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प्राचीन सभ्यताएं,भारत+चीन,तीसरे देश ब्राज़ील में मिली:कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए मार्ग पर चर्चा

विश्व की दो बड़ी प्राचीन सभ्यताओं ने तीसरे देश में ८० मिनट्स तक शिखर वार्ता की | भारत के पी एम ने चीन के राष्ट्रपति से कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए एक और मार्ग माँगा |
भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के प्रेजिडेंट शी जिंगपिंग ने ब्राजील के फोर्टलेजा शहर में ८० मिनट्स तक मुलाकात की|
इस मीटिंग में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए एक और वैकल्पिक मार्ग शुरू करने का सुझाव दिया
ब्राजील के फोर्टलेजा शहर पहुंचने के कुछ ही समय पश्‍चात प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने ब्रिक्‍स शिखर सम्‍मेलन की पूर्व संध्‍या पर चीन के राष्‍ट्रपति श्री शी जिंगपिंग से मुलाकात की। यह प्रधानमंत्री की पहली शिखर वार्ता है।
दोनों पक्षों ने सीमा विवाद को हल करने की आवश्‍यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने सीमा पर परस्‍पर विश्‍वास एवं भरोसे को बढ़ाने और शांति बरकरार रखने पर बल दिया। उन्‍होंने कहा कि अगर भारत और चीन सीमा विवाद को परस्‍पर वार्ता से हल कर लेते हैं तो इससे पूरे विश्‍व के लिए एक उदाहरण प्रस्‍तुत होगा कि किस तरह शांतिपूर्वक तरीके से सीमा विवादों को सुलझाया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने श्री जिंगपिंग को कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए मैदानी क्षेत्रों से जाने वाले तीर्थ यात्रियों को होने वाली समस्‍याओं के मद्देनजर एक और मार्ग शुरू करने का सुझाव दिया। श्री जिंगपिंग ने इस सुझाव पर विचार करने का आश्‍वासन दिया।
प्रधानमंत्री ने भारत के ढांचागत सेक्‍टर में चीनी निवेश बढ़ाने के साथ दोनों देशों के बीच व्‍यापारिक असंतुलन समाप्‍त होने की आशा व्‍यक्‍त की। श्री जिंगपिंग ने इस पर सहमति‍ जताई कि दीर्घकालिक आर्थिक सहयोग के लिए व्‍यापारिक संबंधों में संतुलन होना जरूरी है। उन्‍होंने कहा कि चीन के लिए भारतीय निर्यात बढ़ाकर भी इस समस्‍या का एक समाधान किया जा सकता है।

Indian Prime Minister, Shri Narendra Modi with the President of the People’s Republic of China, Mr. Xi Jinping, at Fortaliza, in Brazil on July 14, 2014.

Indian Prime Minister, Shri Narendra Modi with the President of the People’s Republic of China, Mr. Xi Jinping, at Fortaliza, in Brazil on July 14, 2014.


चीन ने इस वर्ष नवम्‍बर महीने में अपेक (एपीईसी) सम्‍मेलन में शिरकत करने के लिए भारत को आमंत्रित किया है। श्री जिंगपिंग ने कहा कि भारत को शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) में अपनी सक्रियता बढ़ानी चाहिए। श्री मोदी ने कहा कि वर्तमान में भारत एससीओ में पर्यवेक्षक की भूमिका निभा रहा है। अगर कोई अतिरिक्‍त जिम्‍मेदारी दी जाती है तो भारत को उसे स्‍वीकार करने में कोई गुरेज नहीं होगा।
श्री मोदी ने अपने मुख्‍यमंत्रित्‍व काल में चीन यात्रा की याद दिलाई। उन्‍होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि देशों के बीच संबंध वहां की जनता के संबंधों की शक्ति से बनते हैं। उन्‍होंने पर्यटन और अन्‍य क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ने की उम्‍मीद जताई।
प्रधानमंत्री ने यह भी आशा व्‍यक्‍त की कि इस वर्ष श्री जिंगपिंग की आयोजित भारत यात्रा दोनों देशों के बीच नए और महत्‍वाकांक्षी कार्यों के द्विपक्षीय सहयोग बेहतर करने के लिए एक सुअवसर रहा। उन्‍होंने चीन यात्रा के लिए स्‍वयं को आमंत्रित करने के लिए राष्‍ट्रपति का आभार व्‍यक्‍त किया और आशा जताई कि श्री जिंगपिंग शीघ्र भारत यात्रा पर आएंगे।
फोटो कैप्शन
The Prime Minister, Shri Narendra Modi at a bilateral meeting with the President of the People’s Republic of China, Mr. Xi Jinping, on the sidelines of the sixth BRICS Summit, at Fortaliza, in Brazil on July 14, 2014.

Narendra Modi Congratulated Technocrat Rajesh Kumar, Son of a Daftary In P M Office

[New Delhi]Narendra Modi Congratulated Technocrat Rajesh Kumar, Son of a MTS In P M Office
PM congratulated Shri Rajesh Kumar, son of PMO Daftary who has cleared the civil services examination In The First Attempt .

The Prime Minister,Narendra Modi,Today,congratulated Rajesh Kumar, son of Shri Devkaran, a senior employee working in the Prime Minister’s Office as a Daftary[ MTS] Rajesh has cleared the civil services examination in the first attempt. He secured the 578th rank out of 1122 selected candidates.
Rajesh’s grandfather, Shri Narayan Ram, had also worked in the Prime Minister’s Office during the tenure of Shri Jawaharlal Nehru. Rajesh holds a B. Tech degree in Electronics Communication.
Photo Caption
The Prime Minister, Shri Narendra Modi congratulates Shri Rajesh Kumar, son of PMO Daftary who has cleared the civil services examination, in New Delhi on June 25, 2014.

१६ वी लोक सभा में आये १५ वें PM नरेंद्र मोदी ने आज के दिन की शुरुआत PMO के दौरे के साथ की

१६ वी लोक सभा के लिए रिकॉर्ड जीत से आये १५ वें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज के दिन की शुरुआत अपने कार्यालय[पी एम ओ] के दौरे के साथ की |
नरेंद्र मोदी ने आज सुबह प्रधान मंत्री कार्यालय[पी एम ओ]का दौरा किया|पी एम ने अपने स्टाफसे कार्यालय के कार्यप्रणाली [फंक्शन्स] के विषय में जानकारी प्राप्त की |इसके साथ ही उन्होंने एक कुशल प्रशासन का परिचय देते हुए कार्यालय में उपलब्ध सुविधाओं[facilities ]के विषय में भी पूछताछ की|
सोर्स :ब्यूरो
फोटो कैप्शन
The Prime Minister, Narendra Modi took a round in PMO, while entering Office premises, in Delhi on May 29, 2014.
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राज्यों की ओर से उठाये गये मुद्दों को प्राथमिकता पर संवेदनशीलता के साथ विचार किया जाये:पी एम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने अपने कार्यालय के अधि‍कारि‍यों के साथ आज बैठक करके यह स्पष्ट किया कि वह देश के संघीय ढांचे को मजबूत करने के लिए काम करेंगे ।इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि उनका कार्यालय मुद्दों पर, विशेषकर राज्यों की ओर से उठाये गये मुद्दों को तरजीही आधार पर संवेदनशीलता के साथ विचार करे ।
प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज प्रधानमंत्री कार्यालय (पी एम ओ) के अधि‍कारि‍यों के साथ एक प्रारंभि‍क बैठक की। अधि‍कारि‍यों ने उन्‍हें प्रधानमंत्री कार्यालय के ढांचे और कार्यप्रणाली के बारे में वि‍स्‍तृत जानकारी दी।
मोदी ने बैठक में आम लोगों की शि‍कायतों को त्‍वरि‍त आधार पर नि‍पटाए जाने की आवश्‍यकता पर बल दि‍या। उन्‍होंने इस बात पर भी जोर दि‍या कि‍ जो मुद्दे और वि‍षय उनके कार्यालय के समक्ष वि‍शेष रूप से लाए जाते है उनके नि‍पटारे तथा उन पर प्रभावी नि‍गरानी के लि‍ए आधुनि‍क तकनीक युक्‍त प्रणालि‍यों का इस्‍तेमाल कि‍या जाए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि‍ पि‍छले कुछ दशकों में प्रधानमंत्री कार्यालय एक महत्‍वपूर्ण संस्‍थान के रूप में उभरा है और उसकी बेहतर प्रक्रि‍याओं को भवि‍ष्‍य में भी जारी रखा जाना चाहि‍ए। श्री मोदी ने संकेत दि‍या कि‍ उनका कार्यालय, राज्‍य सरकारों द्वारा उठाए जाने वाले मुद्दों को प्राथमि‍कता एवं संवेदनशीलता के आधार पर देखना पसंद करेगा। उन्‍होंने कहा कि‍ यह इस लि‍हाज से भी जरूरी है कि‍ भारत की प्रगति‍ उसके राज्यों की प्रगति‍ पर निर्भर करती हैं और इससे संघीय ढांचे को मजबूती मि‍लेगी।
पी एम ने बेहतर प्रशासन के लि‍ए मि‍लकर काम करने (TeamWork) पर जोर देते हुए अधि‍कारि‍यों से कहा कि‍ अपने वि‍चारों से उन्‍हें बेहिचक अवगत कराया जाता रहे

प्रधानमंत्री ने वीर सावरकर को श्रद्धांजलि दी

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र दामोदर दास मोदी ने आज संसद भवन में महान स्‍वतंत्रता सेनानी वीर विनायक दामोदर सावरकर के चित्र पर पुष्‍पांजलि अर्पित की।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया है ‘‘वीर सावरकर की जयंती पर उन्‍हें श्रद्धांजलि, मातृभूमि का गौरव बढ़ाने के लिए उनके अथक प्रयासों के लिए हम उनका स्‍मरण कर उन्‍हें नमन करते है।’’
फोटो कैप्शन
The Prime Minister, Shri Narendra Modi paying homage at the portrait of Swatantryaveer Vinayak Damodar Savarkar, on his birth anniversary, at Parliament House, in New Delhi on May 28, 2014.

लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सुहाग ही होंगे पहली अगस्त को भारतीय सेना के जनरल

[नई दिल्ली] लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सुहाग भारतीय सेना के अगले प्रमुख होंगे।इस सत्ता परिवर्तन पर रक्षा मंत्रालय ने मोहर लगा दी है| थलसेना अध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह 31 जुलाई को सेवानिवृत होंगे|गौरतलब है कि अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में जनरल वीके सिंह ने तत्कालीन 3 कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सुहाग पर “अनुशासनात्मक एवं निगरानी प्रतिबंध” लगाया था जिसे जनरल बिक्रम सिंह ने हटा दिया था |
रक्षा मंत्रालय ने कल लेफ्टिनेंट जनरल सुहाग[५९] के नाम की शीर्ष सैन्य पद के लिए सिफारिश की थी| प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने इसे मंजूरी दे दी है |इससे पहले रक्षा मंत्रालय ने चुनाव आयोग से हरी झंडी मिलने के तुरंत बाद सुहाग के नाम की यह सिफारिश एसीसी को भेजी थी। मंत्रालय ने आदर्श आचार संहिता के मद्देनजर इस मामले में चुनाव आयोग की राय मांगी थी।
बीजेपी ने केंद्र सरकार की इस “जल्दबाजी” पर सवाल उठाये हैं और इस फैसले को अगली सरकार पर छोड़े जाने की मांग कर रही थी | रिटायर्ड जनरल वीके सिंह ने भी सोमवार को रक्षा मंत्रालय के इस निर्णय की आलोचना की |उन्होंने कहा कि यह “नैतिक रूप से” गलत है और इससे वर्तमान प्रमुख “निष्प्रभावी” हो जाएंगे।

अति सुरक्षितPMOमें उठने वाली प्रत्येक चिंगारी अपने आप में राजनीतिक ज्वाला का काम करती है

झल्ले दी झल्लियां गल्लाँ

कांग्रेसी चीयर लीडर

ओये झल्लेया ये हमने कौन सी किसी की भैस खोल ली है देख तो आये दिन हर छोटी बड़ी बात का बतंगड़ बना कर हसाडे सोणे ते मन मोहने पी एम की साफ सुथरी पगड़ी उछाली जा रही है|
अब देख तो साउथ ब्लॉक के पी एम ओ के एक छोटे से कमरे में मंगल वार की सुबह एक छोटे से कंप्यूटर के यूं पी एस में से कुछ चिंगारियां क्या निकल गई कि भाजपा वालों ने कहना शुरू कर दिया है कि हमने सरकारी फाईलें जला डाली|ओये ये हमें कहीं का रहने भी देंगे या नही ?

झल्ला

चतुर सुजाण जी ये तो आप भी मानोगे ना कि अति सुरक्षित पी एम ओ में उठने वाली प्रत्येक चिंगारी अपने आप में राजनीतिक ज्वाला का काम करती हैइसके अलावा आग का समय सुबह के लगभग साढ़े छह बजे बताया जा रहा है और आग को बुझाने के लिए साढ़े सात का समय उछाला जा रहा है ऐसे में एक घंटे की आग को बुझाने के लिए आई दमकल गाड़ियों को भी अंदर नहीं जाने दिया गयाइसके अलावा झल्लेविचारानुसार दमकल के महा निदेशक का अस्थाई Satireकार्यभार भी इसी दिन किसी और को सौंपा गया है इसीलिए बौखलाने की जरुरत नही ऐसे में सवाल उठने तो लाजमी ही हैं टालने के बजाय इनका उत्तर अपलोड किया जाना चाहिए

पी एम ओ साहब, पी एम का जनता से सीधे संवाद कायम कराओ तभी जाकर राजनीतिक चमत्कार देख पाओगे

झल्ले दी झल्लियां गल्लाँ

उत्तेजित कांग्रेसी चीयर लीडर

ओये झल्लेया देखा हसाडे सोणे ते मन मोहने पी एम के कम्युनिकेशन अधिकारी का कमाल ओये पंकज पचौरी ने मीडिया में आकर कर तथ्यों के साथ खुलासा किया है कि हसाडे मन मोहने १० सालों में कभी मौन नहीं रहे उन्होंने विश्व स्तरीय अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं लेकिन भाजपाई पैसे से दबे मीडिया ने कभी तरजीह नहीं दी अब फिर से पी एम को बदनाम करने के लिए संजय बारु और पी सी परख की किताबों को तूल देकर पी एम को क्रूसेडर+कंस्पिरेटर+ वीक प्राइम मिनिस्टर बताया जा रहा|
ओये मन मोहने ने ११९८ भाषण दिए हैं और पी एम ओ से प्रेस रिलीज भी जारी की जा रही हैं यहाँ तक कि पी एम ओ की वेबसाइट को रोजाना अंग्रेजी+हिंदी में अपडेट किया जा रहा है।उसके बावजूद मन मोहने की पगड़ी उछाली जा रही है

झल्ला

अरे मेरे चतुर सुजाण बेशक सोणे मन मोहने पी एम ने मौन मोह त्याग कर चार चुनावी रैलियां की हैं| इसके बावजूद जनता से संवाद स्थापित करने के लिए आप लोगों को एन डी टी वी विख्यात पंकज पचौरी की पत्रकारिता की जरुरत पड़ रही है अरे जनता से सीधे संवाद स्थापित कराओ और दो केन्द्रों की सत्ता को स्वीकार करके बहादुरी से आगे आओ तभी जाकर कोई राजनितिक चमत्कार हो पायेगा

डॉ मनमोहन सिंह की भावुक अपील ,दीपावली पर उन्हें उपहार न भेजें वरन राष्ट्रीय राहत कोष में दान दें

प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने अपने शुभचिंतकों से इस दीपावली के मौके पर उन्हें उपहार भेजने की बजाय प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय राहत कोष में दान देने की भावुक अपील की है।पी एम् ओ से जारी इस अपील में कहा गया है, कि डॉ मन मोहन सिंह को दीपावली के शुभ अवसर पर स्नेह स्वरुप उपहार ना देकर प्रधान मंत्री के राष्ट्रीय राहत कोष [National Relief Fund ]में दान देने का आग्रह किया गया है।(He has appealed to his well wishers to make donations to the Prime Minister`s National Relief Fund instead of sending gifts for him). पी एम् ने उन सभी लोगों को धन्यवाद भी दिया है जो उन्हें दीपावली के मौके पर उपहार और शुभकामनाएं देते आए हैं।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में उत्तराखंड+ओडिशा+आंध्र प्रदेश प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रहे हैं इन राज्यों में बड़े स्तर पर पुनर्वास और राहत कार्य किए जा रहे जिसके लिए राष्ट्रीय राहत कोष से सहायता उपलब्ध कराई जा रही है

लाख करोड़ रुपये वाले बुनियादी ढांचागत निवेशों पर स्‍थाई समिति की प्रथम बैठक 19 जुलाई 2013 को होगी

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव की अध्‍यक्षता में बुनियादी ढांचागत निवेशों में वृद्धि के लिए स्‍थाई समिति की प्रथम बैठक 19 जुलाई 2013 को आयोजित की जाएगी। अनुमानित एक लाख करोड़ रुपये की लागत वाली निम्‍न परियोजनाओं की तैयारी की निगरानी और उन्‍हें प्रारंभ करने के लिए वित्‍त मंत्रालय, योजना आयोग, आर्थिक मामले, सड़क, परिवहन और राजमार्ग, जहाजरानी, नागरिक विमानन, ऊर्जा मंत्रालय एवं विभागों के सचिवों तथा रेल बोर्ड के अध्‍यक्ष को आमंत्रित किया गया है :-
[1]. मुंबई एलिवेटिड रेल गलियारा परियोजना [2]. दो लोकोमोटिव परियोजनाएं [3]. त्‍वरणशील पूर्वी समर्पित भाड़ा गलियारा 4][. एक एक्‍सप्रेस वे परियोजना [5]. एक बंदरगाह[6]. दो हवाई अड्डे [7]. विद्युत और पारेषण परियोजनाएं रेल के लिए मंजूर की गई परियोजनाओं में आने वाली अड़चनों को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री ने रेलवे बोर्ड के अध्‍यक्ष, वित्‍त सचिव और योजना आयोग के सचिव के साथ एक अंतर मंत्रिस्‍तरीय समूह के गठन को मंजूरी दे दी है। यह समूह अनुमानित दो लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं के मामले में आने वाली समस्‍याओं को दूर करने और निवेश को बढ़ावा देने के लिए प्राथमिकता के आधार पर एक सृजनात्‍मक वित्‍तीय एवं कार्यान्‍वयन तंत्र बनाने में मदद करेगा।

जेट एतिहाद पर एक माह में छह शिकायतों पर अभी विचार किया जा रहा है ,पीछे हटने का सवाल नहीं उठता PMO

प्रधान मंत्री कार्यालय[पी एम् ओ]ने जेट -एतिहाद एयर लाइन्स को लेकर हुए भारत -और यूएई में हवाई सेवाएं समझौते पर देश की स्थिति स्पष्ट की है|इसे मीडिया में आ रही खबरों के जवाब के रूप में भी देखा जा रहा है|
पी एम् ओ कार्यालय द्वारा कहागया है कि इस समझौते के विरोध में मात्र एक माह में छह शिकायतें मिलने के फलस्वरूप इस पर केवल विचार किया जा रहा है| इसलिए इससे पीछे हटने या प्रस्‍ताव का सम्‍मान न करने का कोई सवाल ही नहीं उठता|
कहा गया है कि पिछले कुछ दिन से भारत – यूएई (आबू धाबी)द्विपक्षीय हवाई सेवाएं समझौते और जेट एयरवेज-एतिहाद इक्विटी स्‍टेक प्रस्‍ताव पर मीडिया में खबर आ रही है। इनमें से कुछ खबर में कहा गया है कि प्राधानमंत्री कार्यालय जेट एयरवेज-एतिहाद प्रस्‍ताव में भूमिका निभा रहा है।
[2] मीडिया के कुछ समाचारों में लगाए जा रहे आरोप तथ्‍यात्‍मक रूप से गलत तथा आधारहीन हैं। सरकार में या मंत्रालयों और प्रधानमंत्री के बीच इस बारे में कोई असहमति नहीं है। प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय हवाई सेवाएं समझौते हाथ नहीं खींचा है और न ही प्रधानमंत्री कार्यालय इस मुद्दे पर पीछे हटने की तैयारी कर रहा है।
[३]मीडिया में दो अलग-अलग मामले उठाए जा रहे हैं। पहला भारत और आबू धाबी के बीच द्विपक्षीय हवाई सेवाएं समझौते के तहत सीट बढ़ाने के हक के बारे में है। यह द्विपक्षीय हवाई यातायात सीटों के हक के बारे में दो सरकारों के बीच समझौता है और दोनों देशों की सरकारों से संबंधित है।
[अ] दूसरा जेट एयरवेज और एतिहाद के बीच इक्विटी की हिस्‍सेदारी के प्रस्‍ताव के बारे में है जो निजी क्षेत्र की दो कंपनियों के बीच समझौता है। ऐसे समझौते में विदेशी निवेश होता है तथा इसलिए ये इस संबंध में किसी सरकार की नीति एवं कानून के अनुसार होने चाहिए। अलग-अलग मुद्दे होने और विभिन्‍न श्रेणी के निकायों के बीच के मुद्दे होने के नाते इन दोनों मामलों को अलग-अलग देखा जाना चाहिए
[४]जहां तक द्विपक्षीय हवाई सेवाएं समझौते की बात है, तथ्‍य सरल हैं। द्विपक्षीय हवाई सेवाएं समझौतों के तहत सीटों के हक में बदलाव आमतौर पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय और दूसरे देश के संबंधित मंत्रालय करते हैं। यह परिवर्तन सहमति ज्ञापन के तहत किए जाते हैं तथा इनके लिए उच्‍च स्‍तर पर अनुमोदन की जरूरत नहीं होती।

यह केस प्रधान मंत्री तक क्यूं आया

[५] 22-04-2013 को नागरिक उड्डयन मंत्री ने सीट के हक के बारे में आबू धाबी के साथ सहमति ज्ञापन सम्‍पन्‍न करने के लिए प्रधानमंत्री की अनुमति मांगी थी जो अंतर-मंत्रालय समूह की सिफारिश से भिन्‍न थी। इसलिए यह मामला प्रधानमंत्री के स्‍तर तक आया। प्रधानमंत्री ने वित्‍त मंत्री को निर्देश दिया कि मामले पर विस्‍तार से विचार करने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्री, विदेश मंत्री और वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्री की बैठक बुलाए। मंत्री मिले और द्विपक्षीय विचार विमर्श के लिए प्रस्‍ताव पर सहमत हुए। इस बैठक का कार्यवृत्‍त वित्‍त मंत्रालय ने जारी कर दिया है।
[६] उसी दिन मंत्री मामले पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री से मिले। इस बैठक में राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव भी शामिल हुए। बैठक में पिछली बैठक के कार्यवृत्‍त में उल्‍लेखित फार्मूले के अनुसार वार्ता में आगे बढ़ने पर सैद्धांतिक सहमति बनी।
[७] इसके बाद 26-04-2013 को प्रधानमंत्री ने यह मामला मंत्रिमंडल के समक्ष लाने को कहा। इस संबंध में उन्‍होंने नागरिक उड्डयन मंत्री से भी बात की। प्रधानमंत्री कार्यालय ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को औपचारिक रूप से यह मामला मंत्रिमंडल के समक्ष लाने को कहा। इस सम्बन्ध में नोट जारी कर दिया गया |
[८] इसके बाद हमारे विमानन क्षेत्र पर मध्‍य पूर्व की विमानन कंपनी के असर के बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय में एक नोट प्राप्‍त हुआ। इसे विचार के लिए 22-05-2013 को नागरिक उड्डयन मंत्रालय को भेज दिया गया।
[९]मंत्रिमंडल ने जब इस नोट की समीक्षा की तो महसूस किया गया कि इसे सिलसिलेवार ढंग से पुन- तैयार करना चाहिए। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री कार्यालय ने 13-6-13 को नागरिक उड्डयन मंत्रालय को कैबिनेट नोट को फिर से तैयार करने के लिए नोट भेजा। प्रधानमंत्री कार्यालय से भेजा गया यह नोट जारी कर दिया गया है।
[१०]यह निजी कंपनियों के बीच का मामला है जिसके लिए वर्तमान नीतियों और कानून के अनुसार संबंधित एजेंट के अनुमोदन की जरूरत है। यह सरकारों के बीच समझौता नहीं है तथा इस मामले में पीछे हटने या प्रस्‍ताव का सम्‍मान न करने का सवाल ही नहीं उठता।
समझौते के बारे में शिकायत
इस मामले में प्रधानमंत्री को निम्‍नलिखित शिकायतें मिलीं –
1- प्रधानमंत्री ने 1-5-2013 को श्री गुरूदास दासगुप्‍ता का पत्र प्राप्‍त हुआ ।
2- 2-5-2013 को श्री प्रबोध पांडा का पत्र प्राप्‍त हुआ ।
3- 3-5-2013 को श्री सुचारू रंजन हलदर, सांसद का पत्र प्राप्‍त हुआ ।
4- 29-5-2013 को डॉ सुब्रह्मण्‍यम स्‍वामी का पत्र प्राप्‍त हुआ ।
5- 13-6-2013 को श्री अजय संचेती का पत्र प्राप्‍त हुआ ।
6- 21-6-2013 को श्री अजय संचेती का पत्र प्राप्‍त हुआ ।
इस मामले पर अभी विचार किया जा रहा है तथा इसलिए पीछे हटने या प्रस्‍ताव का सम्‍मान न करने का कोई सवाल ही नहीं उठता।