१]ओड इवन के चक्कर में केजरीवाल सरकार ने करोड़ों रुपये फूंक डाले ।
[२]कारें कम करने के बहाने महंगी बसें खरीद डाली|
[३]शांति प्रिय जनता का चालान करके हलकान किया।
[4]दिल्ली के पैसे को जम्मू कश्मीर और पंजाब में बहाया
[५]सन्सद में बवाल कराया।
[६] अपने विधायकों में रेवड़ियां बांटी
जनता ने भी पलटवार में गाड़ियां बढ़ा दी पुरानी कारों से सडकों पर कंजेशन कम होने के बजाय बढ़ने लगा है ।
अब आप पूछोगे के ये कैसे तुगलकी हुआ? तो भापा जी सुलतान ने बेफाल्तू के सिक्के चलवाए जो तत्कालीन जनता को रास नहीं आये ,उन्होंने घर में ही सिक्के ढालने शुरू कर दिए।
सुलतान ने अपने साम्राज्य के विस्तार के लिए पीतल और ताम्बे के सांकेतिक+प्रतीकात्मक दोकानी नामक सिक्कों का प्रचलन करवाया और धनवानों का राजकुमार कहलाया ।सिक्का ढालने पर राज्य का नियंत्रण नहीं था जिसके परिणाम स्वरुप अनेक जाली टकसाल बन गये जिससे अर्थव्यवसथा ठप्प हो गई सुलतान को इसकी प्रेरणा चीन+ईरान से मिली। वहाँ के शासकों ने इन योजनाओं को सफलतापूर्वक चलाया था
सात सो सालों के पश्चात अबऐसे ही तुगलकी फरमान के कारण कारें कम होने के बजाय बढ़ने लग गई है| जनता के सहयोग के बजाय विकसित देशों की तर्ज पर पेनल्टी का राग अलापा गया |ओड इवन पर भाषण ज्यादा हुए+विज्ञापन ज्यादा हुए लेकिन नियंत्रण नहीं रखा जा सका |
फलस्वरूप पोलुशन कम होने के स्थान पर बढ़ रहा है |
इतिहास की मान्यतानुसार मुहम्मद तुग़लक़ सर्वाधिक शिक्षित+विद्वान +योग्य व्यक्ति था। अपनी सनक भरी योजनाओं, क्रूर-कृत्यों एवं दूसरे के सुख-दुख के प्रति उपेक्षा का भाव रखने के कारण इसे ‘स्वप्नशील’,’पागल’+’रक्त-पिपासु’ कहा गया है। यहां तक इतिहासकारों ने सुल्तान को अधर्मी घोषित किया है।यधपि अभी केजरीवाल को उस ऊंचाई तक नहीं ले जाया जा सकता लेकिन
केजरीवाल ने दूसरों को गालियां देने+अपमानित करने+औार अपने दोषियों को लाभान्वित करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है|कुछ धर्मों को आदर और विशेष धर्म का अनादार करना शुरू कर दिया है |
तुगलक ने विदेशी आक्रमणकारियों से बचने के लिए अपनी राजधानी बदल डाली जबकि आधुनिक तुगलक अपने जनून में पंजाब भागने की जुगत लढा रहे हैं ।
राजधानी को दिल्ली से देवगिरि स्थानान्तरित किया और नाम दौलताबाद कर दिया। मुहम्मद तुग़लक़ की यह योजना भी पूर्णतः असफल रही और उसने 1335 ई. में दौलताबाद से लोगों को दिल्ली वापस आने की अनुमति दे दी।अब केजरीवाल अपनी विस्तारवादी नीति के चलते कांग्रेस+अकालियों के पजाब की तरफ कदम बढ़ा चुके हैं|
सिंहासन पर बैठने के बाद सुलतान ने नजदीकी अमीरों एवं सरदारों को विभिन्न उपाधियाँ एवं पद प्रदान किया।केजरीवाल ने अपने २० से अधिक विधायकों में रेवड़ियां बांटी +अपने अवैतनिक रहे सहयोगियों को महंगे उच्च पदों पर आसीन किया|विधायकों के वेतन में बेतहाशा वृद्धि की|
सुलतान ने अनेकों नजदीकियों के विद्रोहों का सामना किया| केजरीवाल भी योगेन्द्र यादव+प्रशांत भूषण+पंजाब के ७५%सांसदों के विद्रोह को झेल चुके हैं|सुलतान काव्य और संगीन प्रेमी था केजरीवाल भी आजकल सिनेमा स्क्रीन के सामने देखे जाते हैं
Recent Comments