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Tag: Muhammad bin Tughluq

प्.उ.प्र.में समाजवादियों के निर्णय तो जनहित में हैं लेकिन इनका पालन शायद “तुगलकी” स्टाइल में हो रहा है

झल्ले दी झल्लियां गल्लां

प्.यूं पी का चिंतित वोटर

ओये झल्लेया ये कथित समाज वादियों के दिमाग को क्या हो गया है ?देख तो अपने मुखिया माननीय मुलायम सिंह यादव के जन्म दिन पर हमसे लोक सभा की ८० में से ७५ सीटों का तोहफा मांग रहे हैं जबकि कर्म इनके ऐसे हैं कि इन्हें दहाई तक सीटें मिल जाएँ तो गनीमत समझना |अरे भई
[१]मुजफ्फर नगर के दंगों के ओनली मुस्लिम विस्थापितों को ही पांच -पांच लाख की इमदाद दे रहे हैं |अब लोग बाग ये पैसे लेकर फिर शरणार्थी शिविरों में आ बसे हैं | मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगा कर कोर्ट ने अलग से फटकार लगा दी है|
[२] इतने महंगे लैप टॉप बांटे जा रहे हैं और प्राप्त कर्ता उन्हें औने पोने दामों बेच रहे हैं|
[३]गन्ना किसान अपने गन्ने की मिठास की कीमत के लिए आंदोलन कर रहे हैं|
[४]राज्य कर्मचारियों की हड़ताल समाप्त करवाने के लिए हाई कोर्ट को दखल देना पड़ रहा है
[५]मेरठ में हाई कोर्ट की बेंच के लिए ये लोग आँखे मूंदे बैठे हैं|
[६] एयर पोर्ट्स के लिए जमीन को केंद्र अलग से हाथ फैलाये खड़ा है |
अब तू ही बता कि किस मुँह से ये लोग ७५ सीटों की उम्मीद भी लगा सकते हैं?

झल्ला

आज कल सभी लोग इतिहास की बात करने लगे हैं सो झल्ला भी इतिहास के पन्नों को फलोल रहा है |1325 से १३५१ तक तुगलक वंश के एक शासक मोहम्मद बिन तुगलक हुए हैं उस बेचारे ने भी तत्कालीन समस्यायों को निबटाने के लिए समाज वादियों कि तरह ही हाथ पावँ चलाये थे लेकिन निर्णय ऐसे ले लिए जिनका दुरूपयोग हुआ उसकी नीतियों से फायदा क्या होना था नुक्सान ज्यादा हुआ और जग हसाई हुई सो अलग |तुगलक ने अपने को मशहूर करने के लिए सिक्के ढलवाए “tanka” लेकिन जनता ने उसका दुरूपयोग किया उसने उलेमाओं को भर्ती किया फिर उनके शक्तियों को कम करने में लग गया सूफी भी विरोधी हो गए
राजधानी को दयोगीर Deogirले गए रास्ते में ही बेहद नुकसान हो गया
सूखे के हालत में भी दोआबे में लैंड टैक्स लगा दिया आज भी वोह कलंक धुला नहीं है कोई गलत निर्णय या पालिसी के लिए पर्यायवाची के रूप में “तुगलकी फरमान” का इस्तेमाल किया जाता है|यहाँ एक बात और समझ लो की इस झल्लयत में समाजवादियों की तुलना तुगलक से नहीं कर रहा बल्कि केवल उदहारण दे रहा हूँ