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संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार ;कारण

(नई दिल्ली)संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार ;कारण

रविवार को नया संसद भवन राष्ट्र को समर्पित किया जाएगा,जबकी 19 विपक्षी दलों ने बहिष्कार की घोषना की है   ।सरकार द्वारा विपक्ष को मनाने के लिए प्रयास जारी है इसी बीच आज संगोल का प्रदर्शन किया गया जो संभव त  विपक्ष की चिंता का मुख्य कारण हो सकता है क्योंकी एक तो यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के बराबर करता है ,धार्मिकता को प्रचार करता है,  कांग्रेस का धर्म प्रेम उजागर करता है  और इसके अलावा बीजेपी का प्रभाव साउथ में बढ़ा सकता है ,

रविवार को  प्रधान मंत्री  नरेंद्र मोदी निष्पक्ष और समान शासन के पवित्र प्रतीक सेंगोल को प्राप्त करेंगे और नए संसद भवन में स्थापित करेंगे। यह वही सेंगोल है जिसे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू ने 14 अगस्त की रात अपने आवास पर कई नेताओं की उपस्थिति में स्वीकार किया था।

आज की प्रेस कांफ्रेंस में

भारत की आजादी के अवसर पर हुए पूरे घटनाक्रम को याद करते हुए गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा, ‘आजादी के 75 साल बाद भी भारत में ज्यादातर लोगों को इस घटना की जानकारी नहीं है जिसमें भारत की सत्ता का हस्तांतरण हुआ था। सेंगोल को पंडित जवाहरलाल नेहरू को सौंपना। 14 अगस्त, 1947 की रात को भारत की आजादी का जश्न मनाने का यह एक खास अवसर था। इस रात को जवाहरलाल नेहरू ने तमिलनाडु में थिरुवदुथुराई अधीनम (मठ) के अधिनम (पुजारियों) से ‘सेनगोल’ प्राप्त किया, जो इस अवसर के लिए विशेष रूप से पहुंचे थे। ठीक यही वह क्षण था जब अंग्रेजों ने भारतीयों के हाथों में सत्ता हस्तांतरित की थी। हम जिसे स्वतंत्रता के रूप में मना रहे हैं, वह वास्तव में ‘सेनगोल’ को सौंपने के क्षण से चिह्नित है।

 

माननीय प्रधान मंत्री ने अमृत काल के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में सेंगोल को अपनाने का निर्णय लिया। संसद का नया भवन उसी घटना का गवाह बनेगा, जिसमें अधीनम (पुजारी) समारोह को दोहराएंगे और माननीय पीएम को सेंगोल प्रदान करेंगे।

गृह मंत्री ने आगे सेनगोल के बारे में विस्तार से बताया और कहा, “सेंगोल अर्थ में गहरा है, जो तमिल शब्द “सेम्मई” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “धार्मिकता”। इसे तमिलनाडु के एक प्रमुख धार्मिक मठ के महायाजकों का आशीर्वाद प्राप्त है। नंदी, “न्याय” के दर्शक के रूप में अपनी अदम्य दृष्टि के साथ शीर्ष पर हाथ से उकेरा गया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सेंगोल के प्राप्तकर्ता के पास न्यायपूर्ण और निष्पक्ष रूप से शासन करने के लिए “आदेश” (तमिल में “आनाई”) है। यह सबसे आकर्षक है, क्योंकि लोगों की सेवा के लिए चुने गए लोगों को इसे कभी नहीं भूलना चाहिए।”

1947 से उसी सेनगोल को माननीय प्रधान मंत्री द्वारा लोकसभा में अध्यक्ष के आसन के पास प्रमुख रूप से स्थापित किया जाएगा। इसे देश के देखने के लिए प्रदर्शित किया जाएगा और विशेष अवसरों पर निकाला जाएगा। 

गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि ऐतिहासिक “सेंगोल” स्थापित करने के लिए संसद भवन सबसे उपयुक्त और पवित्र स्थान है।

“सेनगोल” की स्थापना, 15 अगस्त 1947 की भावना को अविस्मरणीय बनाती है। यह असीम आशाओं, असीम संभावनाओं के वादे और एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र बनाने के संकल्प का प्रतीक है। यह अमृत काल का प्रतीक होगा, जो उस गौरवशाली युग का साक्षी होगा जिसमें भारत अपना सही स्थान ले रहा होगा।

तमिलनाडु सरकार ने 2021-22 के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग (एचआर एंड सीई) नीति नोट में राज्य के मठों द्वारा निभाई गई भूमिका को गर्व से प्रकाशित किया है। इस दस्तावेज़ के पैरा 24 में मठों द्वारा रॉयल काउंसिल के रूप में निभाई गई भूमिका पर स्पष्ट रूप से प्रकाश डाला गया है।

यह ऐतिहासिक योजना अधीनम के अध्यक्षों के परामर्श से तैयार की गई है। इस पवित्र अनुष्ठान की याद में आशीर्वाद देने के लिए सभी 20 अधीनम अध्यक्ष भी इस शुभ अवसर पर उपस्थित रहेंगे। मैं उनके प्रति आभार व्यक्त करता हूं। मुझे खुशी है कि इसके निर्माण से जुड़े 96 वर्षीय श्री वुम्मिदी बंगारू चेट्टी जी भी इस पावन समारोह में शामिल होंगे। मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं।

प्रस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री श्री जी किशन रेड्डी, केंद्रीय सूचना और प्रसारण और युवा मामले और खेल मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर और संस्कृति मंत्रालय के सचिव श्री गोविंद मोहन भी उपस्थित थे।

संसद भवन में नए विचारों वाले परोपकारी सांसद भी तो चाहिए ,वरना तो तो तो

#भजपाईचेयरलीडर
ओए झल्लेया!मुबारकां!! ओए उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को बहुमत से फैसला सुनाते हुए सेंट्रल विस्टा परियोजना की खातिर पर्यावरण मंजूरी और भूमि उपयोग में बदलाव की अधिसूचना को बरकरार रखा है अब तो नए संसद भवन का निर्माण कोई माई का लाल भी रोक नही सकेगा ।
इस सेंट्रल विस्टा परियोजना की घोषणा सितंबर 2019 में की गई थी। त्रिकोण के आकार वाले नए संसद भवन में 900 से 1,200 सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी। इसका निर्माण अगस्त 2022 तक पूरा होना है। उसी वर्ष भारत 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। ओए इसमे 1000 करोड़ ₹ की बचत भी होगी
#झल्ला
चतुर सेठ जी!नए संसद भवन में नए विचारों वाले परोपकारी सांसद भी तो आने चाहिए वरना तो कहा जायेगा
अपना नाम कमाए खातिर,खज़ाना दिया लुटाए
सांसद कोई आवे नही,जो आवे भिड़ भिड़ जाए

971 करोड़ ₹ की संसदार्थ पेंशनर्स पर भी टैक्स का बोझ बढ़ता जाए

FB_IMG_1607589830491#भाजपाईचेयरलीडर
ओए झल्लेया! मुबारकां!!
ओये हसाडे धाकड़ प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई दामोदर दास मोदी साहिब ने पारम्परिक मंत्रोच्चारण के साथ
विस्ता प्रोजेक्ट के नाम से नए विशाल #संसदभवन की नीवं रख दी।ओए आजादी के बाद पहली बार #मुगलों और ब्रिटिशर्स के भवनों के बीच ऐसा भव्य निर्माण होने जा रहा है
#झल्ला
वाकई मोदी भजपा और कमल इतिहास में तो दर्ज हो जाएंगे लेकिन 971 करोड़ ₹ के इस प्रोजेक्ट के लिए मुझ जैसे पेंशनर्स पर भी टैक्स का बोझ निरन्तर बढ़ता जाए

PM Modi Laid Foundation Stone of New Parliament Building

(New Delhi) Prime Minister Narendra Modi laid the foundation stone of the New Parliament Building today.
The new building is a landmark opportunity to build a peoples’ Parliament for the first time after independence
Speaking on the occasion, the Prime Minister said today is a milestone in India’s democratic history, filled with the idea of ​​Indianness. He added that the start of the construction of Parliament House of India is one of the most important stages of our democratic traditions. He gave a call to the people of India, to build this new building of the Parliament together. He said it can’t be more beautiful or more pure than the new building of our Parliament witnessing when India celebrates 75 years of its independence.
The Prime Minister remarked that democracy elsewhere is about election procedures, governance and administration. But democracy in India is about life values, it is the way of life and the soul of a nation. He added India’s democracy is a system developed through centuries of experience. There is also a life mantra, an element of life as well as a system of order in the democracy in India. He said it is India’s democratic strength that is giving new energy to the development of the country and giving new faith to its countrymen. He said democracy in India is constantly being renewed every year and it is seen that voter turnout is increasing with every election.
He reminded that every member who enters Parliament is accountable towards the public as well as the Constitution. He said there are no rituals as such to consecrate this temple of democracy. It is the representatives of the people who come to this temple that will consecrate it. He said their dedication, their service, conduct, thought and behavior will become the life of this temple. Their efforts towards the unity and integrity of India will become the energy that gives life to this temple. He added when each public representative will offer his knowledge, intelligence, education and experience fully here, then this new Parliament House will gain sanctity.