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Tag: press conference of congress

केजरीवाल की बिन्नी ने की किरकिरी,”आप”को कांग्रेस की फ्रेंचाईजी बताया तो “आप” ने भी अपने विधायक को भाजपा का खिलौना बताने में देर नहीं की

केजरीवाल की किरकिरी करने के लिए विधायक विनोद कुमार बिन्नी ने “आप” को कांग्रेस की फ्रेंचाइजी साबित करने में कोई कसर नही छोड़ी जबकि “आप” ने भी जवाबी प्रेस कांफ्रेंस करके “बिन्नी” को भाजपा का खिलौना बता कर अपना बचाव किया|रोचक रूप से “आप” पार्टी के प्रमुख राष्ट्रीय प्रवक्ता योगेंदर यादव ने अपने इस बागी विधायक को पार्टी फोरम में मुद्दे को नहीं उठाने के लिए अनुशासनहीनता का आरोप तो लगाया लेकिन इसके साथ ही इस मुद्दे को स्व्यम भी प्रेस कांफ्रेंस में ले आये|इससे पूर्व भी बिन्नी असंतोष व्यक्त कर चुके हैं लेकिन उस समय तक सरकार का गठन नहीं हुआ था सम्भवत इसीलिए योगेंदर यादव ने प्रेस में बिन्नी का बचाव करते हुए पार्टी को संकट से उभारा था लेकिन इस समय ऐसा कोई प्रयास होता नहीं दिख रहा यहाँ तक कि अरविन्द केजरीवाल ने भी बीते दिन पार्टी फोरम में बिन्नी को बुलाने के बजाय प्रेस के समक्ष ही बिन्नी पर लोभी और अवसर वादी होने के आरोप लगा कर अपना रुख स्प्ष्ट कर दिया था
इसके अलावा आशुतोष ने भी समझौते के बजाय कड़ा रुख ही जाहिर किया था आज योगेन्द्र यादव ने भी सार्वजनिक रूप से अपने ही विधायक को भाजपा का खिलौना बता दिया और अनुशासनात्मक कार्यवाही का संकेत दिया है इस सारे घटना क्रम से लगता है पार्टी ने विनोद कुमार बिन्नी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने का मन बना ही लिया है |इसके अलावा आप पार्टी की नई सदस्या मल्लिका साराभाई ने जिस तरह राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके डॉ कुमार विश्वास की आलोचना शुरू की है उससे लगता है कि आप “पार्टी” वर्त्तमान में दो विचारधाराओं में बंटी हुई है | ये विचारधाराएं भाजपा और कांग्रेस की है अभी तक इन विचारधाराओं से समान दूरी बनाये रखने में समर्थ दिखी यह नई पार्टी लोक सभा के चुनावों में तीसरे विकप के रूप में उतरने से पूर्व इस विकट समस्या और इससे उपज रही नकारात्मक पब्लिसिटी से कहाँ तक उबर पायेगी यह लोक सभा में उनकी सफलता को भी प्रभावित करेगी |

सरकार स्थिर है और इसकी पतवार सशक्त हाथों में है: श्रीलंका के तमिलों के हितों की चिंता है

हमारी सरकार स्थिर है और सरकार की पतवार हमारे सशक्त हाथों में है ,हमारी सरकार के बहुमत को किसी भी पार्टी ने चेलेंज भी नही किया है ऐसे में हमें कोई खतरा नहीं है इसीलिए हम देश में विकास की नाव को लगातार आगे खे ते [चलाते]रहेंगे| श्रीलंका में तमिलों का ही सिर्फ अब प्रश्न है इसके लिए प्रस्ताव को ड्राफ्ट करने उसकी भाषा या कंटेंट पर आम सहमती बनाने के प्रयास किये जा रहे है|ये आत्म विश्वास आज दिल्ली में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में सरकार ने व्यक्त किया| वित्त मंत्री पी चिदम्बरम+संसदीय कार्यमंत्री कमल नाथ और सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने संयुक्त रूप से प्रेस कांफ्रेंस में यह विश्वास व्यक्त किया|

सरकार स्थिर है और इसकी पतवार सशक्त हाथों में है: श्रीलंका के तमिलों के हितों की चिंता है

सरकार स्थिर है और इसकी पतवार सशक्त हाथों में है: श्रीलंका के तमिलों के हितों की चिंता है


इन तीनो वक्ताओं ने इंग्लिश +तमिल और हिंदी भाषा में मीडिया को संबोधित करते हुए बताया के कुछ दलों द्वारा प्रस्ताव के लिए कुछ सुझाव या आपत्तियां दी गई हैं उन पर चर्चा जारी है कुछ ही समय में इस पर निर्णय ले लिया जा जाएगा|
उन्होंने कहा की सरकार की कमजोरी का सवाल ही पैदा नहीं होता अभी बीते दिन ही आम आदमी के हित में बिल पास कराया है और ऐसा ही आगे भी कर लिया जाएगा| ९ सालों से लगातार घटक दलों के सहयोग से सरकार चला रहे है कभी बहुमत का प्रश्न नहीं आया अभी भी नहीं आएगा|
उन्होंने घटना क्रमका ब्यौरा देते हुए बताया कि तमिल नाडू में सत्ता रुड जयललिता की सरकार ने केंद्र को एक पत्र लिखा था जिसमे यूं एन में बनाए जा रहे प्रस्ताव में संशोधन के लिए कहा गया था कमोबेश यही मांग उनकी विरोधी डी एम् के ने भी की थी मगर बाद में करूणानिधि ने स्टेंड में थोड़ा परिवर्तन कर लिया| श्रीलंका में तमिलों के हितों के लिए स्वर्गीय इंदिरा गांधी और राजिव गांधी के समय से ही कांग्रेस के स्टेंड के विषय में सबको जानकारी है इसीलिए अब इसविषय को हल्का करने का कोई प्रयास नहीं किया जाएगा| अब केवल यूं एन के प्रस्ताव में संशोधन के लिए आम सहमती बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं|
गौरतलब है कि ५३९ सदस्यों वाली संसद में बहुमत सिद्ध करने के लिए २७१ सांसदों की जरुरत है| डी एम् के के १८ सदस्यों को हटाने के बाद भी सरकार अल्प मत में नहीं दिखती|
कांग्रेस के =२०२
एन सी पी =०९
बी एस पी=२१
रालोद=०५
जी डी एस =०३
सपा=२२
और अन्य =२२ हैं
अज के नए घटना क्रम में सपा ने राजनीतिक पैतरें दिखाने शुरू कर दिए हैं यदि सपा अपना सपोर्ट वापिस लेते है तब कुछ चिंता की बात होगी लेकिन सरकार के आत्म विशवास को देखते हुए २०० सांसदों वाली नितीश कुमार की पार्टी के स्टेंड को समझा जा सकता है|