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सुप्रीम कोर्ट के तोता प्रेम पर कांग्रेसी राजा दिग्विजय सिंह झल्लाए ,कोर्ट के लिए ही आईना ले आये

झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक दुखी मिस्टर ब्लैक कोर्ट[वकील]

ओये झल्लेया ये कांग्रेसी राजा दिग्विजय सिंह कौन सा कीड़ा काट रहा है है ?ओये अब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की टिपण्णी पर भी सिसायत शुरू कर दी है| कोल गेट की जांच की निगरानी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने संदिग्ध गतिविधिओं पर सी बी आई को सरकार का तोता नहीं बनने की टिपण्णी तक कर दी इसे सी बी आई प्रमुख ने स्वीकार भी कर लिया और कहा कि हाँ सी बी आई स्वंतंत्र नहीं है|इसके अलावा इनकी सरकार के सहयोगी लालू प्रसाद यादव ने भी अपनी एतिहासिक रैली में तोता प्रेम को व्यक्त किया है लेकिन ये राजा जी सुप्रीम कोर्ट को ही हतोत्साहित करने का प्रयास करने लग गए हैं|

झल्ला

अरे श्रीमान जी दरअसल राजा दिग्विजय सिंह को अपने गृह प्रदेश से ताड़ी पार किया गया है |अपनी पार्टी में कोई महत्त्व नहीं दिया जा रहा | इनकी सलाह को नकार कर सत्ता के दो केन्द्रों के अस्तित्व को कायम रखा जा रहा है|इसीलिए बेचारे कभी कभाग ऐसी विवादित टिपण्णी दे कर अपनी मौजूदगी का अहसास करते रहते हैं और सरकार के विरुद्ध होने वाले कार्यवाही+राजनीतिक बयान या कोर्ट की टिपण्णी पर बेमांगे ही अपनी राय देकर उसे चर्चा के लिए मीडिया में उछालते रहते हैं|

कोयला घोटाले में दायर सी बी आई के हलफनामे पर सुप्रीम कोर्ट की टिपण्णी को ‘आप’ ने अपनी सबसे बड़ी जीत बताया

सुप्रीम कोर्ट द्वारा सी बी आई की कोयला घोटाले की रिपोर्ट पर की गई टिपण्णी को आम आदमी पार्टी[आप]ने बीते वर्ष की जुलाई के पश्चात अपनी बड़ी जीत क्लेम किया है| आप ने सी बी आई की रिपोर्ट में छेड़ छाड़ करने के दोषी केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार और एटोर्नी जनरल को तत्काल बर्खास्त किये जाने की मांग की है| पार्टी ने पी एम् की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाये हैं| कोयला घोटाले पर सीबीआइ द्वारा दाखिल हलफनामे पर बुधवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि वह पिंजरे में बंद तोते की तरह है और वह केवल ‘मालिक’ की भाषा बोलती है। उसके कई मालिक हैं। उस पर केंद्र सरकार का पूर्ण नियंत्रण है। कोर्ट ने कहा कि सीबीआइ स्वतंत्र हो एवं उसकी जांच में कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। लेकिन परेशानी की बात यह है कि उसे बेमिसाल अधिकार देना मुमकिन नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट को पेश किये गए हलफनामे में सी बी आई ने यह स्वीकार कर लिया है कि कानून मंत्री अश्रि्वनी कुमार, अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती, पीएमओ और कोयला मंत्रालय के अधिकारियों के सुझावों पर रिपोर्ट में बदलाव किए गए।
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के दुरुपयोग के लेकर गंभीर सवाल उठाते हुए सरकार से पूछा कि वह जांच एजेंसी को कब स्वतंत्र करेगी? जस्टिस आरएम लोढ़ा की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि सीबीआई डायरेक्टर के हलफनामे से साबित होता है कि उसके कई मालिक हैं और वह सबसे आदेश लेती है।
स्टेटस रिपोर्ट में बदलाव को लेकर आलोचना झेल रहे अटर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उन्होंने न तो रिपोर्ट देखी और न ही मांगी। उन्होंने कहा कि कानून मंत्री अश्विनी कुमार के कहने पर स्टेटस रिपोर्ट तैयार कर रहे सीबीआई अधिकारियों से मुलाकात की थी। इस तरह अटर्नी जनरल ने पूरी जिम्मेदारी कानून मंत्री पर डालते हुए सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ऐ एस जी हरेन रावल भी इस मामले में खुद को बलि का बकरा बनाए जाने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे चुके हैं।