अमरोहा से सांसद देवेन्द्र नागपाल ने राष्ट्रीय लोक दल [रालोद ] से अपने निलंबन को लेकर सुप्रीमो चौधरी अजित सिंह के ओचित्य पर ही सवाल उठा दिए हैं|
श्री चौधरी अजित सिंह ने चौधरी चरण सिंह के आदर्शों को तिलांजली देकर राष्ट्रीय लोक दल को अपने हितों को साधने के लिए एक क्लब बना लिया है|ऐसे में अजित सिंह के घरेलू क्लब में रहने का कोई ओचित्य नही है|सांसद ने कहा कि अजित सिंह मनमाने तरीके से संगठन चलाते हैं। कभी कोई पार्टी बैठक नहीं बुलाते। उनके लिए सांसद की राय भी मायने नहीं रखती। इसलिए उनका मन पार्टी से खिन्न था।उन्होंने दावा किया कि इससे उनके व्यक्तित्व पर कोई फर्क नही पडेगा उनके द्वारा कराये जा रहे समाज सेवा के कार्यों के फलस्वरूप जनता उनके साथ है जिसके बलबूते पूरे जोशो खरोश से पुनः चुनावी मैदान में उतरेंगे | चर्चा है कि मुलायम सिंह यादव और सपा की नीतियों की सार्वजनिक रूप से प्रशंसा भी कर चुके नागपाल सपा में जा सकते हैं लेकिन अमरोहा से सपा ने पहले ही अमरोहा लोकसभा सीट के लिए पंचायती राज राज्य मंत्री कमाल अख्तर की पत्नी हुमेरा अख्तर को उम्मीदवार घोषित कर चुकी है।ऐसे में रालोद के हैण्ड पम्प का साथ भी नही होगा जाहिर है चुनौती बढ़ेगी |
सांसद नागपाल ने कहा कि वह जाट आरक्षण की लड़ाई में आंदोलनकारियों के साथ रहना चाहते थे इस विषय में अपने अध्यक्ष अजित सिंह से बात भी की लेकिन अध्यक्ष ने इसके विरुद्ध ही लाईन पकड़ी जिसको को लेकर रालोद सुप्रीमो से मतभेद बड़े | गौरतलब है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर चौधरी अजित सिंह ने नागपाल के साथ ही हाथरस की सांसद सारिका बघेल को भी पार्टी से निलंबित कर दिया है| निर्दलीय राजनीती करने के अभ्यस्त नागपाल ने अपने निलंबन का उत्तर ,कड़े शब्दों में, देने का निश्चय कर लिया है |वैसे देवेंदर नागपाल और रालोद के वेबसाईटों पर एक दूसरे के नाम अभी तक हठाये नहीं गए हैं |श्रीमती सारिका से प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नही हो पाया |
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