तेलंगाना मुद्दे को लेकर आज[बृहस्पति] लगातार दूसरे दिन लोकसभा भी नहीं चल पायी।
तेलंगाना के अलावा विभिन्न दलों के सदस्य अपने अपने मुद्दों को लेकर आसन के समक्ष[वेल] आकर नारेबाजी करते रहे जिसके कारण सदन में व्यवस्था नहीं बन पायी और एक बार के स्थगन के बाद कार्यवाही लगभग सवा 12 बजे दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई|
शीतकालीन सत्र की बीते दिन से शुरू हुई विस्तारित [Extended]बैठक में आज दूसरे दिन भी हंगामे के कारण प्रश्नकाल नहीं हो सका। लोक सभा तेलंगाना मुद्दे और तमिलनाडु के मछुआरों की स्थिति को लेकर लोकसभा में आज विभिन्न दलों के हंगामे के कारण कार्यवाही शुरू होने के कुछ देर बाद ही सीमांध्र क्षेत्र के कांग्रेस,तेदेपा और जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व में वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य एकीकृत आंध्रप्रदेश की मांग करते हुए अध्यक्ष के आसन के समीप आ गए।उनके हाथों में तख्तियां थी जिस पर लिखा था, आंध्रप्रदेश को एकजुट रखें।
’तेलंगाना प्रोटेस्टर्स सांसदों के हंगामे के चलते सुबह ११ बजे संसद के दोनों सदनों को एक घंटे के लिए स्थगित कर दिया गया|राज्य सभा और लोक सभा को बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस समस्या को सुलझाने के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सवयम अपरान्ह एवं संध्या में प्रयासकर सकते हैं शीत कालीन इस सत्र का पहला दिन भी हंगामे की भेंट चढ़ गया था और आज सुबह भी शुरूआती घंटा बर्बाद हो गया | गौरतलब है कि कांग्रेस के ही मुख्य मंत्री किरण कुमार रेड्डी ने पृथक तेलंगाना के गठन के विरोध की कमान संभाल रखी हैजबकि विपक्षी दलों ने विभाजन का स्वागत किया है
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लोकसभा का दूसरा दिन भी तेलंगाना की भेंट चढ़ा
रुपये के निरंतर अवमूल्यन के लिए यूं पी ऐ सरकार के कुप्रबंध और अमेरिकी फ़ेडरल रिजर्व जिम्मेदार है:भाजपा
भाजपा ने भारतीय रुपये के निरंतर अवमूल्यन के लिए यूं पी ऐ की सत्ता रुड सरकार के कुप्रबंध और भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहराया है|राज्य सभा में विपक्ष के उपनेता और वरिष्ठ वकील रविशंकर प्रसाद द्वारा जारी प्रेस वक्तव्य में कहा गया है कि एक अमेरिकी डॉलर अब ६०.१५ रुपये पर मिल रहा है|मई से जुलाई के बीच डॉलर के मुकाबिले ७.१५ रुपयों की गिरावट दर्ज की गई है यह सरकार के मजबूत अर्थ व्यवस्था के तमाम दावों को गलत साबित करता है|
उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले दस वर्षों के सबसे निचले स्तर पर है|विकास दर ५% पर आ चुकी है|भारतीय अर्थव्यवस्था को विदेशी निवेश से चलाने के लिए यूं पी ऐ की कोशिशें कमजोर साबित हुई है|क्योंकि अगर विदेशी धन तेजी से देश में आता है तो उतनी ही तेजी से लाभ लेकर बाहर जाता भी है|अमेरिकी फ़ेडरल रिजर्व ने भारत को भी दिए जारहे प्रोत्साहन वापिस लेने के आदेश जारी किये हैं जिसके फलस्वरूप रुपया निरंतर लुडकता जा रहा है|
कोई भी अर्थ व्यवस्था जबर्दस्त घरेलू निवेश और बचत पर निर्भर करती है लेकिन दुर्भाग्य वश आज भारतीय निवेशक भी विदेशों में निवेश करने को बाध्य है क्योंकि यहाँ माहौल अनुकूल नहीं है||हर तरफ भ्रष्टाचार+दुविधा+भयानक अनिश्चितता और नीतियाँ तैयार करने में गतिहीनता है|अर्थशास्त्री पी एम् के होते हुए भी अर्थ व्यवस्था अव्यवस्थित हैं |चिंता इस बात की है कि एन डी ऐ द्वारा छोड़ी गई मजबूत अर्थव्यवस्था को यूं पी ऐ ने अपने कुप्रबंध और भ्रष्टाचार से तहस नहस कर दिया है
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