प्रधान मंत्री ने रेडियो के राम बाण से अनेकों विसंगतियों पर प्रहार करते हुए दशहरा मनाया | २४ भाषाओँ में एक साथ जारी इस माध्यम का प्रयोग करके पी एम ने रेडियो विज्ञान के उपेक्षित पिता जगदीश चन्द्र बसु को भी श्रद्धांजलि दी| रेडियो के महत्व को बढ़ावा देते हुए हाशिये में आ चुके रेडियो के माध्यम को एक बार फिर से इसके महत्व को स्थापित किया रेडियो की इस आकाश वाणी के माध्यम से एक सस्ता और सरकारी संचार माध्यम जागृत किया गया है |इससे महंगे और निरंकुश होते जा रहे एलेक्टोनिक्स+प्रिंट मीडिया को उत्तर दिया जा सकेगा |सोशल मीडिया फेस बुक +ट्विटर आदि पर विदेशों की पकड़ हैं सो उन पर भी निर्भरता कम होगी|रेडियो के निर्माण को प्रोत्साहन मिल सकेगा जिससे रोजगार के नए अवसर उत्प्न्न होंगे |
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने विजय दशमी के पावन पर्व पर आज रेडियो के माध्यम से मन की बाते साँझा की|सरल भाषा में लोक कथाओं का वर्ण करते हुए उन्होंने अनेकों प्रतीकों का प्रयोग किया| स्वामी विवेकानंद की शेर और भेड़ की कहानी से जहाँ उन्होंने जनता के आत्मसम्मान को जगाने का प्रयास किया वहीँ विकलांग बच्चों में उत्साह भी जगाया| अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा की भांति लोगों को जोड़ें के लिए मुंबई के गणेश वेंकटादरी +गौतम पाल आदि का उदाहरण भी दिया |
मोदी ने महात्मा गांधी की खादी को प्रोमोट करते हुए करघा उद्योग में रोजगार के अवसरों को बढ़ावादेने के लिए उन्होंने कहा
“हम जब महात्मा गांधी की बात करते हैं, तो खादी की बात बहुत स्वाभाविक ध्यान में आती है। आपके परिवार में अनेक प्रकार के वस्त्र होंगे, अनेक प्रकार के वस्त्र होंगे, अनेक प्रकार के फैब्रिक्स होंगे, अनेक कंपनियों के products होंगे, क्या उसमें एक खादी का नहीं हो सकता क्या, मैं अपको खादीधारी बनने के लिए नहीं कह रहा, आप पूर्ण खादीधारी होने का व्रत करें, ये भी नहीं कह रहा। मैं सिर्फ इतना कहता हूं कि कम से कम एक चीज, भले ही वह हैंडकरचीफ, भले घर में नहाने का तौलिया हो, भले हो सकता है बैडशीट हो, तकिए का कबर हो, पर्दा हो, कुछ तो भी हो, अगर परिवार में हर प्रकार के फैब्रिक्स का शौक है, हर प्रकार के कपड़ों का शौक है, तो ये नियमित होना चाहिए और ये मैं इसलिए कह रहा हूं कि अगर आप खादी का वस्त्र खरीदते हैं तो एक गरीब के घर में दीवाली का दीया जलता है और इसीलिए एकाध चीज … और इन दिनों तो 2 अक्टूबर से लेकर करीब महीने भर खादी के बाजार में स्पेशल डिस्काउंट होता है, उसका फायदा भी उठा सकते हैं। एक छोटी चीज…… और आग्रहपूर्वक इसको करिए और आप देखिए गरीब के साथ आपका कैसा जुड़ाव आता है। उस पर आपको कैसी सफलता मिलती है।”
पी एम ने बीते दिन चलाये गए क्लीन इंडिया अभियान का हवाला देते हुए बताया
“कल 2 अक्टूबर पर महात्मा गांधी की जन्म जयंती पर “स्वच्छभारत” का अभियान सवा सौ करोड़ देशवासियों ने आरंभ किया है। मुझे विश्वास है कि आप सब इसको आगे बढ़ाएंगे। मैंने कल एक बात कही थी “स्वच्छ भारत अभियान” में कि मैं नौ लोगों को निमंत्रित करूंगा और वे खुद सफाई करते हुए अपने वीडियो को सोशल मीडिया में अपलोड करेंगे और वे ‘और’ नौ लोगों को निमंत्रित करेंगे। आप भी इसमें जुडि़ए, आप सफाई कीजिए, आप जिन नौ लोगों का आह्वान करना चाहते हैं, उनको कीजिए, वे भी सफाई करें, आपके साथी मित्रों को कहिए, बहुत ऊपर जाने की जरूरत नहीं, और नौ लोगों को कहें, फिर वो और नौ लोगों को कहें, धीरे-धीरे पूरे देश में ये माहौल बन जाएगा। मैं विश्वास करता हूं कि इस काम को आप आगे बढ़ायेंगे।”
लोगों को सीधे कनेक्ट करने के लिए मोदी ने गौतम पाल के ई मेल का भी जिक्र किया
उन्होंने बताया “इन दिनों मुझे ई-मेल के द्वारा सोशल मीडिया के द्वारा, फेस-बुक के द्वारा कई मित्र मुझे चिट्ठी लिखते हैं। एक गौतम पाल ने एक चिंता जताई है, उसने कहा है कि जो स्पैशली एबल्ड चाईल्ड होते हैं, उन बालकों के लिए नगरपालिका हो, महानगरपालिका, पंचायत हो, उसमें कोई न कोई विशेष योजनाएं होती रहनी चाहिएं। उनका हौसला बुलन्द करना चाहिए। मुझे उनका ये सुझाव अच्छा लगा क्यों कि मेरा अपना अनुभव है कि जब मैं गुजरात में मुख्यामंत्री था तो 2011 में एथेन्स में जो स्पेशल ओलम्पिक होता है, उसमें जब गुजरात के बच्चे गये और विजयी होकर आये तो मैंने उन सब बच्चों को, स्पेशली एबल्ड बच्चों को मैंने घर बुलाया। मैंने दो घंटे उनके साथ बिताये, शायद वो मेरे जीवन का बहुत ही इमोशनल, बड़ा प्रेरक, वो घटना थी। क्योंकि मैं मानता हूं कि किसी परिवार में स्पेशली एबल्ड बालक है तो सिर्फ उनके मां-बाप का दायित्व नहीं है। ये पूरे समाज का दायित्व है। परमात्मा ने शायद उस परिवार को पसंद किया है, लेकिन वो बालक तो सारे राष्ट्र् की जिम्मेसदारी होता है। बाद में इतना मैं इमोशनली टच हो गया था कि मैं गुजरात में स्पेशली एबल्ड बच्चों के लिए अलग ओलम्पिक करता था। हजारों बालक आते थे, उनके मां-बाप आते थे। मैं खुद जाता था। ऐसा एक विश्वास का वातावरण पैदा होता था और इसलिए मैं गौतम पाल के सुझाव, जो उन्होंने दिया है, इसके लिये मैं, मुझे अच्छा लगा और मेरा मन कर गया कि मैं मुझे जो ये सुझाव आया है मैं आपके साथ शेयर करूं।”
प्रधान मंत्री ने जनता से केवल सरकार पर आश्रित रहने के बजाय स्वयं अपनी शक्ति पहचान कर अपनी इच्छा शक्ति जगाने का आह्वाहन करते हुए कहा कि
“एक कथा मुझे और भी ध्यान आती है। एक बार एक राहगीर रास्ते के किनारे पर बैठा था और आते-आते सबको पूछ रहा था मुझे वहाँ पहुंचना है, रास्ता कहा है। पहले को पूछा, दूसरे को पूछा, चौथे को पूछा। सबको पूछता ही रहता था और उसके बगल में एक सज्जन बेठे थे। वो सारा देख रहे थे। बाद में खड़ा हुआ। खड़ा होकर किसी को पूछने लगा, तो वो सज्जन खड़े हो करके उनके पास आये। उसने कहा – देखो भाई, तुमको जहां जाना है न, उसका रास्ता इस तरफ से जाता है। तो उस राहगीर ने उसको पूछा कि भाई साहब आप इतनी देर से मेरे बगल में बेठे हो, मैं इतने लोगों को रास्ता पूछ रहा हूं, कोई मुझे बता नहीं रहा है। आपको पता था तो आप क्यों नहीं बताते थे। बोले, मुझे भरोसा नहीं था कि तुम सचमुच में चलकर के जाना चाहते हो या नहीं चाहते हो। या ऐसे ही जानकारी के लिए पूछते रहते हो। लेकिन जब तुम खड़े हो गये तो मेरा मन कर गया कि हां अब तो इस आदमी को जाना है, पक्का लगता है। तब जा करके मुझे लगा कि मुझे आपको रास्ता दिखाना चाहिए।”
रेडियो के माध्यम से रोजगार+आर्थिकप्रग्रति+संचार+ प्रसारपर खर्चे में कमी+ लोगों की सरकार के साथ सीधे भागेदारी+जनता के लिए जनता से ही नए सुझावों का आगमन+ राजनीती करने के लिए एक सस्ता मंच +मेदे में कम्पीटीशन+और सबसे बढ़ा रेडियो के पिता कहे जाने वाले उपेक्षित बंगाली वैज्ञानिक जगदीश चद्र बसु को सच्ची श्रद्धांजलि
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