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RTI Applicant in MP Asked to Pay GST for Required Info

[bhopal,MP] RTI Applicant in MP Asked to Pay GST for Required Info
Ajay Dubey had sought details of expenditure on renovation of office of Real Estate Regulatory Authority (RERA), Madhya Pradesh, from the board But he was asked to pay Central Goods and Services Tax (CGST) and the States Goods and Services Tax (SGST) @9%
Activist paid Rs 43 Rs 36 as photocopy charges for 18 pages (at the rate of Rs two per page),
Rs 3.5 as CGST and Rs 3.5 as SGST,

Modi Govt Spending Rs 1.1k Crore Per Year On Publicity

[Mumbai]:Modi Govt Spending Rs 1.1k Crore Per Year On Publicity RTI
Narendra Modi government has spent Rs 4,343 crore on publicity since it came to power in May 2014, an agency under the Ministry of Information and Broadcasting has said in reply to an RTI query.
The expenditure was incurred on advertisements in the print and electronic media as well as outdoor publicity, the central government agency said in response to the application filed by city-based RTI activist Anil Galgali.
The Bureau of Outreach Communication under the ministry said the government spent Rs 4,343.26 crore on advertising its programmes across media platforms.
This included
Rs 1732.15 crore on advertisements in the print media (from June 1, 2014, to December 7, 2017) and
Rs 2079.87 crore in the electronic media (from June 1, 2014, to March 31, 2018).
A sum of Rs 531.24 crore was spent on outdoor publicity (June 2014 to January 2018),
Tapan Sutradhar, Financial Advisor, Bureau of Outreach Communication, provided expenditure details on publicity campaigns from June 2014.
“Print media included newspapers, magazines, while electronic media covered TV, Internet, radio, digital cinema, SMSs etc. Outdoor publicity included posters, banners, digital panels, hoardings, railway tickets etc,”
The bureau was formed after merging three media units of the I&B ministry to ensure “credible, consistent and clear communication” by various wings of the government across media platforms

भाजपा के राज्य सभा में उपनेता रवि शंकर प्रशाद ने सरकारी आवास पर अनधिकृत कब्जे को लेकर मिनिस्ट्री आफ अर्बन डेवेलोपमेंट के आरोपों का खंडन किया

भाजपा के राज्य सभा में उपनेता रवि शंकर प्रशाद ने आज सरकारी आवास पर अनधिकृत कब्जे को लेकर मिनिस्ट्री आफ अर्बन डेवेलोपमेंट के आरोपों का खंडन किया |उन्होंने बताया कि मिनिस्ट्री आफ अर्बन डेवेलोपमेंट द्वारा खबरें प्रकाशित करवाई जा रही हैं कि अनेकों पूर्व मंत्रियों ने आवंटित सरकारी बैंगलो खाली नहीं किये हैं और उस लिस्ट मेंउनका[रवि] का नाम भी शामिल किया गया है| उन्होंने कहा कि यह सत्यता से परे है और अपर्याप्त सूचनाओं पर आधारित है|
भाजपा नेता ने कहा कि “वास्तव में मंत्री के रूप में टाइप ७ बैंगलो एलोट किया गया है | मंत्री पद छोड़ने के पश्चात यह बँगला ६ वर्ष पूर्व राज्य सभा के पूल में ट्रांफर कर दिया गया है चूंकि मै पूर्व मंत्री होने के साथ साथ तीन टर्म से राज्य सभा का सदस्य हूँ तथा मेरी एंटाइटलमेंट के अनुसार राज्य सभा की हाउस कमेटी ने यह बँगला एलोट किया है|इसीलिए आर टी आई के जवाब में मिनिस्ट्री आफ अर्बन डेवेलोपमेंट द्वारा जारी जानकारी असत्य है

राजनितिक दलों को आर टी आई के दायरे में लाने वाले केंद्रीय सूचना आयोग के निर्णय को आज [आप] के रूप में एक समर्थक मिल ही गया

राजनितिक दलों को आर टी आई के दायरे में लाने वाले केंद्रीय सूचना आयोग के निर्णय को आज एक समर्थक मिल ही गया |आम आदमी पार्टी[आप] ने राजनीतिक दलों को सूचना अधिकार के दायरे में लाने का स्वागत किया है । गौरतलब है कि राजनितिक दलों द्वारा विभिन्न कारणों की आड़ में इस निर्णय का विरोध किया जा रहा हैं|
आप पार्टी द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि अपनी स्थापना के समय से ही आम आदमी पार्टी राजनीतिक दलों में पूर्ण पारदर्शिता की पक्षधर रही है। राजनीतिक पार्टियों की फंडिंग में पारदर्शिता न होने की वजह से ही राजनीति में अपराधी तत्वों और कालेधन के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलता है।
आम आदमी पार्टी की फंडिंग की सारी जानकारी वेबसाईट पर उपलब्ध रहती है। पार्टी की उम्मीदवार चयन प्रक्रिया भी पूरी तरह पारदर्शी रखी गई है,|इसी परिपेक्ष्य में “आप” ने देश की सभी पार्टियों से अपील की है कि सभी इस तरह की पारदर्शिता अपनाएं और अधिक से अधिक सूचना जनता को वेबसाईट के माध्यम से उपलब्ध कराने की परंपरा स्थापित करे ताकि सादगी और देशभक्ति से पूर्ण राजनीति की स्थापना हो सके।
कुछ दिन पूर्व ही आप अप्रत्य ने अध्यक्ष अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली की मुख्य मंत्री शीला दीक्षित को अपने चुनावी फंड्स का हिसाब जनता के समक्ष रखने की चेतावनी दी थी| केंद्रीय सूचना आयोग ने ६ मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को भी आरटीआई एक्ट के दायरे में ला दिया है लेकिन कुछ राजनितिक दलों को इस पर एतराज भी है|

नेता जी अब तो बताना पड़ेगा कि चंदा कहाँ से लिया: केंद्रीय सूचना आयोग ने राजनीतिक दलों को आरटीआई में ला दिया

केंद्रीय सूचना आयोग ने ६ मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को भी आरटीआई एक्ट के दायरे में ला दिया है|यह एक एतिहासिक निर्णय बताया जा रहा हैलेकिन कुछ राजनितिक दलों को एतराज भी है|

नेता जी अब तो बताना पड़ेगा कि चंदा कहाँ से लिया: केंद्रीय सूचना आयोग ने राजनीतिक दलों को आरटीआई में ला दिया

नेता जी अब तो बताना पड़ेगा कि चंदा कहाँ से लिया: केंद्रीय सूचना आयोग ने राजनीतिक दलों को आरटीआई में ला दिया


आयोग के अध्यक्ष मुख्य सूचना आयुक्त सत्येंद्र मिश्रा की पूर्ण बेंच ने कांग्रेस+ भाजपा+माकपा+ भाकपा+ एनसीपी+ +बसपा को आरटीआई के तहत मांगी गई सूचनाओं का जवाब देने का निर्देश दिया है और कहा है कि सभी सार्वजनिक प्राधिकरण आरटीआई एक्ट के दायरे में हैं|
इस फैसले के बाद तमाम राजनीतिक दलों का पर्दे के पीछे होने वाला चंदे का खेल गड़बड़ा सकता है। उन्हें आरटीआइ कानून के तहत सार्वजनिक संस्थाएं माना जाएगा। राजनीतिक दल इसे हाई कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। दलों का मानना है कि चुनाव आयोग को सारी जानकारी दी जाती है और केंद्रीय सूचना आयोगको भी मुहैय्या कारवाई जा सकती है लेकिन आम जनता के साथ इसे शेयर करने को तैयार नही दिख रहे| मुख्य सूचना आयुक्त सत्येन्द्र मिश्र+ सूचना आयुक्त अन्नपूर्णा दीक्षित+ सूचना आयुक्त एमएल शर्मा की पीठ ने सरकार से मिलने वाली आर्थिक मदद और राजनीतिक दलों की लोकतंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका के मध्यनजर इन्हें आरटीआइ कानून की धारा 2[H] में सार्वजनिक संस्थाएं करार दिया है।
आरटीआइ कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल +अनिल बैरवाल की याचिका के फलस्वरूप यह निर्णय आया है| याचकों ने दलों के कोष +उन्हें मिले चंदे+ चंदा देने वालों के नाम + पते उजागर करने को कहा था |जिसे दलों द्वरा स्वीकार नहीं किया गया था |सीआइसी[ CIC ] ने यह माना है किमान्यता प्राप्त इन ६ राजनितिक दलों को केंद्र से मदद मिलती है|
आरटीआइ के दायरे में आने के पश्चात प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि चुनाव आयोग और सूचना आयोग को आपस में तय करना है कि राजनीतिक पार्टियां किसके प्रति जवाबदेह होंगी।
नकवी ने कहा, हर राजनीतिक दल अपनी सारी जानकारी पहले से चुनाव आयोग को देता रहा है और कोई भी व्यक्ति आरटीआइ के तहत उससे यह जानकारी ले सकता है लेफ्ट ने इस पर अपनी नाखुशी साफ जता दी है, जबकि कांग्रेस ने फैसला देखने के बाद ही प्रतिक्रिया देने की बात कहकर चुप्पी साध ली है।

केंद्र सरकार अपने रक्षा सचिव को कैग के बजाय अकाउंटेंट के रूप में इस्तेमाल कर सकता है ;जनहित याचिका

नए कैग की न्युक्ति को लेकर आर टी आई के बाद अब पी आई एल दाखिल कर दी गई है| राष्ट्रपति डा, प्रणव मुखर्जी ने देश के लेखानियंता[ Comptroller ]& [ AuditorGeneral ] के रूप में केंद्र सरकार के रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा को शपथ दिला दी है लेकिन इसको चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय में गुरुवार को एक जनहित याचिका भी दायर कर दी गई।याचिका में कहा गया है कि वह खुद रक्षा सचिव के रूप में काम कर चुके हैं और हाल के दिनों में रक्षा सौदे में अनेकों घोटालों की बात सामने आई है। कहा गया है कि रक्षा विभाग के एक पक्षकार द्वारा किया जाने वाला लेखा आडिट निष्पक्ष कैसे हो सकता है|।इस जनहित याचिका की सुनवाई ग्रीष्मावकाश के बाद होने की प्रबल संभावना है।
उल्लेखनीय है कि श्री शर्मा ने आज ही सीएजी[ CAG ] के रूप में शपथ ली है। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। श्री शर्मा का कार्यकाल 24 सितंबर 2017 तक होगा। उन्होंने विनोद राय का स्थान लिया है जो कल सेवानिवृत्त हो गए। श्री शर्मा इससे पहले रक्षा सचिव थे।
आम आदमी पार्टी के प्रशांत भूषण ने भी यह आरोप लगाया है कि ‘शर्मा ने 2003 से 2010 तक रक्षा मंत्रालय में संयुक्त +अतिरिक्त सचिव के रूप में अलग-अलग पदों पर काम किया है । इसके बाद 2011 में रक्षा सचिव बने। इस दौरान लाखों-करोड़ों के रक्षा सौदे हुए।इन सौदों पर आपत्ति कि जा रही है और इनका आडिट किया जाना है|
1976 बैच के बिहार कैडर से आईएएस अफसर शशिकांत शर्मा जुलाई 2011 से रक्षा सचिव हैं। और फिलहाल सर्विस एक्सटेंशन पर हैं|यूनिवर्सिटी ऑफ यॉर्क से राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री हासिल करने वाले हैं। रक्षा सचिव बनने से पहले वे वित्त मंत्रालय में सचिव (वित्त सेवाएं) थे। उसके पहले 2003 से 2010 के दौरान उन्होंने रक्षा मंत्रालय में ही संयुक्त सचिव, अतिरिक्त सचिव और महानिदेशक (खरीद) पदों पर भूमिका निभाई है।
कैग न्युक्ति की प्रक्रिया
इस न्युक्ति पर पहले भी आर टी आई के माध्यम से आपत्ति उठाई जा चुकी है|जिसके जवाब में केंद्र सरकार ने यह स्वीकार किया है कि कैग की न्युक्ति के लिए योग्यता का कोई माप दंड नही है|परम्परा को ही न्युक्ति का आधार बनाया गया है|बताया गया है कि
[१]कैग की नियुक्ति 6 साल या 65 वर्ष की आयु तक के लिए होती है।
[२]वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव पर सरकार राष्ट्रपति को सिफारिश भेजती है।
[३]इसके लिए कोई औपचारिक व्यवस्था नहीं है। पुरानी परंपरा का ही पालन होता है।
[४]कैग के पद पर नियुक्ति के लिए योग्यता के संबंध में कोई शर्त नहीं है।
[५]इसके लिए कोई सलेक्शन कमेटी नहीं । सरकार जिसे चाहे उसे बना सकती है।

कैग के बदलने पर भी “आप” तो आर टी आई से अन्दर की खबर निकलवा ही लोगे


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

आम आदमी पार्टी का एक परेशान नेता

ओये झाल्लेया ये तो बड़ा जुल्म हो गया ओये हसाड़े सोणे +ईमानदार और कर्मठ कोम्प्त्रोल्लेर एंड आडिटर जनरल [ कैग] [ CAG ]विनोद राय को रिटायर करके २३ मई को शशि कान्त शर्मा को सरकार के मोहरे के रूप में लगाया जा रहा है|और तो और सरकार के साथ हज़ार छेदों वाली द्रुमुक भी अब विनोद राय को संसद में घसीट कर अपमानित करने की धमकी देने लग गई है|ओये अब हमें अन्दर की खबरें कैसे मिलेंगी ?

झल्ला

बाऊ जी ये तो व्यवस्था का नियम है किसी ना किसी को कभी ना कभी तो आना ही है|आप तो आर टी आई के सहारे से अगले पाच साल तक उपयोग के लिए खबर तो निकलवा ही लोगे लेकिन ये सोचो के कैग के आडिट करने के दायरे को बढाने के बजाय कहीं कम ही न कर दिया जाए |डिफेंस की डील्स के साथ अब डिफेंस की सहयोगी संस्थाओं की आर्थिक बैलेंस शीट पर भी नज़र रखना लाभकारी होगा |