[Rupnagar,Punjab]5 Armed Men Overpowered Guards And Looted Rs 20 Lakh from PNB’s ATM
Punjab Is Switched Over to Election Mode But Crime Rate Is On High.
Five armed persons today looted Rs 20 lakh from personnel of a cash handling company .Company Personnel were replenishing cash at an ATM of Punjab National Bank at the Civil Hospital
The accused decamped with a suitcase containing Rs 20 lakh and also took cash in the ATM after said SSP SSP Varinderpal Singh Admitted that security guard and company personnel were overpowered .
There were two cash handlers and the company’s driver in the ATM kiosk when the incident happened.
They had come from Mohali to replenish cash at the ATM,
Tag: Punjab police
5 Armed Men Overpowered Guards&Looted Rs20L from PNB’s ATM
Punjab Police Warns E Commerce Portals on Sale of e-Cigarettes
[Chandigarh,Punjab]Punjab Police Warns E Commerce Portals on Sale of e-Cigarettes
Punjab police has issued notices to various e-commerce portals for violating the Drugs and Cosmetics Act by selling e-cigarettes.
Punjab police’s cyber crime wing has issued notices to different e-commerce portals for selling e-cigarettes,
E-cigarettes are Electronic Nicotine Delivery System (ENDS) devices containing nicotine in chemical form which is addictive and lethal,”
E-cigarette have been declared as an “unapproved drug” by State Drug Controller since 2013.
As Per Police Sources ,Court cases have been initiated in Ludhiana+Hoshiarpur + Mohali district against vendors selling e-cigarettes,
Earlier, State Tobacco Control Cell had also issued awareness notices to e-commerce sites that were violating the Drugs and Cosmetics Act by selling unapproved drugs like e-cigarette
Defending Udta Punjab Movie NAPA Warns Pb Govt not to Ban
[JALANDHAR] NAPA Defending Udta Punjab Movie Warned Pb Govt not to Ban
North American Punjabi Association (NAPA) warned the Punjab government not to even think to ban a forthcoming Bollywood debut Udta Punjab
Executive director Of NAPA Satnam Singh Chahal claims that Film Is is backed by four-years of research and based around the drug-related problems prevalent in Punjab.
Chahal said that It is not the first time that Diljit Dosanjh is donning the khakee for a film
SAD Led Punjab Govt Promotes 7 IPS Officers
[Chandigarh,Punjab]Punjab Govt Promotes 7 IPS Officers .Three Officers Are Made Director General of Police Whereas Are Promoted To The Rank Of Addl DG.
The Punjab Government promoted 07 IPS officers with immediate effect.
Disclosing this an official spokesman said that
[1] Mohd. Mustafa,
[2]Ravinder Paul Singh
[3]Hardip singh Dhillon, IPS officers of 1985 batch
have been promoted in the rank of Director General of Police in the pay scale of HAG+Rs.75,500-80,000 where as
[4]Barjinder Kumar Uppal,
[5]B.K.Garg,
[6]Ishwar Chander and
[7] Balbir Kumar Bawa IPS officers of 1991 batch
have been promoted in the rank of Additional Director General of Police in the pay scale of Rs.67,000-79,000.
14 Alleged Heroin Smugglers (Including 9 Women)Booked in Punjab
[Moga,Pb] 14 Alleged Drug Peddlers(Including 9 Women)Booked in Punjab
Police today booked 14 alleged drug peddlers, nine of them women, after a raid at Daulewala village in the district.
Police raided their house and hideouts following a tip-off that they were involved in smuggling of heroin.
All the accused were absconding, police said, adding that most them are already facing the NDPS (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances) Act.
Those booked include Kala Singh, Shabir Kaur, Gurdeep Kaur, Purna Singh, Mohinder Kaur, Preet Kaur, Preeto, Kala Singh who is son of Balvir Singh, Mangal Singh, Sukhwinder Singh, and Amar Kaur Gali wife of Tirlok Singh,
पंजाब पोलिस ने तीन कबूतर बाज , जालसाज ट्रेवल एजेंटों को गिरफ्तार किया
पंजाब पोलिस ने तीन कबूतर बाज , जालसाज ट्रेवल एजेंटों को गिरफ्तार किया
पंजाब के होशियारपुर जिले के उना रोड स्थित एक विवाह-स्थल परछापा मार कर पुलिस ने तीन जालसाज ट्रेवल एजेंटों को गिरफ्तार किया इन जाल साजों के कब्जे से विदेशों में नौकरी चाहने वाले लोगों के 100 से ज्यादा पासपोर्ट जब्त किए हैं ।
भाषा ने पोलिस के हवाले से बताया है कि गिरफ्तार किए गए तीनों एजेंटों ने भाषायी अखबारों में विज्ञापन देकर कुवैत में विभिन्न व्यापारियों के यहां नौकरी दिलाने का वादा किया था जिसके जाल में फंस कर 109 युवकों ने अपना पासपोर्ट और 3000 रूपए बतौर पंजीकरण शुल्क जमा कराए थे ।
डा. श्यामा प्रसाद के बलिदान को सच्ची श्रधांजलि देने के लिए जम्मू कश्मीर में धारा 370 की समाप्ति जरुरी है :सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से
भाजपाके पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार एल के अडवाणी ने अपने ब्लॉग में अपने नेता स्वर्गीय डॉ श्यामा प्रसाद मुखेर्जी को श्रधांजली देते हुए जम्मू कश्मीर में धारा ३७० को समाप्त किये जाने पर बल दिया है प्रस्तुत है सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से :
ठीक साठ वर्ष पूर्व 23 जून १९५३ में इसी दिन देश को जम्मू एवं कश्मीर राज्य से ह्दय विदारक समाचार मिला कि डा. श्यामा प्रसाद मुकर्जी अब हमारे बीच नहीं रहे।मुझे अच्छी तरह से स्मरण है कि रात्रि के लगभग 2 बजे या उसके आसपास मैं जयपुर के जनसंघ कार्यालय के बाहर किसी के खटखटाने और रोने की आवाज सुनकर नींद से जागा; और मैंने सुना कि ”आडवाणीजी, उन्होंने हमारे डा. मुकर्जी को मार दिया है!” वह एक स्थानीय पत्रकार था, जिसको टिकर पर यह समाचार मिला और वह अपने को रोक नहीं पाया तथा हमारे कार्यालय आकर इस दु:ख में मेरे साथ शामिल हुआ।
यह समाचार लाखों लोगों के लिए एक गहरा धक्का था। इस वर्ष की शुरुआत में डा. श्यामा प्रसाद की नवगठित पार्टी भारतीय जनसंघ का कानपुर में अखिल भारतीय सम्मेलन सम्पन्न हुआ था। इस सम्मलेन में राजस्थान से एक प्रतिनिधि के रुप में भाग लेने का सौभाग्य मुझे मिला था। यहीं पर फूलबाग में इकठ्ठे हुए हजारों प्रतिनिधियों को डा. मुकर्जी ने यह राष्ट्रभक्तिपूर्ण प्रेरक आह्वान किया था-”एक देश में दो प्रधान, दो निशान, दो विधान, नहीं चलेंगे, नहीं चलेंगे।”
कानपुर में ही पार्टी ने जम्मू एवं कश्मीर के भारत में पूर्ण एकीकरण को लेकर पहला राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाने का संकल्प लिया। डा. मुकर्जी ने तय किया कि वह इस आंदोलन का नेतृत्व आगे रहकर करेंगे-व्यक्तिगत रुप से शेख अब्दुल्ला के द्वारा लागू किए गए परमिट सिस्टम की अवज्ञा कर। उन्होंने यह भी निर्णय किया कि वह इस आन्दोलन के लिए समर्थन जुटाने हेतु देश के विभिन्न हिस्सों में जाएंगे। अपने इस पूर्व-अभियान जोकि रेलगाड़ी के माध्यम से हुआ, में उन्होंने श्री वाजपेयी को अपने साथ रहने को कहा।
उन दिनों मैं राजस्थान के कोटा में था। जब मुझे ज्ञात हुआ कि डा. मुकर्जी और अटलजी कोटा जंक्शन से गुजरेंगे तो मैं उनसे स्टेशन पर मिला। तब मुझे इसका तनिक भी आभास नहीं था कि मैं हमारी पार्टी के महान संस्थापक डा. श्यामा प्रसाद को अंतिम बार देख रहा हूं।
8 मई, 1953 को डा. मुकर्जी दिल्ली से जम्मू जाने के लिए पंजाब रवाना हुए। अमृतसर पर 20,000 से ज्यादा के समूह ने उनका शानदार स्वागत किया। अमृतसर से पठानकोट और वहां से माधोपुर की उनकी यात्रा एक विजयी जुलूस की तरह थी। माधोपुर एक छोटा सा कस्बा है जो पठानकोट सैनिक कैण्ट से करीब बारह किलोमीटर की दूरी पर है। माधोपुर रावी नदी के किनारे पर स्थित है और यही रावी नदी पंजाब को जम्मू एवं कश्मीर से अलग करती है। डा. मुकर्जी, अटलजी के साथ एक जीप पर बैठकर जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करने हेतु रावी के पुल की ओर बढे। पुल के बीच में जम्मू एवं कश्मीर पुलिस के एक जत्थे ने जीप को रोका और डा. मुकर्जी से पूछा कि क्या उनके पास परमिट है। डा. मुकर्जी ने नहीं में उत्तर दिया और कहा भारतीय संविधान के तहत प्रत्येक भारतीय नागरिक को देश की किसी भी भाग में जाने की आजादी है। जब पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया तो उन्होंने वाजपेयीजी से कहा ”कृपया आप वापस जाओ और लोगों को बताओ कि मैंने बगैर परमिट के जम्मू एवं कश्मीर राज्य में प्रवेश किया है, भले ही एक कैदी के रुप में।”
यह उल्लेखनीय है कि पठानकोट में पंजाब के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने डा. श्यामा प्रसाद को मिलकर बताया कि उन्हें पंजाब सरकार से निर्देश हैं कि यदि डा. मुकर्जी के पास परमिट नहीं भी हो तो भी उन्हें पुल पर स्थित माधोपुर पोस्ट जाने दिया जाए।
साफ है कि यह केन्द्र सरकार और जम्मू एवं कश्मीर राज्य सरकार का संयुक्त ऑपरेशन था कि डा. मुकर्जी को जम्मू एवं कश्मीर राज्य में बंदी बनाकर रखा जाए न कि पंजाब में।इस सुनियोजित अभियान का परिणाम देश के लिए सदमा पहुंचाने वाली विपदा के रुप में सामने आया। 23 जून, 1953 को राष्ट्र को यह समाचार पाकर सदमा पहुंचा कि डा. मुकर्जी जिन्हें बंदी बनाकर श्रीनगर के एक घर में रखा गया था, अचानक बीमार हुए, और थोड़ी बीमारी के बाद चल बसे!
पश्चिम बंगाल के तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री डा. विधान चन्द्र राय, डा. मुकर्जी की पूजनीय माताजी श्रीमती जोगोमाया देवी और देश के सभी भागों से अनेकानेक प्रबुध्द नागरिकों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को टेलीग्राम और पत्र इत्यादि भेजकर न केवल अपना दु:ख और आक्रोश प्रकट किया अपितु तुरंत जांच कराने की भी मांग की कि यह त्रासदी कैसे घटी। इस राष्ट्रीय आक्रोश का कोई नतीजा नहीं निकला। इस असाधारण व्यक्ति की मृत्यु आज भी रहस्य बनी हुई है। ऐसी किसी अन्य घटना के संदर्भ में, एक औपचारिक जांच सर्वदा गठित की जाती रही हैं। लेकिन इस मामले में नहीं। कोई नहीं कह सकता कि क्या यह मात्र अपराधिक असंवेदनशीलता का मामला है या वास्तव में अपराध बोध का भाव!
****हालांकि, रहस्यमय परिस्थितियों में डा. मुकर्जी की मृत्यु को लेकर उमड़े व्यापक जनाक्रोश के चलते अगले कुछ महीनों में घटनाक्रम तेजी से बदला जिससे राष्ट्रीय एकीकरण की प्रक्रिया महत्वपूर्ण रुप से आगे बढ़ी।
सर्वप्रथम और सर्वाधिक महत्वपूर्ण रहा परमिट सिस्टम की समाप्ति।
उस समय तक न तो सर्वोच्च न्यायालय, न ही निर्वाचन आयोग और न ही नियंत्रक एवं महालेखाकार के क्षेत्राधिकार में जम्मू एवं कश्मीर राज्य नहीं था। इन तीनों संवैधानिक संस्थाओं का क्षेत्राधिकार जम्मू एवं कश्माीर पर भी लागू किया गया। उस समय तक राज्य के मुख्यमंत्री को वजीरे-आजम और राज्य के प्रमुख को सदरे-रियासत कहा जाता था। सैध्दान्तिक रुप से, न तो भारत के राष्ट्रपति और न ही प्रधानमंत्री का इस राज्य पर कोई अधिकार था।
डा. मुकर्जी के बलिदान ने इस स्थिति में भी बदलाव लाया। राज्य में प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री बन गये, सदरे-रियासत राज्यपाल बन गये और राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के औपचारिक अधिकार जम्मू एवं कश्मीर राज्य पर भी लागू हुए।
एक प्रकार से, इस प्रेरक नारे की तीन मांगों में से एक, दो प्रधान एक हो गए, और यद्यपि दो निशान अभी भी हैं मगर राष्ट्रीय तिरंगा राज्य में ऊपर लहराता है।इसके अलावा, दो प्रधानमंत्री एक बने, दो सर्वोच्च न्यायालय एक हुए, दो निर्वाचन प्राधिकरण एक हुए – यह सब डा. श्यामा प्रसाद के बलिदान के कारण हुआ।
देश व्यग्रता से उस दिन की प्रतीक्षा कर रहा है जब धारा 370 समाप्त होगी और दो विधान भी एक हो जाएंगे!
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